अमेरिकी संघीय जांच एजेंसी एफबीआई ने कहा है कि एक बार फिर डॉनल्ड ट्रंप की हत्या की कोशिश हुई है. संदिग्ध को गिरफ्तार कर लिया गया है, जो पहले ट्रंप का समर्थक था.
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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप के ऊपर एक हमले को नाकाम कर दिया गया है. संघीय जांच एजेंसी एफबीआई ने इसे "हत्या का प्रयास" बताया है. नौ हफ्ते पहले 13 जुलाई को भी ट्रंप पर जानलेवा हमला हुआ था. ताजा हमले के बाद ट्रंप ने पुष्टि की कि वह सुरक्षित हैं और अधिकारियों ने एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया है.
घटना फ्लोरिडा में एक गोल्फ कोर्स में हुई, जहां पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप गोल्फ खेल रहे थे. उनकी सुरक्षा में तैनात सीक्रेट सर्विस के जवानों ने देखा कि एक रायफल झाड़ियों में से बाहर आ रही थी. यह ट्रंप के खेलने की जगह से लगभग 400 गज दूर थी. जवानों ने उस रायफल की दिशा में गोलीबारी की, जिसके बाद हमलावर रायफल छोड़कर एक एसयूवी में भाग गया.
हमले में जान गंवाने वाले दुनिया के बड़े नेता
ट्रंप पर जानलेवा हमला, यह पहला मौका नहीं है जब किसी दिग्गज राजनेता पर घातक हमला हुआ है. एक नजर बीते 50 साल में ऐसे हमलों में जान गंवाने वाले बड़े नेताओं पर.
तस्वीर: STR/AFP/Getty Images
जोवेनेल मोइस, 2021
हैती के तत्कालीन राष्ट्रपति जोवेनेल मोइस की उन्हीं के घर में घुसकर हत्या कर दी गई. हत्याकांड को 28 विदेशी हमलावरों ने अंजाम दिया. हमले में बुरी तरह घायल हुई उनकी पत्नी का अमेरिका में इलाज चला. अब पत्नी पर ही हत्या की साजिश रचने का आरोप है.
तस्वीर: Joseph Odelyn/AP Photo/picture alliance
जोरान जिनजिच, 2003
सर्बिया के तत्कालीन प्रधानमंत्री की जोरान जिनजिच की राजधानी बेलग्रेड में एक स्नाइपर ने हत्या कर दी. सरकार के मुख्यालय के बाहर अपनी कार से निकलते ही जिनजिच के सीने में गोली मारी गई. प्रधानमंत्री की मौके पर मौत हो गई.
तस्वीर: ANDREJ ISAKOVIC/AFP/Getty Images
यित्सखाक राबिन, 1995
इस्राएल के दूसरे बड़े शहर तेल अवीव में ओस्लो समझौते के समर्थन में रैली कर रहे तत्कालीन इस्राएली प्रधानमंत्री राबिन (तस्वीर में दाहिने) को एक कानून के छात्र ने गोली मार दी. हमलावर अतिराष्ट्रवादी था और राबिन के शांति समझौते का कड़ा विरोध कर रहा था.
तस्वीर: Wilfredo Lee/AP Photo/picture alliance
राणासिंघे प्रेमदासा, 1993
श्रम दिवस के दिन संयुक्त राष्ट्र की एक रैली के दौरान, एलटीटीई के आत्मघाती हमले में श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति राणासिंघे प्रेमदासा समेत 24 लोगों की मौत हो गई. घटनास्थल पर मिली एक अंगूठी और घड़ी से प्रेमदासा की पहचान हुई.
तस्वीर: Sven Simon/United Archives/picture alliance
राजीव गांधी, 1991
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस नेता राजीव गांधी की एक रैली के दौरान हत्या कर दी गई. तमिलनाडु के श्रीपेरुमबुदूर में राजीव गांधी, लिट्टे के एक आत्मघाती दस्ते का शिकार हुए. राजीव गांधी के पैर छूने का बहाना कर रहे एलटीटीई के हमलावरों की कमर पर सुसाइड बम बंधे थे.
