पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म ‘ट्रूथ सोशल’ इस हफ्ते से काम करना शुरू कर सकता है. ट्रंप को पिछले साल से कई सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म प्रतिबंध कर चुके हैं.
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एक साल पहले जिस नए सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म का ऐलान पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने किया था, वह इस हफ्ते से काम करना शुरू कर सकता है. ट्रंप ने पिछले साल इस प्लैटफॉर्म को शुरू करने का ऐलान तब किया था जब अपुष्ट बातें ट्वीट करने का आरोप लगाकर ट्विटर ने उन पर प्रतिबंध लगा दिया था. वह फेसबुक और यूट्यूब द्वारा भी प्रतिबंधित हैं.
रविवार को कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि ‘ट्रूथ सोशल' को क्रमबद्ध शुरू किया जाएगा. इस हफ्ते से ऐप कुछ क्षेत्रों में उपलब्ध हो सकता है और मार्च के आखिर तक इसके पूरी दुनिया में उपलब्ध होने की संभावना है. माना जा रहा है कि इस कंपनी का मकसद दक्षिणपंथियों को लुभाना और अपने प्लैटफॉर्म पर लाना है.
सोमवार से शुरू
रविवार को एप्पल के ऐप स्टोर पर ‘ट्रूथ सोशल' अमेरिकी ग्राहकों के लिए उपलब्ध दिखा रहा था, जहां वे इसे प्री-ऑर्डर कर सकते थे. सोमवार से इस ऐप के उपलब्ध होने की बात कही गयी थी. अधिकारी ने कहा कि यह एप ट्विटर से मिलती-जुलती होगी.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने कुछ तस्वीरें साझा की हैं जिनमें ‘ट्रूथ सोशल' पर वेरिफाइड अकाउंट से एक अधिकारी बिली बी. ने परीक्षण के दौरान लोगों के सवालों के जवाब दिए. एक सवाल के जवाब में बिली बी. ने कहा, "हम सोमवार 21 फरवरी से एप्पल के ऐप स्टोर पर शुरुआत के लिए तैयार हैं.”
सोशल मीडिया कंपनियां नेताओं के साथ कैसे पेश आती हैं
फेसबुक और ट्विट्टर द्वारा डॉनल्ड ट्रंप के खातों को बंद कर देने के बाद सोशल मीडिया कंपनियों के व्यवहार को लेकर काफी चर्चा हुई थी. कैसे तय करती हैं कंपनियां कि उनके मंचों पर किस नेता को क्या-क्या बोलने दिया जाए.
तस्वीर: Leah Millis/REUTERS
किसके साथ होता है विशेष व्यवहार?
फेसबुक और ट्विटर दोनों के ही मौजूदा नियम आम यूजर के मुकाबले चुने हुए नुमाइंदों और राजनीतिक प्रत्याशियों को ज्यादा अभिव्यक्ति की आजादी देते हैं. ट्विटर के जनहित नियमों के तहत तो सत्यापित सरकारी अधिकारी भी आते हैं.
तस्वीर: Ozan Kose/AFP/Getty Images
तो क्या हैं मौजूदा नियम?
ट्विटर कहती है कि सामग्री अगर जनहित में हो तो वो उसे हटाती नहीं है, क्योंकि ऐसी सामग्री का रिकॉर्ड रहेगा तभी नेताओं को जवाबदेह बनाया जा सकेगा. फेसबुक राजनेताओं की पोस्ट और भुगतान किए हुए विज्ञापनों को अपने बाहरी फैक्ट-चेक कार्यक्रम से छूट देती है. फेसबुक राजनेताओं द्वारा किए गए कंपनी के नियम तोड़ने वाले पोस्ट को भी नहीं हटाती है अगर उनका जनहित उनके नुकसान से ज्यादा बड़ा है.
