नूपुर शर्मा की टिप्पणी के समर्थक की हत्या की देशभर में निंदा
२९ जून २०२२
राजस्थान के उदयपुर में एक व्यक्ति की हत्या कर उसका वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किए जाने के बाद तनाव का माहौल है. पूरे देश में इस घटना की निंदा हुई है.
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राजस्थान के उदयपुर में एक दर्जी की हत्या करने का वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर होने के बाद राज्य में तनाव चरम पर पहुंच गया है. भीड़ के जमा होने पर पाबंदी लगा दी गई है और पुलिस वालों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं. उदयपुर के कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है. पुलिस ने घटना को आतंकी हमला माना है.
यह घटना तब सामने आई जब एक वीडियो वॉट्सऐप और अन्य सोशल मीडिया वेबसाइट पर साझा किया जाने लगा. इस वीडियो में कथित तौर पर दो लोगों को उदयपुर में एक दर्जी कन्हैयालाल का गला रेतते हुए दिखाया गया. हत्यारों ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धमकी भी दी.
दर्जी कन्हैयालाल की सोशल मीडिया पोस्ट के लिए पहले गिरफ्तारी भी हो चुकी थी और उन्हें कई दिन से धमकियां मिल रही थीं. राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी हवा सिंह घूमरिया ने मीडिया को बताया कि किसी को बख्शा नहीं जाएगा. उन्होंने मीडिया से वीडियो को प्रसारित ना करने की भी अपील की. उन्होंने कहा, "यह देखने में बेहद घिनौना है. मेरी सलाह है कि कृपया इसे ना देखें."
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मिल रही थीं धमकियां
पुलिस ने बताया कि कन्हैयालाल को एक संगठन विशेष से धमकियां मिली थीं क्योंकि उन्होंने सोशल मीडिया पर नूपुर शर्मा की टिप्पणियों का समर्थन किया था. पुलिस अधिकारी ने कहा, "10 जून को उनके खिलाफ एक शिकायत दर्ज हुई थी. उन्हें गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया. 15 जून को उन्होंने पुलिस को बताया कि उन्हें धमकियां मिल रही हैं. पुलिस ने सभी पक्षों और सामुदायिक नेताओं को थाने में बुलाया और सुलह करवा दी. पुलिस उन सामुदायिक नेताओं की भूमिका की भी जांच कर रही है जिन्होंने सुलह करवाने में मदद की थी."
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूरे हालात को शर्मनाक बताया. उन्होंने कहा कि नफरत का माहौल बनाया जा रहा है. गहलोत ने कहा, "पुलिस इस मामले की जड़ तक पहुंचेगी और घटना में शामिल अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. मैं सभी पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील करता हूं."
हर धर्म में पाई जाती हैं कुछ क्रूर प्रथाएं
धर्म लोगों को साथ लाने के लिए बने थे. लेकिन हर धर्म में ऐसी प्रथाएं हैं जो उसका पालन करने वाले लोगों के प्रति ही अमानवीय हैं. हर परंपरा की अपनी व्याख्याएं हैं जिनके आधार पर विवाद होते हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/B. Ismoyo
ट्रिपल तलाक
इस्लाम में कोई पुरुष यदि अपनी पत्नी से अलग होना चाहे तो उसे तीन बार तलाक बोलकर अलग हो सकता है. तलाक शब्द कब बोला जाएगा, और तलाक कब माना जाएगा, इसे लेकर अलग अलग विचार हैं.
तस्वीर: DW
बाल विवाह
दक्षिण एशिया और अफ्रीका में कई धर्मों में यह प्रथा प्रचलित है. इसके तहत छोटे छोटे बच्चों की शादी कर दी जाती है. भारत में आज भी बहुतायत में बाल विवाह होते हैं.
तस्वीर: Getty Images/A. Joyce
खतना
इस्लाम और यहूदी धर्म में यह प्रथा प्रचलित है. बच्चों के लिंग के अगले हिस्से की त्वचा को काट दिया जाता है. प्राचीन मिस्र की गुफाओं में बने चित्रों में भी खतना दिखाया गया है. अफ्रीका के कुछ ईसाई चर्चों में भी खतना प्रचलित है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट है कि दुनिया के 30 फीसदी पुरुषों का खतना हुआ है जिनमें से 68 फीसदी मुसलमान हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Berry
महिलाओं का खतना
खतने की परंपरा कई धर्मों की महिलाओं में भी प्रचलित है. मध्य पूर्व और अफ्रीकी देशों की महिलाओं में खतना काफी होता है. इसमें महिलाओं की योनी के अग्रभाग को काट दिया जाता है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/N. Sobecki
दोखमेनाशीनी
दखमा या टावर ऑफ साइलेंस पारसियों के कब्रिस्तान को कहते हैं. पारंपरिक रूप से पारसी अपने लोगों के शवों को जलाते या दफनाते नहीं हैं बल्कि दखमा में फेंक देते हैं जहां उन्हें चील-कव्वे खा जाते हैं. दरअसल, पारसी पृथ्वी, जल और अग्नि को बहुत पवित्र मानते हैं इसलिए मृत देह को इनके हवाले नहीं करते बल्कि आकाश के हवाले कर दिया जाता है.
