चीन के शीर्ष रोग नियंत्रण अधिकारी का कहना है कि देश में विकसित कोविड-19 टीके की प्रभावशीलता कम है और सरकार उन्हें बढ़ावा देने के लिए मिश्रण करने पर विचार कर रही है.
विज्ञापन
ऐसा पहली बार है जब चीन के शीर्ष रोग नियंत्रण अधिकारी ने माना है कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन कम असरदार है. अधिकारी का कहना है कि सरकार टीके को असरदार बनाने के लिए कोरोना टीके को मिश्रित करने पर विचार कर रही है. चीन के रोग नियंत्रण केंद्र (सीडीसी) के निदेशक गाओ फू ने चेंगदू शहर में एक सम्मेलन में शनिवार को कहा चीनी वैक्सीन की ''बहुत उच्च सुरक्षा दर नहीं है.''
चीन ने अन्य देशों को टीकों की करोड़ों खुराकें दी हैं और पश्चिमी देशों के टीकों के प्रभावी होने पर संशय पैदा करने और बढ़ावा देने की भी वह लगातार कोशिश कर रहा है. वह फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन की प्रभावशीलता को लेकर शक पैदा करने की कोशिश में जुटा है.
गाओ ने कहा, ''हम इस बात पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं कि क्या हमें टीकाकरण प्रक्रिया के लिए अलग-अलग टीकों का इस्तेमाल करना चाहिए.'' रविवार को जब अधिकारियों से गाओ के बयान और संभावित बदलाव पर सवाल किए गए तो उन्होंने सीधे जवाब देने से इनकार किया. लेकिन एक अन्य सीडीसी के अधिकारी ने कहा कि एमआरएनए आधारित टीकों पर काम किया जा रहा है. एमआरएनए तकनीक का इस्तेमाल पश्चिम देशों के वैक्सीन निर्माता करते हैं.
गाओ से उनके बयान को लेकर फोन पर टिप्पणी मांगी गई लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया. एक अधिकारी वांग हुआक्विंग ने कहा, ''हमारे देश में विकसित एमआरएनए वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल में प्रवेश कर चुकी है.''
कोरोना वायरस महामारी जो मध्य चीन से साल 2019 में शुरू हुई उसने अब तक लाखों लोगों की जान ले ली है. चीन की निजी दवा कंपनी सिनोवैक और सरकारी कंपनी सिनोफार्म की खुराकें दर्जनों देशों को भेजी जा चुकी है. जिनमें मेक्सिको, तुर्की, इंडोनेशिया, हंगरी और ब्राजील शामिल हैं.
ब्राजील में हुए एक शोध के मुताबिक चीन की सिनोवैक वैक्सीन वायरस के खिलाफ सिर्फ 50.4 फीसदी ही प्रभावी साबित हुई है, वहीं फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन 97 फीसदी असरदार साबित हुई.
एए/सीके (एपी)
मास्क नहीं लगाने पर कहीं उठक बैठक तो कहीं जुर्माना
भारत इस वक्त कोरोना वायरस की दूसरी लहर के मध्य में है. देश में आए दिन कोरोना के मामले रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं. सरकार और प्रशासन की तमाम हिदायतों के बावजूद भी लोग नियम तोड़ रहे हैं. तस्वीरों में देखिए, कहां क्या हो रहा है.
तस्वीर: Indrajit Dey/IANS
करो उठक बैठक
बिहार की राजधानी पटना में प्रशासन ने मास्क नहीं लगाने वाले लोगों के खिलाफ अभियान की शुरुआत की है. पटना में ऐसे लोगों से उठक बैठक कराया जा रहा है जिन्होंने मास्क नहीं पहना है या फिर मास्क से नाक और मुंह को पूरी तरह से नहीं ढंका है.
तस्वीर: Indrajit Dey/IANS
आर्थिक जुर्माना
देश के कई राज्यों में कोरोना को लेकर सख्ती बरती जा रही थी लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने सरकारों के माथे पर बल ला दिया है. टीकाकरण अभियान के बीच कोरोना वायरस के मामलों में तेजी के बाद कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन कराया जा रहा है. नियम तोड़ने वालों से जुर्माना वसूला जा रहा है.
