अमेरिका में कोविड-19 से क्या दो लाख लोग मर सकते हैं?
३० मार्च २०२०
कोरोना वायरस से संक्रमण का प्रकोप अमेरिका के लिए भयावह साबित हो सकता है. अमेरिकी प्रशासन ने देश में इस महामारी के कारण एक से दो लाख लोगों के मरने की आशंका जताई है.
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अमेरिका में कोरोना वायरस के तेजी से बढ़ते मामलों के चलते राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने सोशल डिस्टेंसिंग दिशा-निर्देशों को 30 अप्रैल तक के लिए बढ़ा दिया है. सोशल डिस्टेंसिंग या सामाजिक दूरी के तहत आपस में लोगों को दूरी बनानी होती है, ताकि संक्रामक बीमारी के प्रसार को रोका जा सके. राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने
व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए इस बात की जानकारी दी. ट्रंप ने कहा, "हम अपनी गाइडलालंस को 30 अप्रैल तक बढ़ाने जा रहे हैं. ताकि इस वायरस के फैलाव को धीमा किया जा सके." साथ ही ट्रंप ने कहा कि मंगलवार को वह अपनी इस योजना को अंतिम रूप दे देंगे और अमेरिकी लोगों के लिए जरूरी तमाम चीजों और नीतियों के बारे में विस्तार से बताएंगे. ट्रंप प्रशासन ने 16 मार्च से अपने देश में सोशल डिस्टेंसिंग के दिशा-निर्देश जारी किये थे, ताकि इस वायरस को फैलने से रोका जा सके. ट्रंप ने कहा, "मॉडलिंग के अनुमान के मुताबिक दो हफ्ते में मृत्यु दर के चरम पर पहुंचने की संभावना है."
देशवासियों को भरोसा दिलाते हुए उन्होंने उम्मीद जताई कि अमेरिका में 1 जून तक सब ठीक हो जाएगा. जॉन्स होप्किंस कोरोना वायरस ट्रैकर के मुताबिक अमेरिका में एक लाख 42 हजार से अधिक मामलों की पुष्टि हो चुकी है जबकि देश में अब तक 2,484 लोगों की मौत हो चुकी है. अमेरिका में न्यू यॉर्क सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है. यहां 24 घंटे में संक्रमण के 7,200 नए मामले सामने आ चुके हैं. इसके साथ ही संक्रमित व्यक्तियों की संख्या 59 हजार से ज्यादा हो गई है. इनमें सिर्फ न्यू यॉर्क शहर में 33,768 मामले हैं. न्यू यॉर्क शहर में वायरस बहुत ही तेजी से लोगों को संक्रमित कर रहा है और पूरे देश के मुकाबले में यहां मौत भी अधिक हो रही है. न्यू यॉर्क शहर में एक मार्च को कोविड-19 का पहला मामला सामने आया था. ईरान से लौटे एक स्वास्थ्यकर्मी में कोविड-19 की पुष्टि हुई थी.
दूसरी ओर अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शियस डिसीज के निदेशक एंथनी फॉकी का कहना है कि कोविड-19 संक्रमण के कारण देश में दसियों लाख संक्रमित हो सकते है. उनके मुताबिक, ‘‘हम जो आज देख रहे हैं, उसके मद्देनजर कोरोना वायरस से एक लाख से दो लाख लोगों की मौत हो सकती हैं. हम संक्रमण के दसियों लाख मामले देखेंगे."
भारत में 24 मार्च से अगले 21 दिनों के लिए लॉकडाउन है लेकिन उसके अगले दिन 25 मार्च से ही लोग पैदल अपने गांवों और कस्बों की तरफ जाने लगे. यह सिलसिला जारी है. देखिए...किस तरह से लोग जान जोखिम में डाल कर सफर कर रहे हैं.
तस्वीर: DW/A. Ansari
घर जाने की बेताबी क्या होती है जरा इन लोगों से पूछिए. यह समूह किसी भी तरह से अपने घर, अपने गांव जाना चाहता है. जिंदगी को लॉकडाउन से बचाने लोग सिर पर गठरी और गोद में बच्चा लिए निकल पड़े हैं.
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परेशान हाल मजदूर और उनके परिवार पिछले कुछ दिनों से इसी तरह से बदहवास हैं, पहले जनता कर्फ्यू और उसके बाद 21 दिनों का लॉकडाउन. उन्हें कोई भी गाड़ी नजर आती है तो वे उसे रुकने का इशारा करते हैं.
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कुछ लोगों के पैरों में चलते-चलते छाले पड़ गए हैं. हाथों में एक बैग है. पानी-बिस्कुट के सहारे वह सफर तय करना चाहते हैं.
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मुंबई, अहमदाबाद, सूरत, गुड़गांव, दिल्ली, नोएडा में हजारों लोग किसी तरह से अपने घरों को पहुंचना चाहते हैं. वे कहते हैं कि शहर में अब रहकर क्या करना जब कोई काम ही नहीं है.
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कई लोगों का कहना है कि वे पिछले कुछ दिनों से भरपेट खाना नहीं खा पाए हैं. उन्होंने बताया कि वे जहां काम करते थे, वहां से उन्हें पांच-पांच सौ रुपये देकर जाने को कह दिया गया.
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यह परिवार नोएडा में रहता था, लेकिन तालाबंदी की वजह से उसके पास काम नहीं है और ना ही इतने पैसे कि आगे का खर्च निकल पाए. इसलिए पति-पत्नी ने झांसी के लिए पैदल ही चलने का फैसला किया.
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कुछ दिनों पहले तक यह लोग इस शहर का हिस्सा हुआ करते थे, लेकिन अब उन्हें इस शहर में अपना भविष्य नजर नहीं आता है. वे कहते हैं, “कोरोना से पहले, हमें भूख मार डालेगी.“
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कई प्रवासी मजदूर छोटे बच्चे और महिलाओं के साथ सफर कर रहे हैं. सफर में जंगल से भी गुजरना होगा और सुनसान हाइवे से भी. खतरों के साथ उन्हें सैकड़ों किलोमीटर सफर तय करना है.
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जो लोग अपने गांवों के लिए निकले हैं, उनके पास खाने-पीने का पर्याप्त इंतजाम नहीं है. ऐसे में कुछ लोग उन्हें खाने के पैकेट देकर मदद कर रहे हैं.
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राज्य सरकारों ने ऐसे लोगों के खाने पीने का इंतजाम किया है. उत्तर प्रदेश सरकार ने फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए बसों का इंतजाम किया है. दिल्ली सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे जहां हैं, वहीं रहें.