वैज्ञानिकों ने पहली बार एक-दूसरे के नजदीक टिके दो सितारों को देखा है. ये सितारे आकाशगंगा के बीच में ब्लैक होल के पास चक्कर काट रहे हैं.
मिल्की वे आकाशगंगा के केंद्र में एक विशाल ब्लैकहोल हैतस्वीर: Eso/Vvvx Survey/PA/picture alliance
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वैज्ञानिकों ने हमारी आकाशगंगा, मिल्की वे, के केंद्र में मौजूद विशालकाय ब्लैक होल के पास दो तारों को एक-दूसरे के चारों ओर घूमते हुए देखा है. यह खोज खगोल विज्ञान के क्षेत्र में एक दुर्लभ और रोचक घटना है.
माना जाता है कि हर बड़ी आकाशगंगा के केंद्र में एक सुपरमैसिव ब्लैक होल होता है. मिल्की वे के केंद्र में स्थित ब्लैक होल, जिसे सैजिटेरियस ए कहा जाता है, हमारे सूरज से करीब 40 लाख गुना ज्यादा भारी है. यह आमतौर पर शांत रहता है और कभी-कभी इसके पास आने वाली गैस या धूल को निगलता है.
वैज्ञानिकों को पता है कि तारे ब्लैक होल के करीब बन सकते हैं और यहां तक कि उनकी परिक्रमा कर सकते हैं. लेकिन दो तारों को इतनी नजदीक एक साथ टिके हुए पहली बार देखा गया है. यह खोज मंगलवार को ‘नेचर कम्युनिकेशन्स‘ पत्रिका में प्रकाशित हुई.
दुर्लभ खगोलीय घटना
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजिलिस की खगोल वैज्ञानिक अन्ना सिउर्लो, जो इस शोध में शामिल नहीं थीं, ने इस खोज को "दिलचस्प और असामान्य" बताया. हालांकि, उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए और शोध की जरूरत है कि ये वस्तुएं वास्तव में क्या हैं.
ऑरोरा बोरिएलिस: आकाश में चमत्कार
ऑरोरा हर बार हमें मोहित कर लेती हैं. हाल ही में एक सौर तूफान ने दुनिया के ऐसे इलाकों में आकाश में रंगीन कलाकृतियां बिखेर दीं, जहां अमूमन इन्हें कम ही देखा जाता है. देखिए ऐसी ही कुछ इलाकों में ली गईं दुर्लभ तस्वीरें.
तस्वीर: SANKA VIDANAGAMA/AFP
हरी लालटेन
हाल ही में अमेरिकी राज्य वॉशिंगटन के वाश्टुकना कस्बे में रात को आसमान जहरीले हरे रंग का हो गया. रविवार 30 अप्रैल को अमेरिकी मौसम एजेंसी एनओएए ने सौर तूफान के बारे में आगाह किया था जो रात के आसमान में इस चित्रकारी का जिम्मेदार था. यूरोप और एशिया में भी कई स्थानों से ऑरोरा के देखे जाने की खबरें आईं.
तस्वीर: Ted S. Warren/AP Photo/picture alliance
रात को सूर्यास्त?
रात की ये घटनाएं ध्रुवीय इलाकों में असामान्य नहीं हैं, लेकिन जर्मन बॉल्टिक सागर के द्वीप यूजडोम पर ये एक यादगार नजारा बन गए. रात के आसमान में ये चमकीले रंग तब बनते हैं जब सौर हवाओं के बिजली से चार्ज हो चुके कण वायुमंडल की ऊपरी सतहों से टकराते हैं.
तस्वीर: Christian Grube/IMAGO
उत्तर में ही नहीं
यह दिलचस्प नजारा सिर्फ उत्तर में ही नहीं बल्कि धरती के दक्षिणी हिस्सों में भी देखा जाता है. तथाकथित उत्तरी रोशनी (ऑरोरा बोरिएलिस) के अलावा दक्षिणी रोशनी (ऑरोरा ऑस्ट्रालिस) भी होती है, जिसे ऑस्ट्रेलिया की एलेस्मेयर झील के पास ली गई इस तस्वीर में देखा जा सकता है.
