मध्य प्रदेश के उज्जैन में जिला प्रशासन ने "महाकाल की सवारी" पर कथित तौर पर थूकने के आरोपियों में से एक का घर बुलडोजर से ढहा दिया. इस दौरान प्रशासन ने ढोल भी बजवाया.
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उज्जैन में "महाकाल की सवारी" पर कथित तौर पर थूकने का वीडियो वायरल हुआ था. इस वीडियो में तीन युवक एक घर की छत पर खड़े होकर सवारी में शामिल लोगों पर कथित तौर पर थूकते नजर आ रहे थे. यह वीडियो सोमवार (17 जुलाई) का था.
इस घटना के बाद उज्जैन पुलिस ने सोमवार रात को दो नाबालिग भाइयों समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया था. वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद लोगों ने विरोध किया था. इसके बाद उज्जैन नगर निगम की टीम ने पुलिस और प्रशासन के साथ बुधवार सुबह आरोपियों में से एक के तीन मंजिला अवैध मकान को बुलडोजर से ढहा दिया.
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ढोल बजाकर बुलडोजर चलाया
जिला प्रशासन की इस कार्रवाई में सबसे हैरानी की बात यह थी कि वह बुलडोजर के साथ ढोल और नगाड़े लेकर पहुंची थी. सोशल मीडिया पर भी इसका वीडियो साझा किया जा रहा है. जिसमें देखा जा सकता है कि तीन मंजिला मकान को गिराने से पहले बुलडोजर खड़ा है और दो लोग ढोल बजा रहे हैं.
इस दौरान पुलिस और नगर निगम के कर्मचारी पास खड़े हैं और आसपास के लोग इसका वीडियो बना रहे हैं. उज्जैन के सहायक पुलिस अधीक्षक आकाश भूरिया ने बताया कि कार्रवाई के दौरान मुनादी का नियम है, इसलिए ढोल लेकर आए थे.
भूरिया ने मीडिया से कहा, "कुछ दिन पहले उज्जैन में एक धार्मिक जुलूस के दौरान कुछ उपद्रवियों ने जमकर उत्पात मचाया था. आज हमने नगर निगम के साथ मिलकर उनके घर को तोड़ने का अभियान चलाया."
भारत में इन मुद्दों से खड़ा हुआ विवाद
भारत में बीते कुछ अर्से से हर रोज एक नया विवाद जन्म ले रहा है. ज्यादातर विवाद दो धर्मों के बीच होते हैं. खान-पान, पहनावा और प्रार्थना स्थल को लेकर देश के कई हिस्सों में विवाद पैदा हो चुके हैं.
तस्वीर: Anushree Fadnavis/REUTERS
कर्नाटक का हिजाब विवाद
जनवरी 2022 में कर्नाटक के उडुपी में एक कॉलेज में छह छात्राओं के हिजाब पहनकर आने से रोकने पर विवाद खड़ा हो गया था. कॉलेज प्रशासन ने लड़कियों को हिजाब पहनकर कॉलेज में आने से मना कर दिया. जिसके खिलाफ लड़कियों ने विरोध प्रदर्शन किया. मामला कर्नाटक हाईकोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य प्रथा का हिस्सा नहीं है.
तस्वीर: Money SHARMA/AFP
मस्जिदों के लाउडस्पीकर पर मचा शोर
महाराष्ट्र में अप्रैल के महीने में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने मस्जिदों और अन्य धार्मिक स्थलों में प्रार्थनाओं की आवाज को सीमा के भीतर रखने को लेकर अभियान चलाया था. उन्होंने कहा था कि अगर मस्जिदों ने ऐसा नहीं किया तो उनके समर्थक विरोध जताने के लिए मस्जिदों के बाहर हिंदू मंत्रोच्चार करेंगे. महाराष्ट्र की करीब 900 मस्जिदों ने अजान की आवाज कम करने की सहमति दी थी.
तस्वीर: Getty Images/AFP/C. Mahyuddin
उत्तर प्रदेश में लाउडस्पीकरों पर कार्रवाई
उत्तर प्रदेश में सभी धार्मिक स्थलों से करीब 1.29 लाख लाउडस्पीकर उतारे गए या फिर उनकी आवाज को तय मानकों के मुताबिक कम किया गया. यूपी सरकार ने 23 अप्रैल को धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने के आदेश जारी किए थे. इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश पर राज्य सरकार ने पूरे प्रदेश में यह अभियान चलाया. सरकारी कार्रवाई मंदिर, मस्जिद और अन्य संस्थानों के लाउडस्पीकरों पर हुई.
