जापान में लोग अपनी कपंनियों के वफादार माने जाते हैं. कंपनी के हितों को अपने हितों से आगे रखते हैं, लेकिन उन्हें इसकी कीमत भी चुकानी होती है. पिछले कुछ बरसों से इस मुद्दे पर बात होनी शुरू हुई है.
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जापान की दिग्गज कार कंपनी टोयोटा ने अपने एक कर्मचारी के आत्महत्या करने से जुड़े मुकदमे में समझौता किया है. खुदकुशी करने वाले टोयोटा के कर्मचारी ने कंपनी पर आरोप लगाया था कि उससे बहुत ज्यादा काम कराया जाता था और उत्पीड़न किया जाता था. टोयोटा की ओर से मंगलवार को जारी बयान में बताया गया कि टोयोटा मोटर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष आकियो टोयोडा ने कर्मचारी के परिवार से माफी मांगी है.
कंपनी और परिवार के बीच हुए समझौते की रकम को सार्वजनिक नहीं किया गया है. जापानी मीडिया के मुताबिक खुदकुशी करने वाले कर्मचारी के परिवार ने कंपनी पर मुकदमा करते हुए इससे करीब 11 लाख डॉलर का मुआवजा मांगा था. दिवंगत कर्मचारी की पत्नी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उन्हें लगता है कि यह टोयोटा के पास खुद में सुधार लाने का एक मौका है और तब 40 साल के रहे उनके पति भी इस बात से सहमत होते.
टोयोटा ने परिवार को हुई तकलीफ के लिए माफी मांगी है. कंपनी ने यह वादा भी किया है कि भविष्य में कभी ऐसा कोई और मामला न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए वह इस मामले की जांच भी कराएंगे.
क्या कहा कंपनी ने
कंपनी की ओर से जारी बयान में कहा गया है, "अब हम काम की जगह पर और ज्यादा पारदर्शी माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें लोगों के लिए अपनी बात रखना आसान हो. साथ ही, प्रबंधन भी ऐसा हो, जहां किसी को प्रताड़ित न किया जाए, ताकि हर कर्मचारी बिना किसी डर के काम कर सके."
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जापान को एक वर्कहॉलिक यानी काम में डूबे रहने वाला देश माना जाता है. इसी का नतीजा है कि बहुत ज्यादा काम करने से मौत हो जाना, काम से उपजे तनाव से मौत हो जाना और कर्मचारियों का खुदकुशी कर लेना यहां नई बात नहीं है. बॉस के प्रताड़ित करने की वजह से कर्मचारियों के खुदकुशी कर लेने के मामले भी बढ़ रहे हैं, जिन पर अब बात भी हो रही है.
जापान में बड़ी है समस्या
टोयोटा के इस कर्मचारी ने 2010 में खुदकुशी की थी. फिर पिछले साल सितंबर में नागोया हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए इसे काम की वजह से हुई मौत करार दिया था. कोर्ट ने माना था कि खुदकुशी से पहले कर्मचारी अपने दफ्तर में काम की वजह से पैदा हुए तनाव से बुरी तरह पीड़ित था. शुरुआत में टोयोटा ने इस आरोप को खारिज कर दिया था.
साल 2019 में टोयोटा ने एक घटना को खुदकुशी का मामला माना था. इस केस में 2017 में 28 साल के एक इंजीनियर ने खुदकुशी कर ली थी, जिसका बॉस लगातार उसका उपहास करता था.
जापान में लोग अपनी कंपनियों के प्रति बेहद वफादार माने जाते हैं, जो अक्सर अपने स्वास्थ्य, बेहतरी और जरूरतों को कंपनी के हितों से पीछे रखते हैं. वे काम के घंटों से कहीं ज्यादा काम करते हैं और किसी बड़ी कंपनी में काम करने पर गर्व महसूस करते हैं. साल 2020 में सरकार को ज्यादा काम की वजह से मौत की 2,835 शिकायतें मिली थीं. वहीं आठ सौ से ज्यादा मामलों में कंपनियों की ओर से मुआवजा दिया गया था, जिसमें खुदकुशी के मामले भी शामिल थे.
वीएस/एके (एपी)
कहां होता है हफ्ते में चार दिन काम
आइसलैंड में चार दिन के हफ्ते का प्रयोग ऐसा सफल हुआ कि दुनिया भर में अब हफ्ते में चार दिन काम की चर्चा हो रही है. लेकिन आइसलैंड से पहले भी कई देश ऐसा प्रयोग कर चुके हैं. देखिए, कहां क्या हुआ...
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आइसलैंड की सफलता
इसी महीने आई एक रिपोर्ट में आइसलैंड के शोधकर्ताओं ने कहा है कि हफ्ते में चार दिन काम कराने का प्रयोग काफी सफल रहा है. 2015 से 2019 के बीच परीक्षण के तौर पर सरकारी कर्मचारियों को समान वेतन पर हफ्ते में चार दिन काम करने का विकल्प दिया गया था.
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कमतर नहीं हुआ प्रदर्शन
आइसलैंड का अनुभव कहता है कि कर्मचारियों का प्रदर्शन किसी सूरत पहले से घटा नहीं. राजधानी रेक्याविक की काउंसिल ने यह प्रयोग शुरू किया जिसमें बाद में देश के 86 प्रतिशत कर्मचारियों को शामिल कर लिया गया. 5 दिन में 40 घंटे के बजाय कर्मचारियो को 4 दिन में 35 से 36 घंटे काम करने का विकल्प दिया गया.
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स्पेन
मार्च में स्पेन की सरकार ने काम के दिन हफ्ते में चार करने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था. सत्ताधारी गठबंधन की वामपंथी पार्टी मास पाइस ने कहा कि सरकार ने उनका काम के दिन को चार करने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है. पार्टी ने कहा कि इस विचार का वक्त अब आ चुका है.
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जापान
इसी साल जून में जापान की सरकार ने अपने सालाना आर्थिक दिशा निर्देश जारी करते हुए हफ्ते मे चार दिन काम करने की जरूरत पर जोर दिया था. सरकार की कोशिश है कि लोग काम और जिंदगी के बीच संतुलन को बेहतर बनाएं. इसी सिलसिले में सरकार ने कंपनियों से कहा है कि वे अपने कर्मचारियों को हफ्ते में पांच दिन के बजाय चार ही दिन काम करने का विकल्प दें.
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फिनलैंड
पिछले साल फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मैरिन ने भी ऐसा ही सुझाव दिया था. मौजूदा दौर में दुनिया की सबसे युवा प्रधानमंत्री मैरिन ने कहा था कि देश में काम के घंटे कम किए जाने की जरूरत है, तो या हफ्ते में चार दिन कर दिए जाएं या फिर दिन में छह घंटे ही काम हो.
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न्यूजीलैंड
बहुराष्ट्रीय कंपनी यूनिलीवर की न्यूजीलैंड शाखा भी हफ्ते में चार दिन काम के विकल्प का प्रयोग कर रही है. पिछले साल दिसंबर से कंपनी ने अपने कर्मचारियों को अपने काम के घंटों में 20 प्रतिशत की कमी का विकल्प दिया, जिसकी एवज में सैलरी में कोई कटौती नहीं होगी. यह ट्रायल इस साल दिसंबर तक चलेगा.
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गांबिया
गांबिया ने 2012 में ही यह क्रांतिकारी फैसला ले लिया था. तत्कालीन राष्ट्रपति याहया जामेह ने देश में चार दिन का हफ्ता लागू कर दिया था. शुक्रवार का दिन पूजा-पाठ और खेती करने के लिए दे दिया गया था. लेकिन उनके बाद राष्ट्रपति बने अदामा बैरो ने 2017 में यह योजना बंद कर दी और शुक्रवार को भी आधे दिन काम को जरूरी बना दिया.