तस्वीर: STR/AFP/Getty Images
ओलॉफ पाल्मे, 1986
स्वीडन के प्रधानमंत्री ओलॉफ पाल्मे अपनी पत्नी के साथ सिनेमा से वापस पैदल घर लौट रहे थे, तभी पीछे से बहुत करीब से पति पत्नी पर गोलियां दागी गईं. प्रधानमंत्री को कुछ ही देर बाद स्टॉकहोम के अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया.
तस्वीर: DW/Hufen
इंदिरा गांधी, 1984
भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उन्हीं के अंगरक्षकों ने नई दिल्ली में गोली मारकर हत्या कर दी. अमृतसर में सिख चरमपंथियों के खिलाफ की गई सैन्य कार्रवाई के बाद से सिख समुदाय इंदिरा गांधी से नाराज था.
तस्वीर: Sven Simon/picture-alliance
अनवर सादात, 1981
मिस्र की राजधानी काहिरा में स्वेज नहर के राष्ट्रीयकरण की वर्षगांठ मनाई जा रही थी. सेना विजय परेड निकाल रही थी. तभी राष्ट्रपति सादात को सलामी देते हुए मिस्र की वायुसेना के विमान ऊपर से उड़े, इसी दौरान विद्रोही सैनिकों ने परेड रोककर राष्ट्रपति पर गोलियों की बौछार कर दी.
तस्वीर: AP
जियाउर रहमान, 1981
बांग्लादेश के तत्कालीन राष्ट्रपति जियाउर रहमान की चटगांव के सर्किट हाउस में बॉडीगार्डों समेत हत्या कर दी गई. हत्या बांग्लादेश की सेना के कुछ अधिकारियों ने की.
तस्वीर: AP Photo/picture alliance
शेख मुजीबुर रहमान, 1975
बांग्लादेश के संस्थापक कहे जाने वाले शेख मुजीबुर रहमान की सैन्य तख्तापलट कर हत्या कर दी गई. हत्या से पहले भारतीय खुफिया एजेंसी ने मुजीब को चेतावनी दी थी. हालांकि मुजीब ने इन चेतावनियों को यह कहकर खारिज कर दिया कि उनके अपने लोग उन्हें कभी नुकसान नहीं पहुंचाएंगे.
जेएफके के नाम से मशहूर अमेरिका के 35वें राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी की नबंवर 1963 में गोली मारकर हत्या कर दी गई. वारदात के वक्त केनेडी, डैलस शहर में एक खुली कार में थे. कार के दोनों तरफ लोग उनका अभिवादन कर रहे थे, तभी केनेडी के सिर और गर्दन पर गोलियां लगीं.
तस्वीर: Tampa Bay Times/Zuma Press/picture alliance
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घटनास्थल पर रायफल, दो बैकपैक, एक स्कोप और एक गोप्रो कैमरा बरामद हुआ. पाम बीच काउंटी के शेरिफ रिक ब्रैडशॉ ने बताया कि संदिग्ध को बाद में एक पड़ोसी इलाके में गिरफ्तार कर लिया गया.
ट्रंप का संदेश
मार्टिन काउंटी के शेरिफ विलियम श्नाइडर ने कहा कि गिरफ्तारी के बाद संदिग्ध बहुत शांत और उदासीन रहा. जब उसे रोका गया, तो उसने कोई सवाल नहीं पूछा. श्नाइडर ने बताया, "उसने कभी नहीं पूछा कि यह क्या हो रहा है. अधिकारियों के पास लंबी रायफलें, नीली लाइट और बहुत कुछ था लेकिन उसने कोई सवाल नहीं किया."
ताजा हमले से जुड़े संदिग्ध की पहचान रेयान रुथ के रूप में हुई है. खबरों के मुताबिक, रुथ ने पहले ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने का समर्थन किया था, लेकिन हाल ही में उन्होंने अपना मत बदलकर बाइडेन और हैरिस के समर्थन की बात कही.
