स्टेडियम में कोड़ेः लौट आया है तालिबान का क्रूर दौर?
२४ नवम्बर २०२२
अफगानिस्तान में एक के बाद एक कई बार ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं जबकि लोगों को भीड़ के सामने कोड़े मारे गए. इससे लोगों की आशंकाएं तेज हो रही हैं कि क्या तालिबान का पुराना दौर लौट आया है.
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स्टेडियम में उत्साह से चीखती-चिल्लाती भीड़, सजा का खौफ खाए कुछ लोग और डरावने से दिखते हाथों में हथियार या चाबुक लिए खड़े तालिबान. यह ऐसा मंजर है जिसने 1990 के दशक में पूरी दुनिया को परेशान किया था. अफगानिस्तान से आतीं ऐसी तस्वीरें और वीडियो तब सबका ध्यान खींचती थीं. ये तस्वीरें तालिबान की क्रूरता का प्रतीक बन गई थीं. 2021 में जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर फिर से कब्जा किया तो एक डर यह भी था कि ऐसे मंजर फिर से लौट आएंगे. शायद वह डर हकीकत में बदल गया है.
अफगानिस्तान में क्या क्या नहीं कर सकतीं महिलाएं
अफगानिस्तान में तालिबान महिलाओं को जिन क्षेत्रों और गतिविधियों से वंचित रखना चाहता है उनकी सूची बढ़ती जा रही है. जानिए तालिबान के शासन में कितने दबाव में हैं अफगानिस्तान की महिलाएं.
तस्वीर: AFP
स्कूल नहीं जा सकतीं
तालिबान के शासन में अफगानिस्तान के अधिकांश इलाकों में महिलाओं के माध्यमिक स्तर की शिक्षा हासिल करने पर बैन है. आठ साल से ऊपर की उम्र की लड़कियां स्कूल नहीं जा सकतीं.
तस्वीर: Ebrahim Noroozi/AP Photo/picture alliance
घर से बाहर नहीं जा सकतीं
महिलाओं के कहीं आने जाने पर भी प्रतिबंध लागू हैं. तालिबान ने हिदायत दी है कि जब तक जरूरी न हो, महिलाएं घर के अंदर ही रहें. बाहर जाना हो तो चेहरा ढकें और आस पास तक ही जाएं. अगर उन्हें लंबी दूरी तय करनी हो तो साथ में एक पुरुष रिश्तेदार का होना आवश्यक है.
तस्वीर: Ahmad Sahel Arman/AFP
नौकरी नहीं कर सकतीं
महिलाओं का अधिकांश क्षेत्रों में काम करना भी प्रतिबंधित कर दिया गया है. यहां तक की सरकारी दफ्तरों में भी महिलाओं को काम करने की इजाजत नहीं है. सिर्फ स्वास्थ्य के क्षेत्र में उन्हें काम करने की इजाजत है, लेकिन वो भी बहुत कम संख्या में.
तस्वीर: Wakil Kohsar/AFP/Getty Images
पार्क नहीं जा सकतीं
शुरू में तालिबान ने पुरुषों और महिलाओं को अलग अलग पार्कों में जाने का आदेश दिया था, लेकिन बाद में महिलाओं के पार्क जाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया. इस वजह से कई बच्चे भी पार्कों में नहीं जा पा रहे हैं, क्योंकि वो अपनी मांओं के साथ ही पार्क जाते थे. इसके अलावा मनोरंजन पार्कों में भी महिलाओं का प्रवेश वर्जित कर दिया गया है.
तस्वीर: Hussein Malla/AP/picture alliance
जिम नहीं जा सकतीं
पार्कों के अलावा महिलाओं के जिम जाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. पहले महिलाओं को पुरुषों से अलग जिम में जाने की इजाजत थी, लेकिन अब पूरी तरह से जिमों में उनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया है.
तस्वीर: Nava Jamshidi/Getty Images
महिला कल्याण मंत्रालय बंद
तालिबान की सरकार और फैसले लेने वाली समितियों में भी कोई महिला नहीं है. अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता हासिल करने से पहले महिलाओं के मामलों के लिए समर्पित एक अलग मंत्रालय हुआ करता था, लेकिन तालिबान ने उस मंत्रालय को बंद कर दिया.
