अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने सफाई दी है कि अमेरिका में कुछ देशों के लोगों के प्रवेश पर लगाई गई रोक मुसलमानों पर प्रतिबंध नहीं है. उन्होंने मीडिया पर गलत रिपोर्टिंग का आरोप भी लगाया है.
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ट्रंप ने पिछले दिनों एक अध्यादेश पर हस्ताक्षर किए जिसके मुताबिक अमेरिका में सात मुस्लिम बहुल देशों इराक, सीरिया, ईरान, सूडान, सोमालिया, यमन और लीबिया के लोगों के प्रवेश पर 90 दिन का प्रतिबंध लगाया गया है. इस अध्यादेश की चौतरफा आलोचना के बीच ट्रंप ने बयान जारी कर कहा है, "स्पष्ट तौर पर समझा जाना चाहिए कि यह मुसलमानों पर प्रतिबंध नहीं है, जैसा कि मीडिया खबरें चला रहा है.”
ट्रंप ने कहा, "अमेरिका गर्व के साथ प्रवासियों का देश है और आगे भी वह दमन से जान बचाकर भाग रहे लोगों के प्रति दया दिखाता रहेगा. लेकिन हमें अपने लोगों और सीमाओं की रक्षा करनी है.” ट्रंप ने कहा कि उनके अध्यादेश का धर्म से कोई लेना देना नहीं है. उनके मुताबिक, "यह धर्म से जुड़ा नहीं है, बल्कि इसका संबंध आतंकवाद और अपने देश को सुरक्षित रखने से है.”
ये हैं दुनिया के सबसे मुसलमान प्रेमी देश
सबसे मुस्लिम-प्रेमी देश
ग्लोबल इस्लामिक इकॉनमी रिपोर्ट 2016-17 में बताया गया है कि मुसलमानों के लिए कौन से देश सबसे ज्यादा अच्छे हैं. यानी वे देश जहां जाना, रहना, खाना-पीना मुसलमानों के हिसाब से होता है.
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इंडोनेशिया
मुस्लिम-फ्रेंडली देशों की लिस्ट में 36 अंकों के साथ इंडोनेशिया दसवें नंबर पर है. इस्लामिक फाइनैंस के मामले में टॉप 10 देशों में इंडोनेशिया नौवें नंबर पर है जबकि हलाल कॉस्मेटिक्स और दवाओं के मामले में आठवें नंबर पर.
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जॉर्डन
मुस्लिम-फ्रेंडली देशों की सूची में जॉर्डन नौवें नंबर पर है. इसका स्कोर है 37. हलाल ट्रैवल के लिहाज से जॉर्डन पांचवें नंबर पर है जबकि हलाल दवाओं में छठे. इस्लामिक फाइनैसिंग का भी यहां जोर है और देश इस सूची में नंबर 10 पर है.
तस्वीर: Reuters
कतर
43 अंकों के साथ कतर आठवें नंबर पर है. हलाल मीडिया और इस्लामिक फाइनैंसिंग दोनों ही सूचियों में इस देश को टॉप 10 में जगह मिली है. बाकी किसी लिस्ट में इसका नाम टॉप 10 में नहीं है.
तस्वीर: picture-alliance/ dpa
कुवैत
खाड़ी देश कुवैत 44 अंकों के साथ सातवें नंबर पर है. कुवैत के मीडिया को हलाल मीडिया की टॉप 10 लिस्ट में जगह मिली है. फाइनैंस के मामले में भी इसकी रैंकिंग 6 है.
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पाकिस्तान
मुस्लिम फ्रेंडली देशों में 45 अंकों के साथ पाकिस्तान छठे नंबर पर है. इसकी सबसे अच्छी रैंकिंग हलाल फूड के मामले में है जहां यह तीसरे नंबर पर है. इसके अलावा फाइनैंस ही है जिसमें पाकिस्तान (7) को टॉप 10 में जगह मिल पाई है.
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ओमान
ओमान को कुल 48 अंकों के साथ पांचवें नंबर पर रखा गया है. इसकी वजह है फाइनैंस में अच्छी स्थिति. हालांकि हलाल ट्रैवल और फूड में इसकी रैंकिंग नौवीं और छठी है.
