ऐतिहासिक वार्ता:तुर्की-इस्राएल संबंधों को मजबूत करने पर सहमत
२६ मई २०२२
तुर्की और इस्राएल के बीच संबंधों में वर्षों से तनाव रहा है लेकिन अब हालात बदलते दिख रहे हैं. 15 साल में पहली बार तुर्की का कोई बड़ा मंत्री इस्राएल दौरे पर है.
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तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कोवुसोग्लु ने अपने इस्राएलीसमकक्ष से कहा कि अंकारा इस्राएल और फलस्तीनी अधिकारियों के बीच "बातचीत" में मदद करने के लिए तैयार है. 15 वर्षों में तुर्की के किसी वरिष्ठ नेता की यह पहली इस्राएल यात्रा है.
तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कोवुसोग्लु ने यरुशलम में अपने इस्राएली समकक्ष याइर लैपिड के साथ बातचीत को "रचनात्मक" बताकर प्रशंसा की है. कोवुसोग्लु 15 सालों में इस्राएल का दौरा करने वाले पहले वरिष्ठ तुर्क नेता हैं. सालों के तनाव के बाद संबंधों को सुधारने, राजनयिक और आर्थिक सहयोग में सुधार के प्रयासों के बीच यह वार्ता हुई.
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तुर्की और इस्राएल किन मुद्दों पर सहमत हुए?
दोनों विदेश मंत्रियों के बीच इस ऐतिहासिक बैठक के बाद, दोनों देशों ने राजनयिक, सुरक्षा और आर्थिक संबंधों में सुधार के लिए कई कदमों की घोषणा की है. दोनों देश तुर्की के लिए इस्राएली एयरलाइंस की उड़ान पर वार्ता को दोबारा शुरू करने पर सहमत हुए. साथ ही दोनों ने संयुक्त आर्थिक आयोग की गतिविधियों को फिर से शुरू करने पर भी सहमति जाहिर की है.
दोनों विदेश मंत्रियों ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की. जिसमें इस्राएली विदेश मंत्री लैपिड ने कहा, "हम यह दिखावा नहीं कर सकते कि हमारे संबंधों ने कभी उतार-चढ़ाव नहीं देखे. लेकिन एक लंबे इतिहास वाले देशों को पता होता कि कब एक अध्याय को बंद करना है और कब नया शुरू करना है. और आज हम यही कर रहे हैं."
कितने परमाणु हथियार हैं दुनिया में और किसके पास
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर हमले के तीन दिन बाद ही परमाणु हथियारों को भी हाई अलर्ट पर रखने का हुक्म दिया. रूस के पास कुल कितने परमाणु हथियार हैं. रूस के अलावा दुनिया में और कितने परमाणु हथियार है?
तस्वीर: AP Photo/picture-alliance
कितने परमाणु हथियार
स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति शोध संस्थान यानी सीपरी हर साल दुनिया भर में हथियारों के बारे में रिपोर्ट तैयार करती है. सीपरी के मुताबिक 2021 की शुरुआत में दुनिया भर में कुल 13,080 परमाणु हथियार मौजूद थे. इनमें से 3,825 परमाणु हथियार सेनाओं के पास हैं और 2,000 हथियार हाई अलर्ट की स्थिति में रखे गए हैं, यानी कभी भी इनका उपयोग किया जा सकता है. तस्वीर में दिख रहा बम वह है जो हिरोशिमा पर गिराया गया था.
तस्वीर: AFP
किन देशों के पास है परमाणु हथियार
सीपरी के मुताबिक दुनिया के कुल 9 देशों के पास परमाणु हथियार हैं. इन देशों में अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इस्राएल और उत्तर कोरिया के नाम शामिल हैं. दुनिया में परमाणु हथियारों की कुल संख्या में कमी आ रही है हालांकि ऐसा मुख्य रूप से अमेरिका और रूस के परमाणु हथियारों में कटौती की वजह से हुआ है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
उत्तर कोरिया
डेमोक्रैटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया यानी उत्तर कोरिया ने 2006 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था. वर्तमान में उसके पास 40-50 परमाणु हथियार होने का अनुमान है.
तस्वीर: KCNA/KNS/AP/picture alliance
इस्राएल
इस्राएल ने पहली बार नाभिकीय परीक्षण कब किया इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. फिलहाल इस्राएल के पार 90 परमाणु हथियार होने की बात कही जाती है. इस्राएल ने भी परमाणु हथियारों की कहीं तैनाती नहीं की है. तस्वीर में शिमोन पेरेज नेगेव न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर नजर आ रहा है. इस्राएल ने बहुत समय तक इसे छिपाए रखा था.
तस्वीर: Planet Labs Inc./AP/picture alliance
भारत
भारत के परमाणु हथियारों के जखीरे में कुल 156 हथियार हैं जिन्हें रिजर्व रखा गया है. अब तक जो जानकारी है उसके मुताबिक भारत ने परमाणु हथियारों की तैनाती नहीं की है. भारत ने पहली बार नाभिकीय परीक्षण 1974 में किया था.
