अरब दुनिया में पहली बार, ट्यूनीशिया में महिला बनी पीएम
३० सितम्बर २०२१
ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री को अपदस्थ करने और संसद भंग होने के दो महीने बाद एक महिला को नई सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया है. नाजला बूदेन रमधाने अब ट्यूनीशिया की पहली महिला प्रधानमंत्री होंगी.
नाजला बूदेन रमधानेतस्वीर: Tunisian Presidency/REUTERS
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ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति कैस सईद ने निर्वाचित सरकार को हटाने और सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लगभग दो महीने बाद नाजला बूदेन रमधाने नाम की एक महिला को प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करने की घोषणा की. इस तरह से वह ट्यूनीशिया की पहली महिला प्रधानमंत्री होंगी.
अपने फेसबुक पेज पर इसकी घोषणा करते हुए राष्ट्रपति ने एक बयान जारी कर कहा, "राष्ट्रपति कैस सईद ने नाजला बूदेन रमधाने को जल्द से जल्द नई सरकार बनाने के लिए अधिकृत किया है."
कैस सईद ने एक वीडियो संदेश में कहा कि "ट्यूनीशिया के इतिहास में पहली बार, एक महिला प्रधानमंत्री सरकार का नेतृत्व करेगी." उन्होंने कहा देश की समस्याओं से निपटने के लिए एक मजबूत प्रतिबद्धता के साथ मिलकर काम करेंगे.
इंजीनियरिंग की प्रोफेसर से पीएम तक
रिपोर्ट्स के मुताबिक नाजला बूदेन के बारे में ज्यादा जानकारी तो नहीं है, लेकिन वह पेशे से इंजीनियरिंग स्कूल में पढ़ाती हैं और वर्ल्ड बैंक के लिए काम कर चुकी हैं. राष्ट्रपति ने नाजला को प्रधानमंत्री नियुक्त करने के अपने फैसले के बारे में भी कोई विशेष जानकारी नहीं दी. 63 वर्षीय नाजला का जन्म केंद्रीय ट्यूनीशिया के कैरौन में हुआ था और वह राजधानी में नेशनल स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में प्रोफेसर हैं.
उन्हें 2011 में उच्च शिक्षा मंत्रालय में महानिदेशक पद पर नियुक्त किया गया था. हालांकि उन्हें राजनीति में कोई विशेष अनुभव नहीं है.
देखें: इन देशों में आधे से ज्यादा मंत्री महिलाएं हैं
इन देशों में आधे से ज्यादा मंत्री महिलाएं हैं
विश्व के कई देशों में इस समय 50 फीसदी से अधिक महिला मंत्री हैं. कुल मिलाकर महिला मंत्रियों की संख्या तो बढ़ी है लेकिन साथ ही ऐसे देशों की संख्या भी जहां एक भी महिला मंत्री नहीं है. 2020 में ऐसे 9 देश थे जो इस साल 12 हैं.
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निकारागुआ
58.82 फीसदी
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ऑस्ट्रिया
57.14 फीसदी
तस्वीर: Reuters/L. Foeger
स्वीडन
57.14 फीसदी
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बेल्जियम
57.14 फीसदी
तस्वीर: Belga/Imago Images
अल्बानिया
56.25 फीसदी
तस्वीर: DW/A. Ruci
रवांडा
54.84 फीसदी
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कोस्टा रिका
52.00 फीसदी
तस्वीर: Julieth Méndez/Casa Presidencial de Costa Rica
कनाडा
51.43 फीसदी
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फ्रांस, स्पेन, फिनलैंड, गिनी बिसाऊ, अंडोरा
50.00 फीसदी
तस्वीर: Reuters/P. Wojazer
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लोकतंत्र खतरे में
नाजला रमधाने ऐसे समय में एक उच्च राजनीतिक स्थान हासिल कर रही हैं, जब देश एक गंभीर राजनीतिक संकट की चपेट में है. सिर्फ दो महीने पहले राष्ट्रपति ने एकतरफा कदम उठाया और प्रधानमंत्री हिचिम मेशिशी को बर्खास्त कर दिया और संसद को भंग कर दिया था. राजनीतिक दलों ने राष्ट्रपति के इस कदम को "तख्तापलट" करार दिया था.
2019 के राष्ट्रपति चुनाव के पहले कैस सईद को एक बहुत ही प्रतिष्ठित कानून के प्रोफेसर के तौर पर जाना जाता था. उनसे बड़ी उम्मीदें जुड़ी हुई थीं. शायद यही कारण है कि वाम मोर्चा और इस्लामी दलों समेत लगभग सभी राजनीतिक दलों ने उनको समर्थन की घोषणा की थी.
लेकिन सत्ता में आने के बाद से कई तबकों ने उनकी तीखी आलोचना की. कभी पुलिस की बर्बरता के लिए तो कभी कोरोना वायरस महामारी को ठीक से नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए उनकी आलोचना की गई. देश इस समय भीषण आर्थिक संकट से भी जूझ रहा है.
इस साल की शुरुआत में राजधानी में उनके प्रशासन के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हुए जिसे कुचलने के लिए पुलिस ने अत्यधिक बल का प्रयोग किया. फिर 25 जुलाई को राष्ट्रपति ने संसद को भंग करने का एक विवादास्पद फैसला लिया. अभी पिछले हफ्ते ही उन्होंने ऐलान किया था कि अब वो देश को खुद चलाएंगे.