तस्वीर: Indrajit Dey/IANS
लॉकडाउन का खतरा!
कई राज्यों में रात का कर्फ्यू लग गया है. बड़े शहरों में काम करने वाले प्रवासी लॉकडाउन की आशंका के बीच शहरों से अपने घर और गांव की ओर दोबारा पलायन कर रहे हैं. यह तस्वीर कर्नाटक के एक बस पड़ाव की है, जहां प्रवासी अपने गांव लौटने के लिए बसों का इंतजार कर रहे हैं.
तस्वीर: Dhananjay Yadav/IANS
रात का कर्फ्यू
कोरोना का खतरा बढ़ने पर दिल्ली सरकार ने नाइट कर्फ्यू लगाया तो इसका असर दिन में भी दिखने लगा है. नाइट कर्फ्यू के बाद दिल्ली की प्रमुख सड़कों पर वाहनों की संख्या कम दिखाई दी. मेट्रो के जिन प्रमुख स्टेशनों पर अमूमन भीड़ देखी जाती थी, वहां भी हलचल कम रही.
तस्वीर: Wasim Sarvar/IANS
सिकुड़ता व्यापार
दिल्ली में 6 से 30 अप्रैल तक रात 10 बजे से सुबह 5 बजे तक इस साल का पहला नाइट कर्फ्यू लगाया गया. दिल्ली का दिल कहे जाने वाले कनॉट प्लेस स्थित दुकानें 8 बजे से ही बंद होने लगती हैं. स्टाफ का घर दूर होने की वजह से भी दुकान संचालकों को ये कदम उठाना पड़ रहा है. वहीं कुछ कर्मचारियों की नौकरी पर भी खतरा मंडराने लगा है. कर्फ्यू लगने से रेस्तरां और होटल व्यापार और उनके कर्मचारियों पर अधिक बोझ पड़ा है.
तस्वीर: Wasim Sarvar/IANS
कोरोना के खिलाफ जागरुकता
भारत में पिछले एक साल से लोगों को कोरोना को लेकर चेताया जा रहा है. सार्वजनिक स्थानों, बाजारों और सार्वजनिक परिवहनों में मास्क और सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करने को कहा जाता है.
तस्वीर: Kuntal Chakrabarty/IANS
लापरवाह लोग
कई बाजारों में लोग में बिना मास्क और सामाजिक दूरी के भी नजर आ जाएंगे. लोगों का कहना है कि वे मास्क लगाकर उकता गए हैं. यह तस्वीर 4 अप्रैल को मुंबई के बीच का हाल बता रही है.
तस्वीर: Ashish Vaishnav/ZUMA Wire/imago images
"कार पब्लिक प्लेस, मास्क जरूरी"
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि गाड़ी चलाते समय मास्क पहनना जरूरी है. चाहे ड्राइवर गाड़ी में अकेला क्यों न हो. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा सार्वजनिक स्थानों पर चलती गाड़ियों से संक्रमण का खतरा हो सकता है. निजी कार भी सार्वजनिक स्थान है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Swarup
बिना मास्क चुनाव प्रचार पर नोटिस
चार राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव में नेताओं के बिना मास्क के प्रचार को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. इस याचिका में कहा गया था कि अलग-अलग राज्यों में आम जनता से बतौर जुर्माना करोड़ों वसूला जा रहा है और नेताओं पर नरमी दिखाई जा रही है. कोर्ट ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस भेजा है.
तस्वीर: Prabhakarmani Tewari/DW
भविष्य की चिंता
कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच बेरोजगारों, युवाओं, छात्रों और व्यापारियों को अपने भविष्य को लेकर चिंता सताने लगी है. साल 2020 आर्थिक तौर पर काफी चोट पहुंचाने वाला था और लाखों लोगों की नौकरी गई थी.