दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों के आंदोलन का आज 40वां दिन है. आज एक बार फिर सरकार और किसानों के बीच बातचीत होने वाली है. किसान हाईवे पर प्रदर्शन तो कर ही रहे हैं लेकिन उनका आंदोलन ऑनलाइन भी चल रहा है.
विज्ञापन
खेत में ट्रैक्टर चलाने वाले किसान अपने आंदोलन को चलाते-चलाते हाईटेक हो चले हैं. पिछले 40 दिनों से आंदोलन कर रहे किसानों ने इस दौरान हर तरह के आरोप झेले. सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक सात दौर की बातचीत हो चुकी है. तीन कृषि कानूनों की वापसी की मांग कर रहे किसानों के पास एक अहम सहयोगी-ट्विटर हैंडल है, जो दुनिया भर में फैले उनके समर्थक चला रहे हैं.
किसान आंदोलन के कारण दिल्ली की सीमाओं के पास ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह ठप हुई पड़ी है. आंदोलन कर रहे अधिकतर किसान सिख धर्म से संबंध रखते हैं. उनका कहना है कि वे ट्विटर पर भी आंदोलन चला रहे हैं और बीजेपी के आरोपों को बेबुनियाद साबित करने की कोशिश रहे हैं. बीजेपी कुछ लोगों पर अलगाववादी होने का आरोप लगाती है जबकि आंदोलनकारी इसको खारिज करते आए हैं.
ट्विटर पर आंदोलन
पंजाब के लुधियाना के भवजीत सिंह नवंबर के समय में उस वक्त ऊर्जावान हो गए जब उन्होंने देखा कि कैसे किसानो पर ऑनलाइन हमले हो रहे हैं. नवंबर के आखिर में उन्होंने कुछ दोस्तों और आईटी के जानकारों के साथ @Tractor2twitr ट्विटर अकाउंट की शुरुआत की. इसके बाद दिसंबर महीने में वे दिल्ली-हरियाणा सीमा पर धरने में शामिल हो गए. भवजीत अपने साथ दो स्मार्टफोन भी लेकर आए.
भवजीत कहते हैं, "हम अपने अभियान को और तेज करेंगे क्योंकि हम संगठित हो रहे हैं और हमें अब अधिक समर्थन मिल रहा है." भवजीत आगे कहते हैं, "हमारा संदेश सही दिशा में जा रहा है." इस ट्विटर हैंडल के 23,000 से अधिक फॉलोअर्स हैं और यह हर दिन एक नया हैशटैग चलाते हैं. 13,000 किलोमीटर दूर ह्यूस्टन में बलजिंदर सिंह, इस ट्विटर हैंडल के कोर ग्रुप के सदस्य हैं, जो हैंडल को चलने में मदद करते हैं. बलजिंदर सिंह कहते हैं कि बीजेपी "हम लोगों को निशाना बना रही थी और हमें लगा कि पलटवार करना चाहिए. हम सभी किसानों के बेटे-बेटी हैं." किसान एकता मोर्चा ने हाल के दिनों में ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब, व्हॉट्सऐप और स्नैपचैट पर भी अकाउंट खोल लिया है.
बीजेपी के प्रवक्ता तजिंदर पाल सिंह बग्गा कहते हैं कि उन्हें ऐसा लगता है कि कुछ लोग इस आंदोलन को हाईजैक करने की कोशिश कर रहे हैं.
आंदोलन स्थलों पर हर रोज सैकड़ों लोग मदद लेकर पहुंचते है. दिल्ली की सीमाओं पर कुछ संगठनों ने पानी से बचने के लिए टेंट लगाए हैं तो वहीं सुबह से लेकर रात तक वहां भोजन की व्यवस्था भी है.
दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का प्रदर्शन जारी है. दूसरी ओर सरकार पर दबाव बनाने के लिए सोमवार 21 दिसंबर से किसानों ने क्रमिक भूख हड़ताल शुरू कर दी. सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर पर 11 किसान 24 घंटे की भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं.
तस्वीर: IANS
भूख हड़ताल
किसानों ने सोमवार 21 दिसंबर से क्रमिक भूख हड़ताल की शुरुआत कर दी. देशभर में जहां भी किसान आंदोलन कर रहे हैं वहां वे 24-24 घंटे की पारी में भूख हड़ताल करेंगे. उनकी कोशिश है कि इस तरह से वे सरकार पर दबाव बना पाएंगे.
तस्वीर: IANS
11-11 किसान करेंगे भूख हड़ताल
दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर जहां-जहां आंदोलन चल रहा है, वहां हर रोज 11-11 किसान भूख हड़ताल करेंगे, जब इनके 24 घंटे पूरे होंगे तो अगले दिन दूसरे किसान नेता भूख हड़ताल शुरू कर देंगे.
तस्वीर: IANS
भोजन त्यागने की अपील
आंदोलनकारी किसानों ने देशभर के लोगों से किसान दिवस के मौके पर एक समय का भोजन त्याग कर किसानों का सम्मान करने की अपील की है. हर साल 23 दिसंबर किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है.
तस्वीर: IANS
तेज होता आंदोलन
किसान दिल्ली की सीमाओं पर कई दिनों से डटे हुए हैं. वे राशन-पानी के साथ अपना आंदोलन चला रहे हैं. किसान संगठनों को आम लोगों के साथ-साथ अन्य संगठनों का भी समर्थन प्राप्त है.
तस्वीर: Altaf Qadri/AP Photo/picture alliance
आंदोलन में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि
आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों को श्रद्धांजलि देने के लिए सभा आयोजित की गई और उनकी तस्वीरों पर फूल चढ़ाए गए. किसानों का कहना है कि उन्होंने तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के लिए अपनी जान दी.
तस्वीर: IANS
"श्रद्धांजलि दिवस"
किसान आंदोलन के दौरान अलग-अलग कारणों से जान गंवाने वाले 30 किसानों को रविवार 20 दिसंबर को गाजीपुर बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर पर श्रद्धांजलि दी गई. इन लोगों की मौत ठंड, बीमारी और सड़क हादसों में हुई थी.
तस्वीर: IANS
कला जगत के लोगों का समर्थन
सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में कलाकार भी उतर रहे हैं. मशहूर कव्वाल साबरी सूफी ब्रदर्स ग्रुप अपने अन्य कलाकारों के साथ सिंघु बॉर्डर पर रविवार को पहुंचे और किसान आंदोलन को समर्थन दिया.
तस्वीर: IANS
सर्द रात और आंदोलन
दिल्ली-एनसीआर में इस वक्त कड़ाके की ठंड पड़ रही है. खुले आसमान के नीचे ना सिर्फ किसानों के लिए बल्कि सुरक्षाबलों के लिए रात गुजारना मुश्किल भरा है. किसान आग जलाकर सर्द हवाओं से बचने की कोशिश करते हैं. वे अपने साथ रजाई और कंबल भी लेकर आए हैं.
तस्वीर: Seerat Chabba/DW
आंदोलन का अंत कब?
कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन 26 नवंबर से जारी है. कड़ाके की ठंड में सीमाओं पर डटे किसान कृषि कानून को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं. किसानों का कहना है कि सरकार अगर कानून वापस लेती है तो वे दो घंटे में बॉर्डर खाली कर चले जाएंगे. किसानों का कहना है कि उनका राजनीतिक दलों से कोई लेना देना नहीं है. इस बीच सरकार ने एक बार फिर बातचीत का न्योता भेजा है.