ब्रिटेन: कंपनियों के बोर्ड में बढ़ी महिलाओं की मौजूदगी
२२ फ़रवरी २०२२
ब्रिटेन में एक सरकारी रिपोर्ट ने दावा किया है कि देश में कंपनियों के बोर्ड में महिलाओं के अनुपात को लेकर एक बड़ा बदलाव आया है. इस मामले में फ्रांस पहले स्थान पर है लेकिन ब्रिटेन पांचवें पायदान से सीधे दूसरे पर आ गया है.
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सरकार से समर्थन प्राप्त एफटीएसी वीमेन लीडर्स रिव्यु नाम की इस रिपोर्ट के मुताबिक लंदन के स्टॉक एक्सचेंज के एफटीएसी 100 सूचकांक में शामिल कंपनियों के बोर्ड में सभी पदों में से करीब 40 प्रतिशत पदों पर महिलाएं हैं.
इस उपलब्धि के साथ ही ब्रिटेन वीमेन लीडर्स रिव्यु में पांचवें स्थान से उछल कर दूसरे स्थान पर आ गया है. पहले स्थान पर फ्रांस के पेरिस सीएसी 40 सूचकांक ने अपनी जगह बनाई हुई है. वहां यह आंकड़ा करीब 44 प्रतिशत है.
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ब्रिटेन में तरक्की
रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिटेन के आंकड़े देश में "उद्योगों में शीर्ष पर महिलाओं के पहुंचने को लेकर एक बड़े बदलाव" को दिखा रहे हैं. आज से 10 साल पहले एफटीएसी 100 कंपनियों के बोर्ड में सिर्फ 12.5 महिलाएं थीं. हालांकि अभी भी देश को इस मामले में और तरक्की करनी बाकी है. 2021 में एफटीएसी 100 की कंपनियों में सिर्फ आठ महिला सीईओ थीं.
ब्रिटेन के व्यापार मंत्री क्वासि क्वारटेंग ने कहा, "ब्रिटेन के उद्योगों ने हाल के सालों में यह सुनिश्चित करने में बहुत तरक्की हासिल की है कि किसी की पृष्ठभूमि जो भी हो योग्यता के आधार पर सभी सफल हो सकें. आज के ये नतीजे इसी बात को रेखांकित करते हैं."
रिपोर्ट में प्रस्ताव दिया गया है कि इस मामले में 2025 के अंत तक एफटीसी 350 कंपनियों के बोर्ड और नेतृत्व टीमों के स्वैच्छिक लक्ष्य को बढ़ाकर न्यूनतम 40 प्रतिशत कर दिया जाना चाहिए.
महिलाओं और बराबरी मामलों की मंत्री लीज ट्रस ने कहा, "जो तरक्की हो रही है उसे देख कर बहुत अच्छा लग रहा है, लेकिन हमें मालूम है कि अभी बहुत काम किए जाने की जरूरत है. यह सरकार गैर बराबरी का मुकाबला करने और वरिष्ठ स्तर के पदों तक हासिल करने के अवसरों में बराबरी को प्रोत्साहन देने के लिए प्रतिबद्ध है."
बेहतर प्रदर्शन की गुंजाइश
एफटीएसी वीमेन लीडर्स रिव्यु ब्रिटेन की सबसे बड़ी कंपनियों के बोर्ड और नेतृत्व टीमों के 24,000 पदों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के लिए कदम सुझाती है और स्थिति की निगरानी भी करती है.
यह समिति सूचकांक में शामिल चोटी की 350 कंपनियों के लिए भी दूसरे लक्ष्य निर्धारित करने के लिए भी कहती है. समिति यह भी चाहती है कि इन कंपनियों के अलावा ब्रिटेन की 50 सबसे बड़ी कंपनियों को भी समीक्षा में शामिल किया जाना चाहिए.
