मिनियापोलिस के तीन पूर्व पुलिसकर्मियों को जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या मामले में दोषी पाया गया है. एक फेडरल जूरी ने यह माना कि तीनों अफसरों के आचरण से फ्लॉयड की मौत हुई और उन्होंने फ्लॉयड को उनके "नागरिक अधिकारों से वंचित" रखा.
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तोउ थाओ, जे एलेग्जेंडर कुएंग और थॉमस लेन नामक इन पुलिसकर्मियों के बारे में जूरी ने कहा कि जब उन्हीं के एक सहकर्मी ने फ्लॉयड को अपने घुटनों के नीचे दबाया हुआ था तब उन्होंने फ्लॉयड की मदद ना करके उन्हें उनके "नागरिक अधिकारों से वंचित" रखा. उनके आचरण को फ्लॉयड की मौत से जोड़ दिए जाने का असर उनकी सजा की गंभीरता पर पड़ सकता है.
एक पुलिस अफसर द्वारा बल के अत्यधिक इस्तेमाल के लिए उसके सहकर्मियों को भी आपराधिक रूप से जिम्मेदार ठहराने का यह दुर्लभ मामला है. तीनों को फ्लॉयड को हिरासत में चिकित्सकीय देखभाल के संवैधानिक अधिकार से वंचित रखने का दोषी पाया गया.
थाओ और कुएंग को फ्लॉयड को अत्यधिक बल के प्रयोग से बचने के अधिकार से भी वंचित रखने का दोषी पाया गया. जूरी ने पाया कि तीनों उनके सहकर्मी डेरेक शौविन को फ्लॉयड की गर्दन को अपने घुटने के नीचे नौ मिनट से ज्यादा दबाए रखने से रोकने में असफल रहे. शौविन पिछले साल एक राज्य स्तरीय अदालत में फ्लॉयड की हत्या के दोषी पाए गए थे.
तोउ थाओ, कुएंग और लेन तब तक जमानत पर जेल के बाहर रहेंगे जब तक उनकी सजा का फैसला नहीं हो जाता. अभियोजन पक्ष ने अभी तक बताया नहीं है कि वो किस तरह की सजा की मांग करेंगे लेकन तीनों को कई सालों की जेल हो सकती है.
फेडरल अभियोजन पक्ष ने सेंट पॉल के जिला अदालत में कहा कि इन तीनों को अपने प्रशिक्षण और "मूल मानवीय शालीनता" के आधार पर मालूम था कि मदद के लिए पुकार रहे फ्लॉयड की मदद करना उनका कर्तव्य था. फैसले के बाद जॉर्ज के भाई फिलोनिस फ्लॉयड ने पत्रकारों से कहा, "यह सिर्फ जवाबदेही है. यह इंसाफ बिल्कुल भी नहीं हो सकता क्योंकि मुझे मेरा भाई कभी वापस नहीं मिलेगा."
जॉर्ज फ्लॉयड के भतीजे ब्रैंडन विलियम्स ने कहा, "यह हमारे देश के लिए ऐतिहासिक है क्योंकि अक्सर पुलिस अफसर अश्वेत और भूरे पुरुषों और महिलाओं को मार देते हैं और उन्हें या तो हलकी सजा मिलती है या सजा ही नहीं मिलती. कई बार तो उन पर आरोप भी नहीं लगाए जाते, दोषी पाया जाना तो दूर की बात है."
इस फैसले के रूप में अमेरिका के न्याय मंत्रालय के नागरिक अधिकार विभाग को एक ही हफ्ते में दो बार जीत मिली. दो ही दिनों पहले जॉर्जिया में एक जूरी ने अहमद आर्बरी की हत्या के मामले में तीन पुरुषों को फेडरल नफरती अपराधों का दोषी पाया. ये तीनों श्वेत हैं और उन्होंने अश्वेत आर्बरी को एक श्वेत बहुल इलाके के बीच में गोली मार दी थी.
सीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)
रंगभेद के खिलाफ दुनिया भर में प्रदर्शन
अमेरिका के मिनियापोलिस में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत से पूरी दुनिया आंदोलित है. वीकएंड में सभी महादेशों में लाखों लोगों ने नस्लवाद के खिलाफ प्रदर्शन किया है. भारत में भी सेलेब्रिटी "ब्लैक लाइव्स मैटर" का समर्थन कर रहे हैं.
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पेरिस: भेदभाव का विरोध
कुछ दिन पहले फ्रांस की राजधानी में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को आंसू गैस का इस्तेमाल कर तितर बितर कर दिया था. शनिवार को भी आइफेल टॉवर और अमेरिकी दूतावास के सामने प्रदर्शनों की इजाजत नहीं दी गई थी. फिर भी दसियों हजार लोगों ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया. पेरिस के बाहरी इलाकों में रहने वाले काले नागरिकों के खिलाफ पुलिस हिंसा आम है.
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लिएज: प्रतिबंधों के बावजूद प्रदर्शन
कई दूसरे यूरोपीय देशों की तरह बेल्जियम का भी औपनिवेशिक शोषण और लोगों को गुलाम बनाने का इतिहास रहा है. आज का डेमोक्रैटिक रिपब्लिक कॉन्गो कभी किंग लियोपोल्ड द्वितीय की निजी संपत्ति हुआ करता था. उनके नाम पर वहां नस्लवादी शासन चलता था. ब्रसेल्स, अंटवैर्पेन और लिएज शहरों में कोरोना के प्रतिबंधों के बावजूद प्रदर्शन हुए.