तस्वीर: Indian Defence Research and Development Organisation/epa/dpa/picture alliance
पाकिस्तान
भारत के पड़ोसी पाकिस्तान के पास कुल 165 परमाणु हथियार मौजूद हैं. पाकिस्तान ने भी अपने परमाणु हथियारों की तैनाती नहीं की है और उन्हें रिजर्व रखा है. पाकिस्तान ने 1998 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था.
तस्वीर: AP
ब्रिटेन
ब्रिटेन के पास मौजूद परमाणु हथियारों के जखीरे में कुल 225 हथियार है. इनमें से 120 परमाणु हथियारों को ब्रिटेन ने तैनात कर रखा है जबकि 105 हथियार उसने रिजर्व में रखे हैं. ब्रिटेन ने पहला बार नाभिकीय परीक्षण 1952 में किया था. तस्वीर में नजर आ रही ब्रिटेन की पनडुब्बी परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम है.
तस्वीर: James Glossop/AFP/Getty Images
फ्रांस
फ्रांस ने 1960 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था और फिलहाल उसके पास 290 परमाणु हथियार मौजूद हैं. फ्रांस ने 280 परमाणु हथियारों की तैनाती कर रखी है और 10 हथियार रिजर्व में रखे हैं. यह तस्वीर 1971 की है तब फ्रांस ने मुरुरोआ एटॉल में परमाणउ परीक्षण किया था.
तस्वीर: AP
चीन
चीन ने 1964 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था. उसके पास कुल 350 परमाणु हथियार मौजूद हैं. उसने कितने परमाणु हथियार तैनात किए हैं और कितने रिजर्व में रखे हैं इसके बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है.
तस्वीर: Zhang Haofu/Xinhua/picture alliance
अमेरिका
परमाणु हथियारों की संख्या के लिहाज से अमेरिका फिलहाल दूसरे नंबर पर है. अमेरिका ने 1,800 हथियार तैनात कर रखे हैं जबकि 2,000 हथियार रिजर्व में रखे गए हैं. इनके अलावा अमेरिका के पास 1,760 और परमाणु हथियार भी हैं. अमेरिका ने 1945 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था.
तस्वीर: Jim Lo Scalzo/EPA/dpa/picture alliance
रूस
वर्तमान में रूस के पास सबसे ज्यादा 6,255 परमाणु हथियार हैं. इनमें से 1,625 हथियारों को रूस ने तैनात कर रखा है. 2,870 परमाणु हथियार रूस ने रिजर्व में रखे हैं जबकि दूसरे परमाणु हथियारों की संख्या 1,760 है. रूस के हथियारों की संख्या 2020 के मुकाबले थोड़ी बढ़ी है. रूस ने 1949 में परमाणु हथियार बनाने की क्षमता हासिल की थी.
तस्वीर: AP Photo/picture-alliance
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कोवुसोग्लु ने कहा कि तुर्की इस्राएल के लिए एक शीर्ष व्यापारिक भागीदार है और इस्राएली पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य है. उन्होंने कहा, "सकारात्मक एजेंडे पर काम करने से हमारे मतभेदों को और अधिक रचनात्मक तरीके से सुलझाने में मदद मिलेगी."
तुर्की के विदेश मंत्री को उम्मीद है कि इस्राएल के साथ संबंधों में सुधार से फलस्तीनियों को मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि तुर्की वार्ता में मदद के लिए तैयार है. उन्होंने पत्रकारों से कहा, "हमारा मानना है कि हमारे संबंधों के सामान्य होने से संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा."
यरुशलम की अपनी यात्रा से पहले कोवुसोग्लु ने मंगलवार को वेस्ट बैंक के शहर रामाल्लाह में राष्ट्रपति महमूद अब्बास और अन्य फलस्तीनी अधिकारियों से मुलाकात की. वार्ता के दौरान तुर्की के मंत्री ने फलस्तीन के साथ कई सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर किए.
कोवुसोग्लु ने कहा उन्होंने अपने इस्राएली समकक्ष के साथ इस्राएल-फलस्तीन संघर्ष पर भी चर्चा की और तुर्की की स्थिति को दोहराया कि "संयुक्त राष्ट्र मानकों द्वारा स्थायी शांति का एकमात्र तरीका दो-राज्य समाधान है." उन्होंने कहा, "तुर्की इस्राएल और फलस्तीन के अधिकारियों के बीच बातचीत के प्रयासों को जारी रखने की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार है."
तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोवान के कार्यकाल के दौरान दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण रहे हैं. तुर्की के नेता हमेशा इस्राएली सरकार और उसकी नीतियों के आलोचक रहे हैं, खासकर फलस्तीनियों के प्रति इस्राएली नीतियों को लेकर.
2018 में जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अमेरिकी दूतावास को यरुशलम स्थानांतरित किया, तो तुर्की ने इसके विरोध में इस्राएल से अपने राजदूत को वापस बुला लिया था. इस्राएल ने भी अंकारा से अपने राजदूत को वापस बुलाकर जवाबी कार्रवाई की थी. दोनों देशों ने अब तक अपने राजदूतों की फिर से नियुक्ति नहीं की है.
