ब्रिटेन के हजारों पेट्रोल पंपों पर तेल खत्म हो गया है. पेट्रोल पंपों के आगे वाहनों की लंबी कतारें देखी जा सकती हैं. यूरोपीय संघ ने इसे ब्रेक्जिट का परिणाम बताया है.
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रविवार को ब्रिटेन की पेट्रोल रीटेलर्स एसोसिएशन ने कहा कि उसके लगभग 5,000 पेट्रोल पंपों में से दो तिहाई के पास तेल खत्म हो गया है. ऐसा ट्रक ड्रइवरों की कमी के कारण हो रहा है.
एसोसिएशन ने कहा कि दो तिहाई पंपों के पास पेट्रोल खत्म हो गया है जबकि बाकियों के पास भी बहुत कम ईंधन बचा है. एसोसिएशन के अध्यक्ष ब्रायन मैडरसन ने कहा कि ऐसा डर के कारण की जा रही जमाखोरी के चलते हो रहा है.
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मैडरसन ने बीबीसी से बातचीत में कहा, "देश में बहुत तेल है लेकिन वाहन चालकों के लिए यह गलत जगहों पर है. यह अब भी टर्मिनलों और रिफाइनरियों में पड़ा है.”
ब्रेक्जिट पर इल्जाम
ब्रिटेन में जगह जगह पेट्रोल पंपों की लंबी कतारें देखी जा सकती हैं. सप्ताहांत पर लोगों को तेल लेने में खासी मशक्कत का सामना करना पड़ा. कुछ ड्राइवरों को तो घंटों इंतजार करना पड़ा. एक स्टेशन पर तो झगड़ा होने के कारण पुलिस को भी बुलाया गया. पुलिस ने बताया कि एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है.
उद्योग जगत का कहना है कि ब्रिटेन में ट्रक ड्राइवरों की भारी कमी हो गयी है. दसियों हजार ड्राइवर कम हैं और इसकी वजह कोरोनावायरस महामारी के अलावा और बहुत से कारण हैं. इसके अलावा लोगों की बढ़ती औसत उम्र और ब्रेक्जिट के चलते बहुत से लोगों के देश छोड़ देने के कारण भी ऐसा हुआ.
फ्रांस के यूरोपीय मामलों के मंत्री क्लेमेंट बुआने ने कहा कि यह स्थिति दिखाती है कि ब्रेक्जिट एक ‘बौद्धिक घोटाला' था. उन्होंने फ्रांस-2 टीवी से बातचीत में कहा, "हर रोज हम देख रहे हैं ब्रेक्जिट एक बौद्धिक घोटाला था.”
तस्वीरेंः कच्चे तेल से क्या मिलता है
कच्चे तेल से क्या क्या मिलता है
कच्चे तेल से सिर्फ पेट्रोल या डीजल ही नहीं मिलता है, इससे हर दिन इस्तेमाल होने वाली ढेरों चीजें मिलती हैं. एक नजर कच्चे तेल से मिलने वाले अहम उत्पादों पर.
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ब्यूटेन और प्रोपेन
कच्चे तेल के शोधन के पहले चरण में ब्यूटेन और प्रोपेन नाम की प्राकृतिक गैसें मिलती हैं. बेहद ज्वलनशील इन गैसों का इस्तेमाल कुकिंग और ट्रांसपोर्ट में होता है. प्रोपेन को अत्यधिक दवाब में ब्युटेन के साथ कंप्रेस कर एलपीजी (लिक्विड पेट्रोलियम गैस) के रूप में स्टोर किया जाता है. ब्यूटेन को रेफ्रिजरेशन के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है.
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तरल ईंधन
प्रोपेन अलग करने के बाद कच्चे तेल से पेट्रोल, कैरोसिन, डीजल जैसे तरल ईंधन निकाले जाते हैं. सबसे शुद्ध फॉर्म पेट्रोल है. फिर कैरोसिन आता है और अंत में डीजल. हवाई जहाज के लिए ईंधन कैरोसिन को बहुत ज्यादा रिफाइन कर बनाया जाता है. इसमें कॉर्बन के ज्यादा अणु मिलाए जाते हैं. जेट फ्यूल माइनस 50 या 60 डिग्री की ठंड में ही नहीं जमता है.
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नैफ्था
पेट्रोल, कैरोसिन और डीजल बनाने की प्रक्रिया में जो अपशेष मिलता है, उससे बेहद ज्वलनशील तरल नैफ्था भी बनाया जाता है. नैफ्था का इस्तेमाल पॉकेट लाइटरों में किया जाता है. उद्योगों में नैफ्था का इस्तेमाल स्टीम क्रैकिंग के लिए किया जाता है. नैफ्था सॉल्ट का इस्तेमाल कीड़ों से बचाव के लिए किया जाता है.
