फेक न्यूज अब एक बिजनेस मॉडल बन गया है. वेबसाइट ऐसे आर्टिकल दे रही हैं कि ललचा कर क्लिक कर ही देते हैं. आम तौर पर ये आर्टिकल फेसबुक पर पोस्ट होते हैं.
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Turning Fake News into Hard Cash
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ऑनलाइन की दुनिया में सब क्लिक से चलता है. जिस वेबसाइट के जितने ज्यादा क्लिक आते हैं, उसकी कमाई उतनी ही ज्यादा है. ऐसे में फेक न्यूज का एक पूरा कारोबार खड़ा हो गया है. ऐसे में जो जानकारी परोसी जा रही है, वह सच्ची है या झूठी है, इस बात से किसी को मतलब नहीं है.
फेक न्यूज से आजकल पूरी दुनिया परेशान है. इसलिए सरकारें और कंपनियां इस चिंता में हैं कि साइबर संसार में आग की तरह फैलने वाले फेक न्यूज से कैसे निपटे. कुछ देशों ने इसे लेकर कानून बनाए हैं.
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सिंगापुर
सिंगापुर में एक नए कानून पर विचार हो रहा है. इसके तहत फेसबुक जैसी कंपनियों को उन पोस्ट पर चेतावनी जारी करनी होगी जिन्हें सरकार झूठ मानती है. फेसबुक से 'सार्वजनिक हितों' के खिलाफ लिखे गए कमेंट हटाने को भी कहा जाएगा. फेक न्यूज कानून का उल्लंघन करने के लिए दस लाख सिंगापुर डॉलर का जुर्माना और 10 साल की सजा हो सकती है.
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रूस
रूस में राष्ट्रपति पुतिन ने एक कड़े कानून पर हस्ताक्षर किए हैं. इसके तहत उन खबरों को फैलाने पर जुर्माना लगेगा जिन्हें सरकार फेक न्यूज मानती है. इसमें ऐसी चीजें पोस्ट करने की भी मनाही होगी जो देश के लिए 'अपमानजनक' हों. कानून का उल्लंघन करने पर चार लाख रूबल तक जुर्माना लगेगा. वहीं आलोचकों का कहना है कि इससे सरकारी सेंसरशिप आसान होगी.
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फ्रांस
फ्रांस ने 2017 में दो फेक न्यूज विरोधी कानून पास किए ताकि इंटरनेट पर झूठी सूचनाओं के प्रसार को रोका जा सके. फ्रांस में 2017 के राष्ट्रपति चुनावों में रूसी दखल के आरोपों के बाद फ्रांस में खूब फेक न्यूज का प्रसार हुआ. नागरिक आजादी पर बंदिशों की आशंकाओं के बीच फ्रांसीसी राष्ट्रपति माक्रों ने कहा है कि वह मीडिया कानूनों में बड़े बदलाव करेंगे.
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जर्मनी
जर्मनी ने भी 2018 में फेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल मीडिया कंपनियों के लिए कानून पास किया. इसके मुताबिक हेट स्पीच को काबू किया जाएगा, जिनमें नाजी विचारधारा भी शामिल है. सोशल मीडिया कंपनियों को प्रतिबंधित सामग्री हटाने के लिए 24 घंटे का समय दिया जाएगा. कानून का उल्लंघन करने पर पांच करोड़ यूरो का जुर्माना लगाया जा सकता है.
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मलेशिया
मलेशिया की पिछली सरकार दुनिया की उन चंद सरकारों में शामिल थी जिन्होंने फेक न्यूज को काबू करने के लिए कानून बनाए. हालांकि मलेशिया की सरकार पर इसके जरिए चुनाव से पहले विरोधियों की आवाज दबाने के आरोप भी लगे. चुनावों के बाद बनी नई सरकार ने अपना वादा पूरा करने के लिए कानून को खत्म करना चाहा लेकिन विपक्ष के दबदबे वाले सीनेट में वह ऐसा नहीं कर सकी.
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यूरोपीय संघ
यूरोपीय आयोग के उप प्रमुख फ्रांस टिमरमान्स का कहना है कि यूरोपीय संघ और दुनिया भर के अधिकारियों को नागरिकों की रक्षा के लिए बड़ी तकनीकी और सोशल मीडिया कंपनियों को नियंत्रित करने के लिए नियम बनाने होंगे. यूरोपीय संघ एक नए वॉर्निंग सिस्टम के जरिए सरकारों से जानकारी साझा करने को कहेगा. ऑनलाइन कंपनियों से भी गुमराह करने वाली सामग्री हटाने को कहा जाएगा.