रबर की नौका से इंग्लिश चैनल पार करते हुए 27 प्रवासियों की डूबकर मौत हो गई है. ब्रिटेन और फ्रांस ने इस घटना के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार बताया है.
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बुधवार को रबर की नौका में फ्रांस से ब्रिटेन जाते प्रवासियों में से 27 लोगों की डूब जाने से मौत हो गई है. इंग्लिश चैनल में यह अब तक का सबसे बड़ा हादसा है.
इंग्लिश चैनल फ्रांस और ब्रिटेन को अलग करता है. यह दुनिया के सबसे व्यवस्त समुद्री रास्तों में से एक है और लहरे खतरनाक रूप से विशाल होती हैं. आमतौर पर मानव तस्कर इस रास्ते का प्रयोग लोगों को एक से दूसरे देश में पहुंचाने के लिए करते हैं. लेकिन अक्सर वे नौकाओं में क्षमता से ज्यादा लोग चढ़ा लेते हैं जो हादसे की वजह बनता है.
हादसे पर प्रतिक्रिया में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि उन्हें इस घटना से गहरा आघात लगा है. उन्होंने कहा कि मानव तस्करी करने वाले गिरोह कत्ल करके बच जाते हैं और फ्रांस को इन लोगों को रोकने के लिए और ज्यादा कोशिशें करनी चाहिए.
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फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने ब्रिटेन को जवाब देते हुए कहा कि घरेलू मोर्चे पर लाभ के लिए मुद्दे के राजनीतिकरण से परहेज करना चाहिए. फ्रांसीसी गृह मंत्री जेराल्ड दारमानिन ने कहा कि ब्रिटेन की भी जवाबदेही बनती है.
तैरते दिखे शव
इस हादसे के बाद दो प्रवासियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. गृह मंत्री के मुताबिक वे हाइपरोथर्मिया से गंभीर रूप से बीमार हैं. इस बीच फ्रांस पुलिस ने चार कथित मानव तस्करों को घटना में शामिल होने के संदेह में गिरफ्तार किया है. मारे गए लोगों की राष्ट्रीयता का फिलहाल पता नहीं चल पाया है.
स्थानीय मछुआरों के मुताबिक बुधवार को मौसम बहुत ज्यादा ठंडा था लेकिन सामान्य से ज्यादा संख्या में प्रवासी ब्रिटेन के लिए रवाना हो गए क्योंकि समुद्र शांत था. बुधवार को विमोरो के नजदीक प्रवासियों के एक समूह को रबर वाली एक नौका लेकर समुद्र की ओर जाते देखा गया. यही समूह 30 किलोमीटर समुद्र पार कर कई घंटों में दक्षिणी इंग्लैंड के डंजीनेस में उतरता देखा गया.
दुनिया भर से खतरों से भाग रहे शरणार्थियों की लाचारी
युद्ध, उत्पीड़न, प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के खतरे के परिणामस्वरूप, दुनिया भर में अनुमानित आठ करोड़ लोग सुरक्षा की तलाश में अपने देश से भागने को मजबूर हुए हैं. इस दौरान सबसे ज्यादा दर्द बच्चों को झेलना पड़ा है.
तस्वीर: Guardia Civil/AP Photo/picture alliance
समुद्र में डूबने से बचाया
बच्चा सिर्फ कुछ महीने का था जब एक स्पेनिश पुलिस गोताखोर ने उसे डूबने से बचा लिया. मई के महीने में हजारों लोगों ने यूरोप पहुंचने के लिए मोरक्को से भूमध्य सागर पार करने की कोशिश की थी. ये लोग स्पेन के छोटे से एन्क्लेव सेउता पहुंच गए थे. इस तस्वीर से सेउता में प्रवासी संकट की असली झलक देखने को मिलती है.
तस्वीर: Guardia Civil/AP Photo/picture alliance
कोई उम्मीद नहीं
भूमध्य सागर दुनिया के सबसे खतरनाक प्रवास मार्गों में से एक है. कई अफ्रीकी शरणार्थी समुद्र के रास्ते यूरोप पहुंचने में विफल रहने के बाद लीबिया में फंसे हुए हैं. त्रिपोली में कई ऐसे युवा हैं जो पल-पल अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं. उन्हें अक्सर कठिन परिस्थितियों में काम करना पड़ता है.
तस्वीर: MAHMUD TURKIA/AFP via Getty Images
सूटकेस में बंद जिंदगी
बांग्लादेश में कॉक्स बाजार शरणार्थी शिविर दुनिया के सबसे बड़े आश्रयों में से एक है. यहां म्यांमार से भागकर आए रोहिंग्या मुसलमानों की एक बड़ी संख्या रहती है. वहां के एनजीओ बाल शोषण, ड्रग्स, मानव तस्करी, साथ ही बाल श्रम और बाल विवाह जैसे मुद्दों पर चिंता जताते हैं.
