1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
अर्थव्यवस्थासंयुक्त राज्य अमेरिका

अमेरिका और चीन में बनी सहमति, बड़े व्यापार युद्ध का खतरा टला

११ जून २०२५

अमेरिका और चीन के बीच करीब तीन दिनों तक चली लंबी व्यापार बातचीत के बाद, दोनों ही बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में आपसी व्यापार से जुड़े कई मुद्दों पर सहमति बन गई है.

जापान के ओसाका में जी-20 की मीटिंग की दौरान साथ में डॉनल्ड ट्रंप और शी जिनपिंग
पिछले महीनों में अमेरिका के व्यापार प्रतिबंधों को लेकर ट्रंप के रुख में नरमी आई हैतस्वीर: Kevin Lamarque/REUTERS

लंदन में दो दिन चली मैराथन बातचीत के बाद अमेरिका और चीन आपसी व्यापार के एक फ्रेमवर्क पर सहमत हो गए हैं. इसके साथ ही दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार युद्ध का खतरा टलता नजर आ रहा है. इस व्यापार युद्ध बढ़ने से दुनिया में महंगाई और आर्थिक जड़ता का दौर आने का संकट खड़ा हो सकता था. 

इस फ्रेमवर्क पर सहमति बनाने के लिए दोनों देशों ने दो दौर में बातचीत की. पहले दौर की बातचीत स्विट्जरलैंड के जेनेवा में पिछले महीने हुई थी. इसके बाद भी दो प्रमुख मुद्दों पर तनाव बना हुआ था. अमेरिका चाहता था कि चीन, अमेरिका को दुर्लभ खनिज दे. वहीं चीन चाहता था कि अमेरिका, से चीन आने वाली एडवांस टेक्नोलॉजी पर रोक ना लगे. 

स्टील और एल्युमीनियम पर लगने वाले टैरिफ को ट्रंप ने दोगुना किया

डॉनल्ड ट्रंप ने फिर से अमेरिका में सत्ता में आने के बाद चीन पर बड़े व्यापार प्रतिबंध लगाए थे. इसके बाद दोनों देशों के रिश्ते बेहद खराब दौर में पहुंच गए. चीन और अमेरिका दोनों ने ही एक-दूसरे पर भारी आयात शुल्क लगा दिए. नतीजतन साल 2020 के बाद से मई से पहले 12 महीनों में अमेरिका को होने वाले चीनी निर्यात में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई थी. 

दुर्लभ खनिज और टेक्नोलॉजी निर्यात क्यों अहम?

हालिया बातचीत का मकसद यह सुनिश्चित करना था कि चीन, अमेरिका को दुर्लभ खनिजों का निर्यात और अमेरिका की ओर से चीन को टेक्नोलॉजी देने पर प्रतिबंध, दोनों पक्षों के दूसरे व्यापार बातचीत को मुश्किल में नहीं डालेंगे. अमेरिका और चीन की बातचीत में ये दो मुद्दे लंबे समय से बहुत अहम बने हुए हैं. 

अमेरिका में ट्रंप से मिल कर संतुष्ट हुए मैर्त्स

दरअसल अमेरिका के लिए दुर्लभ खनिज बहुत अहम हैं. ये यहां के रक्षा, कार और टेक उद्योगों के लिए खाद-पानी हैं. दुनिया के अधिकांश दुर्लभ खनिजों की प्रॉसेसिंग अब भी चीन में ही होती है. ऐसे में दुर्लभ खनिजों के मामले में अमेरिका की ही नहीं, दुनिया के ज्यादातर देशों की चीन पर भारी निर्भरता है.

चीन और अमेरिका के खराब होते संबंधों के बीच अमेरिका ने दुर्लभ खनिज हासिल करने के लिए चीन का विकल्प तलाशने शुरू किए हैं. हालांकि इन विकल्पों की ओर से पर्याप्त दुर्लभ खनिज मिल पाने में अभी दशकों का समय लगेगा. तब तक अमेरिका को इनके लिए चीन पर निर्भर रहना पड़ेगा. 