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नैपाम
कच्चे तेल से मिलने वाला नैपाम विस्फोटक का काम करता है. आग को बहुत दूर भेजना हो तो नैपाम का ही इस्तेमाल किया जाता है. यह धीमे लेकिन लगातार जलता है. पेट्रोल या कैरोसिन के जरिए ऐसा नहीं किया जा सकता, क्योंकि वे बहुत जल्दी जलते हैं और तेल से वाष्पीकृत भी होते हैं.
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मोटर ऑयल
गैस और तरल ईंधन निकालने के बाद कच्चे तेल से इंजिन ऑयल या मोटर ऑयल मिलता है. बेहद चिकनाहट वाला यह तरल मोटर के पार्ट्स के बीच घर्षण कम करता है और पुर्जों को लंबे समय तक सुरक्षित रखता है.
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ग्रीस
मोटर ऑयल निकालने के साथ ही तेल से काफी फैट निकलता है. इसे ऑयल फैट या ग्रीस कहते हैं. लगातार घर्षण का सामना करने वाले पुर्जों को नमी से बचाने के लिए ग्रीस का इस्तेमाल होता है.
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पेट्रोलियम जेली
आम घरों में त्वचा के लिए इस्तेमाल होने वाला वैसलीन भी कच्चे तेल से ही निकलता है. ऑयल फैट को काफी परिष्कृत करने पर गंधहीन और स्वादहीन जेली मिलती है, जिसे कॉस्मेटिक्स के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
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मोम
ऑयल रिफाइनरी में मोम का उत्पादन भी होता है. यह भी कच्चे तेल का बायप्रोडक्ट है. वैज्ञानिक भाषा में रिफाइनरी से निकले मोम को पेट्रोलियम वैक्स कहा जाता है. पहले मोम बनाने के लिए पशु या वनस्पति वसा का इस्तेमाल किया जाता था.
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चारकोल
असफाल्ट, चारकोल, कोलतार या डामर कहा जाने वाला यह प्रोडक्ट भी कच्चे तेल से मिलता है. हालांकि दुनिया में कुछ जगहों पर चारकोल प्राकृतिक रूप से भी मिलता है. इसका इस्तेमाल सड़कें बनाने या छत को ढकने वाली वॉटरप्रूफ पट्टियां बनाने में होता है.
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प्लास्टिक
कच्चे तेल का इस्तेमाल प्लास्टिक बनाने के लिए भी किया जाता है. दुनिया भर में मिलने वाला ज्यादातर प्लास्टिक कच्चे तेल से ही निकाला जाता है. वनस्पति तेल से भी प्लास्टिक बनाया जाता है लेकिन पेट्रोलियम की तुलना में महंगा पड़ता है.
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अमेरिका और जर्मनी समेत कई अन्य देश भी ट्रक ड्राइवरों की कमी से जूझ रहे हैं. लेकिन ब्रिटेन में यह समस्या बड़े स्तर पर दिखाई दे रही है, जहां पेट्रोल पंप खाली हैं और सुपर मार्किटों में भी सामान नहीं पहुंच रहा है.
ट्रक ड्राइवरों को मिलेंगे वीसा
ट्रक ड्राइवरों को वीसा देने के लिए सरकार पर पिछले कई हफ्तों से दबाव बढ़ रहा था. आखिरकार शनिवार को सरकार ने घोषणा की कि विदेशी ट्रक ड्राइवरों को आपातकालीन वीसा दिया जाएगा ताकि क्रिसमस के वक्त ब्रिटिश परिवारों को खिलौनों या टर्की के बिना ना रहना पड़े.
सरकार का कहना है कि अक्टूबर से ट्रक ड्राइवरों को पांच हजार वीजा जारी किए जाएंगे. इसके अलावा पोल्ट्री में काम करने के लिए 5,500 वीजा जारी किए जाएंगे.
कुछ ओद्यौगिक संगठनों ने सरकार के नए वीसा प्लान का स्वागत किया है लेकिन ब्रिटिश रीटेल कन्सोर्टियम ने इसे बहुत देर से आई बहुत कम मदद बताया है. कॉन्फेडरेशन ऑफ ब्रिटिश इंडस्ट्री की अध्यक्ष रूबी मैक्ग्रॉगर-स्मिथ ने कहा कि यह जलती आग पर एक डिब्बा पानी डालने जैसा है.
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