ट्रंप-मेलोनी की गहरी दोस्ती से टैरिफ पर ईयू को होगा फायदा?
१८ अप्रैल २०२५
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा है कि यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ व्यापारिक समझौते की शत-प्रतिशत संभावना है. 17 अप्रैल को इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के साथ मुलाकात के दौरान ट्रंप ने यह आश्वासन दिया. मेलोनी ने भी समझौते की संभावना पर पूरा भरोसा जताया.
मेलोनी का स्वागत किया, लेकिन...
हालांकि, इन उम्मीदों और आश्वासनों के अलावा मेलोनी को व्यापारिक समझौते की दिशा में कुछ ठोस हासिल नहीं हुआ. वह टैरिफ पर ट्रंप का रुख नरम करने में कामयाब नहीं हो पाईं. ट्रंप ने कहा कि उन्हें समझौते की कोई जल्दी नहीं है.
उन्होंने दोहराया कि वह टैरिफ को अमेरिकी संपन्नता का जरिया मानते हैं. ट्रंप ने यह भी कहा कि बाकी देशों को समझौते की ज्यादा जल्दी है. उन्होंने कहा, "टैरिफ हमें अमीर बना रहे हैं. बाइडेन सरकार में हम बहुत पैसा गंवा रहे थे. और अब समूची लहर पलट गई है."
ट्रंप प्रशासन ने ईयू के निर्यात पर 20 फीसदी शुल्क लगाने का एलान किया गया था. हालांकि, शुल्क वृद्धि की घोषणा के बाद इसे 90 दिनों के लिए स्थगित भी कर दिया गया. इस प्रकरण के बाद मेलोनी पहली यूरोपीय नेता हैं, जो व्हाइट हाउस जाकर ट्रंप से मिली हैं. व्यापार समेत कई मुद्दों पर ईयू और अमेरिका के बीच तनाव बना हुआ है.
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मेलोनी की अमेरिका यात्रा से थीं बड़ी उम्मीदें
ईयू में कई लोगों को मेलोनी की इस अमेरिका यात्रा से बड़ी उम्मीदें थी. ट्रंप और मेलोनी, दोनों की राजनीतिक शैली में कई समानताएं हैं. दोनों ही दक्षिणपंथी विचारधारा की राजनीति करते हैं. ट्रंप अमेरिका को "फिर से महान" बनाने का संकल्प जताते हैं और मेलोनी के मुताबिक, वह "पश्चिम को फिर से महान" बनाना चाहती हैं.
आप्रवासन और एलजीबीटीक्यू अधिकार जैसे मुद्दों पर भी उनके सख्त रवैये में समानताएं हैं. ट्रंप और मेलोनी के बीच बढ़िया दोस्ताना रिश्ते भी हैं, जबकि दोनों पिछले साल दिसंबर में पहली बार मिले थे.
पेरिस में नोत्रे दाम कथीड्रल के दोबारा खुलने के मौके पर हुए भव्य आयोजन में ट्रंप को भी बुलाया गया था, क्योंकि वह चुनाव जीतकर अमेरिका के अगले राष्ट्रपति बनने जा रहे थे. पहली ही मुलाकात में ट्रंप और मेलोनी एक-दूसरे से काफी प्रभावित दिखे. ट्रंप ने मेलोनी को एक शानदार नेता और इंसान बताया. जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या राष्ट्रपति बनने के बाद वह मेलोनी के साथ मिलकर काम करना चाहेंगे, तो ट्रंप ने उत्साह से हामी भरी थी.
मेलोनी को कहा जाने लगा, "यूरोप्स ट्रंप विस्परर"
इस मुलाकात के करीब दो ही हफ्ते बाद, ट्रंप के कार्यभार संभालने से पहले ही मेलोनी अचानक ही फ्लोरिडा स्थित ट्रंप के आवास पर पहुंचीं. इस यात्रा के कार्यक्रम पर पहले से कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई थी. मुलाकात के बाद ट्रंप के साथ अपनी एक तस्वीर साझा करते हुए मेलोनी ने सोशल मीडिया पर लिखा, "डॉनल्ड ट्रंप के साथ खुशनुमा शाम, जिन्हें मैं स्वागत के लिए धन्यवाद कहती हूं."