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म्यूनिख: रंग बिरंगा बवेरिया
जर्मनी के बड़े प्रदर्शनों में से एक दक्षिणी प्रांत बवेरिया की राजधानी म्यूनिख में हुआ. यहां करीब 30,000 लोग नस्लवाद का विरोध करने सड़कों पर उतरे. इसके अलावा कोलोन, फ्रैंकफर्ट और हैम्बर्ग में भी प्रदर्शन हुए. राजधानी बर्लिन में प्रदर्शन के लिए जाते लोगों को रोकने के लिए पुलिस ने कुछ समय के लिए सिटी सेंटर में स्थित अलेक्जांडरप्लात्स का रास्ता रोक दिया था.
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वियना: 50,000 लोगों का विरोध प्रदर्शन
ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में शुक्रवार को ही 50,000 लोगों ने प्रदर्शन किया. ये देश में पिछले सालों में हुए बड़े प्रदर्शनों में एक रहा. स्थानीय पुलिसकर्मी भी प्रदर्शन के समर्थन में दिखे. रिपोर्टरों के अनुसार पुलिस की एक गाड़ी पर भी "ब्लैक लाइव्स मैटर" का नारा लिखा दिखा.
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सोफिया: सैकड़ों नस्लवाद विरोधी
कई दूसरे यूरोपीय देशों की तरह बुल्गारिया में भी दस लोगों से ज्यादा के साथ प्रदर्शन की अनुमति नहीं है. फिर भी नस्लवाद का विरोध करने राजधानी सोफिया में सैकड़ों लोग पहुंचे. वे जॉर्ज फ्लयॉड के कहे कथित तौर पर अंतिम शब्द "आई कांट ब्रीद" के नारे लगा रहे थे. प्रदर्शनकारियों ने साथ बुल्गारियाई समाज में व्याप्त नस्लवाद की ओर भी ध्यान दिलाया.
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तूरीन: कोरोना काल में विरोध
इस महिला ने अपना नारा कोरोना काल में जरूरी किए गए मास्क के ऊपर लिख रखा है, "काली जिंदगियां इटली में भी कीमती हैं." रोम और मिलान में हुए प्रदर्शनों में कोरोना महामारी की वजह से हुई तालाबंदी के बाद पहली बार लोग इतनी बड़ी तादाद में एक साथ इकट्ठा हुए. यूरोपीय संघ में सबसे ज्यादा अफ्रीकी आप्रवासी इटली में रहते हैं.
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लिस्बन: बिना अनुमति के रैली
पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में निकाले गए मार्च में इस प्रदर्शनकारी ने अपनी तख्ती पर लिख रखा है, "अब कार्रवाई करो." हालांकि विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी गई थी, लेकिन पुलिस ने रैली को नहीं रोका. पुर्तगाल में भी काले नागरिकों के खिलाफ पुलिस बर्बरता की घटना अक्सर होती रहती है. जनवरी 2019 में पुलिस ने नस्लवाद विरोधी प्रदर्शनकारियों पर रबर की गोलियां चलाई थी.
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मेक्सिको सिटी: फ्लॉयड और लोपेस
मेक्सिको में सिर्फ जॉर्ज फ्लॉयड की मौत का गुस्सा नहीं है बल्कि जोवानी लोपेस के साथ हुए बर्ताव पर भी है. राजमिस्त्री का काम करने वाले लोपेस को मई में पश्चिमी प्रांत खालिस्को में मास्क नहीं पहनने के कारण गिरफ्तार कर लिया गया था. कथित तौर पर पुलिस हिंसा के कारण उनकी मौत हो गई थी. कुछ समय एक वीडियो सामने आने के बाद मेक्सिको के लोगों में आक्रोश है.
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सिडनी: मूल निवासियों के खिलाफ नस्लवाद
सिडनी में प्रदर्शन की शुरुआत धुआं करने के परंपरागत महोत्सव के साथ हुई. यहां प्रदर्शन में शामिल होने वालों की एकजुटता सिर्फ जॉर्ज फ्लॉयड के साथ नहीं बल्कि देश के अबोरिजिन मूल निवासियों के साथ भी थी. वे भी पुलिस हिंसा के शिकार रहे हैं. प्रदर्शनकारियों की मांग है कि उनमें से किसी की मौत पुलिस हिरासत में नहीं होनी चाहिए.
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प्रिटोरिया: मुक्का तान कर प्रदर्शन
हवा में तना हुआ मुक्का ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन का प्रतीक चिह्न है. लेकिन यह प्रतीक हाल के आंदोलन से कहीं पुराना है. जब दक्षिण अफ्रीका की नस्लवादी सरकार ने फरवरी 1990 में नस्लवाद विरोधी नेता नेल्सन मंडेला को 27 साल बाद जेल से रिहा किया था, तो वे हवा में मुक्का लहराते जेल से बाहर निकले थे. अभी भी दक्षिण अफ्रीका में गोरी आबादी बेहतर स्थिति में है. रिपोर्ट: डाविड एल