1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

ग्रीनलैंड में दशकों पुराने जबरन गर्भ निरोध का सदमा

११ जुलाई २०२२

70 के दशक में जब ग्रीनलैंड पूरी तरह से डेनमार्क के अधीन था तब वहां की करीब 4,500 मूल निवासी महिलाओं का जबरन गर्भ निरोध कराया गया था. पीड़ित महिलाएं आज भी उनके साथ हुए अत्याचार के सदमे में जी रही हैं.

Grenland Zwangsstelisierung der Inuit
ब्रिटा मोर्टेंसनतस्वीर: Odd Andersen/AFP

"मुझे अपने पैर फैलाने पड़े और जब उसे अंदर डाला गया तो भयानक दर्द हुआ." यह कहना है 63 साल की ब्रिटा मोर्टेंसन का जिनके गर्भाशय में 15 साल की उम्र में एक गर्भनिरोधक डिवाइस (आईयूडी) जबरदस्ती घुसा दी गई थी. वो अकेली नहीं थीं. उनके साथ ग्रीनलैंड के मूल निवासी 'इनुइट' समुदाय की हजारों और लड़कियां थीं जिनके साथ यह अत्याचार किया गया था.

ये सभी लड़कियां उस समय ग्रीनलैंड में डेनमार्क द्वारा लागू की गई एक परिवार नियंत्रण नीति की पीड़िता थीं. ग्रीनलैंड उस समय डेनमार्क की कॉलोनी तो नहीं था लेकिन अभी भी डेनमार्क के नियंत्रण में था. डेनमार्क के सरकारी चैनल की एक जांच के मुताबिक करीब 4,500 महिलाओं के साथ ऐसा हुआ था.

माता-पिता को बताया भी नहीं गया

मोर्टेंसन 1974 में 15 साल की उम्र में जीवन में पहली बार अपने परिवार और अपने गांव को छोड़ कर डेनमार्क आई थीं. ग्रीनलैंड के पश्चिमी छोर पर बसे इउलिसात नाम के उनके गांव में उच्च विद्यालय नहीं था. डेनमार्क में आगे की पढ़ाई करना उनके लिए एक मौका था.

ग्रीनलैंड के मूल निवासी 'इनुइट' समुदाय की हजारों लड़कियों के गर्भाशय में एक गर्भनिरोधक डिवाइस जबरदस्ती घुसा दी गई थीतस्वीर: Sergio Pitamitz/robertharding/imago images

वो बताती हैं, "मैं एक बोर्डिंग स्कूल गई और वहां हेडमिस्ट्रेस ने मुझसे कहा, "तुम्हें आईयूडी लेना होगा." उनके मना करने पर हेडमिस्ट्रेस ने कहा, "जी हां, आईयूडी तो तुम्हें लगेगा ही, चाहे तुम हां कहो या ना."

हजारों मील दूर रह रहे उनके माता-पिता की सहमति लेना तो दूर उन्हें कभी इस बार में बताया भी नहीं गया. बस एक दिन मोर्टेंसन ने खुद को एक डॉक्टर के क्लिनिक के सामने पाया जहां उनके गर्भाशय में एक गर्भ निरोधक उपकरण डाल दिया गया.

उन्होंने ने एएफपी को बताया, "वो ऐसी महिलाओं के लिए आईयूडी था जो पहले ही बच्चों को जन्म दे चुकी थीं, ना कि मेरी उम्र की युवा लड़कियों के लिए." उनके इस "निरादर" के बाद वो खामोश हो गईं. उन्हें इस बात की भनक भी नहीं थी पश्चिमी डेनमार्क के जटलैंड में उनके रिहायशी स्कूल में इस यातना से गुजरने वाली वो अकेली लड़की नहीं थीं.

दशकों रहीं खामोश

उन्होंने बताया, "मैं शर्मिंदा थी. मैंने अभी तक इसके बारे में किसी को नहीं बताया है." लेकिन अब जाकर जो भी उस समय हुआ उस पर एक बहस शुरू हुई है और संकोच पूर्वक ही सही लेकिन मोर्टेंसन उसमें हिस्सा ले रही हैं.

प्रेग्नेंसी की नसीहतों में कितनी सच्चाई?

08:01

This browser does not support the video element.

फेसबुक पर इस विषय पर एक ग्रुप शुरू किया गया है. ग्रुप मनोवैज्ञानिक नाजा लाईबर्थ ने शुरू किया है जो खुद भी इस कार्यक्रम की पीड़ित थीं. ग्रुप से अभी तक 70 से भी ज्यादा महिलाएं जुड़ चुकी हैं.

लाईबर्थ ने बताया कि ग्रुप "एक पारस्परिक समर्थन समूह जैसा है क्योंकि बहनों के रूप कोई भी खुद को अकेला महसूस नहीं करता है. उन्होंने बताया कि स्थिति ऐसी महिलाओं के लिए विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण है जो कभी गर्भधारण नहीं कर सकीं.

उन्होंने यह भी बताया कि कई महिलाओं को तो पता भी नहीं था कि उनके शरीर में एक गर्भ निरोधक उपकरण लगा हुआ है. उन्हें तभी पता चला जब ग्रीनलैंड में स्त्री-रोग विशेषज्ञों ने उनके बारे में पता लगाया.

हर्जाने की मांग

लाईबर्थ ने बताया, "अमूमन उसे गर्भपात के दौरान डाल दिया जाता था और महिलाओं को उसके बारे में बताया भी नहीं जाता था." इतिहासकार सोरेन रुड कहती हैं कि 1960 के दशक में लागू किया गया यह अभियान एक पुरानी औपनिवेशिक मानसिकता का हिस्सा था को 1953 में आधिकारिक राजनीतिक स्वतंत्रता मिला जाने के बाद भी जारी रही.

ब्रिटा मोर्टेंसन की मांग है कि सभी पीड़ितों से माफी मांगी जानी चाहिएतस्वीर: Odd Andersen/AFP

कोपेनहेगन विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर काम करने वाली रुड कहती हैं कि प्रवृत्ति "ग्रीनलैंड के लोगों के प्रति इस भावना से प्रेरित थी कि वो सांस्कृतिक रूप से पिछड़े हैं. गर्भ निरोध के दूसरे तरीकों से अलग आईयूडी के असरदार होने के लिए ग्रीनलैंड की महिलाओं की तरफ से किसी कोशिश की जरूरत नहीं थी."

इन महिलाओं की गवाही ऐसे समय में आ रही है जब डेनमार्क और ग्रीनलैंड अपने पुराने संबंधों पर फिर से रोशनी डाल रहे हैं. मार्च में डेनमार्क ने छह इनुइट लोगों से माफी मांगी थी और उन्हें हर्जाना भी दिया था क्योंकि 1950 के दशक में उन्हें उनके परिवार से अलग कर ग्रीनलैंड में एक डेनिश बोलने वाले विशिष्ट वर्ग को बनाने के एक प्रयोग में शामिल किया गया था.

ब्रिटा मोर्टेंसन का मानना है कि जिन महिलाओं का जबरन गर्भ निरोध कर दिया गया था उनसे भी माफी मांगी जानी चाहिए. वो कहती हैं, "उन्हें हमारे साथ किए गए अनिष्ट के लिए हर्जाना देना चाहिए."

सीके/एए (एएफपी)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें