थीम पार्क में एक दिन डॉल्फिन की जगह ले लेंगे रोबोट डॉल्फिन
१५ अक्टूबर २०२०
आमतौर पर जब हम थीम पार्क में जाते हैं तो डॉल्फिन के करतब देखकर रोमांच से भर जाते हैं. डॉल्फिन का लंबा चोंचनुमा मुंह उसे और खूबसूरत बनाता है. लेकिन सच्चाई यह है कि इसको करतब दिखाने के लिए कैद में रखा जाता है.
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पानी से भरे पूल के चक्कर लगाती डॉल्फिन और पास में खड़े हैं कुछ तैराक. यह डॉल्फिन हूबहू असली डॉल्फिन की तरह दिखती है लेकिन यह असली नहीं है. दरअसल यह एक रोबोट डॉल्फिन है. थीम पार्कों में कलाबाजी और कूद-फांद करने वाली डॉल्फिन की जगह यह रोबोट डॉल्फिन ले सकते हैं. इस रोबोट डॉल्फिन के साथ तैराकी करने वाली एक महिला कहती है, "जब मैंने इस डॉल्फिन को देखा तो मुझे लगा यह असली है लेकिन पता चला कि रोबोट है."
इस रोबोट डॉल्फिन को रिमोट कंट्रोल से नियंत्रित किया जा सकता है. इस डॉल्फिन को अमेरिका की ऐज इनोवेशंस ने तैयार किया है और इसकी कीमत 30 लाख से लेकर 50 लाख अमेरिकी डॉलर के बीच है. इस रोबोट डॉल्फिन को स्पेशल इफेक्ट दिया गया ताकि वह किसी भी हाल में असली वाली डॉल्फिन से कमतर ना लगे.
कंपनी को उम्मीद है कि जिस तरह का एनिमाट्रॉनिक्स हॉलीवुड की फिल्मों में इस्तेमाल होता है एक दिन उसी तकनीक का इस्तेमाल थीम पार्कों में होगा और इस तरह के रोबोट डॉल्फिन लोगों का मनोरंजन करेंगे. कंपनी का कहना है कि डॉल्फिन भी आजाद हो पाएगी.
दिलदार डॉल्फिन
पानी में रहने वाले सबसे खूबसूरत जीवों में डॉल्फिन को गिना जा सकता है. डॉल्फिन का लंबा चोंचनुमा मुंह उसे और खूबसूरत बनाता है. वैसे यह गजब का समझदार जानवर भी है.
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डॉल्फिन का जुनून
पानी के अंदर कई जानवर हैं, जो हमें अपनी ओर खींचते हैं. दरियाई घोड़े से लेकर कछुए तक. लेकिन डॉल्फिन की बात ही अलग है. हो सकता है इसलिए क्योंकि वे काफी समझदार होते हैं या फिर इसलिए की बहुत दोस्ताना..
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मां का दूध
हो सकता है कि इंसानों के लिए डॉल्फिन से लगाव की एक वजह यह भी है कि वह मछली नहीं, बल्कि हमारी तरह स्तनपायी है. और भला इस बेबी डॉल्फिन के प्यार में कौन नहीं पड़ेगा.
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शिकार की मार
इतने खूबसूरत होने के बाद भी इनका शिकार कर लिया जाता है. खास तौर पर जापान के आस पास डॉल्फिनों को खूब मारा जाता है. अब दुनिया भर में इसका विरोध हो रहा है.
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सुनना और बढ़ना
डॉल्फिन अपने कानों के लिए मशहूर हैं. वे आवाज के संकेत सुन कर आगे बढ़ सकते हैं. हालांकि वे समूह में चलते हैं और इस तरह पूरे ग्रुप पर कब्जा किया जा सकता है.
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खून वाला पानी
जापान के ताइजी इलाके में पानी कई बार इस रंग का दिखता है. खून का रिसाव कम करने के लिए अब मछुआरे डॉल्फिनों का सिर चाकू से गोद देते हैं और बाद में वहां कॉर्क लगा देते हैं ताकि खून बहे नहीं.
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'शान का' कारोबार
कई डॉल्फिनों को उनके मीट के लिए मार दिया जाता है. एक आम डॉल्फिन की कीमत कोई एक करोड़ रुपये तक हो सकती है.
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बंधन न हो
ये डॉल्फिन बहुत तेजी से सीखने वाले जीवों में शुमार हैं. लेकिन अगर उन्हें बंद करके रखा जाए, तो वे अवसाद में आ जाते हैं और कम उम्र में उनकी मौत हो जाती है.
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गजब की समझदारी
कहा जाता है कि डॉल्फिनों का दिमाग बहुत बड़ा और काफी जटिल होता है. लेकिन इसी वजह से वे कई चीजों को बहुत अच्छे ढंग से समझ सकते हैं.
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फिल्म टीवी और डॉल्फिन
फिल्मों में भी डॉल्फिनों ने काम किया है. जर्मन फिल्म 'डॉल्फिन मिरैकल' का एक दृश्य. रिपोर्ट ऐसी भी छपी कि वे बंदी बनना पसंद नहीं करते और एक डॉल्फिन ने तो खुदकुशी कर ली.
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खुफिया हथियार
कई बार अमेरिकी सेना बारूदी सुरंगों को नाकाम करने के लिए भी इन खूबसूरत डॉल्फिनों का इस्तेमाल करती है.
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ऐज इनोवेशंस के संस्थापक और सीईओ वॉल्ट कोंटी के मुताबिक, "वर्तमान में कैद में 3,000 डॉल्फिन हैं जो कई अरब डॉलर का कारोबार करने में मदद करती हैं. सिर्फ डॉल्फिन के अनुभव के लिए लोग पार्क जाते हैं. इसलिए स्पष्ट रूप से डॉल्फिन के लिए प्यार की भूख है और लोग डॉल्फिन के बारे में जानें." वे आगे कहते हैं, "और इसलिए हम अन्य तरह के उपाय अपना रहे हैं ताकि लोग अपना स्नेह डॉल्फिन के प्रति जाहिर कर पाए."
करीब 20 यूरोपीय देश जंगली जानवरों के सर्कस में इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगा चुके हैं या उनकी संख्या को सीमित कर चुके हैं.
जीवन के दूसरे कई पहलुओं की ही तरह इंसान का जानवरों से युद्ध के मैदान में भी गहरा रिश्ता रहा है. कभी संदेश भेजने में तो कभी बम गिराने में, जानवरों ने इंसान के इशारे पर युद्धों में भी अहम भूमिका निभाई है.
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डॉल्फिन
सिटेशियन प्रजाति के डॉल्फिनों का इस्तेमाल दुनिया भर की नौसेनाएं समुद्रों की निगरानी के लिए करती आई हैं. उनकी सोनार शक्ति यानि ध्वनि तरंगें पैदा करने और उससे परिवर्तित कंपनों से किसी चीज का पता लगाने की क्षमता का इस्तेमाल पानी के नीचे मौजूद बारूदी सुरंगों का पता लगाने के लिए होता है, जिसे एकोलोकेशन कहते हैं.
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मधुमक्खी
नाराज होकर डंक मारने वाली मधुमक्खियां दुश्मनों के खिलाफ बहुत प्रभावी हथियार का काम करती है. प्राचीन काल में ग्रीक और रोमन योद्धा भी इनका इस्तेमाल करते थे. आधुनिक युद्धक हथियारों में इनकी काफी शांतिपूर्ण भूमिका है, जिसमें वे बारूदी सुरंगों का पता लगाती हैं.
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सी लायन
कैलिफोर्नियन सी लायन अमेरिकी नौसेना के उसी कार्यक्रम का हिस्सा हैं जिसमें डॉल्फिनों को रखा गया है. ये समुद्री स्तनधारी पानी के नीचे काम करने वाले जासूसों के तौर पर ट्रेन किए जाते हैं. ये माइनस्वीपर और स्काउट का काम भी करते हैं.
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चमगादड़
अमेरिकी नेवी में निशाचर प्राणियों को लेकर खास कार्यक्रम बना था, जिनमें से एक था बम बरसाने के लिए प्रशिक्षित चमगादड़ों का कार्यक्रम. लेकिन ट्रेनिंग में चमगादड़ों ने साथ नहीं दिया और विश्व युद्ध के समय अमेरिका की जापान पर चमगादड़ों से बम गिरवाने की योजना नहीं चल सकी.
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हाथी
धरती पर रहने वाले ये विशालकाय स्तनधारी हजारों सालों से सेना का हिस्सा रहे हैं. इसका सबसे पुराना प्रमाण आल्प्स में ईसापूर्व 218 में हानिबल मार्च में मिलता है. सेना में हाथियों का सबसे पहले इस्तेमाल भारत में हुआ माना जाता है.
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कुत्ते
इंसान का वफादार दोस्त कहलाने वाला कुत्ता सेना में भी कई तरह के काम करता है. बड़े आकार वाले खूंखार कुत्तों को तो दुश्मनों पर छोड़ा जा सकता है और वे अपनी सीमा की रक्षा भी करते हैं. आजकल इनका इस्तेमाल बमों का पता लगाने से लेकर संदेशवाहक, स्काउट और ट्रैकर के रूप में भी होता है.
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घोड़े
युद्ध के मैदान के जानवरों की सूची घोड़ों के बिना पूरी नहीं हो सकती. सैनिक संघर्षों में घोड़े बहुत पहले से शामिल रहे हैं. दुनिया की हर सभ्यता में घोड़ों का इस्तेमाल हुआ है. आधुनिक समय में उनकी जगह काफी हद तक टैंकों ने ले ली है.