1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

हर जगह मौजूद माइक्रोप्लास्टिक के बढ़ते खतरे

४ जुलाई २०२२

समुद्र की गहराई से लेकर पहाड़ की चोटियों तक इंसान ने प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़ों से ग्रह को पाट दिया है. अब यह माइक्रोप्लास्टिक हमारे शरीर में भी दाखिल हो रहा है.

Indonesien Umweltverschmutung l Manta-Rochen ernährt sich von Fisch
तस्वीर: Marine Megafauna Foundation, Andrea Marshall

प्लास्टिक प्रदूषण की ये तस्वीरें परिचित हो गई हैं: एक शॉपिंग बैग से दम घुटने वाला कछुआ, समुद्र तटों पर पानी की खाली बोतलें और खाने की तलाश में प्लास्टिक चबाते जानवर. हर साल लाखों टन प्लास्टिक का उत्पादन होता है और वह छोटे-छोटे कणों में पर्यावरण में फैल जाता है. फ्रांस में माइक्रोबियल ओशेनोग्राफी की प्रयोगशाला में शोधकर्ता जॉं फ्रांसिस घिग्लियोन कहते हैं, "हमने 10 साल पहले कल्पना नहीं की थी कि इतने छोटे माइक्रोप्लास्टिक हो सकते हैं, जो नग्न आंखों के लिए अदृश्य हैं और वे हमारे चारों ओर हर जगह हैं. हम अभी तक उन्हें मानव शरीर में खोजने की कल्पना नहीं कर सके."

घिग्लियोन कहते हैं अब वैज्ञानिक अध्ययन कुछ मानव अंगों में माइक्रोप्लास्टिक्स का पता लगा रहे हैं - जिनमें "फेफड़े, प्लीहा, गुर्दे और यहां तक ​​कि प्लेसेंटा भी शामिल हैं." यही नहीं सिंथेटिक कपड़ों में मौजूद माइक्रोफाइबर हमारे शरीर में सांस के जरिए दाखिल हो रहा है.

इंग्लैंड स्थित हल यॉर्क मेडिकल स्कूल की लौरा सैडोफ्स्की कहती हैं, "हम जानते हैं कि हवा में माइक्रोप्लास्टिक है और हम यह भी जानते हैं कि यह हमारे चारों ओर है."

प्लास्टिक के खिलौने खतरनाक हैं

06:03

This browser does not support the video element.

उनकी टीम ने फेफड़े के ऊतकों में पॉलीप्रोपाइलीन और पीईटी (पॉलीइथाइलीन टेरेफ्थेलेट) पाया. उन्होंने कहा, "हमारे लिए आश्चर्य की बात यह थी कि यह फेफड़ों के कितने अंदर तक था और उन कणों का आकार कितना बड़ा था."

मार्च में एक अन्य शोध ने खून में पीईटी के पहले निशान पाए जाने की सूचना दी थी. वॉलंटियरों के छोटे नमूने को देखते हुए, कुछ वैज्ञानिकों का कहना था कि निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी, लेकिन चिंताएं हैं कि अगर प्लास्टिक रक्तप्रवाह में है तो वह सभी अंगों तक पहुंचा सकता है.

हर रोज इस्तेमाल होने वाला प्लास्टिक छोड़ रहा पानी में अरबों सूक्ष्म कण     

साल 2021 में शोधकर्ताओं ने अजन्मे बच्चे के गर्भनाल में माइक्रोप्लास्टिक पाया था और भ्रूण के विकास पर संभावित परिणामों पर "बड़ी चिंता" व्यक्त की थी. लेकिन चिंता एक सिद्ध जोखिम के समान नहीं है.

वैगनिंगन यूनिवर्सिटी में एक्वाटिक इकोलॉजी एंड वाटर क्वालिटी के प्रोफेसर बार्ट कोएलमैन कहते हैं, "अगर आप किसी वैज्ञानिक से पूछते हैं कि क्या कोई नकारात्मक प्रभाव है, तो वह कहेगा कि मुझे नहीं पता."

उन्होंने कहा, "यह संभावित रूप से एक बड़ी समस्या है, लेकिन हमारे पास सकारात्मक रूप से पुष्टि करने के लिए वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं कि प्रभाव क्या है. अगर कोई हो."

जबकि वैज्ञानिकों ने हाल ही में शरीर में माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी की पहचान की है, संभावना है कि इंसान वर्षों से प्लास्टिक के छोटे कण को खा रहे हैं, पी रहे हैं या सांस के जरिए शरीर में ले रहे हैं.

गंदे पानी से माइक्रोप्लास्टिक निकालने में सब्जियां आएंगी काम

हालांकि मनुष्यों पर स्वास्थ्य अध्ययन अभी तक विकसित नहीं हुए हैं, कुछ जानवरों में विषाक्तता चिंताओं को पुष्ट करती है.

घिग्लियोन कहते हैं, "नंगी आंखों के लिए अदृश्य छोटे माइक्रोप्लास्टिक्स का उन सभी जानवरों पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है जिनका हमने समुद्री वातावरण या जमीन पर अध्ययन किया है."

पर्यावरण चैरिटी डब्ल्यूडब्ल्यूएएफ इंटरनेशनल की 2019 में आई एक स्टडी में बताया गया कि हमारे वातावरण में प्लास्टिक का इतना प्रदूषण है जिसके कारण इंसान हर हफ्ते में करीब पांच ग्राम प्लास्टिक को अपने अंदर ले रहा है जो हर हफ्ते एक क्रेडिट कार्ड खाने के बराबर होगा.

एए/सीके (एएफपी)

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें