भारत सरकार के निर्देश पर ट्विटर द्वारा कई हैंडल बैन कर दिए जाने की खबरें आ रही हैं. इनमें किसान आंदोलन के दौरान बनाए गए किसान मोर्चा और फ्रीडम हाउस जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के हैंडल भी शामिल हैं.
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मोदी सरकार को नए कृषि कानून वापस ले लेने के लिए मजबूर कर देने वाले किसान आंदोलन के ट्विटर हैंडलों पर अब ताला लगा हुआ है. ट्विटर ने इस बारे में सिर्फ इतनी जानकारी सार्वजनिक की है कि भारत में एक कानूनी मांग के तहत @Kisanektamorcha और @Tractor2twitr खातों पर रोक लगा दी गई है.
इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन (आईएफएफ) के मुताबिक ट्विटर को इन दोनों खातों के अलावा और भी कई खातों पर भारत के इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी कानून के तहत रोक लगाने के अनुरोध मिले थे. आईएफएफ ने यह जानकारी इंटरनेट सेंसरशिप पर नजर रखने वाली अमेरिकी संस्था 'लुमेन डेटाबेस' से हासिल की है.
लुमेन के मुताबिक हाल ही में भारत सरकार ने ट्विटर को कम से कम दो कानूनी अनुरोध भेजे थे. हर अनुरोध में कई ट्विटर खाते शामिल हैं. आईएफएफ द्वारा जारी की गई इन खातों की सूची में कम से कम 75 खाते हैं.
इनमें अमेरिकी मानवाधिकार संस्था फ्रीडम हाउस जैसी संस्थाओं, कांग्रेस, सीपीएम और आम आदमी पार्टी जैसी विपक्षी पार्टियों के नेताओं और राणा अयूब जैसे पत्रकारों समेत कई ट्विटर हैंडल शामिल हैं. हालांकि इन सभी खातों पर रोक लगी या नहीं, इसकी जानकारी लुमेन ने नहीं दी है.
लुमेन ने बताया कि ये अनुरोध पांच जनवरी, 2021 और 29 दिसंबर, 2021 के बीच भेजे गए थे, लेकिन ट्विटर ने इनके बारे में अब जा कर बताया है.
किसान मोर्चा ने फेसबुक पर अपने सत्यापित पेज पर इसकी आलोचना करते हुए इस "आपातकाल का जीता जागता उदाहरण" बताया है. मोर्चा ने यह भी कहा है कि यह पाबंदी "सरकार द्वारा मानवाधिकारों के खिलाफ हमले के एक बड़े अभियान का हिस्सा है."
अपने एक ट्वीट के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए पत्रकार जुबैर अहमद ने कुछ दिन पहले ट्विटर पर ही बताया था कि सरकार ने उनके हैंडल पर भी रोक लगाने के लिए ट्विटर को लिखा था, लेकिन ट्विटर ने इस अनुरोध को मंजूर नहीं किया.
आईएएफ का कहना है कि ऑनलाइन सामग्री को ब्लॉक कर दिए जाने को चुनौती देने का अधिकार नागरिकों को है लेकिन वो अक्सर ऐसा नहीं कर पाते क्योंकि इस तरह के आदेशों को उनके साथ साझा नहीं किया जाता. संस्था ने सरकार से इस तरह के आदेशों को सार्वजनिक करने की मांग की है.
सोशल मीडिया कंपनियां नेताओं के साथ कैसे पेश आती हैं
फेसबुक और ट्विट्टर द्वारा डॉनल्ड ट्रंप के खातों को बंद कर देने के बाद सोशल मीडिया कंपनियों के व्यवहार को लेकर काफी चर्चा हुई थी. कैसे तय करती हैं कंपनियां कि उनके मंचों पर किस नेता को क्या-क्या बोलने दिया जाए.
तस्वीर: Leah Millis/REUTERS
किसके साथ होता है विशेष व्यवहार?
फेसबुक और ट्विटर दोनों के ही मौजूदा नियम आम यूजर के मुकाबले चुने हुए नुमाइंदों और राजनीतिक प्रत्याशियों को ज्यादा अभिव्यक्ति की आजादी देते हैं. ट्विटर के जनहित नियमों के तहत तो सत्यापित सरकारी अधिकारी भी आते हैं.
तस्वीर: Ozan Kose/AFP/Getty Images
तो क्या हैं मौजूदा नियम?
ट्विटर कहती है कि सामग्री अगर जनहित में हो तो वो उसे हटाती नहीं है, क्योंकि ऐसी सामग्री का रिकॉर्ड रहेगा तभी नेताओं को जवाबदेह बनाया जा सकेगा. फेसबुक राजनेताओं की पोस्ट और भुगतान किए हुए विज्ञापनों को अपने बाहरी फैक्ट-चेक कार्यक्रम से छूट देती है. फेसबुक राजनेताओं द्वारा किए गए कंपनी के नियम तोड़ने वाले पोस्ट को भी नहीं हटाती है अगर उनका जनहित उनके नुकसान से ज्यादा बड़ा है.
तस्वीर: Diptendu Dutta/AFP
आतंकवाद गंभीर मामला
ट्विटर का कहना है कि दुनिया में कहीं भी अगर कोई नेता आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला ट्वीट करता है तो उसे कंपनी हटा देती है. किसी दूसरे की निजी जानकारी जाहिर करने वाले ट्वीटों को भी हटा दिया जाता है. फेसबुक के तो कर्मचारियों ने ही भड़काऊ पोस्ट ना हटाने पर कंपनी की आलोचना की है. यूट्यूब कहता है कि उसने नेताओं के लिए कोई अलग नियम नहीं बनाए हैं.
तस्वीर: picture-alliance/ZUMAPRESS/S. Babbar
ट्रंप के साथ क्या हुआ?
छह जनवरी 2021 को वॉशिंगटन में हुए कैपिटल दंगों के बाद ट्विट्टर, फेसबुक, स्नैपचैट और ट्विच ने ट्रंप पर हिंसा को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबंध लगा दिया था. यूट्यूब ने भी ट्रंप के चैनल पर रोक लगा दी थी.
तस्वीर: Christoph Hardt/Geisler-Fotopress/picture alliance
दूसरे नेताओं का क्या?
मानवाधिकार समूहों ने मांग की है कि इन कंपनियों को दूसरे नेताओं के खिलाफ भी इसी तरह के कदम उठाने चाहिए. कई नेता हैं जिनकी सार्वजनिक रूप से काफी आलोचना होती है लेकिन वो सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं. इनमें ईरान के सर्वोच्च नेता अयातोल्लाह खमेनेई, ब्राजील के राष्ट्रपति जाएर बोल्सोनारो और वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो शामिल हैं. म्यांमार में तख्तापलट के बाद फेसबुक ने सेना पर प्रतिबंध लगा दिया था.
तस्वीर: Office of the Iranian Supreme Leader/AP/picture alliance
अब क्या हो रहा है?
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों और कैपिटल दंगों के दौरान फेसबुक और ट्विटर की भूमिका को लेकर सवाल उठने के बाद दोनों कंपनियों ने अपनी नियमों पर राय मांगी है. फेसबुक ने अपने ओवरसाइट बोर्ड से सुझाव मांगे हैं और ट्विट्टर ने जनता से. (रॉयटर्स)