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#मीटू: अमेरिका से निकली चिंगारी से लगी पूरी दुनिया में आग

२९ सितम्बर २०२२

अमेरिका से शुरु हुए #MeToo आंदोलन की गूंज बीते पांच सालों में पूरी दुनिया में सुनाई दी है. यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार के खिलाफ इससे काफी कुछ हासिल भी हुआ.

Symbolbild #me too
तस्वीर: Frank May/picture alliance

विश्व के अलग अलग देशों में #MeToo आंदोलन के हैशटैग से अलग भी कई स्थानीय हैशटैग लोकप्रिय हुए. भारत समेत कई देशों में अदालतों ने यादगार फैसले सुनाए. अमेरिका से शुरु हुए अभियान के चलते बीते पांच सालों में हुई कुछ ऐसी ही निर्णायक घटनाओं पर एक नजर डालते हैं.

स्वीडन में खुला नये कानून का रास्ता

नॉर्डिक देश स्वीडन पहले से ही प्रगतिशील लैंगिक नीतियों का गढ़ रहा है. #MeToo आंदोलन के बाद तो स्वीडिश एकेडमी में जैसे एक धमाका हुआ. हर साल साहित्य का नोबेल पुरस्कार देने वाली इस अकादमी के 70 सालों के इतिहास में पहली बार इसे पुरस्कार को स्थगित करना पड़ा.

हुआ यूं कि 2018 में कई महिलाओं ने अकादमी की एक सदस्य के फ्रेंच पति जॉं-क्लाउद आर्नोल्ट पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए. स्वीडिश राजधानी स्टॉकहोम में आर्नोल्ट एक मशहूर कल्चरल क्लब चलाते थे. महिलाओं के आरोप सही साबित होने पर अदालत ने आर्नोल्ट को दो साल की जेल की सजा सुनाई.

स्वीडन की सरकार ने देश में जोर पकड़ रही भावनाओं को संज्ञान में लेते हुए एक नया कानून बना डाला. तब से स्वीडन में बिना साफ तौर पर सहमति से किए सेक्स के अलावा बाकी सबको बलात्कार की श्रेणी में रख दिया गया है, भले ही उनमें किसी तरह की धमकी या हिंसा ना हुई हो.

स्पेन के 'भेड़िए' हुए कैद 

सन 2018 में यूरोपीय देश स्पेन में एक कथित गैंग रेप के मामले को लेकर हजारों लोग सड़कों पर उतरे. इस मामले में आरोपी थे खुद को "दि वुल्फ पैक" यानि भेड़ियों का झुंड कहने वाले एक फेसबुक ग्रुप से जुड़े पांच पुरुष. उनके चैट के रिकॉर्ड से पता चला कि उन सबने पैंपलोना में होने वाले विश्व प्रसिद्ध बुल रनिंग फेस्टिवल में एक टीनएज लड़की के साथ सेक्स के अपने अनुभव को लेकर खूब बढ़ चढ़ कर बातें की थीं.

इन सब पर बलात्कार के आरोप की सुनवाई हुई लेकिन अदालत ने उन्हें यौन दुर्व्यवहार के कम गंभीर मामलों का ही दोषी पाया. पीड़िता के समर्थन में हजारों आम लोग सड़कों पर उतरे और नाराज भीड़ ने "हमें तुम पर विश्वास है, बहन" के नारे लगाते हुए प्रदर्शन किए. स्पेन से निकला यह नारा विश्व के और देशों में भी पहुंचा और लोगों ने यौन अपराधों के पीड़ितों के साथ एकजुटता जाहिर करने के लिए इसका इस्तेमाल किया.

जून 2019 में स्पेन की सर्वोच्च अदालत ने उस मामले में निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए उन पांचों आरोपियों को बलात्कार का दोषी करार दिया. सुप्रीम कोर्ट ने वुल्फ पैक के उन सदस्यों में से हर एक को 15-15 साल की जेल की सजा सुनाई. 2022 में स्पेन भी स्वीडन की राह पर बढ़ गया और देश के कानून में सख्ती लाते हुए सेक्स के लिए सहमति को साफ तौर पर इसके केंद्र में रखा.

दक्षिण कोरिया में टॉयलेट

महिलाओं के टॉयलेट और चेंजिंग रूम में स्पाई-कैमरे लगा कर उनके वीडियो बनाने वाले पुरुषों के खिलाफ दक्षिण कोरिया की महिलाएं 2018 में हजारों की तादाद में कई हफ्तों तक प्रदर्शन करती रहीं.

दक्षिण कोरिया में 2018 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस कुछ ऐसे मनाया गया थातस्वीर: Ahn Young-joon/AP Photo/picture alliance

देश में इतने बड़े स्तर पर महिलाओं का विरोध प्रदर्शन पहले कभी नहीं हुआ था. इसकी प्रतिक्रिया भी काफी बड़ी हुई, जिसका असर 2022 के राष्ट्रपति चुनावों तक में दिखा. उस समय एक नेता और 2022 में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यून सुक-वियोल ने तब #MeToo से नाराज पुरुषों से वादा किया था कि उनका बस चले तो वह देश के लैंगिक बराबरी मंत्रालय को ही खत्म कर देंगे. यून राष्ट्रपति चुनाव जीत भी गए. महिलाओं के आंदोलन के कारण उन्हें बहुत कम अंतर से जीत मिल पाई.

भारत में हिला मीडिया से लेकर बॉलीवुड

इस आंदोलन के बाद भारत में सबसे ज्यादा चर्चित रहा भारत सरकार के विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर का मामला. उन पर दर्जन भर से ज्यादा महिलाओं ने यौन शोषण का आरोप लगाया था जो कि उनके पत्रकार के रूप में काम करने के दिनों से जुड़े थे. अकबर को अक्टूबर 2018 में पहले तो मंत्री पद छोड़ना पड़ा और फिर आरोपी पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ उनके दायर किए मानहानि के दावे में भी अदालत ने उनके खिलाफ फैसला सुनाया.

अमेरिका में शुरू होने के करीब एक साल बाद भारत में पहली बार इसकी गूंज तब सुनाई दी जब फिल्म अभिनेत्री तनुश्री दत्ता ने अभिनेता नाना पाटेकर पर 10 साल पहले एक फिल्म के सेट पर बदसलूकी करने का आरोप लगाया. उसके बाद से फिल्म और मीडिया जगत के अलावा खेलों की दुनिया के बहुत सारे मशहूर लोगों पर छेड़खानी से लेकर बलात्कार तक कई आरोप लगे.

अफ्रीका से लेकर ईरान तक हलचल

अफ्रीका में एक युवा छात्रा के बलात्कार और हत्या के बाद #AmInext और #MenAreTrash जैसे हैशटैग भी चले. दक्षिण अफ्रीका जैसे देश में हर तीसरे घंटे एक महिला की हत्या होती है. वहीं ईरान से लेकर इस्राएल के अल्ट्रा ऑर्थोडॉक्स समुदाय में भी यौन हिंसा की कई शिकायतें सामने आईं.

अमेरिका से चली मीटू की लहर के विश्व भर में पहुंचने की ऐसी कई मिसालें सामने आई हैं. अभी भी अभियान पूरी तरह भुलाया नहीं गया है और महिला अधिकारों के इतिहास में एक मील के पत्थर जैसी जगह बना चुका है.  

आरपी/ एनआर (एएफपी)

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