बिटकॉइन के 75 प्रतिशत निवेशकों को नुकसान हुआः रिपोर्ट
२२ नवम्बर २०२२
बिटकॉइन में निवेश करने वाले लगभग 75 प्रतिशत लोगों को नुकसान उठाना पड़ा है. एक अंतरराष्ट्रीय संस्था ने 95 देशों में सात साल में हुए निवेश के बाद यह नतीजा निकाला है.
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क्रिप्टोकरंसी 'बिटकॉइन' में निवेश करने वाले हर चार में तीन लोगों ने घाटा उठाया है. सोमवार को प्रकाशित हुए एक नए अध्ययन में 2015 से 2022 के बीच 95 देशों में बिटकॉइन निवेशकों से बातचीत के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया है.
पिछले कुछ समय में एक के बाद एक कई बड़ी क्रिप्टोकरंसी और उनसे जुड़ीं कंपनियां मुंह के बल गिरी हैं जिसके बाद क्रिप्टो-निवेशकों में हड़कंप मचा हुआ है. हाल ही में एफटीएक्स नामक क्रिप्टो कंपनी के दीवालिया हो जाने से इस निवेश क्षेत्र में लोगों के भरोसे की चूलें हिल गई हैं.
बिटकॉइन कैसे काम करता है और यह किस काम आता है
हाल में बिटकॉइन के मूल्य में काफी उतार चढ़ाव देखे गए हैं, जिसकी वजह से निवेशकों को संदेह हो गया है कि इसमें अपना पैसा डालें या नहीं. डीडब्ल्यू कोई सलाह नहीं देता लेकिन आइए आपको बताते हैं कि आखिर बिटकॉइन काम कैसे करता है.
डिजिटल मुद्रा
बिटकॉइन एक डिजिटल मुद्रा है क्योंकि यह सिर्फ वर्चुअल रूप में ही उपलब्ध है. यानी इसका कोई नोट या कोई सिक्का नहीं है. यह एन्क्रिप्ट किए हुए एक ऐसे नेटवर्क के अंदर होती है जो व्यावसायिक बैंकों या केंद्रीय बैंकों से स्वतंत्र होता है. इससे बिटकॉइन को पूरी दुनिया में एक जैसे स्तर पर एक्सचेंज किया जा सकता है. एन्क्रिप्शन की मदद से इसका इस्तेमाल करने वालों की पहचान और गतिविधियों को गुप्त रखा जाता है.
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एक रहस्यमयी संस्थापक
बिटकॉइन को पहली बार 2008 में सातोशी नाकामोतो नाम के व्यक्ति ने सार्वजनिक रूप से जाहिर किया था. यह आज तक किसी को नहीं मालूम कि यह एक व्यक्ति का नाम है या कई व्यक्तियों के एक समूह का. 2009 में एक ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में जारी किए जाने के बाद यह मुद्रा लागू हो गई.
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कैसे मिलता है बिटकॉइन
इसे हासिल करने के कई तरीके हैं. पहला, आप इसे कॉइनबेस या बिटफाइनेंस जैसे ऑनलाइन एक्सचेंजों से डॉलर, यूरो इत्यादि जैसी मुद्राओं में खरीद सकते हैं. दूसरा, आप इसे अपने उत्पाद या अपनी सेवा के बदले भुगतान के रूप में पा सकते हैं. तीसरा, आप खुद अपना बिटकॉइन बना भी सकते हैं. इस प्रक्रिया को माइनिंग कहा जाता है.
डिजिटल बटुए की जरूरत
बिटकॉइन खरीदने से पहले आपको अपने कंप्यूटर में वॉलेट सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करना पड़ता है. इस वॉलेट में एक 'पब्लिक' चाभी होती है जो आपका पता होता है और एक निजी चाभी भी होती है जिसकी मदद से वॉलेट का मालिक क्रिप्टो मुद्रा को भेज सकता है या पा सकता है. स्मार्टफोन, यूएसबी स्टिक या किसी भी दूसरे डिजिटल हार्डवेयर का इस्तेमाल वॉलेट के रूप में किया जा सकता है.
