बिकिनी में मोटी महिला के फोटो पर फेसबुक ने माफी मांगी
विवेक कुमार२४ मई २०१६
सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक ने टेस हॉलिडे का फोटो यह कहकर ब्लॉक कर दिया कि साइकिल चलाती महिला का फोटो लगाओ.
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एक मोटी महिला का फोटो ब्लॉक करने के लिए सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक ने माफी मांगी है. वेबसाइट ने यह फोटो पोस्ट करने वाले ग्रुप से कहा था कि तस्वीर में शरीर के अंगों को अनचाहे तरीके से दिखाया गया है.
ऑस्ट्रेलिया के एक नारीवादी संगठन शेर्चेज ला फेमे ने बताया है कि फेसबुक ने इस तस्वीर को खारिज कर दिया था. इस तस्वीर को एक विज्ञापन के साथ पोस्ट किया गया था और फेसबुक ने कहा था कि यह विज्ञापन के बारे में वेबसाइट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करती है.
ला फेमे ने जब इस पर आपत्ति जतायी तो पहले तो फेसबुक की विज्ञापन टीम ने अपने फैसले का बचाव किया. उन्होंने कहा कि यह फोटो स्वास्थ्य और फिटनेस पॉलिसी का उल्लंघन करती है. उन्होंने अपने जवाब में लिखा, "विज्ञापन किसी के शरीर या स्वास्थ्य को इस तरह नहीं दिखा सकते कि वे या तो एकदम संपूर्ण हों या फिर ऐसे हों कि कोई वैसा बनना ही न चाहे. ऐसे विज्ञापनों की इजाजत नहीं दी जा सकती क्योंकि इनसे देखने वालों को अपने बारे में खराब लग सकता है. हमारा सुझाव है कि किसी प्रासंगिक गतिविधि की तस्वीर लगाएं जैसे कि दौड़ते हुए या साइकिल चलाते हुए."
विरोध के बाद फेसबुक ने माफीनामा जारी किया. उसने कहा कि पहले अपनाए गए रुख पर माफी मांगते हुए हम मानते हैं कि यह फोटो सारे दिशा-निर्देशों के अनुकूल है. फेसबुक की ओर से जारी बयान में कहा गया, "हर हफ्ते हमारी टीम करोड़ों विज्ञापनों को देखती है. कुछ मामलों में विज्ञापनों को गलत तरीके से ब्लॉक कर दिया जाता है. यह फोटो हमारे विज्ञापन संबंधी निर्देशों का उल्लंघन नहीं करती. हम इस गलती के लिए माफी मांगते हैं. हमने विज्ञापन देने वालों को बता दिया है कि यह फोटो प्रकाशित की जा रही है."
इस फोटो को ला फेमे के "फेमिनिज्म ऐंड फैट" नाम के इवेंट के विज्ञापन के तौर पर पेश किया गया था. इसमें टेस हॉलिडे एक बिकिनी पहने मुस्कुराती हुई नजर आईं. फेसबुक ने इवेंट के पेज को तो रहने दिया था, बस इस फोटो को ब्लॉक किया था. टेस हॉलिडे एक मशहूर प्लस साइज मॉडल हैं.
यह पहला मौका नहीं है जब फेसबुक इस तरह किसी फोटो को ब्लॉक करने के लिए विवादों में है. मार्च में एक आदिवासी महिला के पेंट किए गए शरीर की तस्वीर को भी फेसबुक ने प्रकाशित करने से मना कर दिया था. इस पर सोशल मीडिया साइट ने कहा था कि सामुदायिक पैमानों का उल्लंघन होता है.
वीके/आरपी (एएफपी)
वक्त के साथ कैसे बदली बिकिनी
जब स्विमिंग के लिए बनी बिकिनी का आकार वक्त के साथ छोटा होता चला गया, तब एक बार फिर फैशन परिदृश्य में वन पीस स्विमसूटों की वापसी हुई है. जानिए कहां से आई बिकिनी और कैसे बदला इसका रूप.
