पहले से ज्यादा साफ-सुथरा और सुरक्षित हो गया है काबुल
१ दिसम्बर २०२३
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल की गलियां बदल रही हैं. 15 अगस्त 2021 को जब तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया था, उसके बाद से यह शहर अब कहीं ज्यादा साफ-सुथरा और सुरक्षित लेकिन उदास नजर आता है.
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तालिबान के नेतृत्व में काबुल शहर के प्रशासन ने 70 लाख शहरियों की जिंदगी सुधारने का बीड़ा उठाया है. इसके तहत आक्रामक रूप से कर उगाही करके सड़कों और सार्वजनिक भवनों की हालत सुधारने और सफाई करने जैसे कदम उठाए जा रहे हैं.
शहर की गलियों से नशेड़ियों को हटाया जा रहा है और भिखारियों में से पेशेवरों की छंटनी की जा रही है. ताउम्र काबुल में रहने वालीं 43 साल की जिया वली कहती हैं, "जनतांत्रिक सरकार के हटने के बाद और इस्लामिक खिलाफत के कब्जे के बाद से हमने बहुत से बदलाव देखे हैं. सबसे बड़ा बदलाव तो ये है कि हम सुरक्षित महसूस कर रहे हैं.”
भीड़भाड़ भरे, प्रदूषित और बंदूके लहराते लोगों से भरा यह सदियों पुराना शहर पहाड़ियों के बीच दबा हुआ सा महसूस होता है, जिसे काबुल नदी बीचोबीच चीरती है. पश्चिमी देशों के समर्थन से चली पिछली सरकार के 20 साल लंबे प्रशासन के दौरान काबुल एक किले में तब्दील हो गया था क्योंकि विदेशियों पर तालिबान के हमलों का लगातार खतरा बना रहता था.
खुल गया है काबुल
शहर के बहुत से हिस्सों में आज भी पुराने बंकर नजर आते हैं. वहां कंटीली तारों की बाड़ और बैरियर लगे हैं, जिनके दूसरी तरफ हथियारबंद सैनिक खड़े हैं. लेकिन पिछले दो साल में काबुल की कई गलियों को इस हर वक्त के युद्ध से मुक्ति मिली है.
खेलों पर तालिबान के बैन का विरोध कर रही हैं अफगानिस्तान की महिलाएं
अफगानिस्तान में सत्ता हथियाने के बाद तालिबान ने महिलाओं की आजादी पर कई पाबंदियां लगा दीं, जिनमें खेलों पर बैन भी शामिल था. लेकिन कुछ महिलाएं गुमनाम रूप से खेलते हुए अपनी तस्वीरें खिंचवा कर इस बैन का विरोध कर रही हैं.
तस्वीर: Ebrahim Noroozi/AP Photo/picture alliance
फुटबॉल से प्रेम
खेलों पर तालिबान के बैन का कई महिलाओं ने विरोध किया है. समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस ने सितंबर 2022 में इन महिलाओं की पहचान को छुपाते हुए इनकी तस्वीरें ली थीं. यह काबुल में महिलाओं की एक पूर्व फुटबॉल टीम है.
तस्वीर: Ebrahim Noroozi/AP Photo/picture alliance
खेलने की वजह से खतरा
यह एक युवा महिला स्केटबोर्डर हैं जिन्होंने स्केटिंग करते समय बुर्का पहना हुआ है. तालिबान ने महिलाओं और लड़कियों को न सिर्फ हर तरह के खेल खेलने से बैन कर दिया है, बल्कि उन्हें पार्क और जिम जाने से भी मना कर दिया है. इतना ही नहीं जो महिलाएं इस मनाही को नहीं मानतीं तालिबान के लोग उन्हें फोन पर और उनके घर जा कर उन्हें धमकाते हैं.
तस्वीर: Ebrahim Noroozi/AP Photo/picture alliance
बॉक्सिंग से बाहर
20 साल की नूरा को वो पल याद है जब तालिबान ने काबुल पर अपना कब्जा जमा लिया. नूरा ने उसी दिन काबुल में एक खेल परिसर में एक प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था. वहां मौजूद दर्शकों को जब यह पता चला कि तालिबान के लड़ाके काबुल के बाहर तक पहुंच गए हैं, सभी महिलाएं और लड़कियां खेल परिसर से भाग गईं. वो नूरा की आखिरी प्रतियोगिता थी.