अब बिटकॉइन से कुछ खरीदा जाए
आइए जानते हैं भुगतान के लिए बिटकॉइन का इस्तेमाल कैसे किया जाता है. मान लीजिए मिस्टर एक्स मिस वाई से एक टोपी खरीदना चाहते हैं. इसके लिए सबसे पहले मिस वाई को मिस्टर एक्स को अपना पब्लिक वॉलेट पता भेजना होगा, जो एक तरह से उनके बिटकॉइन बैंक खाते की तरह है.
ब्लॉकचेन
मिस वाई से उनके पब्लिक वॉलेट का पता पा लेने के बाद, मिस्टर एक्स को अपनी निजी चाभी से इस लेनदेन को पूरा करना होगा. इससे यह साबित हो जाता कि इस डिजिटल मुद्रा को भेजने वाले वही हैं. यह लेनदेन बिटकॉइन से रोजाना होने वाले हजारों लेनदेनों की तरह बिटकॉइन ब्लॉकचेन में जमा हो जाता है.
डिजिटल युग के खनिक
अब मिस्टर एक्स द्बारा किए हुए लेनदेन की जानकारी ब्लॉकचेन नेटवर्क में शामिल सभी लोगों को पहुंच जाती है. इन लोगों को नोड कहा जाता है. मूल रूप से ये निजी कम्प्यूटर होते हैं, जिन्हें 'माइनर' या खनिक भी कहा जाता है. ये इस लेनदेन की वैधता को सत्यापित करते हैं. इसके बाद बिटकॉइन मिस वाई के पब्लिक पते पर चला जाता है, जहां से वो अपनी निजी चाभी का इस्तेमाल कर इसे हासिल कर सकती हैं.
बिटकॉइन मशीन रूम
सैद्धांतिक तौर पर ब्लॉकचेन नेटवर्क में कोई भी खनिक बन सकता है. लेकिन अधिकतर यह प्रक्रिया बड़े कंप्यूटर फार्मों में की जाती है जहां इसका हिसाब रखने के लिए आवश्यक शक्ति हो. इस प्रक्रिया में लेनदेन को सुरक्षित रखने के लिए नए लेनदेनों को तारीख के हिसाब से जोड़ कर एक कतार में रखा जाता है.
एक विशाल सार्वजनिक बही-खाता
हर लेनदेन को एक विशाल सार्वजनिक बही-खाते में शामिल कर लिया जाता है. इसी को ब्लॉकचेन कहा जाता है क्योंकि इसमें सभी लेनदेन एक ब्लॉक की तरह जमा कर लिए जाते हैं. जैसे जैसे सिस्टम में नए ब्लॉक आते हैं, सभी इस्तेमाल करने वालों को इसकी जानकारी पहुंच जाती है. इसके बावजूद, किसने किसको कितने बिटकॉइन भेजे हैं, यह जानकारी गोपनीय रहती है. एक बार कोई लेनदेन सत्यापित हो जाए, तो फिर कोई भी उसे पलट नहीं सकता है.
बिटकॉइनों का विवादास्पद खनन
खनिक जब नए लेनदेन को प्रोसेस करते हैं तो इस प्रक्रिया में वे विशेष डिक्रिप्शन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर नए बिटकॉइन बनाते हैं. डिक्रिप्ट होते ही श्रृंखला में एक नया ब्लॉक जुड़ जाता है और उसके बाद खनिक को इसके लिए बिटकॉइन मिलते हैं. पूरे बिटकॉइन नेटवर्क में चीन सबसे बड़ा खनिक है. वहां कोयले से मिलने वाली सस्ती बिजली की वजह से वो अमेरिका, रूस, ईरान और मलेशिया के अपने प्रतिद्वंदी खनिकों से आगे रहता है.