तस्वीर: SANKA VIDANAGAMA/AFP/Getty Images
बर्लिन में प्रकाश प्रदूषण
बर्लिन में इन रंगों की बस एक झलक ही देखी जा सकी क्योंकि वहां प्रकाश प्रदूषण बहुत ज्यादा है. फिर भी आने वाले सालों में आपको आसमान की तरफ और ज्यादा देखना चाहिए क्योंकि विशेषज्ञों का कहना कि मौजूदा सौर चक्र 2024 और 2025 में अपनी चोटी पर पहुंचेगा और तब रोशनी फैलाने वाले इन कणों का विस्फोट बढ़ जाएगा.
तस्वीर: Jörg&Nicole Krauthöfer/IMAGO
जुड़े हुए मिथक
फिनलैंड में उत्तरी रोशनी असामान्य नहीं है. लेकिन जब तक इनके वैज्ञानिक कारण की खोज नहीं हुई थी तब तक इनके इर्द-गिर्द कई मिथक थे. स्कैंडिनेविया के मूल निवासी 'सामी' लोग इस रहस्यमयी रोशनी में बुरी किस्मत और आत्माएं देखते थे. इनके दिखाई देने पर वो बच्चों को घर से बाहर निकलने से मना कर देते थे और मौन हो कर तब तक इंतजार करते थे जब तक आत्माएं फिर से शांत नहीं हो जाती थीं.
तस्वीर: ALEXANDER KUZNETSOV/AFP
रात का इंद्रधनुष
इंग्लैंड के उत्तर-पूर्वी तट पर व्हिटली बे में सेंट मेरीज लाइटहाउस ऑरोरा बोरिएलिस के इंद्रधनुषीय रंगों के आगे चमक रहा है. रोशनी में हरे, लाल और कभी कभी बैंगनी से लेकर नीले रंग दिखाई देते हैं. रोशनी की तीव्रता में कमी की वजह से रंग हर किसी को अलग भी दिख सकते हैं. (उलरिके शुल्ज)
उन्होंने कहा, "यह खोज अभी भी कई सवालों को अनसुलझा छोड़ देती है."
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ये जुड़वां तारे लगभग 27 लाख साल पुराने हैं और अभी भी युवा माने जा सकते हैं. ये तारे बिल्कुल सही दूरी पर एक-दूसरे की परिक्रमा कर रहे हैं. अगर ये ज्यादा दूर होते, तो ब्लैक होल की गुरुत्वाकर्षण शक्ति उन्हें अलग कर देती. वहीं, अगर ये और पास होते, तो आपस में मिलकर एक तारा बन जाते.
भले ही ये तारे फिलहाल संतुलन में हैं, लेकिन हमेशा के लिए ऐसा नहीं रहेगा. इनका भविष्य अस्थिर है और वैज्ञानिकों का मानना है कि ये अंततः एक हो सकते हैं. हालांकि, यह कब होगा, यह अभी तय नहीं है.
कोलोन विश्वविद्यालय के फ्लोरियन पाइसकर इस शोध के प्रमुख लेखक हैं. उन्होंने कहा, "हम वास्तव में एक बहुत भाग्यशाली स्थिति में हैं. हमने इस प्रणाली को सही समय पर देखा."
कहां छुपा है सौर मंडल का नौवां ग्रह
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यह खोज न केवल खगोल विज्ञान में नए सवाल खड़े करती है, बल्कि ब्लैक होल के आसपास तारे कैसे टिक सकते हैं और उनका विकास कैसे होता है, इस पर नई जानकारी भी देती है.
इस शोध से पता चलता है कि ब्लैक होल के निकट खगोलीय घटनाएं कितनी जटिल और अनोखी हो सकती है. आगे के अध्ययन इस रहस्यमय खोज पर और रोशनी डाल सकते हैं.