फिलीपींस में आईएस के खिलाफ संघर्ष
२० फ़रवरी २०१८IS loyalists in the Philippines
इन्होंने इराक से आईएस को समेट दिया...
अगस्त 2014 में जब इराक में हैदर अल अबादी ने नई सरकार बनायी तो बहुत से लोगों को यकीन था कि वह नाकाम रहेंगे. असल में यह वह दौर था जब इस्लामिक स्टेट की ताकत लगातार बढ़ रही थी. लेकिन तीन साल में अबादी ने पासा पलट दिया.
इन्होंने इराक से आईएस को समेट दिया..
अगस्त 2014 में जब इराक में हैदर अल अबादी ने नई सरकार बनायी तो बहुत से लोगों को यकीन था कि वह नाकाम रहेंगे. असल में यह वह दौर था जब इस्लामिक स्टेट की ताकत लगातार बढ़ रही थी. लेकिन तीन साल में अबादी ने पासा पलट दिया.
मिशन पॉसिबल
जिसे बहुत से लोग मिशन इंपॉसिबल करार दे चुके थे, उसे हल्की सफेद दाढ़ी रखने वाले इराकी पीएम अबादी ने संभव कर दिया. उन्होंने इराकी सेना को फिर से खड़ा किया और अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों की मदद से आईएस के कब्जे वाले 90 फीसदी हिस्से से उसे भगा दिया है. अबादी ने देश के उत्तरी हिस्से में कुर्द पेशमर्गा लड़ाकों से भी विवादित हिस्सों को फिर से हासिल किया है.
चुनौतियां
मध्य पूर्व मामलों के जानकार फनर हदाद कहते हैं, "अबादी के बारे में माना जाता था कि वह कमजोर हैं, कड़े फैसले नहीं ले सकते और उनका रवैया कुछ ज्यादा ही मेलमिलाप वाला है." जब उन्होंने नूरी अल मालिकी से सत्ता की बागडोर ली तो जिहादी खतरों के अलावा उनके सामने बेहताशा भ्रष्टाचार, लचर बुनियादी ढांचा और तेल के गिरते दामों जैसी चुनौतियां थीं.
मोर्चे पर पीएम
अबादी ने इन चुनौतियों को स्वीकार किया और फिर वह मोर्चों पर जाकर और सैनिकों के साथ खड़े होकर सैन्य कामयाबियों का एलान करते रहे. इराकी व्यवस्था को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए भी उन्होंने कई सुधार किये. इन सभी कदमों पर उन्हें इराकी जनता का समर्थन भी मिला है.
सोशल मीडिया पर सक्रिय
अबादी सोशल मीडिया पर भी बहुत सक्रिय हैं. फेसबुक पर उन्हें 25 लाख लोग फॉलो करते हैं. उनके एक समर्थक ने हाल में फेसबुक पर लिखा, "वह इराक के इतिहास में सबसे अच्छे प्रधानमंत्री हैं. वह बोलते कम हैं और काम ज्यादा करते हैं."
सुन्नियों में भी लोकप्रिय
जानकार भी कहते हैं, जिन क्षेत्रों में इराक के दूसरे प्रधानमंत्री नाकाम रहे, अबादी ने वहां कामयाबी के झंडे गाड़े. इराक में एक हालिया सर्वे में पाया गया है कि 75 प्रतिशत लोग शिया प्रधानमंत्री अबादी का समर्थन करते हैं. यहां तक इराक के अल्पसंख्यक सुन्नी समुदाय में भी वह लोकप्रिय हैं.
शुरुआती जिंदगी
दावा पार्टी के सदस्य अबादी का जन्म 1952 में बगदाद में हुआ, लेकिन इराक में सद्दाम हुसैन के शासनकाल के दौरान ज्यादातर समय अबादी निर्वासन में रहे. ब्रिटेन में रह कर उन्होंने मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की.
सद्दाम का दौर
अबादी के दो भाइयों को सद्दाम हुसैन के शासन में गिरफ्तार कर मौत की सजा दी गयी. उनका कसूर बस इतना था कि वह दावा पार्टी के सदस्य थे. इसी आरोप में उनके तीसरे भाई को दस साल तक जेल में रखा गया. दावा पार्टी सद्दाम के शासन का विरोध करती थी.
इराक वापसी
2003 में जब सद्दाम को सत्ता से बेदखल किया गया तो अबादी इराक लौटे. तानाशाही सरकार के पतन के बाद बनी अंतरिम सरकार में अबादी को संचार मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गयी. 2006 में वह संसद के सदस्य बने और उन्हें अर्थव्यवस्था, निवेश और पुर्ननिर्माण समिति और वित्त समिति का चेयरमैन बनाया गया.
अहम जिम्मेदारी
जुलाई 2014 में अबादी को संसद का डिप्टी स्पीकर बनाया गया. इसके एक महीने बाद ही उन्हें सरकार बनाने का मौका मिला. तीन साल में शायद उनकी सबसे बड़ी कामयाबी देश की सेना और पुलिस को फिर से खड़ा करना है, जो दशकों से लचर अवस्था में थी. वह हजारों सैनिकों और सुरक्षाकर्मियों में जोश का संचार करने में कामयाब रहे.
लंबा सफर
अबादी के नेतृत्व में इराकी सुरक्षा बलों ने इराक में आईएस के कब्जे वाले 90 फीसदी हिस्से को मुक्त करा लिया है. यह आईएस की "खिलाफत" के लिए बहुत बड़ा झटका है. इसी कामयाबी ने अबादी को आम लोगों के बीच लोकप्रियता दिलायी है. लेकिन इराक को स्थिर करने के राह में अभी उन्हें लंबा रास्ता तय करना होगा.