उधर चीन चाहता है कि अमेरिका उन प्रतिबंधों को हटा ले, जो उसने चीन को एडवांस टेक्नोलॉजी के निर्यात पर लगा रखे हैं. विवाद का नया विषय बना था, अमेरिका की ओर से चीनी कंपनियों को चिप डिजाइन सॉफ्टवेयर के निर्यात पर लगाई गई रोक.

अमेरिका ने दुनिया भर में हुआवे के चिप के इस्तेमाल को लेकर नई चेतावनियां भी जारी की थीं. चीन ने इस पर भी विरोध जताया था. इसके अलावा अमेरिका में चीनी छात्रों का वीजा रद्द किया जाना भी बातचीत का एक अहम मुद्दा था.

आखिर चीन को छूट देने पर मान गए ट्रंप

इसी सोमवार को व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने संकेत दिया था कि अगर चीन अमेरिका को दुर्लभ खनिजों के निर्यात में तेजी लाता है तो डॉनल्ड ट्रंप, चीन को चिप्स के निर्यात पर लगे प्रतिबंधों में छूट दे सकते हैं. 

ट्रंप की ओर से व्यापार युद्ध की शुरुआत किए जाने के बाद से लगातार चीन का रुख अमेरिका के खिलाफ आक्रामक ही रहा था तस्वीर: MAXPPP/Kyodo/picture alliance

हालांकि यह कदम पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की नीति में बड़ा बदलाव होगा. बाइडेन का मानना था कि चीन, अमेरिका से मिली टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल अपनी सेना को मजबूत बनाने के लिए कर सकता है. अब अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हावर्ड लुटनिक ने लंदन से अमेरिका रवाना होने से पहले बताया कि चीन और अमेरिका के बीच जिस हालिया फ्रेमवर्क पर सहमति बनी है, उससे दुर्लभ खनिजों और मैग्नेट के मुद्दे का हल हो जाएगा. उन्होंने अमेरिका की ओर से टेक्नोलॉजी निर्यात पर लगी रोक में छूट देने के भी संकेत दिए. 

ट्रंप और जिनपिंग ने फोन पर भी की थी बात

लंदन में मंगलवार को पूरी हुई बातचीत में हिस्सा लेने के लिए खुद अमेरिका के वाणिज्य मंत्री हावर्ड लुटनिक भी पहुंचे थे. अब वह अमेरिका वापस लौटकर, राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को बैठक में बनी सहमति के बारे में बताएंगे. जिस फ्रेमवर्क पर अमेरिका और चीन में सहमति बनी है, उसके सभी मुद्दों की जानकारी अभी सार्वजनिक नहीं की गई है. 

बातचीत से कुछ दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने फोन पर बातचीत की थी. दोनों राष्ट्रपतियों ने एक-दूसरे को अपने देश आने का न्यौता भी दिया गया था. अमेरिका और चीन की इस सहमति का दुनिया भर के बाजारों पर बहुत सकारात्मक असर देखने को मिला. चीन और हांगकांग के शेयर मार्केट के सूचकांकों में करीब 1 फीसदी की बढ़त देखने को मिली.

दोनों देशों की तटस्थ जगहों पर हुई व्यापार बातचीत

आपसी व्यापार को लेकर अमेरिका और चीन की जेनेवा में हुई पहले दौर की बातचीत के बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे के सामानों पर अपने टैरिफ को 115 फीसदी करने का निर्णय लिया था. इसके साथ ही व्यापार युद्ध को खत्म करने के लिए 90 दिनों की समयसीमा तय की थी. हालांकि बाद में दोनों देशों के बीच फिर से दुर्लभ खनिजों और अमेरिका के टेक्नोलॉजी निर्यात पर प्रतिबंधों को लेकर विवाद गहराने लगा था.

दोनों देशों के बीच यह सहमति ब्रिटेन के ऐतिहासिक लैंकास्टर हाउस मैंशन में बनी. यह ऐतिहासिक हवेली बकिंघम पैलेस से बस कुछ ही दूरी पर स्थित है. ब्रिटेन की सरकार ने इसे दोनों पक्षों को बातचीत की एक तटस्थ जगह के तौर पर उपलब्ध कराया था. 

भारत के दुग्ध उद्योग पर ट्रेड डील की खटास

02:53

This browser does not support the video element.

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें