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विज्ञानविश्व

वरुण ग्रह के तापमान में हैरान करने वाले बदलाव

१३ अप्रैल २०२२

हमारे सौर मंडल के सबसे दूरस्थ ग्रह वरुण के मौसम का पूर्वानुमान कंपकपाने वाला है. पिछले दो दशकों में इसके मौसम में आए बदलाव ने वैज्ञानिकों को हैरान किया है.

नेपचून
नेपचूनतस्वीर: UIG/IMAGO

बीते दो दशकों में वरुण के तापमान में भारी गिरावट आई है. इस बात ने खगोलविदों को परेशान किया है और सौरमंडल के सबसे दूरस्थ ग्रह की रहस्यमयी छवि को और मजबूत किया है. जब वे लोग वरुण की बाहरी परत के अध्ययन से मौसम का अनुमान लगाने की कोशिश कर रहे थे उन्हें उम्मीद थी कि तापमान बढ़ा मिलेगा. लेकिन हुआ इसका उलटा.

वरुण पर एक मौसम चार दशक लंबा चलता है. वैज्ञानिकों ने स्ट्रैटोस्फीयर के अध्ययन के वक्त अंदाजा लगाया था कि इस हिसाब से तापमान बढ़ गया होगा. लेकिन वे लोग तब हैरान रह गए जब पता चला कि पिछले दो दशक में ग्रह का तापमान अच्छा खासा कम हो गया है.

17 साल लंबा अध्ययन

खगोलविदों का यह अध्ययन 95 तस्वीरों पर आधारित है. ये थर्मल इन्फ्रारेड तस्वीरें 2003 से 2020 के बीच ली गई थीं. हवाई और चिली स्थित विशालकाय टेलीस्कोप के जरिए ली गई हैं. वरुण के तापमान के संबंध में अब तक की यह सबसे विस्तृत और गहन रिसर्च है.

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प्लेनेटरी साइंस नामक पत्रिका में छपे इस अध्ययन में इंग्लैंड के लीसेस्टर यूनिवर्सिट के शोधकर्ता माइकल रोमान कहते हैं, "हमने वातावरण के बारे में जो सरल अंदाज लगाए थे, यह उससे ज्यादा जटिल लगता है. यह एक सबक भी है जो कुदरत बार-बार वैज्ञानिकों को सिखाती रहती है."

रोमान का अध्ययन बताता है कि 17 साल के अध्ययन के दौरान वरुण के स्ट्रैटोस्फीयर का तापमान 14 डिग्री तक घटा है. जबकि, ग्रह के वातावरण की अन्य परत ट्रोपोस्फीयर के तापमान में कोई कास फर्क नहीं पड़ा, जबकि यह और ज्यादा ठंडी परत है. ट्रोपोस्फीयर पर तापमान माइनस 223 डिग्री सेल्सियस है.

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वरुण सौर मंडल के आठ ग्रहों में सबसे रहस्यमय माना जाता है और इसके बारे में बहुत कम जानकारी हासिल है. इसकी एक वजह तो दूरी है, जिसके कारण पृथ्वी से इसका अध्ययन मुश्किल होता है. नासा के वॉयजर-2 यान ने 1989 में वरुण के पास गुजरने का कारनामा किया था, जो अब तक मनुष्य की इस ग्रह के सबसे करीब पहुंचने की एकमात्र कोशिश है.

क्यों घटा तापमान?

रोमान कहते हैं, "मुझे लगता है कि वरुण बहुत उत्सुकता जगाता है क्योंकि इसके बारे में हमें बहुत कम पता है." उन्होंने पाया कि ग्रह के तापमान में जो बदलाव थे, वे बहुत उतार-चढ़ाव भरे थे. और हर क्षेत्र में यह बदलाव अलग तरह का था. जैसे कि दक्षिणी हिस्सा पहले ठंडा हुआ, फिर गर्म हो गया और फिर से ठंडा हो गया. बीच के हिस्से में तापमान पहले तो लगभग स्थिर रहा, फिर धीरे धीरे गिरने लगा. दक्षिणी ध्रुव पर तापमान पहले तो थोड़ा सा गिरा फिर 2018 से 2020 के बीच नाटकीय रूप से बढ़ गया.

रोमान बताते हैं, "मुझे संदेह है कि तापमान में हुई पूरी गिरावट की वजह वातावरण में आए रसायनिक बदलावों का नतीज है. सूर्य की किरणों का इन रसायनों पर प्रभाव क्रिया करता है और यह मौसम के हिसाब से बदलता रहता है."

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वरुण का औसत व्यास 49,250 किलोमीटर है जो इसे पृथ्वी से चार गुना ज्यादा चौड़ा बनाता है. यह पृथ्वी के मुकाबले सूर्य से 30 गुना ज्यादा दूर से चक्कर काटता है यानी इसकी दूरी 4.5 अरब किलोमीटर है. इसका एक साल धरती के 165 सालों के बराबर होता है.

वीके/सीके (रॉयटर्स)

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