एफबीआई इस मामले की जांच कर रही है और हमले के मकसद को समझने की कोशिश की जा रही है. फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डे सांतेस ने राज्य द्वारा स्वतंत्र जांच की मांग की है.
यह हमला एक बार फिर सीक्रेट सर्विस की क्षमताओं पर सवाल खड़े कर रहा है. इससे पहले 13 जुलाई को पेन्सिल्वेनिया में ट्रंप पर गोली चली थी, जिसमें वह मामूली रूप से घायल हुए थे. उसके आठ दिन बाद, राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चुनाव की दौड़ से हटने का फैसला किया और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार बन गईं.
15 सितंबर की घटना के बाद ट्रंप ने अपने समर्थकों को भेजे गए एक ईमेल में लिखा, "मेरे आस-पास गोलियां चल रही थीं, लेकिन अफवाहों के फैलने से पहले मैं चाहता था कि आप जान लें: मैं सुरक्षित और स्वस्थ हूं." उन्होंने लिखा, "कुछ भी मेरी रफ्तार को धीमा नहीं कर सकता. मैं कभी हार नहीं मानूंगा!"
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सुरक्षा में चूक?
ट्रंप के खेल के कारण फ्लोरिडा के गोल्फ कोर्स को आंशिक रूप से बंद कर दिया गया था. हालांकि, कई क्षेत्रों में गोल्फरों को देखा जा सकता था. सीक्रेट सर्विस के एजेंट और अधिकारी आमतौर पर ट्रंप के खेल की जगह से कई मीटर आगे और पीछे सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं. शेरिफ ब्रैडशॉ ने कहा कि यदि ट्रंप राष्ट्रपति होते, तो पूरा गोल्फ कोर्स सुरक्षित किया जाता. उन्होंने यह भी बताया कि सीक्रेट सर्विस ने सही तरीके से सुरक्षा प्रदान की थी.
दुनिया पर ऐसा रहा है अमेरिकी राष्ट्रपतियों का असर
अमेरिकी राष्ट्रपति की नीतियां दुनिया की दिशा तय करती हैं. एक नजर बीते 11 अमेरिकी राष्ट्रपतियों के कार्यकाल और उस दौरान हुई मुख्य घटनाओं पर.
तस्वीर: DW/E. Usi
डॉनल्ड ट्रंप (2017-2021)
2017 में भले ही हिलेरी क्लिंटन को उनसे ज्यादा वोट मिले लेकिन जीत ट्रंप की हुई. अमेरिका और मेक्सिको के बीच दीवार बनाने और अमेरिका को फिर से "ग्रेट" बनाने के वादे के साथ ट्रंप चुनावों में उतरे थे. उनके कार्यकाल में अमेरिका पेरिस जलवायु संधि से और विश्व स्वास्थ्य संगठन से दूर हुआ. वे कभी कोरोना को चीनी वायरस बोलने से पीछे नहीं हटे. हालांकि उन्हें किम जोंग उन से मुलाकात करने के लिए भी याद रखा जाएगा.
तस्वीर: Brendan Smialowski/AFP
बराक ओबामा (2009-2017)
2007 की आर्थिक मंदी से कराहती दुनिया में ओबामा ताजा झोंके की तरह आए. देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति ने इराक और अफगानिस्तान से सेना वापस बुलाई, लेकिन उन्हीं के कार्यकाल में अरब जगत में खलबली मची, इस्लामिक स्टेट बना और रूस से मतभेद चरम पर पहुंचे. ओबामा ने पेरिस में जलवायु परिवर्तन की ऐतिहासिक डील करवाई. वह भारत की गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति भी बने.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/S. Walsh
जॉर्ज डब्ल्यू बुश (2001-2009)
बुश के सत्ता संभालने के बाद अमेरिका और पूरी दुनिया ने 9/11 जैसा अभूतपूर्व आतंकवादी हमला देखा. बुश के पूरे कार्यकाल पर इस हमले की छाप दिखी. उन्होंने अल कायदा और तालिबान को नेस्तनाबूद करने के लिए अफगानिस्तान में सेना भेजी. इराक में उन्होंने सद्दाम हुसैन को सत्ता से बेदखल कर मौत की सजा दिलवाई. बुश के कार्यकाल में भारत के साथ दशकों के मतभेद दूर हुए और दोस्ती की शुरुआत हुई.