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Sharma
हिंसक घटनाएं
रामनवमी और हनुमान जयंती के दौरान दो समुदायों के बीच कई जगहों पर हिंसक झड़प हो गई थी. दिल्ली के जहांगीरपुरी में दो समुदायों के बीच झड़प हुई और माहौल तनावपू्र्ण हो गया. इसके अलावा मध्य प्रदेश के खरगोन, मुंबई की आरे कॉलोनी में एक धार्मिक यात्रा के दौरान दो समुदायों के लोगों के बीच हिंसा हुई. कर्नाटक के हुबली में भी एक व्हाट्सऐप संदेश को लेकर बवाल मच गया था.
तस्वीर: Charu Kartikeya/DW
बुलडोजर पर सवाल
उत्तर प्रदेश में हाल के महीने में कई मामले सामने आए जिनमें ऐसे आरोपियों के घर पर प्रशासन ने बुलडोजर चलवा दिया जिनका नाम किसी तरह के मामले में दर्ज हुआ. बुलडोजर चलाने को लेकर सवाल भी खड़े हुए और मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा. कोर्ट में यूपी सरकार ने हलफनामा देकर कहा कि नियमों के मुताबिक कार्रवाई की गई है.
तस्वीर: Ritesh Shukla/REUTERS
यूपी की तर्ज पर एमपी में भी बुलडोजर चला
मध्य प्रदेश के खरगोन में रामनवमी पर दंगों के बाद प्रशासन ने कई मकान और दुकानों पर बुलडोजर चलवाकर तोड़ दिया. खरगोन प्रशान ने दंगों के एक दिन बाद 12 अप्रैल को कम से 45 मकानों और दुकानों पर बुलडोजर चलाकर कार्रवाई की थी. यहां भी सवाल उठे कि बिना नोटिस के प्रशासन ने कार्रवाई क्यों की.
तस्वीर: Charu Kartikeya/DW
पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी
एक टीवी बहस के दौरान बीजेपी की प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी की जिसके बाद अरब जगत से इस पर विरोध दर्ज कराया गया. इसके बाद बीजेपी ने नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल को पार्टी से निकाल दिया और बयान से किनारा कर लिया. टिप्पणी के विरोध में कई जगहों पर हिंसक घटनाएं हुईं.
तस्वीर: Vipin Kumar/Hindustan Times/imago
मुस्लिमों के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी
दिसंबर 2021 में हरिद्वार में एक धर्म संसद हुई थी और इस धर्म संसद में देश के मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ बयान दिए गए. इस धर्म संसद में हिंदू राष्ट्र की स्थापना की बात कही गई और मीडिया और कोर्ट के खिलाफ भी आपत्तिजनक बयान दिए गए थे.
तस्वीर: Hindustan Times/imago images
कन्हैयालाल का कत्ल
राजस्थान के उदयपुर में 28 जून को एक दर्जी कन्हैयालाल को इस सिर्फ दो मुसलमान व्यक्तियों ने धारदार हथियार से मार डाला क्योंकि उन्होंने नूपुर शर्मा के समर्थन में व्हॉट्सऐप स्टेटस लगाया था. कन्हैयालाल इस मामले में गिरफ्तार हो चुके थे और शिकायतकर्ता और उनके बीच पुलिस ने समझौता करा लिया था, उन्होंने पुलिस से जान मारने की धमकी मिलने की शिकायत की थी. हत्या के विरोध में राजस्थान में तनाव का माहौल बन गया.
तस्वीर: ANI/REUTERS
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ढोल बजाने की दलील
तीनों लोगों के खिलाफ एफआईआर सावन लोट नाम के व्यक्ति की शिकायत पर की गई. तीनों लोगों पर 295ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य) और 153ए (पूजा स्थल पर किया गया अपराध) समेत विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था.
ढोल के इस्तेमाल पर सवाल को लेकर पुलिस की दलील है कि पारंपरिक रूप से अतिक्रमण को हटाने के लिए सार्वजनिक घोषणा की जाती है और इसलिए ढोल का इस्तेमाल किया गया. भूरिया ने कहा, "यही कारण है कि आज के इस कार्य के लिए इसका इस्तेमाल किया गया."
मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि उज्जैन नगर निगम ने कथित अनियमितता का विवरण देने से इनकार कर दिया. और उसने यह नहीं बताया कि किस कारण से मकान को ढहाया गया. नगर निगम का दावा है कि मकान में रहने वालों को बहुत पहले से इस बारे में नोटिस जारी कर दिया गया था.
थूकने के कथित आरोपियों में से दो नाबालिग हैं जबकि तीसरा आरोपी कुछ महीने पहले बालिग हुआ था. दोनों नाबालिग को सुधार गृह भेज दिया गया है वहीं तीसरे आरोपी को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया. तीनों ही आरोपी अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं.
बीजेपी शासित प्रदेशों में खास समुदाय को निशाना बनाने के लिए बुलडोजर के इस्तेमाल को लेकर मामला सुप्रीम तक जा चुका है. एक मामले की सुनवाई में कोर्ट कह चुका है कि अतिक्रमण को हटाने के लिए नियमों का पालन किया जाना चाहिए.