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आरबीआई ने फिर बढ़ाई ब्याज दर

चारु कार्तिकेय
८ जून २०२२

भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को कर्ज देने की ब्याज दर (रेपो रेट) को 0.50 प्रतिशत बढ़ा दिया है. आरबीआई ने कहा है कि इसका उद्देश्य बढ़ती महंगाई पर अंकुश लगाना है.

Indien Zentralbank Mumbai
तस्वीर: Punit Paranjpe/Getty Images/AFP

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को एक प्रेस वार्ता में बताया कि मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (एमपीसी) की आम सहमति से रेपो दर में आधा प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है. इससे रेपो दर 4.40 से बढ़ कर 4.90 हो गई है.

रेपो दर यानी वो दर जिस पर आरबीआई दूसरे बैंकों को कर्ज देता है ताकि बैंकों के पास पर्याप्त नकदी रहे. इसे बढ़ाने से वो रिजर्व बैंक से कम नकदी उधार लेते हैं जिससे अर्थव्यवस्था में नकदी की आपूर्ति पर दबाव बनाया जाता है. उम्मीद की जाती है कि ऐसा करने से महंगाई पर लगाम लगेगी.

 

छलांगें मारती महंगाई दर

बढ़ती महंगाई केंद्रीय बैंक के लिए लगातार चिंता का कारण बनी हुई है. ताजा प्रेस वार्ता में दास के बयानों से संकेत मिला कि यह चिंता और बढ़ती ही जा रही है. दास ने बताया कि एमपीसी ने महंगाई दर के अनुमान को बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है. पहले समिति ने इसके 5.7 प्रतिशत तक रहने का अनुमान लगाया गया था.

खाने पीने की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैंतस्वीर: AMIT DAVE/REUTERS

थोक और खुदरा दोनों महंगाई दरें कई महीनों से लगातार ऊपर ही जा रही हैं. अप्रैल में खुदरा महंगाई दर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई थी, जो आठ साल में उसका सबसे ऊंचा स्तर है. यह खुदरा महंगाई दर की लगातार सात महीनों में सातवीं उछाल थी. आरबीआई का लक्ष्य होता है कि यह दर दो से छह प्रतिशत के बीच ही रहे.

थोक महंगाई दर तो कई महीनों से दो अंकों में है. अप्रैल में वो 15.08 प्रतिशत पर पहुंच गई थी. खुदरा दर लगातार 13 महीनों से दो अंकों में है. दास ने प्रेस वार्ता में कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से महंगाई का वैश्वीकरण हो गया है और भारत भी इस स्थिति से अछूता नहीं है.

यूक्रेन युद्ध की छाया

साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि युद्ध चलता चला जा रहा है इसलिए हमें आगे के खतरों के प्रति भी सजग रहना होगा. पिछले महीने भी आरबीआई ने बढ़ती महंगाई दर का मुकाबला करने के लिए रेपो दर को 40 बेसिस अंक बढ़ा दिया था.

बढ़ती महंगाई आरबीआई के लिए चिंता का सबसे बड़ा विषय बनी हुई हैतस्वीर: Punit Paranjpe/Getty Images/AFP

रेपो दर के साथ साथ केंद्रीय बैंक ने कैश रिजर्व अनुपात (सीआरआर) को भी 50 बेसिस अंक बढ़ा कर 4.50 प्रतिशत कर दिया था. ब्याज दरों के बढ़ने की घोषणा का तुरंत शेयर बाजार पर असर पड़ा था और सूचकांक काफी नीचे गिर गए थे.

लेकिन आरबीआई के उन कदमों का महंगाई दर पर अभी तक असर नहीं पड़ा है. जानकारों ने आशंका व्यक्त की है कि जब तक महंगाई दर नीचे नहीं आ जाती तब तक आने वाले महीनों में भी केंद्रीय बैंक ब्याज दरों को इसी तरह बढ़ाता रहेगा.

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