तस्वीर: Getty Images/AFP/E. Dunand
बिल क्लिंटन (1993-2001)
बिल क्लिंटन शीत युद्ध खत्म होने के बाद राष्ट्रपति बनने वाले पहले नेता थे. 1992 में सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस कमजोर पड़ गया. क्लिंटन ने रूस को अलग थलग करने के बजाए मुख्य धारा में लाने की कोशिश की. क्लिंटन के कार्यकाल में अफगानिस्तान आतंकवाद का गढ़ बन गया. अमेरिका और पाकिस्तान की मदद से पनपा तालिबान सत्ता में आ गया. क्लिंटन का कार्यकाल आखिर में मोनिका लेवेंस्की अफेयर के लिए बदनाम हो गया.
तस्वीर: picture-alliance/CPA Media
जॉर्ज बुश (1989-1993)
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिकी नौसेना के पायलट और बाद में सीआईए के डायरेक्टर रह चुके जॉर्ज बुश के कार्यकाल में दुनिया ने ऐतिहासिक बदलाव देखे. सोवियत संघ टूटा. बर्लिन की दीवार गिरी और पूर्वी व पश्चिमी जर्मनी का एकीकरण हुआ. लेकिन उनके राष्ट्रपति रहने के दौरान खाड़ी में बड़ी उथल पुथल रही. इराक ने कुवैत पर हमला किया और अमेरिका की मदद से इराक की हार हुई.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/CNP/R. Sachs
रॉनल्ड रीगन (1981-1989)
कैलिफोर्निया के गवर्नर रॉनल्ड रीगन जब राष्ट्रपति बने तो सोवियत संघ के साथ शीत युद्ध चरम पर था. सोवियत सेना अफगानिस्तान में थी. कम्युनिज्म के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए रीगन ने अमेरिका के सैन्य बजट में बेहताशा इजाफा किया. रीगन ने पनामा नहर की सुरक्षा के लिए सेना भेजी. उन्होंने कई सामाजिक सुधार भी किये. रीगन को अमेरिकी नैतिकता को बहाल करने वाला राष्ट्रपति भी कहा जाता है.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने उदार कूटनीति अपनाई. उन्हीं के कार्यकाल में मध्य पूर्व में कैम्प डेविड समझौता हुआ. पनामा नहर का अधिकार वापस पनामा को दिया गया. सोवियत संघ के साथ साल्ट लेक 2 संधि हुई. लेकिन 1979 में ईरान की इस्लामिक क्रांति के दौरान तेहरान में अमेरिकी दूतावास पर हमले और कई अमेरिकियों को 444 दिनों तक बंधक बनाने की घटना ने उनकी साख पर बट्टा लगाया.
तस्वीर: Getty Images/AFP/K. Betancur
जेराल्ड फोर्ड (1974-1977)
रिचर्ड निक्सन के इस्तीफे के बाद उप राष्ट्रपति फोर्ड को राष्ट्रपति नियुक्त किया गया. बिना चुनाव लड़े देश के उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति बनने वाले वे अकेले नेता है. उन्हें संविधान में संशोधन कर कार्यकाल के बीच में उपराष्ट्रपति बनाया गया था. राष्ट्रपति के रूप में फोर्ड ने सोवियत संघ के साथ हेल्सिंकी समझौता किया और तनाव को कुछ कम किया. फोर्ड के कार्यकाल में ही अफगानिस्तान संकट का आगाज हुआ.