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सऊदी अरब
63 अंकों के साथ सऊदी अरब चौथे नंबर पर है. हालांकि इस्लामी फाइनैंस को छोड़ दें तो बाकी श्रेणियों में इसकी रैंकिंग उतनी अच्छी नहीं है. फाइनैंस में यह चौथे नंबर पर है और हलाल कॉस्मेटिक्स व दवाओं में सातवें नंबर पर.
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बहरीन
बहरीन 66 अंकों के साथ तीसरे नंबर पर है. इस्लामिक फाइनैंस और हलाल मीडिया ऐसी दो श्रेणियां हैं जिनमें बहरीन की रैंकिंग बाकी सभी श्रेणियों से अच्छी है. दोनों में ही यह तीसरे नंबर पर है.
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यूएई
86 अंकों के साथ यूएई मुसलमानों की सुविधा के लिए दूसरा सबसे अच्छा देश माना गया है. फाइनैंस को छोड़ दें तो बाकी सभी श्रेणियों में यूएई सबसे ऊपर है. हलाल फूड, हलाल ट्रैवल, मॉडेस्ट फैशन, हलाल मीडिया और हलाल कॉस्मेटिक्स सभी श्रेणियों में यूएई के सर्वोत्तम बताया गया है.
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मलेशिया
रिपोर्ट में मलेशिया को सबसे ज्यादा मुस्लिम-फ्रेंडली देश माना गया है. 121 अंकों के साथ मलेशिया सबसे ऊपर जरूर है लेकिन अलग-अलग श्रेणियों में देखा जाए तो सिर्फ इस्लामिक फाइनैंस ही ऐसी कैटिगरी है जिसमें मलेशिया सबसे ऊपर रहा.
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इस बीच, विश्व नेताओं से बात करने के सिलसिले में ट्रंप ने रविवार को जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और जापानी प्रधानमंत्री शिजो आबे से टेलीफोन पर बात की. चांसलर मैर्केल के प्रवक्ता स्टेफान जाइबर्ट के अनुसार जर्मन चांसलर ने अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले पर अफसोस जताया और साथ ही ये भी कहा कि चांसलर ने राष्ट्रपति को अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी संधि के कर्तव्यों के बारे में बताया. उन्होंने एक बयान में कहा, "चांसलर शरणार्थियों और कुछ देशों के नागरिकों के प्रवेश पर अमेरिकी सरकार के प्रतिबंध पर अफसोस जताती हैं."
दूसरी तरफ, 57 मुसलमान देशों की संस्था ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन ने ट्रंप के कदम की आलोचना करते हुए कहा है कि इससे चरमपंथियों को ही मजबूती मिलेगी. अध्यादेश में शरणार्थियों के प्रवेश पर भी 120 दिन की रोक लगाई गई है जबकि सीरिया से आने वाले शरणार्थियों को अनिश्चित समय के लिए रोक दिया गया है. ओआईसी का कहना है कि सीरिया में लड़ाई से जान बचाकर भाग रहे लोगों पर इस अध्यादेश का बहुत बुरा असर होगा.
अमेरिका में कितने मुसलामन हैं, देखिए
अमेरिका में कितने मुसलमान हैं?
अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद सबसे अधिक शंका वहां रहने वाले मुसलमानों में है. कई मस्जिदों को धमकियां भी मिलने की खबरें हैं. आइए जानते हैं अमेरिका में कितने मुसलमान रहते हैं.
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मुसलमानों की हिस्सेदारी
प्यू रिसर्च सेंटर का अनुमान है कि अमेरिका में रहने वाले मुसलमानों की संख्या 33 लाख के आसपास है. इसका मतलब है कि अमेरिका की 32.2 करोड़ की आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी लगभग एक फीसदी है.
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दोगुनी हो जाएगी आबादी
प्यू रिसर्च सेंटर का यह भी अनुमान है कि 2050 तक अमेरिका में रहने वाले मुसलमानों की संख्या मौजूदा स्तर से दोगुनी हो जाएगी.
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हिंदुओं से ज्यादा मुसलमान
अनुमान है कि अमेरिका में रहने वाले मुसलमानों की संख्या वहां रहने वाले यहूदियों से कम है जिनकी तादाद 57 लाख के आसपास है. वहीं, अमेरिका में हिंदुओं की संख्या 21 लाख के आसपास है. इस तरह मुसलमानों की आबादी हिंदुओं से ज्यादा है.
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यहूदी रह जाएंगे पीछे
प्यू रिसर्च सेंटर ने अनुमान जताया है कि 2040 में मुसलमान अमेरिका में ईसाइयों के बाद दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक समूह होंगे. यानी वो 25 साल में यहूदियों को पीछे छोड़ देंगे.