तस्वीर: Ebrahim Noroozi/AP Photo/picture alliance
खतरे से भागती एक बॉक्सर
नूरा काबुल के एक गरीब इलाके में बड़ी हुईं और उन्हें हमेशा चुनौतियां का मजबूती से सामना किया. लेकिन जब तालिबान ने उन्हें और उनके परिवार को धमकाया तो उन्होंने काबुल छोड़ दिया और उस प्रांत में जा कर हफ्तों तक छिपी रहीं जहां के उनके माता-पिता मूल निवासी हैं. उन्होंने एपी को बताया, "जब से तालिबान की वापसी हुई है मुझसे ऐसा लगता है जैसे मैं मर चुकी हूं."
तस्वीर: Ebrahim Noroozi/AP Photo
व्यवस्थित रूप से अलग कर देना
इन महिला बाइक रेसर जैसा तजुर्बा कई महिलाओं को हुआ है जिन्हें तालिबान ने व्यवस्थित रूप से वंचित और निष्क्रिय ही कर दिया है. उनका स्कूल और विश्वविद्यालय जाना वर्जित है, घर से बाहर निकलने पर पूरा शरीर ढंकना अनिवार्य है और घर से बाहर काम करने पर भारी प्रतिबंध लगा दिए गए हैं.
तस्वीर: Ebrahim Noroozi/AP Photo/picture alliance
क्या फिर कभी खेल पाएंगी?
काबुल में इन युवा महिला के बास्केटबॉल फिर से खेल पाने की कोई गुंजाइश नहीं है. अफगानिस्तान की राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के प्रवक्ता ने घोषणा की है कि तालिबान के अधिकारी खेलों के लिए नए स्थलों की योजना बना रहे हैं ताकि महिलाएं दोबारा खेल सकें. लेकिन महिलाओं की शिक्षा को लेकर भी इसी तरह के बयान दिए गए हैं और अभी तक किसी भी घोषणा पर अमल नहीं किया गया है.
तस्वीर: Ebrahim Noroozi/AP Photo/picture alliance
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राष्ट्रपति के पूर्व सलाहकार रह चुके एक आर्किटेक्ट अमीन करीम कहते हैं, "जो पहले खतरा थे अब वही पहरेदार बने हैं और इसे अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि बताते हैं.”
म्युनिसिपैलिटी के सांस्कृतिक मामलों के सलाहकार नेमातुल्लाह बरकाजी बताते हैं कि जिन सौ से ज्यादा सड़कों को आम जनता के लिए बंद रखा गया था, उन्हें अब खोल दिया गया है. साथ ही शहर-ए-ना नाम से एक केंद्रीय पार्क बनाया गया है जिसमें कई ग्रीन हाउस हैं और लाखों फूल खिले हुए हैं.
बरकाजी बताते हैं कि सौ किलोमीटर से ज्यादा लंबी नयी सड़कें बनाई गई हैं और पूर्व राष्ट्रपति की बेटी के घर को ढहाकर नया रास्ता बनाया गया है ताकि आने-जाने के लिए और सड़कें बन सकें.
फिर भी, खतरा तो है
हालांकि सुरक्षा का खतरा पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है और पहले जो चेकपॉइंट तालिबान के हमलों से बचने के लिए प्रयोग किए जाते थे, अब वे इस्लामिक स्टेट के हमलों से सुरक्षा के काम में लिए जा रहे हैं. गृह मंत्रालय के मुताबिक शहर में 62 हजार कैमरे काम कर रहे हैं. हालांकि इन तमाम कोशिशों के बावजूद ट्रैफिक जाम और प्रदूषण शहर प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है.
तालिबान की 'होली' में जलाये गए गिटार, हारमोनियम, तबला
तालिबान ने अफगानिस्तान में सत्ता में आते ही सार्वजनिक स्थानों पर संगीत बजाने पर पाबंदी लगा दी थी. अब वाद्य यंत्रों को जला कर तालिबान ने संगीत के प्रति अपनी नफरत का और भी वीभत्स चेहरा दिखाया है. देखिये तस्वीरों में.
तस्वीर: Afghanistan's Ministry for the Propagation of Virtue and the Prevention of Vice/AFP
वाद्य यंत्रों की 'होली'
तालिबान सरकार के नैतिकता मंत्रालय ने जब्त किये हुए वाद्य यंत्रों और उपकरणों की 'होली' जलाई है. यह 'होली' 30 जुलाई को को हेरात प्रांत में जलाई गई.
तस्वीर: Afghanistan's Ministry for the Propagation of Virtue and the Prevention of Vice/AFP
गिटार, हारमोनियम, तबला - सब खाक
जिन चीजों को आग लगाई गई उनमें एक गिटार, दो और तार वाले वाद्य यन्त्र, एक हारमोनियम, एक तबला, एम्पलीफायर और स्पीकर भी शामिल थे. इनमें से अधिकांश चीजों को हेरात के वेडिंग हॉलों से जब्त किया गया था.
