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राजनीतिसंयुक्त राज्य अमेरिका

ट्रंप ने इतनी जल्दी क्यों किया चुनाव लड़ने का ऐलान?

१६ नवम्बर २०२२

2020 में जो बाइडेन से चुनाव हारने वाले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने 2024 में दोबारा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. 76 वर्षीय ट्रंप ने मंगलवार को अपनी दावेदारी का ऐलान किया.

पत्नी मेलानिया ट्रंप के साथ पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप
पत्नी मेलानिया ट्रंप के साथ पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंपतस्वीर: Jonathan Ernst/REUTERS

2016 से 2020 तक अमेरिका के राष्ट्रपति रह चुके डॉनल्ड ट्रंप 2024 में फिर से चुनाव लड़ेंगे. मंगलवार रात को उन्होंने अपनी दावेदारी का ऐलान करते हुए कहा, "अमेरिका की वापसी अब से शुरू होती है.”

इसी महीने संसद के लिए हुए मध्यावधि चुनावों में अपने द्वारा चुने उम्मीदवारों की करारी हार और पार्टी के उम्मीद से कमतर प्रदर्शनके बावजूद ट्रंप के हौसले कम नहीं हुए हैं. फ्लोरिडा में अपने निवास पर मौजूद सैकड़ों समर्थकों के समक्ष उन्होंने कहा, "आज रात मैं अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उम्मीदवारी का ऐलान कर रहा हूं.” इसके कुछ ही देर पहले उन्होंने उम्मीदवारी के लिए दस्तावेज दाखिल कर दिए थे.

ट्रंप का यह ऐलान असामान्य रूप से बहुत जल्दी कर दिया गया है. विशेषज्ञ मानते हैं कि इस जल्दबाजी की दो वजह हो सकती हैं. एक तो यह कि जो अन्य रिपब्लिकन नेता अपनी दावेदारी पर विचार करे रहे हैं, उनसे बढ़त ले ली जाए और साथ ही किसी तरह के संभावित अपराधिक मुकदमों को भी टाल दिया जाए.

कई अन्य रिपब्लिकन नेता भी 2024 के चुनाव में दावेदारी की तैयारी कर रहे हैं. उनमें फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डेसांतिस भी हैं जिन्होंने 8 नवंबर को हुए चुनावों में दोबारा जीत दर्ज की है.

ट्रंप के विवाद

ट्रंप के विवादास्पद रिकॉर्ड और कानूनी पचड़ों को देखते हुए कई रिपब्लिकन नेता खुलेआम पूछ रहे हैं कि अगले चुनाव में क्या उन्हें पार्टी का झंडाबरदार बनाना सही होगा. 2016 में डेमोक्रैट उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन को हराने के बाद 2020 में ट्रंप जो बाइडेन से चुनाव हार गए थे. अपने कार्यकाल में दो बार उन्हें महाभियोग का सामना करना पड़ा.

ट्रंप कई तरह के कानूनी विवादों में भी फंसे हुए हैं.अपने कार्यकाल के दौरान कई फैसलों और गतिविधियों को लेकर जांच एजेंसियां उनकी जांच कर रही हैं. उनमें से कई मामले ऐसे हैं जिनमें आरोप तय हो गए तो ट्रंप की दावेदारी संकट में पड़ जाएगी. मसलन, उनके पारिवारिक व्यापार में फ्रॉड, पिछले साल कैपिटल भवन पर विद्रोहियों की चढ़ाई में उनकी भूमिका, 2020 के चुनावी नतीजों को पलटने की कोशिश और एक गोपनीय दस्तावेज को सार्वजनिक करने का मामला भी है.

अभी रिपब्लिकन पार्टी मध्यावधि चुनावों में मिले जख्मों को सुखाने में ही लगी है, जिसके लिए ट्रंप को मुख्य रूप से जिम्मेदार माना जा रहा है. ट्रंप ने जिन उम्मीदवारों को खुद चुना था, उनमें से ज्यादातर चुनाव हार गए.

साथियों ने छोड़ा हाथ

मध्यावधि चुनावों में हार के बाद ट्रंप ने अपने कई सहयोगियों को भी खो दिया है. ताकतवर मीडिया कारोबारी रुपर्ट मरडॉक ने ट्रंप का साथ ना देने के संकेत दिए हैं. मध्यावधि चुनावों में हार के बाद मरडॉक ने कहा था कि ट्रंप एक ‘हरवैया' हैं जो ‘लगातार खराब फैसले कर रहे हैं.'

कभी ट्रंप के कट्टर समर्थक और उपराष्ट्रपति रहे माइक पेंस ने मंगलवार को अपनी नई किताब ‘सो हेल्प मी गॉड' जारी की. इस मौके पर उन्होंने एबीसी न्यूज से कहा कि 6 जनवरी 2021 को ट्रंप का व्यवहार लापरवाही भरा था. हालांकि उन्होंने इस बात पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि ट्रंप को दोबारा राष्ट्रपति चुनाव लड़ना चाहिए या नहीं. उन्होंने कहा, "इस बात का फैसला तो अमेरिका के लोगों को करना है लेकिन मुझे लगता है कि हमारे पास भविष्य में बेहतर विकल्प होंगे.”

हालांकि जनता में बड़ी तादाद में ट्रंप के समर्थक मौजूद हैं. उनके पास करोड़ों जमीनी कार्यकर्ताओं की फौज है जिन्होंने देशभर में ‘अमेरिका को फिर से महान बनाओ' (Make America Great Again) के बैनर टांग दिए हैं. बड़े पैमाने पर रिपब्लिकन दावेदारों द्वारा हाथ खींच लिए जाने के बावजूद ट्रंप ने 10 करोड़ डॉलर से ज्यादा का धन चुनाव प्रचार के लिए जमा कर लिया है.

वीके/एए (रॉयटर्स, एपी)

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