अमेरिका और इटली के झंडों के साथ उन्होंने लिखा, "साथ काम करने के लिए तैयार."
मेलोनी की पार्टी 'ब्रदर्स ऑफ इटली' में उनके सहयोगी और इटली में यूरोपीय मामलों के मंत्री टोम्माजो फोटी ने दोनों नेताओं के बीच गर्मजोशी को रेखांकित करते हुए उम्मीद जताई कि इटली, ईयू और अमेरिका की दो दुनिया के बीच का कूटनीतिक पुल बन सकता है.
इसके बाद 20 जनवरी 2025 को ट्रंप के शपथग्रहण कार्यक्रम में भी मेलोनी को आमंत्रित किया गया. वह न्योता पाने वालीं यूरोप की इकलौती नेता थीं.
इसके बाद से ही मेलोनी के लिए "यूरोप्स ट्रंप विस्परर" शब्द प्रचलित होने लगा. इसका शाब्दिक अर्थ है कि वह यूरोप की ऐसी शख्स हैं, जिनकी ट्रंप तक इतनी पहुंच है कि वह उनके कान में फुसफुसा सकती हैं. विस्पर करने, या फुसफुसाने के लिए आपको कान के करीब आना पड़ता है. इस शब्द का भाव मेलोनी की ट्रंप से मित्रवत संबंधों की ओर ध्यान दिलाता है. माना गया कि वह ईयू और ट्रंप के बीच बातचीत का पुल बन सकती हैं.
व्यापारिक समझौते की उम्मीद
खुद मेलोनी को भी अपनी ताजा वॉशिंगटन यात्रा से काफी उम्मीदें थीं. वह खुद को इकलौता यूरोपीय बताती हैं, जो इस वक्त ट्रंप के साथ कारोबारी मोर्चे पर बढ़े तनाव को घटा सकती हैं. उनकी अमेरिका यात्रा को ईयू की ओर से शुल्क समझौते पर ट्रंप को मनाने की एक कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा था.
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इन अपेक्षाओं के संदर्भ में मेलोनी को अपनी वॉशिंगटन यात्रा से शुल्क मोर्चे पर कोई ठोस हासिल तो नहीं मिला, लेकिन आगे बातचीत का रास्ता जरूर खुला. मेलोनी ने बताया कि ट्रंप ने रोम आने का उनका न्यौता स्वीकार कर लिया है और इस यात्रा में वह यूरोपीय नेताओं से भी बातचीत कर सकते हैं. मेलोनी ने कहा, "भले ही अटलांटिक के दोनों किनारों पर हमारे बीच कुछ दिक्कतें हों, लेकिन यही समय है कि हम बैठकर समाधान खोजने की कोशिश करें."
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मेलोनी ने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि आप्रवासन और "वोक आइडियोलॉजी" पर उनके और ट्रंप के विचार मिलते हैं. बौद्धिक शब्दावली में 'वोकनेस' से आशय जागरूकता से है. ऐसा शख्स जो समाज की दिक्कतों से वाकिफ हो, नस्ली या गैर-बराबरी जैसी समस्याओं को समझता और जानता हो, वह 'वोक' है.
हालांकि, आम धारणा और सोशल मीडिया संस्कृति में अक्सर इस शब्द को आलोचना या ताने की तरह इस्तेमाल किया जाता है. मसलन महिला अधिकारों का समर्थन, रूढ़िवादी लैंगिक भूमिकाओं की आलोचना या समलैंगिक अधिकारों का पक्ष लेना "वोकनेस" बताकर उनकी निंदा की जाती है. ट्रंप भी कई बार इस शब्द का इस्तेमाल करते हैं. उनके मुताबिक, "वोकनेस परेशानी है. वोकनेस बुरा है."
मेलोनी के आगे संतुलन बनाने की चुनौती?