तस्वीर: WAKIL KOHSAR AFP via Getty Images
अदृश्य कर दिया जाना
कई महिलाओं और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने कहा है कि इन कदमों के जरिए महिलाओं को अफगानिस्तान में सार्वजनिक जीवन से अदृश्य किया जा रहा है. संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के लिए क्या कर पाता है और क्या करने में असफल रह जाता है, वह एक वैश्विक समुदाय के रूप में हमारी पहचान की बुनियादी परीक्षा है.
तस्वीर: AFP
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बुधवार को एक स्टेडियम में तीन महिलाओं समेत कुल 12 लोगों को कोड़े मारने की सजा दी गई. सजा देने के इस पूरे आयोजन को क्रूरतम रूप में लोगों तक पहुंचाने के सारे इंतजाम किए गए. राजधानी काबुल से दक्षिण में स्थित लोगर प्रांत के गवर्नर ने माननीय विद्वान, मुजाहिदीन, बुजुर्ग, कबीलों के नेताओं और स्थानीय लोगों को पुल अलाम कस्बे के स्टेडियम में आने का न्योता भेजा. सुबह 9 बजे के आयोजन का यह न्योता सोशल मीडिया के जरिए प्रसारित किया गया.
लौट आया वही दौर?
जिन्हें सजा मिली, उनमें से हरेक को 21 से 39 कोड़े लगाए गए. गवर्नर के दफ्तर में एक स्थानीय अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि अदालत ने उन्हें चोरी और अवैध संबंध बनाने के मामलों में दोषी पाया था. इस अधिकारी ने कहा कि उसे ज्यादा जानकारियां मीडिया के साथ साझा करने का अधिकार नहीं है.
इस अधिकारी ने बताया कि सैकड़ों लोग सजा देने के इस आयोजन को देखने पहुंचे थे. हालांकि लोगों के फोटो लेने या वीडियो बनाने पर प्रतिबंध था.
तालिबान के लौटने के बाद यह पहली बार नहीं है जब इस तरह से लोगों को सार्वजनिक रूप से सजा दी गई है. इससे पहले 11 नवंबर को भी 19 पुरुषों और महिलाओं को कोड़े मारे गए थे. चोरी, घर से भागने और अवैध संबंध रखने के आरोप में इन लोगों को 39-39 कोड़ों की सजा दी गई थी.
इस पर तीखी प्रतिक्रिया भी हो रही है. ब्रिटेन में अफगान रीसेटलमेंट और शरणार्थी मंत्री की पूर्व विशेष सलाहकार शबनम नसीमी ने 20 नवंबर को एक वीडियो ट्विटर पर साझा किया था जिसमें एक व्यक्ति को एक महिला को कोड़ों से पीटते देखा जा सकता है. उस वीडियो को साझा करते हुए उन्होंने लिखा था, "यह अफगानिस्तान का नूरिस्तान प्रांत है जहां एक महिला को संगीत सुनने के लिए कोड़े मारे जा रहे हैं. तालिबान के अतिवादी शासन ने लोगों पर अपना खौफनाक आतंक शुरू कर दिया है. यह कब खत्म होगा?”
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नहीं बदला तालिबान?
स्टेडियम में भीड़ जमा करके अपराधियों को सजा देने की यह प्रथा तालिबान के 90 के दशक के शासन की एक ऐसी डरावनी याद है जिसने तालिबान को एक क्रूर और खौफनाक शासन के रूप में लोगों के जहन में दर्ज किया था. 2021 में जब तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया तो उसने बार-बार कहा कि वे पुराने तालिबान नहीं है और बदल गए हैं. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से महिलाओं को आजादी और मानवाधिकारों का ख्याल रखने जैसे वादे किए.
दाने-दाने को तरसते अफगान
अफगानिस्तान में अब ऐसे लोगों की संख्या दुनिया में सबसे अधिक है जो खाद्य असुरक्षा की स्थिति में रहने को मजबूर हैं. दो करोड़ 30 लाख से ज्यादा लोगों को तत्काल मदद की जरूरत है. देश की हालत हर रोज खराब हो रही है.