तस्वीर: SAM PANTHAKY/AFP/Getty Images
केशलोंच
शरीर के बालों को हाथों से उखाड़ना केशलोंच कहलाता है. यह जैन धर्म की एक प्रक्रिया है. दिगंबर मुनि को हर 2 से 4 महीने में केशलोंच करना होता है. माना जाता है कि बालों में छोटे छोटे जीव पैदा हो जाते हैं और इंसान के हाथों मारे जाते हैं. यह हिंसा है जिससे बचने के लिए केशलोंच किया जाता है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Mukherjee
सती
भारत में किसी महिला के पति के मर जाने पर उसे लाश के साथ जिंदा जल जाना होता था. अब काफी समय से सती प्रथा चलन में नहीं है लेकिन इसके समर्थक आज भी हैं. 1989 में राजस्थान के सीकर जिले में आखिरी बार सती का मामला सामने आया था.
तस्वीर: Narinder Nanu/AFP/Getty Images
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मुख्यमंत्री ने वीडियो को साझा ना करने की अपील की है. उन्होंने कहा, "मैं सभी से अपील करता हूं कि वीडियो शेयर करके माहौल को बिगाड़ने से बचें. अगर आप वीडियो शेयर करते हैं तो अपराधियों का नफरत फैलाने का मकसद पूरा हो जाएगा."
हर ओर निंदा
राज्य में विपक्ष के नेता बीजेपी विधायक गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि उन्होंने इस बारे में मुख्यमंत्री से बात की है. कटारिया ने बताया, "मैंने मुख्यमंत्री और एसपी से बात की और तुरंत गिरफ्तारी की मांग की है ताकि तनाव कम किया जा सके."
देशभर के नेताओं ने इस घटना की निंदा करते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे भयावह बताया. उन्होंने कहा, "ऐसी कायरतापूर्ण हरकतों की सभ्य समाज में कोई जगह नहीं है. हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं. अपराधियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए."
केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने भी घटना की निंदा करते हुए कहा कि ऐसे काम सद्भाव बिगाड़ने के मकसद से ही किए जाते हैं. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी घटना पर क्षोभ जताते हुए कहा, "मुझे उदयपुर में बर्बर हत्या से गहरा आघात पहुंचा है. धर्म के नाम पर बर्बरता बर्दाश्त नहीं की जा सकती. जो लोग ऐसी क्रूरता के जरिए आतंक फैलाना चाहते हैं, उन्हें फौरन सजा दी जानी चाहिए. हम सबको मिलकर नफरत को हराना है. मैं सभी से शांति और भाईचारा बनाए रखने की अपील करता हूं."
मुस्लिम नेता और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि इसकी कोई सफाई नहीं हो सकती. उन्होंने कहा, "ऐसी हिंसा पर हमारी पार्टी का रुख स्पष्ट है. कोई भी कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकता. हम मांग करते हैं कि राज्य सरकार सख्त से सख्त कार्रवाई करे."
रिपोर्टः विवेक कुमार
पाकिस्तान में हिंदुओं का ऐतिहासिक भव्य मंदिर
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल जिले में कोहिस्तान नामक पर्वत श्रृंखला में कटासराज नाम का एक गांव है. यह गांव हिंदुओं के लिए बहुत ऐतिहासिक और पवित्र है. इसका जिक्र महाभारत में भी मिलता है. आइए जानें इसकी विशेषता.
तस्वीर: Ismat Jabeen
कई मंदिर
कटासराज मंदिर परिसर में एक नहीं, बल्कि कम से कम सात मंदिर है. इसके अलावा यहां सिख और बौद्ध धर्म के भी पवित्र स्थल हैं. इसकी व्यवस्था अभी एक वक्फ बोर्ड और पंजाब की प्रांतीय सरकार का पुरातत्व विभाग देखता है.
तस्वीर: Ismat Jabeen
पहाड़ी इलाके में मंदिर
कोहिस्तान नमक का इलाका छोटी-बड़ी पहाड़ियों से घिरा है. ऊंची पहाड़ियों पर बनाए गए इन मंदिरों तक जाने के लिए पहाड़ियों में होकर बल खाते पथरीले रास्ते हैं. इस तस्वीर में कटासराज का मुख्य मंदिर और उसके पास दूसरे भवन दिख रहे हैं.
तस्वीर: Ismat Jabeen
सबसे ऊंचे मंदिर से नजारा
कटासराज की ये तस्वीर वहां के सबसे ऊंचे मंदिर से ली गई है जिसमें मुख्य तालाब, उसके आसपास के मंदिर, हवेली, बारादरी और पृष्ठभूमि में मंदिर के गुम्बद भी देखे जा सकते हैं. बाएं कोने में ऊपर की तरफ स्थानीय मुसलमानों की एक मस्जिद भी है.
