रूस अपने स्पेस स्टेशन का निर्माण कर रहा है. वहीं, चीन भी इस काम में जुटा हुआ है. कई निजी कंपनियां भी स्पेस स्टेशन स्थापित करने की होड़ में शामिल हैं.
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यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद गैस और अनाज के साथ-साथ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) को लेकर भी राजनीतिक बयानबाजी बढ़ गई है. फरवरी 2022 की शुरुआत में, रूस की स्पेस एजेंसी रोसकोसमोस के तत्कालीन निदेशक दिमित्री रोगोजिन ने अंतरिक्ष में अमेरिका और यूरोप के साथ सहयोग से जुड़े खतरों के अलावा अंतरराष्ट्रीय खेल और आर्थिक प्रतिबंधों का जवाब दिया था.
उदाहरण के लिए, एक के बाद एक ट्वीट करते हुए रोगोजिन ने कहा था कि यूरोप, एशिया और अमेरिका अंतरिक्ष में रूस के सहयोग के बिना नहीं टिक सकते. उन्होंने कहा, "अगर आप हमारी सहायता करना बंद कर देते हैं, तो आईएसएस को अनियंत्रित होने और उसे अमेरिका या यूरोप में गिरने से कौन बचाएगा? आईएसएस भारत या चीन में भी गिर सकता है. क्या आप इन संभावनाओं के आधार पर उन्हें डराना चाहते हैं? आईएसएस रूस के ऊपर से उड़ान नहीं भरता, इसलिए खतरा आपके ऊपर है...”
रोगोजिन ने एक बार नहीं, बल्कि कई बार यह बात दुहराई कि रूस अपनी मर्जी से अंतरिक्ष वाली साझेदारी से बाहर निकलेगा. आखिरकार जुलाई महीने में रोगोजिन को उनके पद से हटा दिया गया. उन्हें पद से हटाने के कुछ घंटे बाद अमेरिका और रूस ने अंतरिक्ष यात्रियों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर भेजने के लिए, एक-दूसरे के ठिकानों का इस्तेमाल करने से जुड़े समझौते की घोषणा की थी.
वहीं, बीते मंगलवार को रूसी स्पेस एजेंसी के नए निदेशक यूरी बोरिसोव ने रोगोजिन की धमकियों को दोहराया. साथ ही, उन्होंने पुष्टि की कि रूस वास्तव में ‘2024 के बाद' आईएसएस के साथ अपना सहयोग समाप्त कर देगा.
आखिर क्यों नहीं गिरता आईएसएस
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अपना स्पेस स्टेशन बनाने की योजना
बोरिसोव की टिप्पणी हैरान करने वाली नहीं है. उन्होंने कहा, "फैसला लिया जा चुका है कि 2024 के बाद आईएसएस के साथ अपना सहयोग खत्म कर देंगे. उस समय तक हम रूसी ऑर्बिटिंग स्टेशन बनाना शुरू कर देंगे.”
रूस की स्पेस स्टेशन बनाने की योजना नई नहीं है. यह बात एक साल पहले ही सार्वजनिक तौर पर जाहिर की गई थी. अप्रैल 2021 में, तत्कालीन उप-प्रधानमंत्री के तौर पर बोरिसोव ने दो दशक से कक्षा में मौजूद आईएसएस की स्थिति पर दुख जताते हुए स्पेस स्टेशन बनाने का विचार सामने रखा था.
इसके बाद अप्रैल 2022 में, रोगोजिन ने कहा था कि रूस के एनर्जिया स्पेस रॉकेट कॉरपोरेशन को पहला मॉड्यूल बनाने का काम सौंपा गया है. इसे 2025 तक लॉन्च करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. वहीं, इन सब वजहों को देखते हुए चीन भी एक नया स्पेस स्टेशन बना रहा है.
अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर स्पेसएक्स यान की अंतरिक्ष उड़ान
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रूस के सहयोग के बिना भी 2030 तक काम कर सकता है आईएसएस
नासा और इसके संचालकों ने अमेरिकी सरकार से वादा किया है कि 2030 तक आईएसएस काम करता रहेगा. नासा ने जनवरी महीने में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी. इसमें रूस को अभी भी आईएसएस के प्रमुख भागीदार के तौर पर बताया गया था. हालांकि, इस समय तक रूस ने यूक्रेन पर हमला नहीं किया था.
2030 के बाद, उन अंतरिक्ष कार्यक्रमों को निजी क्षेत्र के प्लेटफॉर्म पर संचालित किया जाएगा जिन्हें आज के समय में आईएसएस की मदद से किया जाता है. ऐसी उम्मीद की जा रही है कि स्पेस एक्स, एग्जिओम, ब्लू ओरिजिन, नैनोरैक्स और नॉर्थरोप ग्रुमान जैसी कंपनियां नासा की मदद से तथाकथित व्यावसायिक लो अर्थ ऑर्बिट डेस्टिनेशंस का निर्माण करेंगी. नासा ने अपने एक बयान में कहा है कि "एक या उससे ज्यादा व्यावसायिक स्वामित्व और संचालन" वाले स्पेस स्टेशन आईएसएस की जगह ले सकते हैं.