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न्यू जर्सी में ज्यादा मुसलमान
अमेरिका में मुसलमानों की आबादी कुछ राज्यों में औसत से ज्यादा है. मिसाल के तौर पर न्यू सर्जी जैसे कुछ राज्यों में अधिक मुसलमान रहते हैं.
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आबादी में वृद्धि
प्यू रिसर्च सेंटर का अनुमान है कि अमेरिका में 2007 से मुसमलानों की संख्या में बहुत अधिक वृद्धि हुई है. इसकी एक वजह देश में आने वाले शरणार्थी भी हैं.
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कितने शरणार्थी आए
वित्त वर्ष 2016 में अमेरिका में दाखिल होने वाले मुसलमान शरणार्थियों की संख्या 38,901 है जबकि कुल मिलाकर इस अवधि में अमेरिका में 85000 शरणार्थियों को स्वीकार किया गया.
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धर्म परिवर्तन
इसके अलावा बहुत से लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने इस्लाम धर्म स्वीकार किया है. प्यू के मुताबिक हर पांच अमेरिकी वयस्क मुसलमानों में से एक ऐसा है जिसकी परवरिश किसी अन्य धर्म में हुई है.
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पढ़े लिख मुसलमान
सीएनएन की एक रिपोर्ट में अमेरिका में मुसलमानों को दूसरा सबसे पढ़ा लिखा समुदाय बताया गया है. इस मामले में पहले नंबर पर यहूदी आते हैं.
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मुसलमान विरोध
अमेरिका में 11 सितंबर 2001 के आतंकवादी हमले के बाद मुसलमान विरोधी भावनाएं बेहद मजबूत हुई हैं.
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ट्रंप के बयान
नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप अपने चुनाव प्रचार के दौरान कई बार मुसलमान विरोधी बातें कहने के लिए सुर्खियों में रहे हैं.
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दुनिया में कितने मुसलान
2010 के आंकड़ों के हिसाब से दुनिया भर में मुसलमानों की संख्या 1.6 अरब थी, यानी विश्व आबादी का 23 प्रतिशत. ईसाइयत के बाद इस्लाम दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धर्म है.
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तेजी से बढ़ता इस्लाम
प्यू रिसर्च सेंटर का कहना है कि इस्लाम इस समय दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता हुआ धर्म है.
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ओआईसी के बयान में कहा गया है, "इस तरह के चुनिंदा और भेदभाव वाले कदमों से चरमपंथियों को ही मजबूती मिलेगी और हिंसा और आतंकवाद को बढ़ावा मिलेगा.” बयान में अमेरिका से अपील की गई है कि वह अपने इस अध्यादेश पर दोबारा गौर करे और इस मुश्किल समय में दुनिया को नेतृत्व देने अपनी जिम्मेदारी को निभाए.
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख जायद बिन राअद जायद अल हुसैन ने भी ट्रंप के कदम की आलोचना की है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा मुस्लिम देशों के लोगों के प्रवेश पर रोक लगाना गैरकानूनी है और यह "दुर्भावना” से प्रेरित है.
ट्रंप को घरेलू स्तर पर भी खासा विरोध झेलना पड़ रहा है. अमेरिका के कई शहरों में रविवार को ट्रंप के खिलाफ लोग सड़कों पर उतरे. व्हाइट हाउस के बाहर भी लोग जमा हुए जबकि कई लोगों ने न्यू यॉर्क में आजादी की प्रतीक स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी के पास जाकर अपना विरोध जताया. वहीं अमेरिकी कांग्रेस में सात डेमोक्रैट सांसदों ने कहा है कि ट्रंप के बैन को रोकने के लिए वे एक बिल पेश करेंगे. लेकिन व्हाइट हाउस की सलाहकार केलीयेन कॉनवे का कहना है कि देश को सुरक्षित रखने के लिए यह बहुत कम कीमत है.
एके/एमजे (एपी, रॉयटर्स, एएफफी)
प्लेबॉय के कवर पर मुस्लिम
सॉफ्ट पोर्न के लिए मशहूर प्लेबॉय मैग्जीन ने पहली बार हिजाब में एक मुस्लिम औरत को अपने कवर पर जगह दी है. देखिए, प्लेबॉय कहां से कहां तक आ गई है.