लाखों लोगों ने #ModiPunishesPak के साथ ट्वीट किए हैं. ट्वीट करने वालों में आम लोग ही नहीं, सांसद, विधायक और मंत्री तक शामिल हैं. पाकिस्तान पर भारत के लक्षित हमले को उड़ी हमले का बदला और नरेंद्र मोदी के ताकतवर होने के रूप में पेश किया जा रहा है. हालांकि पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा को पार कर हमला करने के भारतीय सेना के दावे को गलत बताया है.
बीजेपी सांसद संजय पासवन ने ट्वीट किया, "हमारे पास एक ऐसा नेता है जो अपना रास्ता जानता है, उस पर चलता है और हम सबको रास्ता दिखाता है."
गृह राज्य मंत्री किरेन रिजीजू ने इस हमले को उड़ी में मारे गए सैनिकों को श्रद्धांजलि बताया है तो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस लिखते हैं कि मोदी ने दिखा दिया है कि भारत एक कमजोर देश नहीं है. उन्होंने ट्वीट किया है, "नरेंद्र मोदीजी ने दिखा दिया है कि हम एक कमजोर देश नहीं हैं और आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करते. पूरे देश को भारत की सेना और प्रधानमंत्री पर गर्व है."
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने लिखा कि आज का हमला दिखाता है कि भारत सरकार अब आतंकवादियों की साजिश के आगे दबने वाली नहीं है.
बीजेपी की सहयोगी लोकजनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान ने लिखा है कि उन्हें भारतीय सैनिकों और नरेंद्र मोदी पर गर्व है.
केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह लिखते हैं कि भगत सिंह को उनके जन्मदिन पर इससे अच्छी श्रद्धांजलि नहीं हो सकती थी.
वहीं जाने-माने लेखक चेतन भगत मानते हैं कि भारत के पाकिस्तान में आतंकवादियों पर कार्रवाई करने में कुछ भी गर्व करने लायक या शर्म करने लायक नहीं है बल्कि यह एक जरूरी काम था जो अपनी बात साबित करने के लिए करना ही था.
उधर पाकिस्तान में लोग भारत की इस कार्रवाई को फर्जी बता रहे हैं. वहां टॉप ट्रेंड #SurgicalStrike है और लोग नरेंद्र मोदी और भारत पर जमकर तंज कर रहे हैं. खुद को कर्नल अभिजीत शमी बताने वाले एक ट्विटर यूजर ने लिखा है, "गरीबी से लड़ते लड़ते मोदी बड़ी जल्दी फर्जी सर्जिकल स्ट्राइक पर पहुंच गए और भारत के स्टॉक एक्सचेंज को 500 पॉइंट्स गिरा दिया."
एवीएम (रिटायर्ड) शाहिद लतीफ ने लिखा है कि पाकिस्तान की मिट्टी पर ऐसी कार्रवाई करने की बात भारत सोच भी नहीं सकता.
तस्वीरों में देखिए: ऐसे विवाद जो दुनियाभर को बर्बाद करने लायक टाइम बम हैं
दुनिया भर में कुछ ऐसे विवाद हैं जो कभी भी युद्ध भड़का सकते हैं. ये सिर्फ दो देशों को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को लड़ाई में खींच सकते हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. Mihailescuबीते दशक में जब यह पता चला कि चीन, फिलीपींस, वियतनाम, ताइवान, ब्रुनेई, इंडोनेशिया, सिंगापुर और कंबोडिया के बीच सागर में बेहद कीमती पेट्रोलियम संसाधन है, तभी से वहां झगड़ा शुरू होने लगा. चीन पूरे इलाके का अपना बताता है. वहीं अंतरराष्ट्रीय ट्राइब्यूनल चीन के इस दावे के खारिज कर चुका है. बीजिंग और अमेरिका इस मुद्दे पर बार बार आमने सामने हो रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Photoshot/Xinhua/Liu Rui2014 में रूस ने क्रीमिया प्रायद्वीप को यूक्रेन से अलग कर दिया. तब से क्रीमिया यूक्रेन और रूस के बीच विवाद की जड़ बना हुआ है. यूक्रेन क्रीमिया को वापस पाना चाहता है. पश्चिमी देश इस विवाद में यूक्रेन के पाले में है.
तस्वीर: picture-alliance/abaca/Y. Rafaelउत्तर और दक्षिण कोरिया हमेशा युद्ध के लिए तैयार रहते हैं. उत्तर कोरिया भड़काता है और दक्षिण को तैयारी में लगे रहना पड़ता है. दो किलोमीटर का सेनामुक्त इलाका इन देशों को अलग अलग रखे हुए हैं. उत्तर को बीजिंग का समर्थन मिलता है, वहीं बाकी दुनिया की सहानुभूति दक्षिण के साथ है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/J. Martinभारत और पाकिस्तान के बीच बंटा कश्मीर दुनिया में सबसे ज्यादा सैन्य मौजूदगी वाला इलाका है. दोनों देशों के बीच इसे लेकर तीन बार युद्ध भी हो चुका है. 1998 में करगिल युद्ध के वक्त तो परमाणु युद्ध जैसे हालात बनने लगे थे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/F. Khanकभी सोवियत संघ का हिस्सा रहे इन इलाकों पर जॉर्जिया अपना दावा करता है. वहीं रूस इनकी स्वायत्ता का समर्थन करता है. इन इलाकों के चलते 2008 में रूस-जॉर्जिया युद्ध भी हुआ. रूसी सेनाओं ने इन इलाकों से जॉर्जिया की सेना को बाहर कर दिया और उनकी स्वतंत्रता को मान्यता दे दी.
तस्वीर: Getty Images/AFP/K. Basayevनागोर्नो-काराबाख के चलते अजरबैजान और अर्मेनिया का युद्ध भी हो चुका है. 1994 में हुई संधि के बाद भी हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. इस इलाके को अर्मेनिया की सेना नियंत्रित करती है. अप्रैल 2016 में वहां एक बार फिर युद्ध जैसे हालात बने.
तस्वीर: Getty Images/AFP/V. Baghdasaryan1975 में स्पेन के पीछे हटने के बाद मोरक्को ने पश्चिमी सहारा को खुद में मिला लिया. इसके बाद दोनों तरफ से हिंसा होती रही. 1991 में संयुक्त राष्ट्र के संघर्षविराम करवाया. अब जनमत संग्रह की बात होती है, लेकिन कोई भी पक्ष उसे लेकर पहल नहीं करता. रेगिस्तान के अधिकार को लेकर तनाव कभी भी भड़क सकता है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/F. Baticheमोल्डोवा का ट्रांस-डिनिएस्टर इलाका रूस समर्थक है. यह इलाका यूक्रेन और रूस की सीमा है. वहां रूस की सेना तैनात रहती है. विशेषज्ञों के मुताबिक पश्चिम और मोल्डोवा की बढ़ती नजदीकी मॉस्को को यहां परेशान कर सकती है.
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