इसके बाद, 2031 में आईएसएस को नियंत्रित तरीके से पृथ्वी पर वापस लाया जाएगा और प्रशांत महासागर के एक निर्जन इलाके में उतारा जाएगा. इस इलाके को स्पेसक्राफ्ट सिमेट्री यानी स्पेसक्राफ्ट की कब्रगाह नाम दिया गया है. इसे प्वाइंट नीमो के नाम से भी जाना जाता है. यहां पहले भी कई अन्य स्पेस स्टेशन और रॉकेट गिराए गए हैं.
अंतरिक्ष से नजारा
जर्मनी के अंतरिक्ष यात्री अलेक्जांडर गैर्स्ट ने अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा के दौरान अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर छह महीने गुजारते हुए कुछ मजेदार तस्वीरें ली थीं. देखिए.
तस्वीर: ESA/NASA
विज्ञान से ज्यादा
"हैलो बर्लिन, यहां ऊपर से मुझे कोई सीमाएं नजर नहीं आ रही हैं." 9 नवंबर, बर्लिन दीवार के गिरने की 25वीं वर्षगांठ के मौके पर अलेक्जांडर गैर्स्ट ने यह ट्वीट किया. विज्ञान से जुड़े कई प्रयोगों के अलावा गैर्स्ट का मकसद था लोगों को दिखाना कि अंतरिक्ष से हमारी पृथ्वी कितनी खूबसूरत लगती है. अपने प्रोजेक्ट का नाम उन्होंने 'ब्लू डॉट' रखा.
तस्वीर: Alexander Gerst/ESA/picture-alliance/dpa
शब्दों में नहीं कह सके
उत्तरी ध्रुव के पास रोशनी का ऐसा अनोखा नजारा देखने को मिलता है. इसे ऑरोरा कहते हैं. अंतरिक्ष से ऑरोरा की तस्वीर भेजते हुए गैर्स्ट ने लिखा, "मैं शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता कि ऑरोरा के बीच से उड़ान भरते हुए मुझे कैसा महसूस हो रहा है." गैर्स्ट शब्दों में भले ही ऑरोरा की खूबसूरती को व्यक्त ना कर पाए हों, लेकिन तस्वीर सब कुछ कह रही है.
ऑरोरा को नॉदर्न लाइट्स के नाम से भी जाना जाता है. धरती पर भी इन्हें देखना कम ही लोगों को नसीब हो पाता है. नॉर्वे के बर्फीले इलाकों में लोग रोशनी के मंजर को देखने पहुंचते हैं. गैर्स्ट खुद को भाग्यशाली मानते हैं कि उन्हें अंतरिक्ष में ऑरोरा का अनुभव करने का मौका मिला.
तस्वीर: ESA/NASA
बूझो तो जानें
अंतरिक्ष में रहते हुए भी गैर्स्ट सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहे. उन्होंने वहां से कई तस्वीरें फेसबुक और ट्विटर पर शेयर कीं. #geochallenge के साथ वे अक्सर तस्वीर पोस्ट किया करते और लोगों से पूछते कि उनके अनुसार यह किस जगह की तस्वीर है. किसी पहाड़ या ज्वालामुखी जैसा दिखने वाला दरअसल यह एरिजोना में एक उल्कापिंड द्वारा बनाया गड्ढा है.
देखने में तो यह बादलों के बीच एक छोटा सा सुराख लगता है, पर यह 80 किलोमीटर बड़ा है. इसे 'आय ऑफ स्टॉर्म' यानि तूफान की आंख कहा जाता है. यह देखने में भले ही खूबसूरत हो, लेकिन इससे धरती पर भारी नुकसान पहुंच सकता है. इस तस्वीर को पोस्ट करते हुए गैर्स्ट, "यहां ऊपर से देख कर हैरानी होती है कि हमारी दुनिया एक दूसरे से कितने प्रत्यक्ष रूप से जुड़ी हुई है."
गैर्स्ट की तस्वीरों की खास बात है कि इनमें किसी भी तरह के फेर बदल नहीं किए गए हैं. यह तस्वीर गाजा और इस्राएल की है. वहां हो रही बमबारी और धमाकों को इसमें साफ देखा जा सकता है. जब गैर्स्ट ने यह तस्वीर भेजी, तो उन्होंने लिखा, "यह अब तक की मेरी सबसे दुखद तस्वीर है."
तस्वीर: picture-alliance/dpa/ESA/NASA
एलियन का काम?
ऊपर से नजर आ रही ये गोल आकृतियां किसी एलियन का काम नहीं हैं, बल्कि इंसानों द्वारा बनाए गए खेत हैं. यह मेक्सिको की तस्वीर है जहां सूखे इलाके में भी खेती को मुमकिन बनाया गया है. गैर्स्ट ने भी अंतरिक्ष में रहते हुए कुछ पौधों को उगाने की कोशिश की ताकि पता किया जा सके कि पानी को बेहतर रूप से कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है.
