दुनिया का सबसे बड़ा जेपेलिन
९ अक्टूबर २०१८The world's biggest Zeppelin
1991 में बर्लिन के जर्मन राजधानी बनने से पहले बॉन को यह दर्जा मिला था. देखिए क्यों खास है बॉन.
खास है जर्मनी की पूर्व राजधानी बॉन
1991 में बर्लिन के जर्मन राजधानी बनने से पहले बॉन को यह दर्जा मिला था. पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी के एकीकरण के एक साल बाद जर्मन संसद के बर्लिन चले जाने के बावजूद इस शहर का महत्व बरकरार है. देखिए क्यों खास है बॉन.
बीथोफेन का शहर
दुनिया के सबसे मशहूर संगीतकार लुडविष फान बेथोफेन का जन्म बॉन में हुआ था. आज भी उनके घर को देखने और उनको श्रद्धांजली देने दुनिया भर से पर्यटक और संगीत प्रेमी पहुंचते हैं. शहर के चप्पे चप्पे में बेथोफेन की छाप दिखती है.
वो फैसला
20 जून 1991 को जर्मन संसद के निचले सदन बुंडेसटाग में स्थानांतरण का विधान पास हुआ. इसमें संसद के अतिरिक्त बाकी सरकारी संस्थाओं को भी बर्लिन ले जाने के फैसले पर मुहर लगी. इसी समय यह भी तय हुआ कि कुछ रक्षा और आर्थिक सहयोग जैसे कुछ मंत्रालयों को बॉन में ही रखा जाएगा.
राहत राशि
पूर्व नियोजित योजना के तहत राजधानी को बर्लिन ले जाने की प्रक्रिया चली. बॉन के निवासियों को यह आशंका थी कि इससे जर्मन राजनीतिक परिदृश्य में बॉन का महत्व कम हो जाएगा. इसके असर को कम करने के लिए '1991 विधान' के तहत बॉन शहर को करीब 1.5 अरब यूरो प्रदान किए गए.
डिप्लोमैट्स को अलविदा
जर्मन सरकार के कामकाज के बर्लिन स्थानांतरित होने से अचानक डिप्लोमैटिक सर्विस के लोगों को जाना पड़ा. एकीकरण के बाद ज्यादातर डिप्लोमैटिक मिशन और दूतावास बर्लिन चले गए. हालांकि जर्मनी के पूर्व विदेश मंत्रालय की इमारत में अब भी न्याय मंत्रायल का एक डिविजन बैठता है.
नुकसान नहीं
राजधानी के जाने के व्यापार धंधों पर पड़े असर के बारे में बॉन में दूसरे विश्व युद्ध के बाद से सेकेंड हैंड कैमरे बेचने वाले फोटो स्टूडियो 'फोटो ब्रेल' के यान एरिक रुएल्फ्स बताते हैं कि डिप्लोमैट्स के जाने से वो खरीददार तो कम हुए लेकिन व्यवसाय पर कोई भारी असर नहीं हुआ. "हम अब भी उसी गुणवत्ता की तस्वीरें प्रिंट करते हैं, जैसी 1980 और 1990 के दशक में किया करते थे."
'गैरदिलचस्प'
जर्मनी के सबसे पुराने कैथलिक गिरिजों में से एक बॉन मुंसटर के एक कर्मचारी ने जर्मनी की राजधानी को बर्लिन ले जाने के कदम को अपने लिए "अरोचक" बताया था. उनका कहना था कि इस कदम से बॉन चर्च में आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों की तादाद में कोई कमी नहीं दर्ज हुई.
मांगें और प्रदर्शन
बॉन यूनिवर्सिटी के सामने स्थित होफगार्टेन पश्चिम जर्मनी के कुछ सबसे बड़े प्रदर्शनों का गवाह बना. 1979 में एक साथ 100,000 से भी अधिक लोगों ने इसी मैदान में इकट्ठे होकर एंटी-न्यूक्लियर प्रोटेस्ट किए. यह अमेरिका में हुई थ्री माइल आइलैंड परमाणु दुर्घटना के ठीक बाद की बात है. आज भी यह पार्क छात्रों, पर्यटकों और बॉन निवासियों को बहुत भाता है.
कभी चांसलरी थी
पश्चिम जर्मनी की कैबिनेट ने 1969 में तय किया कि शाउमबुर्ग पैलेस एक चांसलर के रहने की जरूरतों के हिसाब से काफी नहीं. उनके लिए एक नई इमारत का निर्माण कराया जाना तय हुआ. 1976 में चांसलर हेल्मुट कोल नई चांसलरी को अपना निवास बनाने वाले पहले प्रमुख थे. यह 1999 तक चांसलरी बना रहा और फिर बर्लिन चला गया.
'बेहतर दुनिया'
बुंडेसटाग के पूर्व दफ्तर में अब यूएन का ऑफिस है. संयुक्त राष्ट्र के इस केंद्र में 18 संगठन और एजेंसियां काम करती हैं, जिनमें जलवायु परिवर्तन पर काम करने वाली यूएनएफसीसी भी शामिल है. इसके पीछे बनी इमारत जहां सरकारी दफ्तर होते, जर्मनी की अंतरराष्ट्रीय प्रसारण सेवा डॉयचे वेले का ऑफिस है.