चीन के पूर्व प्रधानमंत्री ली केचियांग के निधन से देश में कई लोग सकते में हैं. बाजार संबंधित सुधारों का वादा करने वाले पूर्व नेता को चीन के लोग श्रद्धांजलि दे रहे हैं.
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ली का शुक्रवार को दिल का दौरा पड़ने से देहांत हो गया. वो 68 साल के थे. वो करीब एक दशक तक चीन के आर्थिक मामलों के शीर्ष अधिकारी रहे और इस दौरान देश की अर्थव्यवस्था का अमेरिका के साथ तनाव और कोविड-19 महामारी जैसे संकटों में मार्गदर्शन किया.
उन्हें निजी व्यापार के समर्थक के रूप में जाना जाता था, लेकिन राष्ट्रपति शी जिनपिंग के कार्यकाल में वो दरकिनार होते चले गए थे. जैसे-जैसे शी और शक्ति हासिल करते चले गए, ली का अधिकांश प्रभाव कम होता चला गया.
उभरते नेता, बाद में हुए दरकिनार
उन्हें अंग्रेजी बोलने वाले अर्थशास्त्री के रूप में जाना जाता था और वो राजनेताओं की उस पीढ़ी से थे जिनकी ऐसे युग में तैयारी की गई थी जब पश्चिम के उदारवादी विचारों के प्रति ज्यादा खुलापन था.
वो 1966-76 में चीन की सांस्कृतिक क्रांति के उथल पुथल वाले माहौल के दौरान राजनीति में आये थे. धीरे-धीरे कम्युनिस्ट पार्टी में उनका कद काफी बढ़ गया था और करीब एक दशक पहले तक तो उन्हें हू जिंताओ का मुख्य उत्तराधिकारी माना जाता था.
लेकिन पार्टी के अलग-अलग गुटों के बीच संतुलन बनाने के लिए पार्टी नेतृत्व ने ली की जगह शी को चुना. लेकिन इन दोनों के बीच कभी वैसी साझेदारी नहीं बन पाई जैसी हू और उनके प्रीमियर वेन जियाबाओ या माओ त्से तुंग और चाउ एन लाई के बीच थी.
हालांकि ली और शी ने कभी भी खुले में मूलभूत नीतियों पर असहमति जाहिर नहीं की. अक्टूबर 2022 में ली को पार्टी कांग्रेस के दौरान स्टैंडिंग कमेटी से बाहर रख दिया गया, बावजूद इसके कि वो 70 साल की अनौपचारिक सेवानिवृत्ति उम्र से दो साल पीछे थे.
लोग कर रहे याद
मार्च में उन्होंने प्रीमियर के पद से इस्तीफा दे दिया और उनकी जगह ली कियांग ने ले ली. शुक्रवार को उनके देहांत के बाद चीन के लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. सोशल मीडिया वीबो पर उनकी मौत से जुड़े एक हैशटैग को कुछ ही घंटों में एक अरब से भी ज्यादा बार देखा गया.
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ली से जुड़ी पोस्ट पर "लाइक" के बटन को गुलबहार (डेजी) के फूल में बदल दिया गया, जो चीन में अंतिम संस्कार के दौरान आम तौर पर इस्तेमाल किया जाने वाल फूल है. कई लोगों ने उनकी मृत्यु को एक क्षति बताया और कहा कि उन्होंने कड़ी मेहनत की थी और चीन के हित में बहुत योगदान था.
विश्व नेताओं ने भी ली को श्रद्धांजलि दी. अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने बताया कि विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने ली के देहांत पर शोक प्रकट किया है.
चीन में जापान के दूतावास ने भी वीबो पर अपना शोक संदेश दिया. दूतावास ने कहा कि ली 2018 में जापान गए थे और उन्होंने दोनों देशों के रिश्तों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
सीके/एए (एपी, डीपीए)
शी जिनपिंग ने चीन की सत्ता को अपनी मुट्ठी में कैसे किया
20वीं पार्टी कांग्रेस में शी जिनपिंग को तीसरी बार देश का राष्ट्रपति चुने जाने के पक्के आसार हैं. इसके साथ ही वो माओ त्से तुंग के बाद चीन के सबसे ताकतवर नेता होंगे. साम्यवादी देश में जिनपिंग ने यह सब कैसे संभव किया.
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पार्टी के शीर्ष नेता और देश के राष्ट्रपति
शी जिनपिंग एक दशक पहले चीन के शीर्ष नेता बने जब कम्युनिस्ट पार्टी की 18वीं कांग्रेस में उन्हें पार्टी महासचिव और केंद्रीय सैन्य आयोग का चेयरमैन बनाया गया. कुछ ही महीनों बाद वो देश के राष्ट्रपति बने.
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सामूहिक नेतृत्व से सुप्रीम लीडरशिप की ओर
शी ने बीते सालों में अपने कुछ खास कदमों और गुजरते समय के साथ धीरे धीरे अपनी ताकत बढ़ाई है. चीन में सामूहिक नेतृत्व की परंपरा रही है जिसमें महासचिव पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति में समान लोगों में प्रथम होता है लेकिन अब शी के उदय के साथ देश सुप्रीम लीडरशीप की ओर बढ़ रहा है.