तस्वीर: ESA/NASA
कैनवस जैसा
गैर्स्ट के ऐसी कई तस्वीरें किसी कलाकार का काम लगती हैं. कुदरत के ये नजारे हैरान करते हैं. यह तस्वीर कजाकिस्तान की एक नदी को दिखाती है. अलग अलग रंगों से नदी के अब तक के नए और पुराने रास्तों को भी देखा जा सकता है.
तस्वीर: ESA/NASA
रेगिस्तान में
कहते हैं कि सहारा में जा कर ऐसा लगता है जैसे रेत के पहाड़ कभी खत्म ही नहीं होंगे. लेकिन अंतरिक्ष से देखें तो इन रेतीले पहाड़ों की सीमाएं पता चलती हैं. इस तस्वीर के साथ गैर्स्ट ने लिखा, "आइसिस के अंदर जब नारंगी रोशनी आने लगती है, तो मुझे बिना बाहर देखे ही पता चल जाता है कि मैं अफ्रीका के ऊपर उड़ रहा हूं."
तस्वीर: ESA/NASA
खोज और तलाश
यह उत्तरी अफ्रीका की तस्वीर है. इस तरह की पुरानी तस्वीरें भी मौजूद हैं. नई और पुरानी की तुलना कर वैज्ञानिक भौगोलिक बदलावों को बेहतर रूप से समझ सकते हैं.
अमेरिकी कंपनी स्पेस एक्स चाहती है कि वह आईएसएस के भविष्य की रक्षा में अहम भूमिका निभाए. इस व्यावसायिक फर्म और नासा के बीच पहले ही समझौता हो चुका है. समझौते के मुताबिक, स्पेस एक्स आईएसएस के लिए जरूरी चीजों की सप्लाई करने के साथ-साथ लोगों को भी वहां ले जाएगा.
वहीं, एग्जिओम ने आईएसएस पर पहला प्राइवेट क्रू ले जाने के लिए समझौता किया था. अब एग्जिओम ने भी अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाने की बात कही है. साथ ही, यह अपने प्रोजेक्ट के लिए उड़ान भरने वाले प्लेटफॉर्म के तौर पर आईएसएस का इस्तेमाल करना चाहता है.
भविष्य में कोई कुछ भी करें, लेकिन इस उद्योग से जुड़ा हर व्यक्ति जानता है कि किसी भारी वस्तु को अंतरिक्ष में ले जाना कितना मुश्किल काम है. हालांकि, इनमें से कुछ कंपनियों को उम्मीद है कि आईएसएस के कुछ हिस्से को नुकसान से बचा लिया जाएगा.
जेम्स वेब टेलीस्कोप की पांच तस्वीरें जिन्होंने बदल दिया नजरिया
जेम्स वेब टेलीस्कोप की भेजीं तस्वीरें इंसान को ब्रह्मांड में वहां ले जाती हैं, जहां अब तक इंसान की नजर नहीं पहुंची थी. इन तस्वीरों को देखना समय में अरबों साल पीछे जाना है.
तस्वीर: NASA/ESA/CSA & and STScI
जहां जन्मे सितारे
सदर्न रिंग नेब्युला गैसों का फैलता बादल है जो एक मरते सितारे से घिरा है. इसका व्यास आधे प्रकाश वर्ष के बराबर है. नेब्युला ही वो जगह है जहां किसी तारे का जन्म होता है.
तस्वीर: NASA, ESA, CSA, STScI, and The ERO Production Team
अदृश्य भी दिखने लगा
ये जो आपको चमकते पहाड़ लग रहे हैं, असल में करीना नेब्युला में एनजीसी-3324 नाम के एक जन्मते सितारे के कोने हैं. जेम्स वेब टेलीस्कोप ने तारे के उन हिस्सों की तस्वीरें ली हैं जो पहले अदृश्य थे.
तस्वीर: NASA, ESA, CSA, STScI, Webb ERO Production Team
अरबों साल दूर आकाशगंगाएं
एसएसीएस 0723 आकाशगंगाओं का एक समूह है जो अपने पीछे मौजूद तारों के प्रकाश को भी एक लेंस की तरह फैलाकर दिखाता है. इस तस्वीर में कुछ रोशनियां 13 अरब साल पहले चली थीं जो अब दिखी हैं.
तस्वीर: NASA, ESA, CSA, STScI, Webb ERO Production Team
करोड़ों तारों का घर
स्टीफन्स क्विंटेट पांच आकाशगंगाओं का एक घर है. इस तस्वीर में क्विंटेट के जो रूप नजर आ रहे हैं वे आज से पहले कभी इतनी स्पष्टता से नहीं देखे गए थे.
तस्वीर: NASA, ESA, CSA, STScI, Webb ERO Production Team
गैस का विशालकाय गोल
डबल्यूएएसपी-96 बी पृथ्वी के सौर मंडल के बाहर एक विशाल ग्रह है जिसकी खोज 2014 में हुई थी. यह गैसों का विशाल गोला है जो पृथ्वी से लगभग 1,150 प्रकाश वर्ष दूर है. इसका भार बृहस्पति जितना है और यह हर तीन-चार दिन में अपने तारे का एक चक्कर पूरा कर लेता है.