बाल्टिक में इंटरनेट केबल कटने से ‘हाइब्रिड युद्ध’ की चिंता
१९ नवम्बर २०२४17 और फिर 18 नवंबर को बाल्टिक सागर में दो जगह अंडरसी केबल कटने की घटनाएं हुईं. इन दो केबलों में से एक फिनलैंड और जर्मनी के बीच और दूसरी लिथुआनिया और स्वीडन के बीच जुड़ी हुई थी. फिनलैंड-जर्मनी केबल, सी-लायन1, 18 नवंबर की तड़के काट दी गई थी, और लिथुआनिया-स्वीडन केबल को 17 नवंबर को नुकसान हुआ था. इन केबलों से दोनों देशों के इंटरनेट और संचार नेटवर्क जुड़े हैं, जिससे यह संदेह पैदा हुआ है कि यह जानबूझकर किया गया नुकसान हो सकता है.
फिनलैंड की राज्य-नियंत्रित साइबर सुरक्षा और टेलीकॉम कंपनी, सीनिया ने पुष्टि की है कि 1,172 किलोमीटर लंबी सी-लायन1 केबल में खराबी आई है, जिससे पूरी सेवा बंद हो गई. यह केबल हेलसिंकी (फिनलैंड) और रोस्टॉक (जर्मनी) के बीच महत्वपूर्ण संचार लिंक प्रदान करती है. जांचकर्ताओं को अभी तक इसके नुकसान का कारण नहीं पता चल पाया है. हालांकि उन्होंने यह कहा कि इस तरह की घटनाएं पानी में कभी आकस्मिक नहीं होतीं.
सीनिया के सीईओ, एरी-युसी क्नापिला ने कहा कि मरम्मत में 5 से 15 दिन तक का समय लग सकता है. हालांकि, फिनलैंड की साइबर सुरक्षा एजेंसियों ने यह आश्वासन दिया कि इंटरनेट ट्रैफिक पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा है, क्योंकि फिनलैंड और अन्य देशों के बीच कई डेटा रूट्स उपलब्ध हैं.
इससे पहले 17 नवंबर को एक और घटना हुई, जब लिथुआनिया को स्वीडन से जोड़ने वाली 218 किलोमीटर लंबी केबल को नुकसान पहुंचा. इस केबल को टेलिया लितुवा कंपनी संचालित करती है. हालांकि, इस नुकसान से लिथुआनिया के इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को ज्यादा परेशानी नहीं हुई. कंपनी के प्रवक्ता ने दोनों घटनाओं के कारणों को स्पष्ट करने की जरूरत पर जोर दिया और इन समुद्र के नीचे के केबलों के रणनीतिक महत्व को अहम बताया.
साजिश की आशंका
फिनलैंड और जर्मनी के विदेश मंत्रालयों ने एक संयुक्त बयान में इन केबलों के कटने पर गहरी चिंता जाहिर की है और कहा कि "इस घटना से तत्काल साजिश का संदेह होता है." दोनों देशों ने रूस के यूक्रेन में जारी आक्रमण और "दुष्ट तत्वों द्वारा हाइब्रिड युद्ध" को लेकर चिंता जताई. हालांकि, किसी विशेष पक्ष का नाम नहीं लिया गया लेकिन बयान में यह जोर दिया गया कि महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है.
स्वीडन और फिनलैंड बाल्टिक सागर को जर्मनी के साथ साझा करते हैं. फिनलैंड के नागरिक रक्षा मंत्री कार्ल-ऑस्कर बोलीन ने कहा कि स्वीडिश अधिकारियों ने दोनों केबलों के नुकसान की जांच शुरू कर दी है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल साजिश का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है. हालांकि, उन्होंने क्षेत्र में बढ़े हुए भू-राजनीतिक तनाव को स्वीकार किया और 2022 में नॉर्ड स्ट्रीम गैस पाइपलाइनों के नुकसान की घटनाओं का जिक्र किया, जो इस बात की ओर इशारा करते हैं कि समुद्र के नीचे के बुनियादी ढांचे की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण चिंता बन चुकी है.
सुरक्षा को लेकर चिंताएं
इन घटनाओं ने बाल्टिक सागर में पिछले कुछ वर्षों में हुई घटनाओं की याद दिलाई है. पिछले साल, एक समुद्र के नीचे गैस पाइपलाइन और कई टेलीकॉम केबलों को नुकसान पहुंचा था, जिसकी जांच करने वाले फिनलैंड और एस्टोनिया के अधिकारियों ने इसे एक चीनी कंटेनर शिप के एंकर के घसीटे जाने से जुड़ा माना था. हालांकि, यह साफ नहीं हो पाया कि यह घटना जानबूझकर की गई थी या हादसा था. 2022 में नॉर्ड स्ट्रीम गैस पाइपलाइनों में विस्फोटों ने भी इस क्षेत्र की समुद्र के नीचे की संरचनाओं को खतरे को उजागर किया था.
बाल्टिक सागर एक महत्वपूर्ण जहाजी रास्ता है, जिसे नौ देशों ने घेर रखा है. इनमें रूस भी शामिल है. यूक्रेन में रूस के आक्रमण के कारण तनाव बढ़ने के बाद इस क्षेत्र में समुद्र की नीचे के केबलों और पाइपलाइनों की सुरक्षा एक बड़ी चिंता बन गई है. सी-लायन1 और लिथुआनिया-स्वीडन केबलों को नुकसान न केवल संबंधित देशों के लिए बल्कि व्यापक यूरोपीय और वैश्विक संचार के लिए भी महत्वपूर्ण हैं. इन केबलों को जानबूझकर नुकसान पहुंचाए जाने की संभावना यूरोप में सुरक्षा जोखिमों के नए आयाम खोलती है.
हालांकि, इन घटनाओं को रूस से जोड़ने के लिए कोई ठोस प्रमाण नहीं है, लेकिन यूक्रेन में जारी युद्ध और बाल्टिक क्षेत्र में भू-राजनीतिक स्थिति इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती है. इन जांचों का परिणाम यूरोपीय सुरक्षा और बढ़ते खतरों के बीच महत्वपूर्ण हो सकता है.
वीके/एए (डीपीए, रॉयटर्स)