तस्वीर: DANISH SIDDIQUI/REUTERS
ताजा संकट
इथियोपिया के टिग्रे प्रांत में गृह युद्ध ने एक और शरणार्थी संकट पैदा कर दिया है. टिग्रे की 90 फीसदी आबादी विदेशी मानवीय सहायता पर निर्भर है. करीब 16 लाख लोग सूडान भाग गए हैं. इनमें 7,20,000 बच्चे शामिल हैं. ये शरणार्थी अस्थायी शिविरों में फंसे हुए हैं और वे अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहे हैं.
तस्वीर: BAZ RATNER/REUTERS
शरणार्थियों को कहां जाना चाहिए?
तुर्की में फंसे सीरियाई और अफगान शरणार्थी अक्सर ग्रीक द्वीपों तक पहुंचने की कोशिश करते हैं. कई शरणार्थी ग्रीक द्वीप लेसबोस के मोरिया शरणार्थी शिविर में रहते थे. पिछले साल सितंबर में कैंप में आग लग गई थी. आग के बाद यह परिवार अब एथेंस आ गया है लेकिन अपने अगले गंतव्य के बारे में कुछ नहीं जानता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Y. Karahalis
एक कठिन जीवन
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में 'अफगान बस्ती रिफ्यूजी कैंप' में रहने वाले अफगान बच्चों के लिए कोई स्कूल नहीं है. 1979 में अफगानिस्तान में सोवियत हस्तक्षेप के बाद से यह शिविर अस्तित्व में है. वहां रहने की व्यवस्था बेहद खराब है. शिविर में पीने का पानी और पर्याप्त आवास का अभाव है.
तस्वीर: Muhammed Semih Ugurlu/AA/picture alliance
सहायता संगठनों से महत्वपूर्ण समर्थन
वेनेजुएला के कई परिवार अपने देश में अपने भविष्य को धूमिल देखकर पड़ोसी देश कोलंबिया चले गए हैं. वहां वे एनजीओ रेड क्रॉस से चिकित्सा और खाद्य सहायता प्राप्त करते हैं. रेड क्रॉस ने सीमावर्ती शहर अरौक्विटा के एक स्कूल में एक अस्थायी शिविर बनाया है.
तस्वीर: Luisa Gonzalez/REUTERS
समाज में मिलने की कोशिश
कई शरणार्थी जर्मनी में अपने बच्चों के बेहतर भविष्य की उम्मीद करते हैं. कार्ल्सरूहे में लर्नफ्रुंडे हाउस में शरणार्थी बच्चों को जर्मन स्कूल प्रणाली में प्रवेश के लिए तैयार किया जाता है. हालांकि कोविड महामारी के दौरान वे नए समाज में एकीकृत होने में मिलनी वाली मदद के इस अहम तत्व से चूक गए.
तस्वीर: Uli Deck/dpa/picture alliance
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एक मछुआरे निकोलस मारगोल ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि उन्होंने बुधवार सुबह दो नौकाओं को देखा था जिनमें से एक में लोग थे जबकि दूसरी खाली थी. उन्होंने कहा कि 15 लोगों को समुद्र पर तैरते देख उन्हें संदेह हुआ और अधिकारियों को सूचित किया गया. गृह मंत्र दारमानिन ने कहा कि प्रवासी रबर की जिस नौका में सवार थे उसकी हवा निकल गई थी.
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खतरे उठाते लोग
ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने के दौरान चलाए गए अभियान में ब्रिटिश सीमाओं पर नियंत्रण एक बड़ा मुद्दा था. प्रवासियों की आवाजाही ब्रिटेन और फ्रांस के बीच विवाद की वजह बनती रही है. ब्रिटेन इल्जाम लगाता रहा है कि हजारों प्रवासी उनके तटों से दूसरे देशों की ओर जाते हैं और फ्रांसीसी अधिकारी खड़े देखते रहते हैं.
फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने कहा कि यूरोपीय सीमा बल फ्रंटेक्स को बाहरी सीमाओं की रक्षा के लिए अतिरिक्त धन मिलना चाहिए ताकि प्रवासियों को फ्रांस के उत्तरी तटों पर जमा होने से रोका जा सके. माक्रों ने कहा, "फ्रांस चैनल को कब्रगाह नहीं बनने देगा.”