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फिर लौटा फैशन
कहते हैं कि फैशन का भी चक्र होता है, जो कुछ समय बाद घूम कर फिर वहीं आता है. इस बार स्विमसूट के साथ कुछ ऐसा ही होता दिख रहा है. 2015 में बिकनी की जगह रंगीन वन पीस स्विमसूट का चलन लौटा है.
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शुरुआत
18वीं सदी में पहली बार बेदिंग सूट बने. पूरे तन को ढकने वाले ये बेदिंग सूट ऊन और कपास के बने होते थे. बेहद मोटे फैब्रिक के कारण इन्हें सूखने में बहुत लंबा वक्त लग जाता था.
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बदलाव
20वीं सदी की शुरुआत में जैसे जैसे टूरिज्म का विकास हुआ बेदिंग सूट में भी बदलाव आने लगे. अब ये ढीले ढाले नहीं रह गए थे और इनमें इलास्टिक का इस्तेमाल भी होने लगा था. 1910 की इस तस्वीर में उस समय महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए एक जैसे डिजाइन दिखते हैं.
तस्वीर: ullstein bild - Zander & Labisch
मॉडर्न
1920 के दशक में स्विमसूटों ने काफी मॉडर्न लुक ले लिया. बेल्ट, सुनहरे बटन और छोटे छोटे चमकदार सितारों के साथ महिलाओं के स्विमसूट काफी फैशनेबल और अलग दिखने लगे. लेकिन तब ये केवल छोटे साइज में ही उपलब्ध थे यानि मोटी तंदुरुस्त महिलाओं के लिए कोई विकल्प नहीं था.
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हॉलीवुड में
इसके बाद फिल्मों में स्विमसूट के चलन ने जोर पकड़ा. अमेरिकी तैराक एस्थर विलियम्स 1940 की ओलंपिक प्रतियोगिता की तैयारी कर रही थीं लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के चलते यह रद्द हो गयी. इसी दौरान हॉलीवुड एजेंटों का ध्यान उनकी ओर गया और आगे चलकर वह हॉलीवुड की सबसे रईस अभिनेत्रियों में से एक बनीं.
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फिर आईं मर्लिन मुनरो
1940 के दशक में मर्लिन मुनरो ने मशहूर पिरेली कैलंडर के लिए फोटोशूट किया. इसमें स्विमसूट वाली उनकी तस्वीरों की काफी चर्चा हुई पर साथ ही नग्न तस्वीरों के कारण उन्हें आलोचना भी झेलनी पड़ी. अभिनेत्री के तौर पर उनका करियर इसके बाद ही शुरू हुआ.
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अजीब अजीब पैटर्न
1960 के दशक में पॉप आर्ट अपनी जगह बना चुका था. इसके बीच अमूर्त और ज्यामितीय पैटर्न का रिवाज आया. फ्रांस के ऑन्द्रे कूरैज ने इस दौरान स्विमसूट पर कई रचनात्मक पैटर्न उकेरे. तस्वीर में बर्लिन में पेश हुए उनके स्विमसूट का नमूना देखा जा सकता है.
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स्टाइलिश टोपी
1960 के दशक में नए स्टाइल की टोपियां बाजार में दिखने लगीं. स्विमिंग के दौरान सर ढकने के लिए रबड़ से बनी टोपियां चल पड़ीं. इससे पहले तक बड़ी बड़ी हैट ही एकमात्र विकल्प था.
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नया दौर
अमेरिकी कार्यक्रम बेवॉच ने 90 के दशक में धमाल मचा दिया. फैशन के जानकार इसे स्विमसूट के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ मानते हैं. बेहद कम कपड़ों से बने चटक लाल रंग के स्विमसूट के कट काफी गहरा बनाए गए. अभिनेत्री पामेला एंडरसन के लिए तो और भी कम कपड़े का इस्तेमाल हुआ.
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कितना कम?
स्विमसूट बनाने वाले डिजायनरों के लिए यह बड़ा सवाल है कि कितना कपड़ा लगाया जाए. 2011 के मायामी फैशन वीक के दौरान इस तरह के लो-कट स्विमसूट पेश किए गए. लेकिन वन पीस के साथ ही अब एक बार फिर कुछ ज्यादा फैब्रिक का चलन शुरू हुआ है.