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समाजतुर्की

फिनलैंड और स्वीडन के नाटो में आने पर तुर्की नहीं है राजी

१७ मई २०२२

स्वीडन ने कहा है कि वह तुर्की को राजी करने की पूरी कोशिश कर रहा है. विदेश मंत्रालय ने बताया कि स्वीडिश विदेश मंत्री अन लिंड और फिनलैंड के विदेश मंत्री पेक्का हाविस्तो जल्द ही वार्ता के लिए तुर्की जाएंगे.

Deutschland | NATO Außenministertreffen in Berlin | Mevlüt Cavusoglu
15 मई को बर्लिन में नाटो के सदस्य देशों की बैठक में हिस्सा लेते तुर्की विदेश मंत्री तस्वीर: Bernd von Jutrczenka/AP Photo/picture alliance

15 मई को फिनलैंड और स्वीडन ने नाटो में शामिल होने की प्रक्रिया शुरू करने का आधिकारिक एलान किया. अब तक ऐसा माना जा रहा था कि अगर दोनों देश सदस्यता के लिए आवेदन देते हैं, तो नाटो की तरफ से उन्हें शामिल करने में कोई अड़चन नहीं आएगी. लेकिन अब यह मामला जटिल होता दिख रहा है. तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयब एर्दोआन ने कहा है कि वह फिनलैंड और स्वीडन को नाटो का सदस्य नहीं बनने दे सकते हैं.

तुर्की ने क्या आरोप लगाए?

एर्दोआन ने कुर्द चरमपंथियों के खिलाफ दोनों देशों के एक्शन ना लेने को अपनी असहमति का कारण बताया. उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों देश कुर्द चरमपंथियों को तुर्की के हवाले करने से इनकार कर रहे हैं. एर्दोआन ने कहा, "स्वीडन और फिनलैंड दोनों की ही आतंकवादी संगठनों पर कोई पारदर्शी और स्पष्ट नीति नहीं है."

स्वीडन की प्रधानमंत्री मागदालेना आंदसॉनतस्वीर: Henrik Montgomery/TT News Agency/AP/picture alliance

उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि अगर दोनों देश नाटो में शामिल हुए, तो यह संगठन आतंकवादियों को पनाह देने का अड्डा बन जाएगा. नाटो में नए सदस्य को सदस्यता देने के लिए मौजूदा 30 सदस्यों की सहमति जरूरी है. ऐसे में एर्दोआन ने संकेत दे दिया है कि फिनलैंड और स्वीडन के नाटो में जुड़ने की प्रक्रिया आसान नहीं होने वाली है.

एर्दोआन के बयान के बाद स्वीडिश अधिकारियों ने कहा कि वे इस मामले पर बातचीत के लिए अपने राजनयिकों को अंकारा भेजेंगे. एर्दोआन ने इसे समय की बर्बादी बताया. उन्होंने कहा, "क्या वे यहां हमें राजी करने की कोशिश करने आ रहे हैं? इस प्रक्रिया के दौरान हम उनके नाम पर हां नहीं कर सकते, जो तुर्की पर प्रतिबंध लगाते हैं."

प्रत्यर्पण की मांग ना जाने पर नाराजगी

बीते रोज तुर्की के न्याय मंत्रालय ने भी एक और समस्या उठाई. मंत्रालय ने कहा कि पिछले पांच सालों में दोनों देशों ने तुर्की की ओर से की गई प्रत्यर्पण की मांग पर सकारात्मक जवाब नहीं दिया है. ये मांग उन 33 आरोपियों से जुड़ी हैं, जिन पर तुर्की आतंकवादी संगठनों से जुड़े होने का आरोप लगाता है. इनमें कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) से जुड़े लोग भी शामिल हैं.

तस्वीर: John Thys/AFP/Getty Images

स्वीडन और फिनलैंड की सदस्यता पर तुर्की ने सबसे पहले 13 मई को आपत्ति उठाई थी. इसके बाद 15 मई को नाटो महासचिव येंस स्टोल्टेनबर्ग ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि तुर्की की उठाई चिंताओं के कारण सदस्यता की प्रक्रिया में देरी नहीं होगी. उन्होंने कहा, "तुर्की ने स्पष्ट किया है कि फिनलैंड और स्वीडन के आवेदन को ब्लॉक करने का उसका कोई इरादा नहीं है."

ऐसे में एर्दोआन के ताजा बयान पर पश्चिमी देशों के कई डिप्लोमैट हैरान हैं. उन्हें उम्मीद थी कि तुर्की इस मसले को नाटो से दूर रखेगा. वॉशिंगटन में स्वीडन की राजदूत कारीन ओलफ्स्डोट्टर ने भी कहा कि वह तुर्की की उठाई आपत्ति पर हैरान हैं. उन्होंने कहा, "हमारी आतंकवाद विरोधी नीति बहुत सख्त है और हम पर जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वे सही नहीं हैं." स्वीडन ने हालिया दशकों में मिडिल-ईस्ट से आए हजारों शरणार्थियों को अपने यहां जगह दी है. इनमें सीरिया, इराक और तुर्की से गए कुर्द भी शामिल हैं.

एसएम/आरपी (एपी)

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