तस्वीर: Afghanistan's Ministry for the Propagation of Virtue and the Prevention of Vice/AFP
सैकड़ों डॉलर का सामान
जला दिए गए समाना की कीमत सैकड़ों डॉलर थी, लेकिन संगीत प्रेमियों के लिए यह सब बेशकीमती सामान था. तालिबान संगीत को अनैतिक मानता है.
तस्वीर: Hussein Malla/AP Photo/picture alliance
क्या कहा तालिबान ने
'सदाचार को बढ़ावा देने और दुराचार को रोकने' के मंत्रालय के हेरात विभाग के मुखिया अजीज अल-रहमान अल-मुहाजिर ने कहा, "संगीत को बढ़ावा देने से नैतिक भ्रष्टाचार होता है और उसे बजाने से युवा भटक जाएंगे."
तस्वीर: Bernat Armangue/AP Photo/picture alliance
इस्लाम के बहाने
अगस्त 2021 में सत्ता हथियाने के बाद से तालिबान के अधिकारियों का इस्लाम के जिस कट्टर रूप में विश्वास है उसे लागू करने के लिए कई नियम और कानूनों की घोषणा की है. इनमें सार्वजनिक स्थानों पर संगीत बजाने पर बैन भी शामिल है.
तस्वीर: Bernat Armangue/AP/picture alliance
महिलाओं पर गिरी गाज
नए नियमों का सबसे बड़ा खामियाजा महिलाओं को भुगतना पड़ा है. वो बिना हिजाब पहने घर से बाहर नहीं का सकतीं. किशोर लड़कियों और महिलाओं को स्कूलों और विश्वविद्यालयों से प्रतिबंधित कर दिया है. देशभर में हजारों ब्यूटी पार्लरों को भी बहुत खर्चीली या गैर-इस्लामी बता कर बंद कर दिया गया है.
सीके/एए (एएफपी)
तस्वीर: ALI KHARA/REUTERS
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फल बेचने वाले 21 साल के खलीलुल्लाह कहते हैं कि इससे छोटे-मोटे अपराधों में कमी आई है और अब वह देर रात भी काम पर आने जाने में डरते नहीं हैं.
तालिबान ने निजी निवेश भी जुटाया है जो 24 चौराहों के पुनरोत्थान के लिए काम में लिया जाना है. लेकिन इन चौराहों पर अब भी व्यवस्था नहीं है और लोग हर तरफ से एक ही साथ आते-जाते हैं. बरकाजी पूरे भरोसे के साथ कहते हैं कि प्रशासन ने दस वर्षीय योजना बनाई है और हर समस्या हल हो जाएगी.
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रौनक नहीं रही
पर कई लोग कहते हैं कि अब शहर की आबो-हवा में एक तरह की उदासी छायी रहती है. हालांकि रमीशा कहती हैं कि शहर की उदासी की बड़ी वजह तो पैसे की तंगी हैं. वह कहती हैं, "आप लोगों के चेहरों पर जो उदासी देख रहे हैं, वह आर्थिक परेशानी की वजह से है.”
करीम कहते हैं, "पहले गुरुवार शाम और शुक्रवार देर रात तक जगह-जगह लोगों के जमावड़े हुआ करते थे. रेस्तरां लोगों से भरे रहते थे. संगीत सुनाई देता था. युवा घूमते-फिरते नजर आते थे और लोग संगीत समारोहों में जा रहे होते थे.”
अब वैसा कुछ भी नहीं है. शाम घिरते ही काबुल की बहुत सी सड़कें अंधेरी और सुनसान हो जाती हैं, मानो कर्फ्यू लगा हो. दिन के वक्त भी शहर में बहुत कम महिलाएं नजर आती हैं.
बदलाव का सबसे ज्यादा असर महिलाओं पर ही हुआ है. तालिबान ने महिलाओं पर कई तरह की पाबंदियां लागू कर दी हैं. उनके काम करने और पढ़ने-लिखने परे कई पाबंदियां हैं.
जो रंग-बिरंगी दुकानें और ब्यूटी पार्लर काबुल के बाजारों की जान हुआ करते थे, वे बंद किए जा चुके हैं. पार्क, खेलों के मैदान और जिम आदि में महिलाओं का जाना मना है.
29 साल की हुमाएरा कहती हैं कि जो महिलाएं पहले खुलकर जीती थीं, अब वे बहुत रूढ़िवादी कपड़े पहनती हैं और सिर से पांव तक ढक कर रहती हैं. हालांकि हुमाएरा भी पहले से ज्यादा सुरक्षित महसूस करती हैं क्योंकि सड़कों पर कोई परेशान नहीं करता.