तस्वीर: picture alliance/United Archives/WHA
रिचर्ड निक्सन (1969-1974)
निक्सन के कार्यकाल में दक्षिण एशिया अमेरिका और सोवियत संघ का अखाड़ा बना. भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के बाद बांग्लादेश बना. निक्सन और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अनबन तो दुनिया भर में मशहूर हुई. लीक दस्तावेजों के मुताबिक निक्सन ने इंदिरा गांधी को "चुडैल" बताया. वियतनाम में बुरी हार के बाद निक्सन ने सेना को वापस भी बुलाया. उन्हीं के कार्यकाल में साम्यवादी चीन सुरक्षा परिषद का सदस्य बना.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
लिंडन बी जॉनसन (1963-1969)
जॉनसन जब राष्ट्रपति बने तो वियतनाम युद्ध चरम पर था. उन्होंने वियतनाम में अमेरिकी सैनिकों की संख्या बढ़ाई. जॉनसन के कार्यकाल में तीसरा अरब-इस्राएल युद्ध भी हुआ. अरब देशों की हार के बाद दुनिया ने अभूतपूर्व तेल संकट भी देखा. इस दौरान अमेरिका में मार्टिन लूथर किंग की हत्या के बाद बड़े पैमाने पर नस्ली दंगे हुए. जॉनसन ने माना कि अमेरिका में अश्वेत लोगों से भेदभाव बड़े पैमाने पर हुआ है.
तस्वीर: Public domain
जॉन एफ कैनेडी (1961-1963)
जेएफके कहे जाने वाले राष्ट्रपति ने अपने कार्यकाल में क्यूबा का मिसाइल संकट देखा, भारत और चीन का युद्ध भी उन्हीं के सामने हुआ. कैनेडी के कार्यकाल में ही पूर्वी जर्मनी ने रातों रात बर्लिन की दीवार बना दी. युवा राष्ट्रपति ने न्यूक्लियर टेस्ट बैन ट्रीटी भी करवाई. कैनेडी के कार्यकाल में अमेरिका और सोवियत संघ के बीच अंतरिक्ष होड़ भी शुरू हुई. 1963 में कैनेडी की हत्या कर दी गई.
तस्वीर: DW/E. Usi
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ट्रंप के प्रचार अभियान दल ने उनके कार्यक्रम में तत्काल किसी बदलाव की घोषणा नहीं की है. वह 16 सितंबर की रात सोशल मीडिया साइट एक्स पर क्रिप्टोकरंसी के बारे में बोलने वाले हैं. इसके बाद मिशिगन के फ्लिंट और न्यूयॉर्क के लॉन्ग आइलैंड में उनकी रैली होनी है. प्रचार अभियान में काम करने वालों को भेजे गए एक ईमेल में सुरक्षा की अहमियत पर जोर दिया गया और कहा गया, "आपकी सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है. कृपया अपने रोजमर्रा के जीवन में सतर्क रहें."
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और उप राष्ट्र्पति कमला हैरिस को इस घटना के बारे में सूचित किया गया है. हैरिस ने कहा, "अमेरिका में हिंसा की कोई जगह नहीं है." बाइडेन ने भी इसी बात को दोहराया और सीक्रेट सर्विस को सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया.
बढ़ाई गई सुरक्षा
हमले के बाद ट्रंप ने अपने सहयोगियों से संपर्क किया, जिनमें उनके साथ उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार ओहायो से सेनेटर जेडी वैंस और साउथ कैरोलाइना की सेनेटर लिंड्से ग्राहम शामिल हैं. अमेरिकी संसद के स्पीकर माइक जॉनसन ने बीती शाम ट्रंप से मुलाकात की और उन्हें "अजेय" बताया.
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में कितना असर डालता है चंदा
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जुलाई में हुए हमले के बाद ट्रंप की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई गई थी. वह अब रैलियों में बुलेटप्रूफ ग्लास के पीछे से बोलते हैं और उनके निवास पर भी सुरक्षा इंतजाम ज्यादा सख्त कर दिए गए हैं.