इंग्लिश चैनल में पहले भी बड़े हादसे होते रहे हैं. इसी साल हुए एक हादसे में 14 प्रवासी मारे गए थे. उससे पहले 2020 में कुल सात लोगों की मौत हुई थी जबकि दो लापता हो गए थे. 2019 में भी चार प्रवासियों की इसी रास्ते से फ्रांस से ब्रिटेन में घुसने की कोशिश में मौत हो गई थी.
प्रवासियों के रहने के लिए 2021 में सबसे अच्छी जगहें
प्रवासियों के सबसे बड़े नेटवर्क इंटरनेशंस की ´एक्सपैट इंसाइडर सर्वे 2021´ के मुताबिक 2021 में ऐसे 10 देश हैं जो एक्सपैट के रहने के लिए सबसे अच्छे हैं. तो जानते हैं कौन हैं ये 10 देश.
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ताइवान
एक्सपैट इनसाइडर 2021 सर्वेक्षण में ताइवान ने लगातार तीसरे साल पहले स्थान पर अपनी जगह बनाए रखी है. ताइवान जीवन शैली और विदेश में काम करने के मामले में भी नंबर एक पर आता है.
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मेक्सिको
प्रवासियों के लिए मेक्सिको रहने के लिहाज से दूसरा सबसे अच्छा देश है. मेक्सिको दुनिया का 10वां सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है. मेक्सिको की "संस्कृति और स्थानीय लोगों का दोस्ताना स्वभाव" लोगों को भाता है.
कुल 59 देशों की लिस्ट में मध्य अमेरिकी देश कोस्टा रिका को तीसरा स्थान मिला है. वहां रहने वाले एक अमेरिकी प्रवासी का कहना है, "मुझे कोस्टा रिका के सामाजिक जीवन और संस्कृति से प्यार है."
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मलेशिया
एशियाई देश मलेशिया को प्रवासियों ने चौथा रैंक दिया है. ज्यादातर लोगों ने सर्वे के दौरान यहां रहने के खर्च और व्यक्तिगत फाइनांस के आधार पर मलेशिया को यह स्थान दिया है. एक्सपैट्स ने मलेशिया को आसानी से बसने के सूचकांक में दूसरा सबसे अच्छा देश बताया है.
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पुर्तगाल
पुर्तगाल एकलौता यूरोपीय देश है जो प्रवासियों के मनपसंद देशों में से एक है. पुर्तगाल रैंक में नंबर पांच पर है. यहां रहने वाले प्रवासी जीवन से जुड़े अधिकांश पहलुओं की सराहना करते हैं.
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न्यूजीलैंड
न्यूजीलैंड को प्रवासियों की पसंदीदा देशों की रैंक में 6ठा स्थान मिला है. 2016 के बाद पहली बार प्रशांत सागर में बसा न्यूजीलैंड टॉप दस की सूची में अपनी जगह बना पाया है.
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ऑस्ट्रेलिया
प्रवासियों की रैंकिंग के अनुसार ऑस्ट्रेलिया नबंर सात पर आया है. ऑस्ट्रेलिया भी अपने पड़ोसी देश न्यूजीलैंड की तरह ही 2016 के बाद इस सूची में पहली बार जगह बना पाया है.
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इक्वाडोर
इक्वाडोर एक दक्षिण अमेरिकी देश है. प्रवासियों ने अपने व्यक्तिगत फाइनांस और यहां बसने में होने वाली आसानी के आधार पर इक्वाडोर को ये रैंक दिया है और संतुष्टि जताई है.
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कनाडा
उत्तरी अमेरिकी देश कनाडा को प्रवासियों ने 9वां रैंक दिया है. ज्यादातर प्रवासियों ने कनाडा को आसानी से बसने वाला देश, अच्छी जीवन शैली और काम करने के लिहाज से अच्छी जगह बताया है.
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वियतनाम
वियतनाम टॉप 10 की सूची में जगह बनाने वाला तीसरा एशियाई देश है. प्रवासियों ने साम्यवादी शासन वाले वियतनाम को रहने के लिए एक अच्छी जगह बताया है. वियतनाम को इस लिस्ट में 10वां रैंक मिला है.
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फ्रांसीसी पुलिस ने बड़ी संख्या में लोगों को चैनल पार करने से रोका है लेकिन तब भी सभी प्रवासियों को रोकने में कामयाब नहीं हो पाए हैं. कुछ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि ज्यादा सख्त निगरानी के कारण प्रवासी अब ज्यादा बड़े खतरे उठा रहे हैं.
प्रवासियों के लिए काम करने वाली संस्था आईडीएम ने कहा, "सिर्फ तस्करों पर इल्जाम लगाना फ्रांसीसी और ब्रिटिश अधिकारियों की जिम्मेदारी को छिपाने जैसा है.”