तुर्की में जर्मन पत्रकार हिरासत में, जर्मनी ने जताई नाराजगी
२८ फ़रवरी २०१७
तुर्की की एक अदालत ने जर्मन अखबार 'डी वेल्ट' के संवाददाता को रिमांड पर हिरासत में रखने का आदेश दिया है. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की है.
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डी वेल्ट का कहना है कि 43 वर्षीय डेनिस युजेल पर आतंकवादी दुष्प्रचार फैलाने और नफरत भड़काने के आरोप लगाए गए हैं. जर्मनी और तुर्की की दोहरी नागरिकता रखने वाले युजेल 18 फरवरी से हिरासत में हैं.
युजेल ने सितंबर में डी वेल्ट के लिए एक स्टोरी की थी जिसमें बताया गया था कि तुर्की सरकार किस तरह सोशल मीडिया पर ट्रोल्स का इस्तेमाल कर रही है. यह स्टोरी राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोवान के दामाद और तुर्की की सरकार में ऊर्जा मंत्री बेरात अल्बायरक के हैक हुए ईमेल से मिली जानकारी के आधार पर लिखी गई थी. यह जानकारी विकीलीक्स और तुर्की के एक समूह रेड हैक ने प्रकाशित की थी. रेड हैक को तुर्की में एक आतंकवादी समूह माना जाता है. युजेल के लेख में जो जानकारी थी वह सार्वजनिक यानी पब्लिक डोमेन में थी.
विश्व भर के पत्रकारों के लिए कैसा रहा 2016
कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) की वार्षिक रिपोर्ट दिखाती है कि विश्व के कई देशों के पत्रकारों के लिए 2016 गिफ्तारियों का साल रहा. इस साल अब तक 259 पत्रकार कैद में रखे गए हैं, जो बीते 30 सालों में सबसे अधिक है.
तस्वीर: picture-alliance/AP/M. Ugarte
किसने बनाई सूची
मीडिया के अधिकारों और स्थिति पर नजर रखने वाली संस्था सीपीजे के अनुसार बीते तीस सालों में 2016 में सबसे ज्यादा देशों की सरकारों ने पत्रकारों को गिरफ्तार कर जेल में डाला है.
क्या है मकसद
गैर लाभकारी संगठन सीपीजे प्रेस की आजादी को सुरक्षित रखने की दिशा में काम करती है. इस रिपोर्ट के अनुसार कुल 259 पत्रकार इस साल जेल में बंद हैं जबकि साल 2015 में यह संख्या 199 थी.
तस्वीर: AFP/Getty Images/K. Desouki
कौन से पत्रकार शामिल
संगठन ने सन 1990 से जेल में डाले गए पत्रकारों के आंकड़े दर्ज करना शुरू किया. इनमें गायब हुए, अगवा किए गए या किसी गैरसरकारी तत्व द्वारा कब्जे में लिए गए पत्रकार शामिल नहीं हैं.
तस्वीर: picture alliance/Pacific Press
नंबर एक पर
चीन में इस साल 1 दिसंबर तक 38 पत्रकार हिरासत में रखे गए थे. रिपोर्ट में लिखा है, "चीन में विरोध प्रदर्शन और मानवाधिकार के उल्लंघन से जुड़े मामले कवर करने वाले पत्रकारों पर ज्यादा कड़ी कार्रवाई हुई है."
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Apple Daily
नंबर दो पर
तुर्की में कम से कम 81 पत्रकार जेल में बंद हैं. इन पर सरकार विरोधी होने के आरोप हैं. 15 जुलाई को सरकार के तख्तापलट में साथ देने के संदेह में 100 से अधिक मीडिया संस्थानों को बंद कर दिया गया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
नंबर तीन पर
तुर्की और चीन के बाद इस सूची में मिस्र का नाम है जहां 25 पत्रकारों को जेल में बंद रखा गया है. सरकारों का कहना है कि किसी पत्रकार को पत्रकारिता करने के लिए नहीं बल्कि कोई गैरकानूनी काम करने के आरोप में सजा हुई है.
तस्वीर: Reuters/A.A.Dalsh
टॉप 5 से कैसे हटा ईरान
2008 से लेकर 2016 में पहली बार ऐसा हुआ है कि टॉप पांच देशों में ईरान का नाम नहीं आया. कारण ये है कि 2009 में चुनाव के बाद जिन पत्रकारों को सजा सुनाई गई थी, उनमें से कई अपनी सजा काट कर रिहा हो गए हैं.
तस्वीर: Ilna
भारत में भ्रष्टाचार पर लिखना जानलेवा
इस साल जेल में डाले गए पत्रकारों में 20 महिला पत्रकार हैं. भारत के आंकड़े देखें तो सन 1992 से अब तक 27 पत्रकारों की उनकी रिपोर्टिंग के कारण हत्या कर दी गई और अब तक इसके लिए किसी को सजा नहीं हुई है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Mukherjee
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युजेल पहले जर्मन पत्रकार हैं जिन्हें तुर्की में पिछले साल नाकाम सैन्य तख्तापलट के बाद मीडिया के खिलाफ छेड़े गए अभियान के तहत निशाना बनाया गया है. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने इस्तांबुल की अदालत के फैसले को "कड़वा और निराशाजनक बताया है."
चांसलर मैर्केल ने बर्लिन में कहा, "यह कदम अत्यधिक सख्त है, खासकर तब जब डेनिस युजेल ने खुद को तुर्की की अदालतों को सौंप दिया था और जांच में हर तरह का सहयोग दे रहे थे." मैर्केल ने कहा कि जर्मन सरकार तुर्की की न्यायपालिका से उम्मीद करती है कि युजेल के मामले में वह प्रेस की आजादी और लोकतांत्रिक समाज के उच्च मूल्यों का पालन करेगी.
