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जी7 बैठक: यूक्रेन को आर्थिक मदद के प्लान पर सहमति

१३ जून २०२४

इटली में 13 से 15 जून के बीच जी7 देशों का शिखर सम्मेलन हो रहा है. रूसी युद्ध के खिलाफ यूक्रेन की आर्थिक मदद और चीन की आर्थिक ताकत बैठक में छाए रहेंगे. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें हिस्सा ले रहे हैं.

फ्रांस में द्विपक्षीय बैठक के दौरान हाथ मिलाते जो बाइडेन और वोलोदिमीर जेलेंस्की
बाइडेन और जेलेंस्की के बीच जी7 के दौरान एक सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगेतस्वीर: Presidential Office of Ukraine/ZUMA Press Wire/picture alliance

दुनिया के सात अमीर लोकतांत्रिक देश, जिन्हें ग्रुप ऑफ सेवन या जी7 कहा जाता है, उनके नेता यूक्रेन को 5,000 करोड़ डॉलर का एकमुश्त कर्ज देने पर सहमत हो गए हैं. यह रकम रूस के केंद्रीय बैंक की फ्रीज की गई परिसंपत्तियों के आधार पर दी जाएगी. यह कदम यूरोपीय संघ (ईयू) के उस हालिया फैसले के बाद आया है, जिसमें कहा गया कि जब्त रूसी परिसंपत्तियों से होने वाले अप्रत्याशित लाभ का इस्तेमाल यूक्रेन की मदद के लिए किया जाएगा. 

इटली में जी7 देशों के शिखर सम्मेलन में यूक्रेन युद्ध का मुद्दा सबसे अहम है.तस्वीर: Alex Brandon/AP Photo/picture alliance

यूक्रेन युद्ध और यूक्रेन की आर्थिक सहायता जी7 का मुख्य मुद्दा है लेकिन इसे किस तरह लागू किया जाएगा, इस बारे में विस्तृत जानकारी नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि साल के अंत तक यूक्रेन को आर्थिक मदद मिल जाएगी. फिलहाल यह सिर्फ सैद्धांतिक तौर पर कहा जा रहा है. योजना के कानूनी पहलू पर बहस चल रही है. जी7 में जर्मनी, फ्रांस,कनाडा, इटली, अमेरिका, जापान और ब्रिटेन शामिल हैं. बैठक में इस बार भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अर्जेंटीना, ब्राजील, तुर्की, अल्जीरिया और केन्या भी को भी बुलाया गया है.

जी7 दुनिया की सबसे विकसित अर्थव्यवस्थाओं वाले लोकतांत्रिक देशों यानी अमीर देशों का गुट है.तस्वीर: Wolfgang Rattay/AFP/Getty Images

यूक्रेन को फंड देने का प्लान

कहा जा रहा है कि इसमें ज्यादातर राशि अमेरिकी सरकार मुहैया करवाएगी, जिसमें करोड़ों डॉलर की रूसी परिसंपत्तियों पर मिला अप्रत्याशित लाभ शामिल है. इसमें से काफी राशि यूरोप में है. मुख्य रूप से अमेरिका इस लोन का गारंटर है, लेकिन फ्रांस की तरफ से अधिकारियों ने कहा है कि इसमें यूरोपीय आर्थिक सहायता और दूसरी मदद भी शामिल हो सकती है. इस तरह रूसी संपत्तियों को जब्त करने और यूक्रेन को रकम भेजने की योजना के कानूनी पहलुओं पर साल भर से चर्चा चल रही है.

ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक यूक्रेन को करोड़ों पाउंड की मदद देने की तैयारी में हैं.तस्वीर: Henry Nicholls/AP Photo/picture alliance

2022 में यूक्रेन पर रूसी चढ़ाई के तुरंत बाद पश्चिमी देशों ने रूस के केंद्रीय बैंक की परिसंपत्तियां फ्रीज कर दी थीं. इनसे मिलने वाले लाभ को यूक्रेन की मदद के लिए सीधे तौर पर भेजने के लिए तगड़ा कानूनी आधार चाहिए होगा, ऐसे में फिलहाल किसी तरह जोड़तोड़ किया गया है. जी7 बैठक के दौरान ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक यूक्रेन को लगभग 30 करोड़ पाउंड की मदद की घोषणा करेंगे. इसका मकसद यूक्रेन में मानवीय सहायता, ऊर्जा और स्थायित्व के लिए मदद देना है.

बाइडेन और जेलेंस्की के बीच नया सुरक्षा समझौता

इस सम्मेलन के दौरान औपचारिक बैठकों के अलावा 13 जून को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच एक मुलाकात होगी, जिसमें नए सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर होंगे. वाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा, "इस हस्ताक्षर के साथ हम रुस को अपनी प्रतिबद्धता का संदेश भेजेंगे. अगर व्लादिमीर पुतिन ऐसा सोचते हैं कि वह इस गठबंधन को थका सकते हैं, तो वह गलत हैं."

जी7 की शिखर बैठक के इर्द-गिर्द बाइडेन और जेलेंस्की की द्विपक्षीय मुलाकात होनी हैतस्वीर: CHIP SOMODEVILLA/AFP/Getty Images

सुलिवन ने यह भी कहा है कि यह करार यूक्रेन को नाटो में शामिल करने के लिए एक पुल की तरह काम करेगा. हालांकि, सुलिवन ने जोर देकर कहा कि इसका मतलब यह नहीं कि अमेरिका यूक्रेन में सीधी लड़ाई के लिए सैनिक भेजने का वादा कर रहा है. संभावना है कि बाइडेन और जेलेंस्की जी7 के दौरान एक साझा न्यूज कॉन्फ्रेंस भी करेंगे. बाइडेन इस साल दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने की आस लिए कठिन चुनावी लड़ाई में लगे हैं.

चीन का मुकाबला

यूक्रेन युद्ध के लिए रुस को सजा देने के अमेरिकी प्रयासों को विस्तार देते हुए 12 जून को अमेरिका ने रूस पर प्रतिबंधों का दायरा बढ़ाया. इसमें उन चीनी कंपनियों को शामिल किया गया है, जो रूस को सेमीकंडक्टर चिप देती हैं. विश्लेषकों के मुताबिक, जी7 बैठक से ठीक पहले चीनी कंपनियों पर नए आर्थिक प्रतिबंध लगाकर बाइडेन ने पश्चिमी देशों को यह जताने की कोशिश की है कि रूस और उसकी औद्योगिक क्षमताओं को सहारा देने वाले चीन के खिलाफ कड़े कदम उठाने ही होंगे.

चीन के खिलाफ कदमों की झलक ही थी कि ईयू ने 12 जून को कहा कि वह आयातित चीनी इलेक्ट्रिक कारों पर 38.1 फीसदी तक की अतिरिक्त ड्यूटी लगाने जा रहा है. नया कर जुलाई से लागू होगा. अभी एक महीना भी नहीं गुजरा है, जब अमेरिका ने चीनी इलेक्ट्रिक वाहनों पर ड्यूटी में 100 फीसदी की वृद्धि की थी. जी7 के दौरान चीन में उत्पादन के ऊंचे स्तर के चलते वैश्विक बाजारों में असंतुलन पर चर्चा होगी. हालांकि, ईयू कूटनीतिज्ञ लगातार कहते रहे हैं कि यूरोप चीन के साथ सीधी टक्कर नहीं लेना चाहता है.

एसबी/एसएम(रॉयटर्स, एएफपी, डीपीए)

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