सऊदी अरब के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप सोमवार से दो दिन के इस्राएल दौरे पर हैं. अपने इस दौरे में इस्राएल-फलीस्तीनी शांति वार्ता में जान फूंकने की कोशिश करेंगे.
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ट्रंप अपने इस्राएल दौरे में प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतान्याहू और फलीस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास से अलग अलग मुलाकातें करेंगे. इसके अलावा वह धार्मिक स्थलों का दौरा भी करेंगे.
जनवरी में राष्ट्रपति पद संभालने के बाद ट्रंप पहली बार विदेश दौरे पर हैं. उनके इस दौरे का पहला पड़ाव सऊदी अरब था. रियाद में रविवार को अपने अहम भाषण में उन्होंने अरब और इस्लामी नेताओं से इस्लामी चरमपंथियों को हराने में अपना योगदान देने को कहा.
ट्रंप ने अपने रियाद दौरे का इस्तेमाल अरब और मुसलमान देशों के साथ अमेरिका के संबंधों को मजबूत करने के लिए किया. एक तरफ उन्होंने सऊदी अरब को 110 अरब डॉलर के हथियारों की बिक्री के समझौते का एलान किया, वहीं ईरान को सख्त संदेश भी दिया.
अपने भाषण में ट्रंप ने इस्लामी कट्टरपंथियों के खिलाफ मुस्लिम देशों से सहयोग पर जोर दिया. इससे साफ दिखता है कि अपनी चुनावी मुहिम के दौरान उन्होंने मुसलमानों को लेकर जो आक्रामक रुख दिखाया, उसमें कमी आई है. अरब और इस्लामिक देशों के दर्जनों नेताओं को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा, "बेहतर भविष्य तभी संभव है, जब आपके देश आंतकवादियों को निकाल बाहर करें, चरमपंथियों को बाहर करें. उन्हें बाहर कर दीजिए."
डिफेंस बजट: रूस से आगे भारत
रक्षा कार्यक्रमों का विश्लेषण करने वाले संस्थान आईएचएस जेन के मुताबिक 2016 में भारत रक्षा खर्च के मामले में रूस और सऊदी अरब को पछाड़कर नंबर 4 पर आ गया है. 2018 में सबसे ज्यादा रक्षा बजट किन देशों का होगा, एक अनुमान:
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अमेरिका, 625.1 अरब डॉलर
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चीन, 201.5 अरब डॉलर
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भारत, 56.5 अरब डॉलर
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ब्रिटेन, 54.4 अरब डॉलर
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सऊदी अरब, 47.6 अरब डॉलर
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फ्रांस, 45.1 अरब डॉलर
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रूस, 41.1 अरब डॉलर
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जापान, 41 अरब डॉलर
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जर्मनी, 37.9 अरब डॉलर
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दक्षिण कोरिया, 35.6 अरब डॉलर
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वहीं, ईरानी विदेश मंत्री जवाद जरीफ ने ट्रंप के भाषण पर तंज किया है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि ट्रंप ने सऊदी अरब में "लोकतंत्र और उदारवाद के गढ़ से" ईरान पर हमला किया है और पता चलता है कि उन्होंने अपने मेजबानों से बिजनेस डील्स के रूप में अरबों डॉलर "दुह" लिए हैं.
ट्रंप ने कहा कि इस्राएल और फलीस्तीनियों के बीच शांति कायम करने के लिए जो भी जरूरी होगा, वह किया जाएगा, लेकिन उन्होंने इस बारे में कोई संकेत नहीं दिए कि लंबे समय से अटकी पड़ी इस वार्ता को बहाल कैसे किया जाएगा. इसी महीने की शुरुआत में भी ट्रंप वॉशिंगटन में राष्ट्रपति अब्बास से मिल चुके हैं.
इस बीच, ट्रंप ने अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से येरूशलम ले जाने की योजना पर फिलहाल रोक लगा दी है. इस्राएल की लंबे समय से मांग रही है कि अमेरिकी दूतावस येरूशलम में हो.
अपने नौ दिन के इस विदेश दौरे में ट्रंप वेटिकन सिटी, यूरोपीय संघ के मुख्यालय ब्रसेल्स और इटली के सिलसी भी जाएंगे. सिसली में वह जी7 देशों की बैठक में हिस्सा लेंगे.
एके/ओएसजे (रॉयटर्स, एपी)
हज में क्या करते हैं लोग
दुनिया भर से लाखों मुसलमान हर साल हज के लिए सऊदी अरब जाते हैं. लेकिन वहां जाकर वे करते क्या हैं? जानिए...
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इहराम
श्रद्धालुओं को खास तरह के कपड़े पहनने होते हैं. पुरुष दो टुकड़ों वाला एक बिना सिलाई का सफेद चोगा पहनते हैं. महिलाएं भी सेफद रंग के खुले कपड़े पहनती हैं जिनमें बस उनके हाथ और चेहरा बिना ढका रहता है. इस दौरान श्रद्धालुओं को सेक्स, लड़ाई-झगड़े, खुशबू और बाल व नाखून काटने से परहेज करना होता है.
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तवाफ
मक्का में पहुंचकर श्रद्धालु तवाफ करते हैं. यानी काबा का सात बार घड़ी की विपरीत दिशा में चक्कर लगाते हैं.
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सई
हाजी मस्जिद के दो पत्थरों के बीच सात बार चक्कर लगाते हैं. इसे सई कहते हैं. यह इब्राहिम की बीवी हाजरा की पानी की तलाश की प्रतिमूर्ति होता है.
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अब तक उमरा
अब तक जो हुआ वह हज नहीं है. इसे उमरा कहते हैं. हज की मुख्य रस्में इसके बाद शुरू होती हैं. इसकी शुरुआत शनिवार से होती है जब हाजी मुख्य मस्जिद से पांच किलोमीटर दूर मीना पहुंचते हैं.
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जबल उर रहमा
अगले दिन लोग जबल उर रहमा नामक पहाड़ी के पास जमा होते हैं. मीना से 10 किलोमीटर दूर अराफात पहाड़ी के इर्द गिर्द जमा ये लोग नमाज अता करते हैं.
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मुजदलफा
सूरज छिपने के बाद हाजी अराफात और मीना के बीच स्थित मुजदलफा जाते हैं. वहां वे आधी रात तक रहते हैं. वहीं वे शैतान को मारने के लिए पत्थर जमा करते हैं.
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फिर ईद
अगला दिन ईद के जश्न का होता है जब हाजी मीना लौटते हैं. वहां वे रोजाना के तीन बार के पत्थर मारने की रस्म निभाते हैं. आमतौर पर सात पत्थर मारने होते हैं.
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पहली बार के बाद
पहली बार पत्थर मारने के बाद बकरे हलाल किये जाते हैं और जरूरतमंद लोगों के बीच मांस बांटा जाता है. बकरे की हलाली को अब्राहम के अल्लाह की खातिर अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी का प्रतीक माना जाता है.
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सफाई
अब हाजी अपने बाल कटाते हैं. पुरुष पूरी तरह गंजे हो जाते हैं जबकि महिलाएं एक उंगल बाल कटवाती हैं. यहां से वे अपने सामान्य कपड़े पहन सकते हैं.
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फिर से तवाफ
हाजी दोबारा मक्का की मुख्य मस्जिद में लौटते हैं और काबा के सात चक्कर लगाते हैं.
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पत्थर
हाजी दोबारा मीना जाते हैं और अगले दो-तीन दिन तक पत्थर मारने की रस्म अदायगी होती है.
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और फिर काबा
एक बार फिर लोग काबा जाते हैं और उसके सात चक्कर लगाते हैं. इसके साथ ही हज पूरा हो जाता है.