तस्वीर: Ismat Jabeen
नहीं रही हिंदू आबादी
कटासराज मंदिर के ये अवशेष चकवाल शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर दक्षिण में हैं. बंटवारे से पहले यहां हिंदुओं की अच्छी खासी आबादी रहती थी लेकिन 1947 में बहुत से हिंदू भारत चले गए. इस मंदिर परिसर में राम मंदिर, हनुमान मंदिर और शिव मंदिर खास तौर से देखे जा सकते हैं.
तस्वीर: Ismat Jabeen
शिव और सती का निवास
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार शिव ने सती से शादी के बाद कई साल कटासराज में ही गुजारे. मान्यता है कि कटासराज के तालाब में स्नान से सारे पाप दूर हो जाते हैं. 2005 में जब भारत के उप प्रधानमंत्री एलके आडवाणी पाकिस्तान आए तो उन्होंने कटासराज की खास तौर से यात्रा की थी.
तस्वीर: Ismat Jabeen
शिव के आंसू
हिंदू मान्यताओं के अनुसार जब शिव की पत्नी सती का निधन हुआ तो शिव इतना रोए कि उनके आंसू रुके ही नहीं और उन्हीं आंसुओं के कारण दो तालाब बन गए. इनमें से एक पुष्कर (राजस्थान) में है और दूसरा यहां कटाशा है. संस्कृत में कटाशा का मतलब आंसू की लड़ी है जो बाद में कटास हो गया.
तस्वीर: Ismat Jabeen
गणेश
हरी सिंह नलवे की हवेली की एक दीवार पर गणेश की तस्वीर, जिसमें वो अन्य जानवरों को खाने के लिए चीजें दे रहे हैं. ऐसे चित्रों में कोई न कोई हिंदू पौराणिक कहानी है. कटासराज के निर्माण में ज्यादातर चूना इस्तेमाल किया गया है.
तस्वीर: Ismat Jabeen
धार्मिक महत्व
पुरातत्वविद् कहते हैं कि इस तस्वीर में नजर आने वाले मंदिर भी नौ सौ साल पुराने हैं. लेकिन पहाड़ी पर बनी किलेनुमा इमारत इससे काफी पहले ही बनाई गई थी. तस्वीर में दाईं तरफ एक बौद्ध स्तूप भी है.
तस्वीर: Ismat Jabeen
प्राकृतिक चश्मे
कटासराज की शोहरत की एक वजह वो प्राकृतिक चश्मे हैं जिनके पानी से गुनियानाला वजूद में आया. कटासराज के तालाब की गहराई तीस फुट है और ये तालाब धीरे धीरे सूख रहा है. इसी तालाब के आसपास मंदिर बनाए गए हैं.
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खास निर्माण शैली
कटासराज की विशिष्ट निर्माण शैली और गुंबद वाली ये बारादरी अन्य मंदिरों के मुकाबले कई सदियों बाद बनाई गई थी. इसलिए इसकी हालत अन्य मंदिरों के मुकाबले में अच्छी है. पुरातत्वविदों के अनुसार कटासराज का सबसे पुराना मंदिर छठी सदी का है.
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दीवारों पर सदियों पुराने निशान
ये खूबसूरत कलाकारी एक हवेली की दीवारों पर की गई है जो यहां सदियों पहले सिख जनरल हरी सिंह नलवे ने बनवाई थी. इस हवेली के अवशेष आज भी इस हालत में मौजूद हैं कि उस जमाने की एक झलक बखूबी मिलती है.
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नलवे की हवेली के झरोखे
सिख जनरल नलवे ने कटासराज में जो हवेली बनवाई, उसके चंद झरोखे आज भी असली हालत में मौजूद हैं. इस तस्वीर में एक अंदरूनी दीवार पर झरोखे के पास खूबसूरत चित्रकारी नजर आ रही है. कहा जाता है कि कटासराज का सबसे प्राचीन स्तूप सम्राट अशोक ने बनवाया था.
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बीती सदियों के प्रभाव
इस तस्वीर में कटासराज की कई इमारतें देखी जा सकती हैं, जिनमें मंदिर भी हैं, हवेलियां भी हैं और कई दरवाजों वाले आश्रम भी हैं. इस तस्वीर में दिख रही इमारतों पर बीती सदियों के असर साफ दिखते हैं.
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सदियों का सफर
इस स्तूपनुमा मंदिर में शिवलिंग है. भारतीय पुरातत्व सर्वे की 19वीं सदी के आखिर में तैयार दस्तावेज बताते हैं कि कटासराज छठी सदी से लेकर बाद में कई दसियों तक हिंदुओं का बेहद पवित्र स्थल रहा है.
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मूंगे की चट्टानें
कटासराज के मंदिरों और कई अन्य इमारतों में हिस्सों में मूंगे की चट्टानों, जानवरों की हड्डियों और कई पुरानी चीजों के अवशेष भी देखे जा सकते हैं.