एर्दोवान ने यूएन महासभा में उठाया कश्मीर का मुद्दा
२१ सितम्बर २०२२तुर्क राष्ट्रपति एर्दोवान ने संयुक्त राष्ट्र की 77वीं महासभा में विश्व नेताओं को संबोधित करते हुए वैश्विक समस्याओं का उल्लेख किया और कश्मीर समस्या के समाधान पर जोर दिया. उन्होंने कहा, "भारत और पाकिस्तान ने 75 साल पहले अपनी संप्रभुता और स्वतंत्रता स्थापित करने के बाद भी उन्होंने अभी भी एक दूसरे के बीच शांति और एकजुटता स्थापित नहीं की है. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है."
तुर्की के राष्ट्रपति ने क्या कहा?
संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए एर्दोवान ने कई वैश्विक मुद्दों पर बात की और कश्मीर को लेकर क्षेत्र में चिंता का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, "भारत और पाकिस्तान को 75 साल पहले आजादी मिली और उन्होंने स्वायत्तता की स्थापना की, उसके बाद भी एक-दूसरे के बीच शांति और एकता स्थापित नहीं हुई है. यह बड़े दुर्भाग्य की बात है. हम आशा और प्रार्थना करते हैं कि स्थायी शांति हो और कश्मीर में भी न्याय पर आधारित समृद्धि."
तुर्की के राष्ट्रपति का यह ताजा बयान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी मुलाकात के कुछ ही दिनों बाद आया है. दोनों नेताओं ने पिछले शुक्रवार को उज्बेकिस्तान के समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के मौके पर मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों की पूरी श्रृंखला की समीक्षा की. इस मौके पर दोनों देशों ने विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करने के तरीकों पर भी चर्चा की.
कश्मीर में अब पाकिस्तान नहीं चीन से लड़ रहा है भारत
पहले भी दे चुके हैं कश्मीर पर बयान
तुर्की के राष्ट्रपति पहले भी समय-समय पर कश्मीर का मुद्दा उठाते रहे हैं और उन्होंने महासभा में कश्मीर के तनावपूर्ण हालात पर खुलकर चर्चा की थी. वह इस मुद्दे पर कश्मीरियों के अधिकारों का खुलकर समर्थन करते रहे हैं.
2020 में पाकिस्तानी संसद में एक ऐतिहासिक संबोधन में, राष्ट्रपति एर्दोवान ने "कश्मीरी लोगों के संघर्ष की तुलना प्रथम विश्व युद्ध के दौरान विदेशी वर्चस्व के खिलाफ तुर्की के लोगों की लड़ाई से की."
हालांकि, भारत कश्मीर पर तुर्की के राष्ट्रपति की टिप्पणियों की आलोचना करता रहा है और कहता है कि यह भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तानी संसद में उनके संबोधन पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि भारत कश्मीर के बारे में उनके सभी बयानों को खारिज करता है.
आजादी के बाद से ही भारत और पाकिस्तान कश्मीर को लेकर आमने-सामने हैं. भारत इस विवादित क्षेत्र को अपना अभिन्न अंग बताता है. लेकिन कश्मीर के अलगाववादी नेता और पाकिस्तान जनमत संग्रह की मांग करते रहे हैं.
जब से भारत ने कश्मीर के विवादित क्षेत्र को दी गई विशेष शक्तियों को खत्म किया है, कश्मीर का मुद्दा खुलकर उठने लगा है और इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) भी इस पर चर्चा करता रहा है.
भारत में राजनीतिक नेता भी इस विवादित क्षेत्र के बारे में बात करते रहते हैं. एक दिन पहले ही सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार से पूछा था कि कश्मीर घाटी में सिनेमा हॉल खोले जा रहे हैं, लेकिन शहर की ऐतिहासिक जामिया मस्जिद पर लगा ताला कब खुलेगा. ओवैसी के बयान के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कहा कि जामिया मस्जिद पूरी तरह खुली है.
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सिनेमा हॉल बनाने के लिए एक नया अभियान शुरू किया है जिसके तहत हर जिले में सिनेमा हॉल बनाए जाएंगे. हाल ही में राज्यपाल ने दो मल्टीप्लेक्स का उद्घाटन किया है.
2019 में केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने वाले अनुच्छेद 370 को हटा लिया था. जिसके बाद राज्य में कई महीनों तक स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई थी.