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हजारों मजदूरों को इस्राएल क्यों भेज रहा है भारत?

६ फ़रवरी २०२४

उत्तर प्रदेश और हरियाणा में हजारों कंस्ट्रक्शन मजदूरों की इस्राएल जाने के लिए भर्ती हो रही है. अपने देश में बेरोजगारी और कम वेतन के कारण मजदूर इस्राएल में हर खतरा उठाने को तैयार हैं.

इस्राएल में काम के लिए आवेदन के लिए आयोजित एक कैंप के बाहर मजदूर
इस्राएल में काम के लिए आवेदन के लिए आयोजित एक कैंप के बाहर मजदूरतस्वीर: DW

जनवरी महीने उत्तर प्रदेश और हरियाणा के अलग-अलग शहरों में लगाए गए प्लेसमेंट कैंपों में सफल घोषित किए गए मजदूर आने वाले दिनों में इस्राएल जाना शुरू करेंगे. फिलहाल हर हफ्ते 700 से 1,000 श्रमिकों को इस्राएल भेजा जाएगा.

आतंकवादी संगठन हमास से युद्ध के कारण इस्राएल को पर्याप्त संख्या में मजदूर नहीं मिल रहे हैं, जिसकी वजह से वह भारत से श्रमिकों का आयात कर रहा है. युद्ध के कारण इस्राएल ने फलिस्तीनी श्रमिकों को रोजगार देना बंद कर दिया है.

इस स्थिति को देखते हुए इस्राएल ने भारत से श्रमिकों को आयात करने का निर्णय लिया. नई दिल्ली और जेरूशलम ने पिछले साल एक समझौता किया था जिससे 40,000 भारतीयों को इस्राएल में निर्माण और नर्सिंग के क्षेत्र में काम करने की अनुमति मिलेगी.

इस्राएल में भारतीय मजदूरों की मांग

इससे पहले जनवरी में इस्राएल से 15 सदस्यीय टीम श्रमिकों की भर्ती के लिए भारत आई थी. इसके तहत पहले हरियाणा और फिर उत्तर प्रदेश में क्रमश: 530 और 5,087 निर्माण श्रमिकों की नियुक्ति को अंतिम रूप दिया गया.

बिहार, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान और मिजोरम सरकार ने भी औपचारिक रूप से केंद्र सरकार से अपने-अपने राज्यों में इसी तरह के प्लेसमेंट कैंप आयोजित करने की अपील की है. मीडिया में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि जल्द ही इन राज्यों में भी यह अभियान शुरू किया जाएगा.

इस्राएली अधिकारी नियुक्ति के विवरण का खुलासा करने के लिए तैयार नहीं हैं. इस्राएली सरकार की एक एजेंसी 'जनसंख्या, आव्रजन और सीमा प्राधिकरण' ने केवल इतना कहा है कि श्रमिकों को प्रति माह 1,37,000 रुपये का भुगतान किया जाएगा. यह रकम इसी काम के लिए भारत में मिलने वाली रकम से कहीं ज्यादा है.

लखनऊ में आयोजित एक जॉब कैंप में आवेदन करने आए अनूप सिंह ने कहा वे इस्राएल में मोटी रकम की वजह से नौकरी के लिए आए हैं. अनूप सिंह ग्रैजुएट हैं और बतौर निर्माण मजदूर काम करते हैं.

अनूप ने कहा, "मुझे पता है कि खतरा है, लेकिन समस्याएं यहां भी मौजूद हैं." उन्होंने कहा कि वह जोखिम उठाने को तैयार हैं ताकि वह अपने परिवार के लिए और अधिक कमा सकें. उन्होंने कहा, "मैं अपने बच्चों के लिए वहां जा रहा हूं."

ये नियुक्तियां भारत की सरकारी एजेंसी राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के माध्यम से की जा रही हैं. इसके एक अधिकारी ने मीडिया से कहा, "सरकारी स्तर पर भारत और इस्राएल के बीच भारत से 40,000 निर्माण श्रमिकों को भेजने का समझौता हुआ है. हमने सभी राज्यों से इसमें मदद करने की अपील की है. हरियाणा और उत्तर प्रदेश ने भी इसका अनुसरण किया है."

भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक फिलवक्त इस्राएल में 18,000 भारतीय काम कर रहे हैं, जिनमें से ज्यादातर नर्सिंग स्टाफ के रूप में हैं. अब जो श्रमिक इस्राएल जा रहे हैं उनमें ज्यादातर राजमिस्त्री, बढ़ई और अन्य निर्माण मजदूर शामिल हैं.

भारत और इस्राएल के बीच भारत से 40,000 निर्माण श्रमिकों को भेजने का समझौता हुआ हैतस्वीर: DW

ट्रेड यूनियनों को क्यों आपत्ति है?

भारत में कई ट्रेड यूनियनों ने श्रमिकों को इस्राएल भेजे जाने पर कड़ी आपत्ति जताई थी और प्रधानमंत्री मोदी की सरकार से इस्राएल के साथ इस समझौते को खत्म करने की अपील की थी. श्रमिक संगठनों का कहना है कि मजदूरों को संघर्ष क्षेत्र में भेजना जानबूझकर उनकी जान जोखिम में डालने जैसा है.

भारत सरकार का कहना है कि दोनों देशों के बीच हुए समझौते के तहत भारत के श्रमिकों के साथ बेहतर व्यवहार किया जाएगा, उनके अधिकारों की रक्षा की जाएगी और उनके साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाएगा.

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने एक बयान में कहा था, "मैं आपको बताना चाहता हूं कि इस्राएल में श्रम कानून बहुत अच्छे और सख्त हैं और श्रमिकों के अधिकारों और आप्रवासियों के अधिकारों की रक्षा करते हैं."

अब शहर संवार रहे हैं काम से बाहर हो चुके किसान

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देश में बेरोजगारी से परेशान युवा

हरियाणा के एक प्लेसमेंट सेंटर द्वारा इस्राएल जाने के लिए चुने गए 26 वर्षीय युवक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "इस्राएल में हमें जो वेतन मिल रहा है, वह भारत की तुलना में पांच गुना अधिक है." उन्होंने कहा, "खतरे तो बहुत हैं, लेकिन मेरे पास कोई विकल्प नहीं है. मुझे अपनी पत्नी, बच्चों और माता-पिता का भी ख्याल रखना है."

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की रिपोर्ट के मुताबिक अक्तूबर-दिसंबर 2023 तिमाही में 20 से 24 आयु वर्ग के लोगों में बेरोजगारी दर जुलाई से सितंबर 2023 की पिछली तिमाही के 43.65 प्रतिशत से बढ़कर 44.49 प्रतिशत हो गई.

बेरोजगारी, महंगाई और कम वेतन जैसे कारण ही युवा भारतीयों को अपना जीवन जीने के लिए गंभीर जोखिम लेने से नहीं रोक रहे हैं.

रिपोर्ट: आमिर अंसारी (एपी से जानकारी के साथ)

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