ऐसे हुआ सूर्यग्रहण
२२ अगस्त २०१७Total eclipse of the sun
गर्म गैस का गोला हमारा सूरज
अंतरिक्ष में सूरज जैसे अरबों तारे हैं. लेकिन यदि सूरज न होता तो धरती पर जीवन संभव नहीं था. सूरज सैकड़ों सालों से रिसर्चरों को आकर्षित और रोमांचित कर रहा है. आइये जानें इसके बारे में कुछ खास तथ्य.
गर्म गैस का गोला हमारा सूरज
अंतरिक्ष में सूरज जैसे अरबों तारे हैं. लेकिन यदि सूरज न होता तो धरती पर जीवन संभव नहीं था. सूरज सैकड़ों सालों से रिसर्चरों को आकर्षित और रोमांचित कर रहा है. आइये जानें इसके बारे में कुछ खास तथ्य.
आग का प्राचीन गोला
हमारा सूरज अरबों सालों से चमक रहा है, इंसान के अस्तित्व में आने से पहले से. उसका विकास 4.6 अरब साल पहले गैस के बादलों से हुआ. और अंदाजा है कि वह कम से कम 5 अरब सालों तक चमकता रहेगा, जब तक उसकी ऊर्जा का भंडार खत्म न हो जाए.
रिसर्चरों के लिए आदर्श
सूरज दरअसल एक बड़ा परमाणु रिएक्टर है. उसके सत्व में तापमान और दबाव इतना ज्यादा है कि हाइड्रोजन परमाणु मिलकर हीलियम परमाणु बन जाते हैं. इस प्रक्रिया में बहुत सारी ऊर्जा पैदा होती है. सूरज के मैटीरियल की एक चुटकी इतनी ऊर्जा पैदा करती है जितना पाने के लिए हजारों मीट्रिक टन कोयला जलाना होगा.
पृथ्वी का सौ गुना
धरती से देखने पर सूरज बहुत बड़ा नहीं लगता. वह आकाश में चमकदार स्पॉट की तरह दिखता है. लेकिन असल में उसका घेरा 700,000 किलोमीटर और उसके गर्भ का तापमान 1.5 करोड़ डिग्री सेल्सियस है. बाहर की आखिरी सतह पर भी उसका तापमान 5,500 डिग्री सेल्सियस रहता है.
अरबों में एक
हमारे ब्रह्मांड में सितारे इसलिए चमकते हैं क्योंकि वे अपने गर्भ में ऊर्जा पैदा करते हैं. सूरज भी दूसरे अरबों सितारों की ही तरह है. दूसरे सितारों की तुलना में सूरज मध्यम आकार का है. कुछ तारे उससे भी 100 गुणा बड़े हैं तो कुछ उसके आकार का केवल एक दहाई.
बाहर से अशांत
सूरज की बाहरी सतह खौलती उबलती दिखती है. गर्म और चमकदार तरल सूरज के अंदर से बाहर निकलता है, ठंडा होता जाता है और फिर से अंदर की ओर चला जाता है. सूरज धरती के इतना करीब है कि खगोलशास्त्री इस प्रक्रिया को विस्तार से देख सकते हैं.
अद्भुत धब्बे
कभी कभी सूरज की सतह पर बड़े बड़े काले धब्बे दिखने लगते हैं और करीब महीने भर रहते हैं. ईसा के जन्म से भी पहले इंसान को इन धब्बों के बारे में पता था. काफी समय तक लोग इसके बारे में चकित रहते थे लेकिन अब पता है कि ये धब्बे तीव्र चुम्बकीय क्षेत्र के कारण दिखते हैं.
खतरनाक तूफान
जब सूरज अत्यंत सक्रिय होता है तो भूचुम्बकीय तूफान पैदा हो जाते हैं. और सूरज बड़ी मात्रा में आवेशित अणुओं को अंतरिक्ष में फेंक देता है. ये अणु उपग्रहों से टकरा सकते हैं और उन्हें नष्ट कर सकते हैं. वे पृथ्वी पर बिजली के सब स्टेशनों के काम में भी बाधा डाल सकते हैं.
चमकता आकाश
भूचुम्बकीय तूफानों का ही एक असर पोलर लाइट भी है. अरुणोदय की चमक. ये तब दिखता है जब आवेशित अणु धरती के वातावरण से टकराते हैं. ऐसा कितनी बार होगा यह सौर चक्र पर निर्भर करता है. ग्यारह साल में एक बार सूरज खास तौर पर सक्रिय होता है.
यादगार पल
इसका ध्यान रखना चाहिए कि सूर्यग्रहण भले ही यादगार पल होते हैं लेकिन उन्हें कभी खुली आंखों से नहीं देखना चाहिए. चांद आंशिक रूप से सूरज को ढक ले, तब भी सूरज बहुत चमकीला होता है. आंखों को सूरज की किरणों से नहीं बचाया तो उन्हें नुकसान पहुंच सकता है.