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समाजईरान

शराबबंदी की भारी कीमत चुका रहा है ईरान

नीलूफर घोलामी
१९ अगस्त २०२३

ईरान में शराब पर प्रतिबंध के कारण जहरीले मेथनॉल की खपत में काफी बढ़ोत्तरी हुई है जो शराबबंदी के घातक नतीजों को दिखाता है. इसी तरह के कदम अमेरिका में पहले ही फेल हो चुके हैं.

बियर पीता व्यक्ति
शराब की वजह से हर साल ईरान में सैंकड़ों लोगों की मौत हो जाती हैतस्वीर: Johnny Green/empics/picture alliance

साल 1926 में क्रिसमस के दिन न्यूयॉर्क शहर में जहरीली शराब पीने से 80 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. यह घटना उस शराबबंदी कार्यक्रम का भयंकर नतीजा था जो साल 1920 में संयुक्त राज्य अमेरिका में शुरू हुई. प्रतिबंध के अलावा, संघीय सरकार ने शराब में बड़ी मात्रा में मेथनॉल मिलाने का खतरनाक कदम उठाया था. यह कदम सरकार ने इस उम्मीद में उठाया था कि लोग इसका स्वाद चखेंगे और फिर इससे दूर रहेंगे. लेकिन शराब पीने वालों को यह खतरनाक नुस्खा भी रोक नहीं पाया. परिणामस्वरूप हजारों लोग मारे गए. 

शराबबंदी का असर

इस बारे में लेखिका डेबोराह ब्लूम ने, 2010 में आई अपनी पुस्तक ‘द प्वॉयजनस हैंडबुक' में लिखा है. रिपोर्टों से पता चलता है कि शराब पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध के कारण कम से कम दस हजार लोगों की मौत हुई. आखिरकार निषेध यानी प्रतिबंध असफल रहा और साल 1933 में इसे हटा दिया गया.

साल 1979 से ईरान भी कुछ ऐसी ही कोशिश कर रहा है और उसका भी बुरा हाल है. 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद ईरान ने शराब पीने पर सख्ती से प्रतिबंध लगा दिया जिसके उल्लंघन पर कोड़े और जुर्माने से लेकर जेल तक की सजा हो सकती है. लेकिन इस प्रतिबंध का मतलब यह नहीं कि लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया. संयुक्त राज्य अमेरिका की तरह, प्रतिबंध के कारण शराब बनाने के लिए भूमिगत नेटवर्क और एक तरह से शराब माफिया का निर्माण हुआ, जिसके बारे में कुछ विशेषज्ञों का मानना ​​है कि सरकार के साथ इसके गहरे संबंध हैं.

25 वर्षीय माहसा ने डीडब्ल्यू को बताया, "कभी-कभी शराब पीना हमारी खुशी का एकमात्र कारण और मौज-मस्ती करने का एक छोटा सा मौका होता है. फिर भी, हाल के हफ्तों में जहरीली शराब की वजह से कम से कम 300 लोगों के अस्पताल में भर्ती होने और 40 लोगों की मौत के बाद मैंने शराब पीना छोड़ दिया है. मुझे लगता है कि वे लोह हमें शराब पीने से रोकने के लिए शराब से डरानेमें सफल रहे.”

जहरीली शराब के बढ़ते मामले

जानकार कहते हैं कि शराब पर लगे प्रतिबंध बिल्कुल काम नहीं कर रहे हैं. अमेरिका में रह रहे ईरानी डॉक्टर और शोधकर्ता मोहम्मद काजम अटारी ने डीडब्ल्यू को बताया, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हाल के वर्षों में हमने उन लोगों की संख्या में सालाना करीब 20-30 फीसद की वृद्धि देखी है शराब के नाम पर जहर दिया गया था यानी मिथाइल अल्कोहल पीने की वजह से उन पर इसके प्रतिकूल असर हुए थे.”

अटारी इसकी तुलना हाल ही में हुई उस घटना से करते हैं जिसमें ईरानी स्कूली लड़कियों को जानबूझकर सामूहिक रूप से जहर देने का संदेह जताया गया था. वह कहते हैं, "चूंकि एक ही समय में शहरों में अल्कोहल विषाक्तता बहुत व्यापक थी, इसलिए इसमें संदेह है कि यह जानबूझकर किया गया था या यह किसी एक स्थानीय निर्माता की गलती थी जिसने उत्पादन के दौरान शराब में कुछ जहरीली चीजें मिला दी थीं.”