साझा मूल्यों, या फिर वैचारिक समानताओं से अलग ट्रंप और मेलोनी के बीच कुछ स्पष्ट मतभेद भी हैं. इनमें सबसे प्रमुख है यूक्रेन. फरवरी 2022 में रूस ने यूक्रेन पर हमला करके युद्ध की शुरुआत की. इसी साल अक्टूबर में मेलोनी इटली की प्रधानमंत्री बनीं. बतौर प्रधानमंत्री, मेलोनी यूक्रेन और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदीमिर जेलेंस्की की समर्थक रही हैं. वहीं, ट्रंप खुले तौर पर जेलेंस्की के लिए नापसंदगी जाहिर कर चुके हैं. बकौल ट्रंप, वह जेलेंस्की के खास प्रशंसक नहीं हैं.
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ऐसे में कई विशेषज्ञ मानते हैं कि दोस्ताना रिश्तों के बीच मेलोनी के आगे बड़ी चुनौती यह है कि वह ट्रंप के आगे ईयू का प्रतिनिधित्व किस तरह करती हैं. खास करके उन मुद्दों पर, जो ईयू के लिए बेहद संवेदनशील हैं.
मसलन, दशकों से अमेरिका के साथ बने आ रहे रिश्तों में ट्रंप के आने से अनिश्चितता मंडरा रही है. नाटो के भविष्य और साझा सुरक्षा के इसके प्रावधान की गारंटी पर भी शंकाएं उठ रही हैं. मेलोनी ने भी इन दिक्कतों की बात स्वीकार की. अमेरिका की यात्रा पर जाने से पहले ही उन्होंने कहा, "मैं जानती हूं कि मैं किसका प्रतिनिधित्व कर रही हूं और मुझे पता है कि मैं किसका बचाव कर रही हूं."
आगे की बातचीत के लिए रास्ता खुला?
इन चुनौतियों के बाबत इस बात की मजबूत संभावना जताई जा रही है कि मेलोनी की ताजा यात्रा तत्काल समझौता करने की महत्वाकांक्षा से प्रेरित नहीं था. बल्कि यह आगे की बातचीत के लिए राह बनाने की कोशिश थी. इटली में स्थानीय मीडिया की खबरों के मुताबिक, मेलोनी की यात्रा का एक मकसद ट्रंप और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेयर लाएन के बीच बातचीत का जरिया बनाना था.
ईयू में अन्य देशों के साथ व्यापार और कारोबारी समझौते से जुड़ी बातचीत का जिम्मा आयोग का है. 'टाइम' मैगजीन ने यूरोपीय आयोग के एक प्रवक्ता के हवाले से बताया है कि ट्रंप के पद संभालाने के बाद से ही लाएन, ट्रंप से बात नहीं कर पाई हैं. ऐसे में वह मेलोनी के साथ नियमित संपर्क में हैं और मेलोनी के ताजा अमेरिका दौरे पर भी उनके बीच लगातार बातचीत हो रही थी.
टैरिफ मसले पर ट्रंप को मनाना मेलोनी के राष्ट्रीय हितों में भी है. जर्मनी और आयरलैंड के बाद वह ईयू का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है. उसके निर्यात का लगभग 10 फीसदी हिस्सा अमेरिका जाता है. अगर ईयू पर 20 फीसदी अतिरिक्त शुल्क लागू हो गया, तो इटली को खासा नुकसान होगा.
इसके अलावा यूरोपीय सदस्यों के नाटो के बजट में योगदान के जिस सवाल पर ट्रंप पहले ही कार्यकाल से बिफरे रहे हैं, उसपर भी इटली की हालत अच्छी नहीं है. वह जीडीपी के न्यूनतम दो फीसदी हिस्से की सीमा भी हासिल नहीं कर पाया है. हालिया सालों में जर्मनी समेत कई देशों ने नाटो में अपना खर्च बढ़ाया है. लेकिन पिछले साल भी इटली उन आठ देशों में था, जो अब तक दो फीसदी का न्यूनतम लक्ष्य पूरा नहीं कर पाए हैं.