घरेलू हिंसा के खिलाफ टिक टॉक से प्रचलित हुए एक इशारे ने एक 16 साल की लड़की को बचा लिया. लड़की ने गाड़ी के अंदर से बगल से गुजरने वालों को इशारा कर मदद की गुहार लगाई थी.
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मामला अमेरिका के केंटकी का है. स्थानीय पुलिस ने बताया कि लड़की गाड़ी में आगे वाली पैसेंजर सीट पर बैठी थी और उसने वहीं बैठे बैठे बगल से गुजरने वालों को इशारा कर उनका ध्यान अपनी तरफ खींचने की कोशिश की. इस इशारे में हथेली को बाहर की तरफ दिखा कर फिर उंगलियों से अंगूठे को अंदर की तरफ दबा दिया जाता है.
इसे टिक टॉक पर कई लोगों और संस्थाओं ने हिंसा के खिलाफ इशारे के रूप में दिखाया है. इसका इस्तेमाल कर हिंसा का सामना कर रहा व्यक्ति हिंसा करने वाले को सतर्क किए बिना अपने हालात के बारे में दूसरों को आगाह कर सकता है.
उपयोगी इशारा
केंटकी में इस लड़की ने जब इस इशारे का इस्तेमाल किया तो एक दूसरी गाड़ी के चालक ने इसे पहचान लिया और आपातकाल सेवाओं को फोन कर दिया.
लड़की जिस गाड़ी में थी उसे रोकने के लिए तुरंत एक टीम भेज दी गई. स्थानीय पुलिस विभाग के अधिकारी गिल्बर्ट आचिआर्दो ने कहा, "वो इशारा ही सब कुछ था. अगर उस लड़की ने वो इशारा नहीं किया होता और उसे किसी ने पहचाना नहीं होता तो पता नहीं क्या होता. संभव है कि इस मामले का अच्छा अंत नहीं हुआ होता."
उन्होंने यह भी कहा, "हमें लगता है कि पूरे देश में गाड़ी चलाने वालों और कानूनी एजेंसियों को इस इशारे के बार में बताया जाना चाहिए और मुझे लगता है कि भविष्य में यह काफी उपयोगी सिद्ध होगा."
बचाव अभियान
आचिआर्दो ने बताया कि इस मामले में 61 साल के जेम्स हर्बर्ट ब्रिक को गैर कानूनी तरीके से बंधक बनाने और एक नाबालिग से संबंधित यौन सामग्री रखने के आरोपों में गिरफ्तार कर लिया गया है. जांच में एफबीआई भी शामिल हो गई है और अतिरिक्त आरोप भी लगाए जा सकते हैं.
लड़की को अस्पताल ले जाया गया और उसके बाद उसके परिवार से मिलाया गया. उसका परिवार नार्थ कैरोलाइना के ऐशवील में रहता है. उन्होंने दो ही दिन पहले अपनी बेटी के लापता होने की शिकायत पुलिस में दर्ज करवाई थी.
पुलिस ने बताया कि लड़की ब्रिक को जानती थी और शुरू में उसके साथ अपनी मर्जी से गई थी, लेकिन बाद में डर गई थी. ब्रिक उसे ओहायो में अपने रिश्तेदारों से मिलवाने ले गया था लेकिन जब उसे लगा कि उन्हें पता चल चुका है कि उस लड़की के लापता होने की शिकायत की गई है तो वो उसे लेकर वहां से निकल गया.
जिस ड्राइवर ने राजमार्ग से 911 पर आपातकाल को फोन किया वो उनकी गाड़ी का पीछा करता रहा और एक अधिकारी को ताजा हालात तब तक बताता रहा जब तक गाड़ी को रोक लड़की को बचा नहीं लिया गया.
सीके/एए (रॉयटर्स, एपी)
लॉकडाउन लाया महिलाओं के लिए बोनस मुसीबतें
जो महिलाएं पहले से ही मुश्किल हालात से गुजर रही थीं, लॉकडाउन उनके लिए कभी घरेलू हिंसा और प्रताड़ना तो कभी मौत तक लेकर आया. दुनिया भर की महिलाओं को इस दौरान पुरुषों के हाथों कुछ ज्यादा ही कीमत चुकानी पड़ी है.
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मारने पीटने वाले के साथ बंद
घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं के लिए कोरोना काल बहुत कष्ट लेकर आया. विश्व के लगभग सभी देशों से शुरू शुरू में घरेलू हिंसा के बहुत ज्यादा मामले सामने आने लगे तो वहीं बाद के हफ्तों में शिकायतों में अचानक आई गिरावट के कारण अनहोनी की आशंका और बढ़ गई.
तस्वीर: Julian Nieman
महिलाओं की हत्या के बढ़ते मामले
मेक्सिको में साल के पहले तीन महीनों में ही 1,000 से अधिक महिलाओं की हत्या हुई, जो पिछले साल से 8 फीसदी ज्यादा था. लैटिन अमेरिकी देशों के अलावा स्पेन, ब्रिटेन, इस्राएल और भारत जैसे देशों में लॉकडाउन के दौरान महिलाओं की हत्या के मामलों में बढ़ोतरी हुई है.
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घरेलू काम का और अधिक बोझ
घर के कामों को अब भी ज्यादातर जगहों पर मोटे तौर पर महिलाओं की जिम्मेदारी माना जाता है. लॉकडाउन के दौरान भारत से ऐसी रिपोर्टें आई हैं कि काम वाली बाई के ना आने के कारण महिलाओं पर इसका बोझ बढ़ गया. वहीं यूरोप और अमेरिका में हुए सर्वे से पता चला है कि घर के कामों में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को औसतन 30-35 फीसदी अधिक समय देना पड़ रहा है.
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नौकरीपेशा महिलाओं पर दोहरा भार
नौकरी करने वाली महिलाओं ने लॉकडाउन के दौरान घर और ऑफिस का दुगना बोझ उठाया है. दोनों जिम्मेदारियां निभाने वाली महिलाओं का पहले से भी ज्यादा मुश्किल रूटीन रहा. वहीं छोटे मोटे काम करने वाली कई महिलाओं की तो काम से छुट्टी ही हो गई.
नौकरी जाने और कमाई रुकने के कारण कई अकेली और गरीब महिलाएं किराया नहीं जुटा पा रही हैं. लॉकडाउन के दौरान कई मकानमालिक उन महिला किराएदारों से किराए के बदले सेक्स की मांग कर रहे हैं. अमेरिका और ब्रिटेन में हुए हाल के सर्वे में ‘सेक्स फॉर रेंट’ का चलन काफी बढ़ने का पता चला है.
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तलाक के मामलों में उछाल
लॉकडाउन के दौरान पति-पत्नी के बीच मनमुटाव बढ़ने, घर के कामों के बंटवारे और बच्चों की जिम्मेदारी पर विवाद के कारण चीन और रूस में तलाक की अर्जियां बढ़ गईं. इससे सीख लेते हुए जापान में कुछ कंपनियां पहले से ही कामकाजी पति पत्नी को ऐसी सुविधाएं दे रही हैं कि वे लॉकडाउन के दौरान अलग अलग अपार्टमेंट में रह सकें.