तस्वीर: Ali Khara/REUTERS
एक तस्वीर जो नहीं बदलती
समय के साथ अफगानिस्तान की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. देश की लगभग 95 प्रतिशत आबादी को जरूरत से कम भोजन के साथ ही गुजारा करना पड़ रहा है.
तस्वीर: Ali Khara/REUTERS
और गरीब हुआ दुनिया का सबसे गरीब देश
हाल ही में विश्व बैंक ने कहा कि तालिबान की वापसी के साथ ही 2021 के अंतिम चार महीनों में प्रति व्यक्ति आय में एक तिहाई से अधिक की गिरावट आई है. विश्व बैंक ने अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर पूर्वानुमान जताया है.
तस्वीर: Ali Khara/REUTERS
भोजन के लिए नहीं पैसे
विश्व बैंक के अपडेट में कहा गया है कि आय में इतनी गिरावट आई है कि लगभग 37 फीसदी अफगान परिवारों के पास भोजन पर खर्च करने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है, जबकि 33 फीसदी भोजन का खर्च उठा सकते हैं लेकिन इससे ज्यादा कुछ नहीं.
तस्वीर: Ali Khara/REUTERS
खाने की दुकान के सामने भूखों की भीड़
देश में गरीबी का यह आलम है कि लोग खाना नहीं खरीद सकते हैं. ऐसे लोगों को होटलों के सामने खड़ा होना पड़ता है. कई बार स्थानीय लोग रोटी खरीदकर जरूरतमंदों तक पहुंचाते हैं या फिर सहायता समूह उन तक रोटी पहुंचाते हैं.
तस्वीर: Ali Khara/REUTERS
सूखे का असर
सूखे के कारण कृषि उत्पादों की उपज में भी कमी आई है. इस तस्वीर में काबुल नदी सूखी हुई दिख रही है.
तस्वीर: Ton Koene/VWPics/UIG/imago
विदेशी खाद्य सहायता
संयुक्त राष्ट्र के एक अनुमान के मुताबिक कम से कम 2.3 करोड़ अफगान या देश की लगभग आधी आबादी, भोजन के लिए विदेशी सहायता पर निर्भर है. इस तस्वीर में तालिबान लड़ाके एक विदेशी सहायता ट्रक में भोजन ले जा रहे हैं.
तस्वीर: Ali Khara/REUTERS
चीन की मदद पहुंची
अफगानिस्तान के शरणार्थी मामलों के मंत्रालय ने 23 अप्रैल को 1,500 जरूरतमंद लोगों को चीन द्वारा दान की गई मानवीय सहायता बांटी. चीन ने खाद्य सामग्री के अलावा दवा और कोविड वैक्सीन भी अफगानिस्तान को दी है.
तस्वीर: Ali Khara/REUTERS
मदद की अपील
जनवरी 2022 में यूएन ने संकटग्रस्त देश के लिए जो मानवीय मदद की अपील जारी की थी, वो किसी एक देश के लिए अभी तक की सबसे बड़ी अपील थी. इसमें साल 2022 के दौरान अफगानों की मदद करने के लिए पांच अरब डॉलर की सहायता राशि जुटाने की अपील की गई है.
तस्वीर: Ebrahim Noroozi/AP Photo/picture alliance
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लोगर में यह मंजर दोहराया जाना बताता है कि तालिबान शरिया कानून को उसी रूप में लागू करने की मंशा रखता है. वहां के अधिकारी ऐसा कहने से झिझक भी नहीं रहे हैं. लोगर के डिप्टी गवर्नर इनायातुल्लाह शुजा ने एक बयान जारी कर कहा, "शरिया कानून ही अफगानिस्तान की सारी समस्याओं का हल है और उसे तो लागू किया ही जान चाहिए.”
इसका अर्थ यह भी होता है कि 1996 से 2001 के दौरान तालिबान ने जिस तरह से राज किया, वही सब दोहराया जा सकता है. तब सजायाफ्ता अपराधियों को ना सिर्फ सार्वजनिक रूप से कोड़े मारने की सजा दी जाती थी बल्कि पत्थरों से भी मारा जाता था और स्टेडियम में जमा करके सरेआम कत्ल कर दिया जाता था.