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आर्थिक नीतियों पर पकड़
चीन में आर्थिक नीतियां बनाने की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री पर रहती आई थी लेकिन अलग अलग समूहों के चेयरमैन के रूप में शी जिनपिंग ने यह जिम्मेदारी अपने हाथ में ले ली. इनमें 2012 में शी के सत्ता में आने के बाद बनी "सुधार और खुलापन" नीति और आर्थिक मामलों से जुड़ा एक पुराना समूह भी शामिल था.
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विश्वासघाती, भ्रष्ट और बेकार अफसरों पर कार्रवाई
सत्ता में आने के बाद शी ने भ्रष्ट, विश्वासघाती और बेकार अफसरों पर कार्रवाई के लिए एक अभियान चलाया और इनकी खाली हुई जगहों पर अपने सहयोगियों को बिठाया. इस कदम से उनकी ताकत का आधार कई गुना बढ़ गया. इस दौरान करीब 47 लाख लोगों के खिलाफ जांच की गई.
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भरोसेमंद लोगों की नियुक्ति
शी ने पार्टी के मानव संसाधन विभाग का प्रमुख अपने भरोसेमंद लोगों को बनाया. संगठन विभाग के उनके पहले प्रमुख थे झाओ लेजी, जिनके पिता ने शी के पिता के साथ काम किया था. उनके बाद 2017 में चेन शी ने यह पद संभाला जो शी के शिनघुआ यूनिवर्सिटी में सहपाठी थे.
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सेना पर नियंत्रण
2015 में शी जिनपिंग ने चीन की सेना में व्यापक सुधारों की शुरुआत की और इसके जरिये इस पर भरपूर नियंत्रण हासिल किया. इस दौरान इसमें काफी छंटनी भी हुई. सेना पर नियंत्रण ने शी जिनपिंग की मजबूती और बढ़ाई.
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घरेलू सुरक्षा तंत्र की सफाई
शी जिनपिंग ने घरेलू सुरक्षा तंत्र में व्यापक "सफाई" अभियान की शुरुआत की. इस भ्रष्टाचार विरोधी अभियान में बहुत सारे जजों और पुलिस प्रमुखों ने अपनी नौकरी गंवाई. सत्ता तंत्र पर नियंत्रण की दिशा में यह कदम भी बहुत कारगर साबित हुआ.
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संसद और सुप्रीम कोर्ट की सालाना रिपोर्ट
2015 में राष्ट्रपति जिनपिंग ने चीन की संसद, कैबिनेट और सुप्रीम कोर्ट समेत दूसरी संस्थाओं को अपने कामकाज की सालाना रिपोर्ट के बारे में उन्हें ब्यौरा देने का आदेश दिया.
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मीडिया पर लगाम
2016 में शी जिनपिंग ने सरकारी मीडिया को पार्टी लाइन पर चलने का हुक्म दिया इसके मुताबिक उनका "सरनेम पार्टी है." इसके बाद से मीडिया की आजादी तेजी से घटी और शी से संबंधित प्रचार तेजी से बढ़ा.
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पार्टी के सारतत्व
2016 में शी जिनपिंग ने खुद को औपचारिक रूप से पार्टी के "सारतत्व" के रूप में स्थापित किया. पार्टी में इसे सर्वोच्च नेता कहा जाता है.
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पार्टी के संविधान में संशोधन
शी जिनपिंग ने 2017 में पार्टी के संविधान में संशोधन कर चीनी स्वभाव में समाजवाद पर अपने विचार को जगह दी. इस लिहाज से वो पार्टी के शीर्ष पर मौजूद नेताओं माओ त्से तुंग और डेंग शियाओपिंग की कतार में आ गये.
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पार्टी ही सबकुछ
2017 में उन्होंने चीन में पार्टी की भूमिका सर्वोच्च कर दी. शी जिनपिंग ने एलान किया, "पार्टी, सरकार, सेना, लोग, शिक्षा, पूरब, दक्षिण, पश्चिम, उत्तर, मध्य, हर चीज में नेतृत्व पार्टी ही करेगी."
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राष्ट्रपति का कार्यकाल
2018 में चीन के संविधान में संशोधन कर उन्होंने राष्ट्रपति के लिए दो बार के निश्चित कार्यकाल की सीमा खत्म कर दी. इसके साथ ही जिनपिंग के लिए जीवन भर इस पद पर बने रहने का रास्ता साफ हो गया.
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पार्टी की वफादारी
2021 में एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित कर पार्टी ने "टू एस्टबलिशेज" पर सहमति की मुहर लगा दी. इसके जरिये पार्टी ने शी जिनपिंग के प्रति वफादार रहने की शपथ ले ली. माओ त्से तुंग के बाद चीन में अब सिर्फ शी जिनपिंग हैं.