जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से भटक कर एक गांव में आई बाघिन को मार दिए जाने का वीडियो सामने आया है. बाघिन को पकड़ने या बेहोश करने की कोशिश की जगह सीधा मार दिए जाने पर सवाल उठ रहे हैं.
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घटना कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के बफर जोन स्थित कालागढ़ क्षेत्र के मरचूला इलाके की है. 11-12 साल की यह बाघिन रिजर्व से भटक कर मरचूला में आ गई थी. स्थानीय लोगों ने 2-3 दिनों तक उसके वहां कई बार दिखने की खबर वन विभाग को दी, लेकिन अंत में उसे जिंदा पकड़ा नहीं जा सका.
सोशल मीडिया पर मौजूद एक वीडियो में बाघिन को एक गाड़ी के सामने खड़े देखा जा सकता है. गाड़ी में से एक बंदूक की नली बाघिन की तरफ है. बाघिन जैसे ही अपनी पीठ गाड़ी की तरफ करती है उसी समय बंदूक से गोली चलती है और उसकी पिछली टांगों के आस पास लगती है.
किसने चलाई गोली
मीडिया रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि बाद में उसी एक घाव से काफी खून बह जाने के बादबाघिन की मौत हो गई. उसका शव मरचूला में ही मिला. गोली किसने चलाई वीडियो में यह नजर नहीं आ रहा है. वीडियो में कई लोगों की आवाज में "मारो, मारो' का शोर भी सुनाई दे रहा है.
कुछ मीडिया रिपोर्टों में स्थानीय लोगों के हवाले से कहा गया है कि जिस गाड़ी के अंदर से गोली चलाई गई वो वन विभाग की थी. विभाग ने इन आरोपों को स्वीकार नहीं किया है. टाइगर रिजर्व के निदेशक धीरज पांडेय ने टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार को बताया कि उन्हें भी इस वीडियो की जानकारी है और गोली क्यों चलाई गई इसकी जांच की जा रही है.
उन्होंने यह भी कहा कि कभी कभी बचाव अभियान के दौरान पशु को डराने के लिए हवा में गोली चलाई जाती है. वन विभाग के एक अज्ञात अधिकारी के हवाले से अखबार ने दावा किया है कि वन विभाग की टीम ने ही सर्विस राइफल से बाघिन को गोली मारी.
क्या कहता है कानून
अधिकारी ये यह भी आरोप लगाया कि विभाग को पिछले दो-तीन दिनों में बार बार उस बाघिन को देखे जाने की खबर दी गई थी, लेकिन इसके बावजूद विभाग ने बाघिन को पकड़ने या बेहोश करने की कोई कोशिश नहीं की और सीधा गोली मार दी.
भारत की बाघ विधवाएं
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भारत के वन्यजीव संरक्षण कानून के तहत बाघ और कई अन्य वन्य जीवों को मारने का आदेश सिर्फ प्रमुख वन्य जीव वार्डन ही दे सकता है और वो भी तब जब वो पूरी तरह से संतुष्ट हो कि वन्य जीव को ना तो पकड़ा जा सकता है और ना बेहोश किया जा सकता है.
कानून का उल्लंघन करने पर तीन से सात साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान है. किसी बाघ को मारने का आदेश अमूमन बाघ को नरभक्षी घोषित करने के बाद दिया जाता है. इस बाघ द्वारा अभी तक किसी इंसान को मारने की कोई घटना सामने नहीं आई थी.
राजसी बाघ की अद्भुत दुनिया
सुंदरता और सिहरन को एक साथ महसूस करना हो तो बाघ को देखिये. भारत का यह राष्ट्रीय पशु यूं ही दुनिया भर में मशहूर नहीं है. एक नजर बाघों के दुनिया पर.
तस्वीर: picture alliance/dpa/P. Lomka
सबसे बड़ी बिल्ली
बाघ बिल्ली प्रजाति का सबसे बड़ा जानवर है. वयस्क बाघ का वजन 300 किलोग्राम तक हो सकता है. WWF के मुताबिक एक बाघ अधिकतम 26 साल तक की उम्र तक जी सकता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/F.v. Erichsen
ताकतवर और फुर्तीला
बाघ शिकार करने के लिए बना है. उनके ब्लेड जैसे तेज पंजे, ताकतवर पैर, बड़े व नुकीले दांत और ताकतवर जबड़े एक साथ काम करते हैं. बाघों को बहुत ज्यादा मीट की जरूरत होती है. एक वयस्क बाघ एक दिन में 40 किलोग्राम मांस तक खा सकता है.
तस्वीर: picture alliance/dpa/N. Armer
अकेला जीवन
बाघ बहुत एकाकी जीवन जीते हैं. हालांकि मादा दो साल तक बच्चों का पालन पोषण करती है. लेकिन उसके बाद बच्चे अपना अपना इलाका खोजने निकल पड़ते हैं. लालन पालन के दौरान पिता कभी कभार बच्चों से मिलने आता है. एक ही परिवार की मादा बाघिनें अपना इलाका साझा भी करती है.
बिल्लियों की प्रजाति में बाघ अकेला ऐसा जानवर है जिसे पानी में खेलना और तैरना बेहद पंसद है. बिल्ली, तेंदुआ, चीता और शेर पानी में घुसने से कतराते हैं. लेकिन बाघ पानी में तैरकर भी शिकार करता है. बाघ आगे वाले पैरों को पतवार की तरह इस्तेमाल करता है.
तस्वीर: picture alliance/blickwinkel/W. Layer
सिकुड़ता आवास
100 साल पहले दुनिया भर में करीब 1,00,000 बाघ थे. वे तुर्की से लेकर दक्षिण पूर्वी एशिया तक फैले थे. लेकिन आज जंगलों में सिर्फ 3,000 से 4,000 बाघ ही बचे हैं. बाघों की नौ उपप्रजातियां लुप्त हो चुकी हैं. यह तस्वीर जावा में पाये जाने वाले बाघ की है.
तस्वीर: public domain
क्यों घटे बाघ
20वीं शताब्दी की शुरुआत में हुए अंधाधुंध शिकार ने बाघों का कई इलाकों से सफाया कर दिया. जंगलों की कटाई ने भी 93 फीसदी बाघों की जान ली. दूसरे जंगली जानवरों के अवैध शिकार ने बाघों को जंगल में भूखा मार दिया. इंसान के साथ उनका संघर्ष आज भी जारी है.
भारत और बांग्लादेश के बीच बसे सुंदरबन को ही ले लीजिए, मैंग्रोव जंगलों वाला यह इलाका समुद्र का जलस्तर बढ़ने से डूब रहा है. इसका सीधा असर वहां रहने वाले रॉयल बंगाल टाइगर पर पड़ा है. WWF के शोध के मुताबिक वहां के बाघों को मदद की सख्त जरूरत है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. Chowdhury
कैसे बचेंगे बाघ
माहौल इतना भी निराशाजनक नहीं है. संरक्षण संस्थाओं ने 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है. 2016 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक इस वक्त दुनिया भर में करीब 3,900 बाघ हैं. 2010 में यह संख्या 3,200 थी. भारत जैसे देशों में बाघों के संरक्षण के लिए अच्छा काम किया जा रहा है. 2019 में भारत में करीब 3000 बाघ हैं.