तस्वीर: Diptendu Dutta/AFP
आतंकवाद गंभीर मामला
ट्विटर का कहना है कि दुनिया में कहीं भी अगर कोई नेता आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला ट्वीट करता है तो उसे कंपनी हटा देती है. किसी दूसरे की निजी जानकारी जाहिर करने वाले ट्वीटों को भी हटा दिया जाता है. फेसबुक के तो कर्मचारियों ने ही भड़काऊ पोस्ट ना हटाने पर कंपनी की आलोचना की है. यूट्यूब कहता है कि उसने नेताओं के लिए कोई अलग नियम नहीं बनाए हैं.
तस्वीर: picture-alliance/ZUMAPRESS/S. Babbar
ट्रंप के साथ क्या हुआ?
छह जनवरी 2021 को वॉशिंगटन में हुए कैपिटल दंगों के बाद ट्विट्टर, फेसबुक, स्नैपचैट और ट्विच ने ट्रंप पर हिंसा को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबंध लगा दिया था. यूट्यूब ने भी ट्रंप के चैनल पर रोक लगा दी थी.
तस्वीर: Christoph Hardt/Geisler-Fotopress/picture alliance
दूसरे नेताओं का क्या?
मानवाधिकार समूहों ने मांग की है कि इन कंपनियों को दूसरे नेताओं के खिलाफ भी इसी तरह के कदम उठाने चाहिए. कई नेता हैं जिनकी सार्वजनिक रूप से काफी आलोचना होती है लेकिन वो सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं. इनमें ईरान के सर्वोच्च नेता अयातोल्लाह खमेनेई, ब्राजील के राष्ट्रपति जाएर बोल्सोनारो और वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो शामिल हैं. म्यांमार में तख्तापलट के बाद फेसबुक ने सेना पर प्रतिबंध लगा दिया था.
तस्वीर: Office of the Iranian Supreme Leader/AP/picture alliance
अब क्या हो रहा है?
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों और कैपिटल दंगों के दौरान फेसबुक और ट्विटर की भूमिका को लेकर सवाल उठने के बाद दोनों कंपनियों ने अपनी नियमों पर राय मांगी है. फेसबुक ने अपने ओवरसाइट बोर्ड से सुझाव मांगे हैं और ट्विट्टर ने जनता से. (रॉयटर्स)
तस्वीर: Leah Millis/REUTERS
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अमेरिकी टीवी चैनल फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में ट्रंप मीडिया एंड टेक्नोलॉजी ग्रुप (TMTG) के एक अधिकारी डेविड नून्स ने कहा, "इस हफ्ते से हम एप्पल के ऐप स्टोर पर एप उपलब्ध करवा देंगे. यह एक शानदार कदम होगा क्योंकि हमारे प्लैटफॉर्म पर बहुत सारे लोग होंगे.”
नून्स ने कहा कि उनका मकसद मार्च पूरी तरह काम शुरू कर देना है. उन्होंने बताया, "हमारा मकसद है, और मेरे ख्याल से हम इसे हासिल कर लेंगे, कि मार्च के आखिर तक कम से कम अमेरिका में पूरी तरह से काम शुरू कर दें.”
सोशल मीडिया में गतिविधियां
माना जाता है कि ‘ट्रूथ सोशल' दक्षिणपंथी लोगों के बीच अपनी जगह बनाने की कोशिश में होगा. हालांकि ऐसे ग्राहकों के लिए पहले से ही कई प्लैटफॉर्म उपलब्ध हैं जिनमें गेटर (gettr), पार्लर (parler) और गैब (Gab) आदि शामिल हैं.
पिछले साल 1 जनवरी से एमेजॉन ने अपना सोशल मीडिया ऐप पार्लर बंद कर दिया था क्योंकि उस पर इल्जाम लग रहे थे कि वहां ग्राहक हिंसा भड़का रहे हैं और इस तरह की सामग्री को हटाया नहीं जा रहा है. उससे पहले गूगल और एप्पल ने इस ऐप को अपने यहां से हटा दिया था.
वीके/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)
दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र को ट्रंप समर्थकों ने हिला डाला !
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के समर्थकों ने बुधवार 6 जनवरी 2021 को एक मार्च के दौरान कैपिटल हिल पर धावा बोल दिया. सुरक्षाकर्मियों के साथ उनकी झड़प हुई और समर्थकों के पास से हथियार जब्त किए गए.