एए/वीके (एपी, एएफपी, डीपीए)
परी जगत की यात्रा जैसा है तुर्की के कैपादोशिया जाना
तुर्की के कैपादोशिया इलाके को वहां की पत्थरों से बानी अजीबोगरीब आकृतियों के लिए जाना जाता है. इन्हें जमीन से तो देखा जा ही सकता है, लेकिन गर्म हवा के गुब्बारों में उड़ कर नीचे का नजारा देखने की बात ही कुछ और है.
तस्वीर: Behcet Alkan/AA/picture alliance
उचीसर में सूर्योदय
कैपादोशिया केंद्रीय एनाटोलिया का एक ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण प्रांत है जहां कम से कम 3000 ईसापूर्व काल से मानव गतिविधियों की खोज हुई है. इसे 1985 में एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित कर दिया गया था. उचीसर के इस किले में जमीन के नीचे बने आवासों के साथ साथ इस इलाके का सबसे ऊंचा स्थल भी है.
तस्वीर: Chris McGrath/Getty Images
शिल्पकारी और संस्कृति
यहां तोहफों और कालीनों की कई दुकानें हैं जिन्हें सजाने के लिए छोटी से छोटी बारीकियों का ख्याल रखा गया है. नेवसेहीर की इन गलियों में आप खुद को किसी और समय में पा सकते हैं.
तस्वीर: Chris McGrath/Getty Images
जरा नजारा तो देखिए
गोरमे नाम का यह छोटा सा शहर एक राष्ट्रीय उद्यान के ठीक बीच में स्थित है. यहां छतों पर सजी इस तरह की कई आरामदायक बैठकें हैं, जिन्हें रंग बिरंगे गद्दों से सजाया गया है. यहां से ज्वालामुखीय परिदृश्य के ऊपर तैरते हुए गर्म हवा के गुब्बारों को बखूबी निहारा जा सकता है.
तस्वीर: Zoonar/picture alliance
हवा में सैर
कैपादोशिया के ऊपर गर्म हवा के गुब्बारे में सैर करना एक जादूई अनुभव जैसा हो सकता है. खास कर तड़के सुबह में, जब उगते सूरज की किरणें इलाके की ऊंची ऊंची चट्टानों पर पड़ती हैं, तब तो नजारा ही कुछ और होता है. एक यात्रा एक से ले कर चार घंटों तक लंबी हो सकती है.
तस्वीर: Chris McGrath/Getty Images
एक बढ़िया तस्वीर हो जाए
यह दुर्लभ दृश्य तस्वीरों और वीडियो बनाने के लिए यहां आने वाले लोगों का मनपसंद है. आप चाहें तो इनकी तरह एक सुर्ख लाल ड्रेस में हवा में तैरते हुए तस्वीर खिचवा सकती हैं या घोड़े या ऊंट की पीठ पर बैठ कर नए नए नजारों का आनंद ले सकती हैं.
तस्वीर: Behcet Alkan/AA/picture alliance
पत्थर की दुर्लभ आकृतियां
राष्ट्रीय उद्यान में 'लव वैली' के नाम से जानी जाने वाली यह अजीबोगरीब जगह भी है. इस जगह को यह नाम इन लिंग नुमा पत्थर की इन आकृतियों से मिला है. इन चट्टानों को यह आकार हजारों सालों में हवा और मौसम के थपेड़ों ने दिया है.
तस्वीर: Givaga/Zoonar/picture alliance
चट्टानों में रिहाइश
ज्वालामुखी से निकला नरम टफ पत्थर इस इलाके में बड़ी मात्रा में मिलता है. इसके गुणों की वजह से चट्टानों के अंदर पूरे के पूरे शहर बनाना भी संभव हो सका है. जुल्म झेल रहे ईसाई समुदाय के लोगों ने यहां सबसे पहले तीसरी शताब्दी में छिपने की जगह बनाई थी. बाद में घर, चर्च और पूरे के पूरे मठ इन चट्टानों में बना दिए गए.
तस्वीर: Chun Ju Wu/Zoonar/picture alliance
दुर्लभ गुफाएं
जमीन के नीचे बनी गुफाओं की यह श्रंखला इस पूरे इलाके में फैली हुई है. इसे ऊपर से देख पाना मुश्किल है लेकिन नीचे उतरने वाले लोगों को ऐसी वास्तुकला मिलेगी जो पूरी दुनिया में दुर्लभ है.
यहां गर्म हवा के गुब्बारों, साइकिल, घोड़े और ऊंट की सवारी के अलावा क्वॉड बाइक से भी घूमा जा सकता है. आप इन्हें ले कर छोटे छोटे गांवों की तंग गलियों से गुजर सकते हैं या गोरमे के इर्द गिर्द राष्ट्रीय उद्यान में भी जा सकते हैं. (क्लॉडिया डेन)