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आपदाअफगानिस्तान

यूएन:अफगानिस्तान के दो तिहाई लोगों को मानवीय सहायता की जरूरत

९ मार्च २०२३

अफगानिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष प्रतिनिधि रोजा इसाकोवना ओटुनबायेवा ने कहा कि युद्धग्रस्त देश की दो-तिहाई आबादी को मानवीय सहायता की जरूरत होगी.

 2.8 करोड़ लोगों को इस साल मानवीय सहायता की जरूरत
2.8 करोड़ लोगों को इस साल मानवीय सहायता की जरूरततस्वीर: Sanaullah Seiam/Xinhua/picture alliance

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि अफगानिस्तान के कम से कम 2.8 करोड़ लोगों को इस साल मानवीय सहायता की जरूरत होगी. संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि रोजा इसाकोवना ओटुनबायेवा ने सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा कि मानवीय आवश्यकता पर 4.62 अरब डॉलर खर्च होंगे, जो अब तक की सबसे बड़ी अपील है.

अफगानिस्तान की लगभग 50 फीसदी आबादी यानि लगभग दो करोड़ लोग, फिलहाल संकट स्तर पर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं, जबकि 60 लाख लोग अकाल जैसी परिस्थितियों के कगार पर हैं.

ओटुनबायेवा ने कहा कि 60 लोगों को तो तुरंत सहायता की जरूरत है.

ओटुनबायेवा ने कहा, "हमारी मानवीय कार्रवाई को एक जटिल पहुंच और सुरक्षा वातावरण द्वारा चुनौती दी गई है."

उन्होंने कहा कि गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) में काम करने वाली महिलाओं पर प्रतिबंध कमजोर आबादी तक पहुंचने के लिए एकमात्र गंभीर बाधा नहीं हैं. उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि "संयुक्त राष्ट्र के लिए काम करने वाली राष्ट्रीय महिला कर्मचारियों को भी प्रतिबंधित किया जाएगा."

60 लाख लोग अकाल जैसी परिस्थितियों के कगार पर हैंतस्वीर: ATIF ARYAN/AFP

ओटुनबायेवा ने कहा कि प्रतिबंध, महिलाओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने से रोकने के साथ-साथ, अफगान आबादी और तालिबान और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच संबंधों के लिए गंभीर परिणाम होंगे.

संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि ने चेतावनी दी कि अगर महिलाओं को काम करने की अनुमति नहीं दी गई तो "अफगानिस्तान के लिए धन कम होने की संभावना है."

ओटुनबायेवा ने यह भी बताया कि इस्लामिक स्टेट खुरासान (आईएस-के) के बढ़ते खतरे के बारे में बढ़ती चिंताओं से मानवीय सहायता का वितरण प्रभावित हुआ है.

साथ ही उन्होंने चिंता जताई कि 2023 के बीतने के साथ, तालिबान द्वारा महिलाओं पर लगाई गई पाबंदियों और अन्य सख्त कदमों के कारण, जरूरतमन्दों तक मानवीय राहत पहुंचाने के प्रयासों में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.

उन्होंने कहा, "एक ऐसे क्षण में जब देश को दशकों के युद्ध से उबरने के लिए अपनी सारी मानव पूंजी की आवश्यकता है, यहां चिकित्सकों, वैज्ञानिकों, पत्रकारों और राजनेताओं की आधी संभावित आबादी के सपने कुचल दिए गए हैं और उनकी प्रतिभा को जब्त कर लिया गया है."

एए/सीके (एएफपी, एपी)

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