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ट्रंप समर्थकों का बवाल
हाल के कई सालों में अमेरिका से इस तरह की तस्वीरें सामने नहीं आई हैं. सत्ता हस्तांतरण से पहले हिंसा और बवाल ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को हिला कर रख दिया. आरोप ट्रंप समर्थकों पर लगा कि उन्होंने कैपिटल हिल में घुसकर तोड़फोड़ की और उस पर कब्जे की कोशिश की.
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चार की मौत
पुलिस और सुरक्षाबलों के साथ झड़प में अब तक चार लोगों की मौत हुई और 52 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है. दरअसल कैपिटल बिल्डिंग में कांग्रेस के दोनों सदनों में चर्चा हो रही थी और नव निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन की जीत की पुष्टि की जानी थी. इसी दौरान वहां हजारों लोग परिसर में घुस आए और बवाल काटा.
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हथियार, डंडे और झंडे से लैस
वॉशिंगटन डीसी के पुलिस प्रमुख रॉबर्ट कॉन्टे के मुताबिक अब तक 52 में से 47 लोगों को रात का कर्फ्यू के उल्लंघन के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. कई और लोगों को गैरकानूनी रूप से हथियार रखने या प्रतिबंधित हथियार के साथ चलने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. कुछ समर्थकों ने स्प्रे का इस्तेमाल सुरक्षाकर्मियों पर हमला करने के लिए किया.
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सुरक्षाकर्मियों के साथ झड़प
ट्रंप समर्थकों के बवाल के दौरान 14 पुलिस अफसर घायल हो गए और दो अफसर अभी भी अस्पताल में दाखिल हैं. वॉशिंगटन की मेयर म्यूरियल बॉउसर ने शहर में 15 दिन के इमरजेंसी का ऐलान कर दिया है. यह इमरजेंसी 21 जनवरी तक लागू रहेगी. बॉउसर ने कहा है कि पुलिस जनता से दंगा करने वालों की पहचान करने की मदद मांगने का इरादा कर रही है.
तस्वीर: Win McNamee/Getty Images
संघर्ष
कैपिटल हिल परिसर में तैनात सुरक्षाकर्मियों को ट्रंप समर्थकों से निपटने में खासी मशक्कत करनी पड़ी. हिंसा की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुए. पुलिस से ट्रंप समर्थकों का भिड़ना और कुछ समर्थकों का संसद के भीतर दाखिल होने का वीडियो पूरी दुनिया ने देखा.
तस्वीर: Tasos Katopodis/Getty Images
मार्च के बहाने कैपिटल हिल पर हमला!
बुधवार 6 जनवरी को कैपिटल हिल बिल्डिंग में अमेरिकी कांग्रेस जो बाइडेन की जीत की पुष्टि के लिए बैठी तभी हजारों ट्रंप समर्थकों ने वॉशिंगटन में मार्च निकाला और कैपिटल हिल पर धावा बोल दिया. ट्रंप समर्थकों के मार्च को लेकर सुरक्षा बढ़ाई गई लेकिन देखते ही देखते वे बिल्डिंग की ओर बढ़ गए. उन्हें रोकने के लिए आंसू गैस के गोले भी दागे गए.
तस्वीर: Tasos Katopodis/Getty Images
हिंसा की निंदा
हंगामे और हिंसा की निंदा पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा समेत कई नेताओं ने की है. उनके अलावा नव निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ट्रंप से देश से माफी मांगने की सलाह दी है. उन्होंने ट्रंप को अपने समर्थकों को समझाने के लिए कहा है.
तस्वीर: Joseph Prezioso/AFP/Getty Images
हार नहीं मानेंगे ट्रंप!
राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने संसद का सत्र शुरू होने से ठीक पहले कहा था कि वह चुनाव में हार को स्वीकार नहीं करेंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि इसमें धांधली हुई और यह धांधली उनके प्रतिद्वंद्वी जो बाइडेन के लिए की गई थी.