ईरान में 1979 से शराबबंदी लागू हैतस्वीर: IRIBNEWS

शराब का खतरनाक बिजनेस

27 साल के इरफान कहते हैं, "मैंने हमेशा मेथनॉल के जहर और उससे होने वाली मौत के बारे में सुना है, लेकिन मैंने यह कभी विश्वास नहीं किया कि ऐसा मेरे साथ भी हो सकता है.” आमतौर पर, इरफान केवल वही शराब पीता था जिसे वह एक डीलर से खरीदता था और उस डीलर को वो अपने दोस्तों के माध्यम से जानता था. लेकिन एक शाम किसी पार्टी में उन्होंने मेथनॉल मिली हुई शराब पी ली. जब उनकी आंखों की रोशनी चली गई और उन्हें कई अन्य खतरनाक लक्षण महसूस हुए, तो उनके दोस्त उन्हें एक अस्पताल ले गए.

शराबसेहतपर बेहद बुरा असर डाल सकती है. इससे आंखों की रोशनी, पाचन और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली प्रभावित हो सकती है और स्थायी विकलांगता का कारण भी बन सकती है या फिर जान भी ले सकती है. लेकिन इरफान भाग्यशाली थे- उनकी आंख पर इसका असर जरूर पड़ा लेकिन आंखों की रोशनी पूरी तरह से जाने से बच गई. वह कहते हैं, "मुझे लंबे समय से फोबिया था, लेकिन अब मैं अधिक सावधान रहने की कोशिश करता हूं. मैंने और मेरे पिता ने खुद अपनी वाइन बनाना भी शुरू कर दिया है.”

शराब के मामले में तुर्का की नीतियां काफी उदार हैंतस्वीर: Shady Al-Assar/ZUMA/picture alliance

तुर्की में शराब

नियंत्रित तौर पर शराब की बिक्री के मामले में मुस्लिम-बहुल देश बहुत लचीले हैं. मसलन, तुर्की में वयस्क कानूनी तौर पर शराब खरीद सकते हैं. रमजान के पवित्र महीने के में, लोगों को बार में बैठकर अपने पसंदीदा ब्रांड की शराब पीते हुए आसानी से देखा जा सकता है. राकी, तुर्की का राष्ट्रीय पेय है जो कि तुर्की संस्कृति का अभिन्न अंग है. हालांकि, शराब की उपलब्धता इतनी आसान होने के बावजूद तुर्की में शराब की खपत बहुत कम है. तुर्की में एक व्यक्ति हर साल औसतन सिर्फ डेढ़ लीटर शराब पीता है.

डीडब्ल्यू से बातचीत में तुर्की के समाजशास्त्री युसूफ अर्सलान कहते हैं, "शराब के मामले में तुर्की निषेधवादी नहीं है, बल्कि स्वतंत्रतावादी है." कुछ प्रांतों में रमजान और कंदील की पवित्र रातों के दौरान शराब की दुकानें बंद रखी जाती हैं लेकिन कई अन्य प्रांतों में इस दौरान भी कोई बंदी नहीं होती. वास्तव में यह स्थिति कानूनों द्वारा नहीं बल्कि समाजशास्त्रीय संरचना द्वारा निर्धारित होती है.” वहीं, यूरोपीय संघ के कई देशों की तुलना में तुर्की में शराब की कीमतें लगातार ऊंची बनी हुई हैं. ऊंचा टैक्स और दूसरी चीजों की वजह से लागत में बढ़ोत्तरी के चलते शराब उत्पादन भूमिगत तरीके से यानी चोरी-छिपे भी हो रहा है. ईरान की तरह, यहां भी यह स्थिति घातक हो सकती है.

यूरोप का वह शहर, जिसके बीच से दो देश गुजरते हैं

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ईरान में हर साल करीब सौ लोग जहरीली शराब के चलते अपनी जान गंवा देते हैं. अर्सलान कहते हैं कि हालांकि तुर्की में एक रूढ़िवादी सरकार सत्ता में है, फिर भी शराब पर प्रतिबंध के मुद्दे पर यहां चर्चा नहीं होती. अर्सलान कुछ मामलों में यहां की तुलना यूरोप में किए गए उपायों से करते हैं. मसलन, बार को नियमित करने, सार्वजनिक रूप से शराब पीने, शराब कब बेची जा सकती है और साथ ही साथ शराब के विज्ञापन पर प्रतिबंध के नियम. ईरान में बहुत से लोग शराबबंदी खत्म होने का केवल सपना देख सकते हैं और चार दशक पहले की स्थिति को देख सकते हैं. नाम न जाहिर करने की शर्त पर एक युवा ईरानी महिला ने डीडब्ल्यू को बताया, "मुझे उम्मीद है कि जल्दी ही किसी दिन हम बाकी दुनिया की तरह बिना किसी डर या अनावश्यक जोखिम के सामान्य जीवन जी सकेंगे.”

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