डी वेल्ट के अनुसार सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकारी अभियोजकों ने जज मुस्तफा चकर के सामने युजेल से उनके लेखों के बारे में सामान्य सवाल पूछे थे. यह वही जज हैं जिन्होंने विपक्षी अखबार जम्हूरियत के कई पत्रकारों को हिरासत में भेजा था.
वर्ल्ड प्रेस फोटो अवॉर्ड 2016
शरणार्थी संकट 2015 में सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहने वाला विषय रहा. इसी से जुड़ी एक तस्वीर को किसी पत्रकार द्वारा ली गयी साल की बेहतरीन तस्वीर चुना गया है. देखिए इस साल और कौन कौन सी तस्वीरें चुनी गयीं.
तस्वीर: Christian Walgram/GEPA pictures
वॉरन रिचर्डसन, ऑस्ट्रेलिया
सर्बिया और हंगरी की सीमा पर ली गयी इस तस्वीर को इस साल का वर्ल्ड प्रेस फोटो अवॉर्ड दिया गया है. आधी रात में ली गयी इस तस्वीर के लिए रोशनी सिर्फ चांद की ही मौजूद थी. सीमा पुलिस का ध्यान इस ओर ना जाए, इसलिए फ्लैश का इस्तेमाल नहीं किया गया.
तस्वीर: Warren Richardson
मॉरीसियो लीमा, ब्राजील
सीरिया में ली गयी इस तस्वीर को समाचार श्रेणी में पहला पुरस्कार मिला है. तस्वीर में डॉक्टर इस्लामिक स्टेट के एक 16 साल के लड़ाके के जले हुए शरीर पर मरहम लगा रहा है. पीछे कुर्दिस्तान वर्कर पार्टी के नेता अब्दुल्लाह ओएचेलान की तस्वीर टंगी है.
तस्वीर: Mauricio Lima/The New York Times
झांग ले, चीन
यह तस्वीर चीन के तिआनजिन शहर की है, जिस पर धूल की चादर बिछी हुई है. 10 दिसंबर 2015 को ली गई इस तस्वीर को आधुनिक समय के सबसे अहम मुद्दों की श्रेणी में पुरस्कार दिया गया है.
तस्वीर: Zhang Lei/Tianjin Daily
केविन फ्रेयर, कनाडा
यह तस्वीर भी चीन की ही है. शांशी शहर के करीब स्थित इस बिजलीघर में कोयले से बिजली बनती है. कोयले पर निर्भरता के कारण चीन दुनिया भर में होने वाले कार्बन डाय ऑक्साइड के कुल उत्सर्जन के एक तिहाई के लिए जिम्मेदार है.
तस्वीर: Kevin Frayer/Getty Images
मैरी एफ कैलवर्ट, अमेरिका
यह तस्वीर 21 मार्च 2014 को ली गयी. इसे लॉन्ग टर्म प्रोजेक्ट की श्रेणी में चुना गया है. तस्वीर 21 साल की नताशा शुटे की है, जिन्हें अमेरिका की सेना की ओर से अपने ड्रिल सार्जेंट के यौन हमले की रिपोर्ट करने की हिम्मत के लिए पुरस्कार दिया गया.
तस्वीर: Mary F. Calvert
रोहन केली, ऑस्ट्रेलिया
सिडनी के बोंडी बीच की इस तस्वीर में एक बड़ा सा काला बादल देखा जा सकता है जो किसी सूनामी जैसा लगता है. इसी दौरान बीच पर मौजूद लोग शांति से लेटे हैं. इसे प्रकृति की श्रेणी में पहला पुरस्कार दिया गया है.
तस्वीर: Rohan Kelly/Daily Telegraph
माटिच जोरमन, स्लोवेनिया
शरणार्थियों से ही जुड़ी एक और तस्वीर को भी पुरस्कार मिला. 7 अक्टूबर 2015 को सर्बिया के एक शरणार्थी कैंप में यह तस्वीर ली गयी. रेनकोट पहने यह बच्ची शरणार्थियों के पंजीकरण की कतार में खड़ी है.
तस्वीर: Matic Zorman
क्रिस्टियान वालग्राम, ऑस्ट्रिया
15 फरवरी 2015 को यह तस्वीर अमेरिका में हो रही एफआईएस वर्ल्ड चैंपियनशिप के दौरान ली गयी. चेक गणराज्य के ओंद्रे बांक स्की के दौरान अपना संतुलन खो बैठे और फिसल गए. इस तस्वीर को खेल श्रेणी में चुना गया.
तस्वीर: Christian Walgram/GEPA pictures
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युजेल के वकीलों का कहना है कि उनके मुवक्किल को आतंकवादी संगठन से जुड़े होने, आतंकवादी दुष्प्रचार फैलाने और आंकड़ों के गलत इस्तेमाल करने के संदेह में हिरासत में रखा गया है.
मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने युजेल को हिरासत में रखे जाने की आलोचना की है. एमनेस्टी तुर्की के विशेषज्ञ एंड्रयू गार्डनर ने डीपीए को बताया, "यह एक और मामला दिखाई पड़ता है जिसमें एक पत्रकार पर आलोचनात्मक लेख की वजह से आतंकवाद विरोधी कानून के तहत आरोप तय किए गए हैं." गार्डनर कहते हैं कि तुर्की में पत्रकारों के खिलाफ इस कानून का खूब दुरुपयोग किया जा रहा है.
तुर्की में फिलहाल 100 से ज्यादा पत्रकार जेल में हैं, जो किसी भी देश के मुकाबले ज्यादा हैं. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरडब्ल्यू) की प्रेस फ्रीडम रैंकिंग में तुर्की 180 देशों में 151वें स्थान पर है.