बिजली की जबरदस्त खपत
क्रिप्टो माइनिंग और प्रोसेसिंग के लिए जो हिसाब रखने की शक्ति चाहिए, उसकी वजह से बिटकॉइन नेटवर्क ऊर्जा की काफी खपत करता है. यह प्रति घंटे लगभग 120 टेरावॉट ऊर्जा लेते है. कैंब्रिज विश्वविद्यालय के बिटकॉइन बिजली खपत सूचकांक के मुताबिक इस क्रिप्टो मुद्रा को इस नक्शे में नीले रंग में दिखाए गए हर देश से भी ज्यादा ऊर्जा चाहिए. - गुडरून हाउप्ट
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बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स, जिसे दुनिया के केंद्रीय बैंक का केंद्रीय बैंक भी कहा जाता है, कहता है कि बीते सात साल में बिटकॉइन के निवेशकों ने भारी नुकसान झेला है. अपने अध्ययन में उसने कहा, "कुल मिलाकर देखा जाए तो बिटकॉइन के तीन चौथाई निवेशकों ने अपना धन खोया है.”
इस अध्ययन का एक निष्कर्ष यह भी है कि स्मार्टफोन ऐप के जरिए निवेश ने बड़ी संख्या में लोगों को इस मुद्रा में धन लगाने के लिए आकर्षित किया. 2015 में स्मार्टफोन से निवेश करने वालों की संख्या 1,19,000 थी जो 2022 में बढ़कर 3.25 करोड़ पर पहुंच गई.
इस बारे में शोधकर्ताओं ने लिखा, "हमारा विश्लेषण दिखाता है कि दुनियाभर में बिटकॉइन की कीमत का संबंध छोटे निवेशकों के इसमें निवेश से है.” साथ ही उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे कीमत बढ़ती जा रही थी और छोटे निवेशक बिटकॉइन खरीद रहे थे, "सबसे बड़े निवेशक इसे बेच रहे थे और छोटे निवेशकों के दम पर मुनाफा कमा रहे थे.”
शोधकर्ताओं के पास हर निवेशक के नफे-नुकसान के आंकड़े तो नहीं थे लेकिन वे नए निवेशकों द्वारा खासतौर पर स्मार्टफोन ऐप से निवेश करने से लेकर पिछले महीने तक के बिटकॉइन की कीमत का विश्लेषण कर इन नतीजों पर पहुंचे हैं. उन्होंने यह भी पाया कि क्रिप्टोकरंसी में निवेश करने वालों में सबसे बड़ी संख्या, लगभग 40 प्रतिशत लोग 35 वर्ष से कम आयु के पुरुष थे, जिसे आबादी का "सबसे ज्यादा जोखिम उठाने वाले” हिस्से के रूप में देखा जाता है.
कैसे काम करती है क्रिप्टोकरेंसी
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शोधकर्ता कहते हैं कि ज्यादातर क्रिप्टो-निवेशक इसे सट्टेबाजी के रूप में ही देख रहे थे. उन्होंने कहा युवा निवेशक उन महीनों में ज्यादा सक्रिय थे, जिससे पिछले महीने में कीमत बढ़ी हो. यानी जब-जब बिटकॉइन की कीमत बढ़ती, उसके अगले महीने निवेश करने वाले युवा बढ़ जाते. शोधकर्ताओं ने निवेशकों के इस व्यवहार को लेकर चिंता जताई है और कहा है कि उपभोक्ताओं की सुरक्षा किए जाने की जरूरत है.
वैश्विक क्रिप्टोकरंसी एक्सचेंज कूकॉइन द्वारा जारी किया गया डाटा बताता है कि भारत में "लंबी अवधि में मुनाफा पाने की" भावना से निवेश करने वाले ज्यादा हैं. भारत में 11.5 करोड़ क्रिप्टो निवेशक हैं, यानी 18 से 60 वर्ष की आयु वाले लोगों में लगभग 15 फीसदी ने क्रिप्टोकरंसी में निवेश किया है.
यह रिपोर्ट 18 से 60 वर्ष की आयु वर्ग के 2042 लोगों के बीच किए गए एक सर्वेक्षण पर आधारित है. इन निवेशकों में 40 प्रतिशत से ज्यादा लोग 30 से कम आयु के हैं और मानते हैं कि भविष्य में क्रिप्टोकरंसी मुनाफे का सौदा साबित होगी. 54 प्रतिशत निवेशकों को उम्मीद है कि उन्हें मुनाफा होगा. 56 प्रतिशत मानते हैं कि क्रिप्टोकरंसी ही भविष्य की मुद्रा है.