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अमेरिका में छंटनी का कैसे पड़ रहा भारतीय पेशेवरों पर असर

२४ जनवरी २०२३

अमेरिकी टेक कंपनियां लोगों को धड़ाधड़ नौकरी से निकाल रही हैं. हाल ही में गूगल ने 12,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की घोषणा की है. कई भारतीय भी इन छंटनियों के शिकार हो गए और उनका भविष्य अधर में है.

बड़ी अमेरिकी कंपनी कर रही छंटनी
बड़ी अमेरिकी कंपनी कर रही छंटनीतस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Jaitner

गूगल की स्वामित्व वाली कंपनी अल्फाबेट ने पिछले हफ्ते घोषणा की कि वह बदलती वैश्विक आर्थिक स्थिति को देखते हुए वैश्विक स्तर पर लगभग 12,000 नौकरियों में कटौती करेगी. इस छंटनी की घोषणा के पहले माइक्रोसॉफ्ट ने कहा था कि वह आने वाले महीनों में कर्मचारियों की संख्या में 10,000 की कमी करेगी. फेसबुक की मालिक कंपनी मेटा, अमेजन और ट्विटर द्वारा इसी तरह की कटौती की घोषणा की जा चुकी है. तकनीकी क्षेत्र में इतनी बड़ी छंटनी का कारण वैश्विक मंदी को माना जा रहा है. साथ ही रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण भी डिमांड और सप्लाई में भी काफी उतार-चढ़ाव आया है. जिस वजह से टेक कंपनियां बड़े पैमाने पर लोगों को नौकरी से बाहर कर रही है.

भारतीयों पर गहराया संकट

अमेरिका में रह रहे जिन भारतीयों की नौकरी चली गई है या फिर उन्हें भविष्य में नौकरी खोने का खतरा है वे इस उथल-पुथल से काफी परेशान हैं. अमेरिका में भारतीय पेशेवर जिनकी नौकरी चली गई वे वहीं टिके रहने के लिए लिंक्डइन पर नई नौकरियों की तलाश में जुट गए. गूगल में काम करने वाले एक भारतीय मूल के कर्मचारी की भी नौकरी चली गई है. उसने गूगल में नौकरी करने के लिए छह महीने तक इंतजार किया था. कैलिफोर्निया में गूगल के तकनीकी कार्यक्रम प्रबंधक कुणाल कुमार गुप्ता ने अपने लिंक्डइन पोस्ट में लिखा, "जैसा कि खबर है कि गूगल ने 12,000 कर्मचारियों की छंटनी की है, दुर्भाग्य से मैं भी प्रभावित हुआ हूं. गूगल में 3 साल और 6 महीने के बाद मुझे एक ईमेल मिला जिसमें कहा गया था कि मेरी सेवाएं प्रभावी रूप से समाप्त कर दी गई हैं."

गुप्ता ने आगे बताया कि उन्होंने 2019 में अमेरिका स्थित कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद गूगल में नौकरी करने के लिए छह महीने इंतजार किया और अपनी आव्रजन स्थिति को बनाए रखने के लिए एक शिक्षण सहायक के रूप में काम किया. उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, "गूगल ने मुझे एक ईमेल भेजा है जिसमें कहा गया है कि मैं अब इसका हिस्सा नहीं हूं."

गूगल में बिताए अपने वक्त के बारे में गुप्ता लिखते हैं, "गूगल में मेरे करियर का सबसे अच्छा पेशेवर समय रहा है, मैंने टीमों में कुछ सबसे होशियार और अच्छे लोगों से मुलाकात की है. मेरे साथ काम करने और मुझे उनसे सीखने का अवसर देने के लिए मैं उन सभी को धन्यवाद देता हूं."

गुप्ता की तरह कई ऐसे भारतीय पेशेवर हैं जिनके सामने ऐसी स्थिति अचानक से पैदा हो गई है. वे अमेरिका में नई नौकरी की तलाश में जुट गए हैं. ऐसे लोगों के पास एच-1बी वीजा है जो उन्हें नई नौकरी खोजने के लिए 60 दिनों का समय देता है.

अमेरिका में नई नौकरी की तलाश

अमेरिका में हजारों भारतीय आईटी पेशेवर, जिन्होंने हाल ही में गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और अमेजन जैसी कंपनियों में छंटनी के कारण अपनी नौकरी खो दी है, अब अपने वर्क वीजा की समाप्ति के बाद निर्धारित अवधि के भीतर नई नौकरी खोजने के लिए वे संघर्ष कर रहे हैं. उन्हें अमेरिका में रहने के लिए नए रोजगार की तलाश है.

द वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल नवंबर से लगभग दो लाख आईटी कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है, जिसमें गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, फेसबुक और अमेजन जैसी कंपनियों में रिकॉर्ड संख्या में कर्मचारी शामिल है.

आईटी क्षेत्र के सूत्रों के हवाले से भारतीय मीडिया में कहा जा रहा है कि उनमें से 30 से 40 प्रतिशत भारतीय आईटी पेशेवर हैं, जिनमें से बड़ी संख्या में एच-1बी और एल1 वीजा पर हैं.

एच-1बी वीजा एक गैर-आप्रवासी वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों को विशेष व्यवसायों में नियोजित करने की अनुमति देता है. जिनके लिए सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है. तकनीकी कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से हर साल हजारों कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए इस पर निर्भर करती हैं.

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