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ब्रिटेन और भारत के बीच एक खरब रुपये का समझौता

स्वाति बक्शी
५ मई २०२१

ब्रिटेन और भारत के बीच एक अरब पाउंड की वाणिज्य और निवेश संधि की घोषणा हुई है. ब्रिटिश प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच मंगलवार को होने वाली वर्चुअल बैठक से पहले ये घोषणा की गई.

2019 में जी7 सम्मलेन के दौरान मिले थे मोदी और जॉन्सन. कोरोना के चलते इस बार मुलाकात ऑनलाइन ही रही. तस्वीर: imago images/i Images

ब्रेक्जिट के बाद से ही निगाहें इस बात पर टिकी हैं ब्रिटेन और भारत के बीच व्यापारिक और वाणिज्यिक संबंधों का रूप क्या होगा. बॉरिस जॉनसन इस बातचीत के लिए दिल्ली जाने वाले थे लेकिन भारत में कोरोना का प्रकोप देखते हुए यात्रा रद्द कर दी गई. ब्रिटिश प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से दिए गए आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इस समझौते के तहत भारत की तरफ से ब्रिटेन में 533 मिलियन पाउंड का निवेश किया जाएगा. इससे स्वास्थ्य और तकनीक जैसे क्षेत्रों में करीब 6,000 नए रोजगार पैदा होने की उम्मीद जताई गई है. प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन का कहना है कि रोजगार के ये सारे अवसर कोरोना की मार झेल रहे परिवारों और समुदायों की जिंदगी दोबारा शुरू करने व भारत और ब्रिटेन की अर्थव्यवस्थाओं को सहारा देने का काम करेंगे.

24 करोड़ पाउंड का निवेश

समझौते के तहत भारतीय कंपनियों के तरफ से किए जाने वाले निवेश में दो कंपनियों का जिक्र प्रमुखता से हुआ है- इंफोसिस और सीरम इंस्टीट्यूट. तकनीकी फर्म इंफोसिस के नए निवेश के जरिए ब्रिटेन में एक हजार नए रोजगार पैदा किए जाने की बात कही गई है जबकि सीरम इंस्टीट्यूट की तरफ से ब्रिटेन में वैक्सीन उत्पादन के लिए 24 करोड़ पाउंड का निवेश किया जाएगा. सीरम इंस्टीट्यूट ने इस दिशा में पहले ही कदम बढ़ा दिए हैं और कोडाजेनिक्स इंक के साथ मिलकर कंपनी ने कोरोना वायरस के लिए नाक के जरिए दी जाने वाली वैक्सीन के शुरुआती परीक्षण भी शुरू कर दिये हैं.

इसके अलावा कई अन्य भारतीय कंपनियों के निवेश का भी जिक्र किया गया है जिनमें एचसीएल टेक्नॉलजी, एंफेसिस, विप्रो आदि प्रमुख हैं. इस समझौते के तहत दोनों देशों के वाणिज्यिक संबंधों का विस्तार प्रगाढ़ करने के लिए कुछ अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति बनी है. मसलन, फलों और मेडिकल सामान के लिए गैर-टैरिफ औपचारिकताओं को कम करना. उम्मीद ये है कि इसके जरिए ब्रिटेन की ओर से भारत को निर्यात होने वाले फलों, सब्जियों और मेडिकल उपकरणों की मात्रा में इजाफा होगा.

ब्रिटेन ने भारत को निर्यात होने वाले कुछ फलों पर से बंदिशें भी हटाई हैं. हालांकि ब्रिटेन से दुनिया भर में होने वाला फलों का कुल निर्यात बहुत कम है. समझौते में दोनों देशों के बीच शिक्षा और कानूनी क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने और प्रोफेशनल सेवाओं के आयात-निर्यात पर काम करने की बात भी रखी गई है.

व्यापक मुक्त व्यापार समझौते की उम्मीदें

कुल मिलाकर ब्रिटेन और भारत के बीच निजी कंपनियों के निवेश का ये समझौता, मुक्त व्यापार संधि की दिशा में एक छोटा कदम है. ब्रिटेन की वाणिज्य मंत्री लिज ट्रूस ने स्काई न्यूज से बातचीत में कहा है कि ब्रिटेन और भारत एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौते पर आगे आने वाले महीनों में बात करेंगे. उन्होंने ये भी कहा कि ब्रिटेन उस संधि में ये चाहेगा कि भारत आयातित कारों और विस्की पर लगने वाले कर को खत्म करे या कम कर दे. दोनों के बीच टैरिफ एक ऐसा मसला हे जो किसी भी संधि की राह में रोड़े अटका सकता है.

ब्रिटेन और भारत के बीच तकरीबन 23 अरब पाउंड का सालाना व्यापार होता है और ब्रिटेन को उम्मीद है कि मुक्त व्यापार के जरिए इसे 2030 तक दोगुना किया जा सकता है. खासकर ब्रिटिश प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन ने उम्मीद जताई है कि ये नया समझौता और आगे होने वाली मुक्त व्यापार संधि के जरिए दोनों देशों के वाणिज्यिक संबंध नई ऊंचाइयों को छू सकते हैं. भविष्य में होने वाली संधि में भारत और ब्रिटेन के बीच वीजा नियमों में नरमी बरते जाने का मुद्दा भी अहम होगा. हालांकि जानकारों का कहना है कि भारत के साथ मुक्त व्यापार संधि पर सहमति बनाना ब्रिटेन के वीजा नियमों की नजर से एक चुनौती है.

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