बुधवार को ही जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने कैस सईद से फोन पर बात की और देश की स्थिरता के लिए लोकतंत्र के महत्व पर जोर दिया. चांसलर के प्रवक्ता के मुताबिक मैर्केल ने राष्ट्रपति से "संसदीय लोकतंत्र को बहाल करने के लिए सभी राजनीतिक दलों के साथ बातचीत शुरू करने" के लिए कहा था.
एए/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)
मैर्केल के सामने बदले अंतरराष्ट्रीय राजनीति के चेहरे
अपने सामने हर देश और उसके साथ बदलते रिश्तों को कुछ ही राष्ट्रप्रमुख लंबे समय तक देख पाते हैं. अंगेला मैर्केल के 16 साल के कार्यकाल के दौरान भारत, अमेरिका, रूस और चीन समेत कई देशों में निर्णायक सत्ता परिवर्तन हुए.
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अमेरिका में रोलर कोस्टर
नवंबर 2005 में 51 साल की उम्र में अंगेला मैर्केल जब जर्मनी की पहली महिला चांसलर बनीं तब अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश थे. फिर बराक ओबामा (2009-2017) और उसके बाद डॉनल्ड ट्रंप (2017-2021) अमेरिका के राष्ट्रपति बने. जाते जाते मैर्केल ने जो बाइडेन को अमेरिका का राष्ट्रपति बनते हुए देखा.
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भारत में दो बदलाव
फिजिक्स से पीएचडी कर चुकीं डॉक्टर अंगेला मैर्केल, बतौर चासंलर पहली बार भारत के अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से मिलीं. 2014 के चुनावों में भारतीय जनता ने जनादेश नरेंद्र मोदी को दिया. मोदी के कार्यकाल में भारत और जर्मनी के रिश्तों को नई रफ्तार मिली.
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रूसी अदला बदली
रूसी भाषा जानने वाली मैर्केल ने अपने सामने रूस में सत्ता का खेल भी देखा. लगातार दो कार्यकालों की संवैधानिक रोक के कारण 2008 में व्लादिमीर पुतिन ने दिमित्री मेद्वेदेव को राष्ट्रपति बना दिया और खुद प्रधानमंत्री बन गए. 2012 में व्लादिमीर पुतिन फिर से रूसी राष्ट्रपति बन गए.
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फ्रांस में चार बदलाव
जर्मन चासंलर के तौर पर 2005 में मैर्केल पहले विदेश दौरे पर फ्रांस गई. तब फ्रांस के राष्ट्रपति जाक शिराक थे. फिर निकोला सारकोजी आए, उनके बाद फ्रांसुआ ओलांद फ्रांस के राष्ट्रपति बने. 2017 में इमानुएल माक्रों फ्रांस के राष्ट्रपति बने और सबसे पहले मैर्केल से मिलने पहुंचे.
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चीन में हू से शी
2003 से 2013 तक हू जिनताओ चीन के राष्ट्रपति रहे. हू के दौर में चीन और जर्मनी के आर्थिक रिश्ते परवान चढ़े. हू के बाद राष्ट्रपति बने शी जिनपिंग के साथ भी मैर्केल की शुरुआत में अच्छी ट्यूनिंग रही. लेकिन चीन के आक्रामक सैनिक रुख के कारण धीरे धीरे इन संबंधों में संदेह पैदा होने लगे.
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रोम में इटैलियन ड्रामा
मैर्केल ने यूरोप में सबसे ज्यादा सत्ता परिवर्तन इटली में ही देखा. बतौर चांसलर मैर्केल का सामना इटली के रंगीन मिजाज प्रधानमंत्री सिल्वियो बैर्लुस्कोनी से खूब हुआ. मैर्केल ने अपने कार्यकाल के दौरान इटली के सात प्रधानमंत्री देखे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
ब्रिटेन में ब्लेयर से ब्रेक्जिट तक
मैर्केल जब चांसलर बनी तब जॉर्ज डब्ल्यू बुश के करीबी टोनी ब्लेयर ब्रिटेन के पीएम थे. फिर गॉर्डन ब्राउन और डेविड कैमरन प्रधानमंत्री बने. दूसरे कार्यकाल के लिए चुनावी रणनीति बनाते हुए कैमरन ने ब्रेक्जिट के लिए जनमत संग्रह का वादा किया. मामूली अंतर से ब्रेक्जिट हो गया. ब्रेक्जिट के बवंडर में कैमरन और थेरेसा मे जैसे पीएम उड़ गए. बोरिस जॉनसन के कार्यकाल में ब्रिटेन अलग हो गया.
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जापान में नौ चेहरे
2001 में जापान के पीएम बने जूनीचिरो कोईजूमी ने 2006 में त्यागपत्र देकर अपनी ही पार्टी के शिंजो आबे के लिए रास्ता साफ किया. आबे दो किस्तों में जापान के प्रधानमंत्री रहे, लेकिन मैर्केल के सामने जापान ने पीएम के तौर पर आठ चेहरे देखे.