समिति के मुख्य कार्यकारी डेनीस विल्सन ने कहा, "हम जानते हैं कि अभी बहुत सा काम बाकी है और आज उद्योग जगत में तजुर्बेकार, योग्य, महत्वाकांक्षी महिलाओं की कोई कमी नहीं है. इसलिए हमें बोर्ड में महिलाओं की मौजूदगी बढ़ाने के साथ साथ अगले चरण में कंपनियों में चोटी के पदों पर महिलाओं की मौजूदगी बढ़ाने की तरफ अपना ध्यान मजबूती से केंद्रित करने की जरूरत है."
ब्रिटेन में सूचकांक में शामिल कंपनियों में अभी भी महिलाओं सीईओ बहुत कम हैं. मार्च तक लंदन स्टॉक एक्सचेंज की चोटी की 350 कंपनियों में सिर्फ 16 की सीईओ महिलाएं थीं.
सीके/एए (एएफपी)
कमाई के मामले में अपने पतियों से भी पीछे हैं महिलाएं
पति-पत्नी की आय में अंतर पर किए गए एक वैश्विक अध्ययन में सामने आया है कि दुनिया में कहीं भी महिलाएं अपने पतियों के बराबर नहीं कमा पा रही हैं. अध्ययन आईआईएम बैंगलोर के शोधकर्ताओं ने किया है.
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45 देश, 43 सालों की अवधि
परिवारों के अंदर आय में लैंगिक असमानता पर पहले वैश्विक सर्वे के लिए 45 देशों के 1973 से लेकर 2016 तक के डेटा का अध्ययन किया गया. आईआईएम बैंगलोर के हेमा स्वामीनाथन और दीपक मलघन ने यह शोध किया.
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हर उम्र के जोड़े शामिल
यह डाटा 18 से 65 साल की उम्र के हेट्रोसेक्सुअल जोड़ों वाले 28.5 लाख परिवारों का था. डाटा इकट्ठा किया लाभकारी संस्था लक्समबर्ग इनकम स्टडी (एलआईएस) ने.
तस्वीर: dpa/PA
पूरी दुनिया का एक ही हाल
शोधकर्ताओं ने देशों को सामान्य रूप से व्याप्त विषमता और परिवारों के अंदर असमानता की कसौटियों पर परखा. उन्होंने पाया कि लैंगिक असमानता सभी देशों में, हर कालखंड में और गरीब हो या अमीर सभी परिवारों में मौजूद है. एक देश भी ऐसा नहीं है जहां महिलाओं की आय उनके पतियों के बराबर हो.
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नॉर्डिक देश भी पिछड़े
उत्तरी यूरोप के नॉर्डिक देशों में यूं तो दुनिया में सबसे कम लैंगिक असमानताएं हैं, लेकिन वहां भी हर जगह परिवार की आय में पत्नी की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से कम पाई गई.
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क्यों कम कमा पाती हैं महिलाएं
इसके कई कारण वैश्विक हैं. पुरुषों को पारम्परिक रूप से रोजी-रोटी कमाने वालों और महिलाओं को गृहिणियों के रूप में देखा जाता है. कई महिलाओं को मां बनने के बाद काम से अवकाश लेना या काम छोड़ देना पड़ता है. कार्यस्थलों में एक जैसे काम के लिए आज भी कई स्थानों पर महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कम पैसे मिलते हैं.
तस्वीर: halfpoint/imago images
घर के अवैतनिक काम
आज भी घर के अवैतनिक काम और परिवार का ख्याल रखना महिलाओं की जिम्मेदारी माना जाता है. रिपोर्ट ने कहा कि ख्याल रखने का अवैतनिक काम "महिलाओं को श्रमिक बल में प्रवेश करने, बने रहने और तरक्की करने से रोकने वाला मुख्य अवरोधक है."
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कम आय के नुकसान
शोधकर्ताओं का कहना है कि महिलाओं की कम आय की वजह से परिवार में लैंगिक असंतुलन भी होता है. महिलाओं के पास बचत कम होती है, वो कम संपत्ति अर्जित कर पाती हैं और बुढ़ापे में पेंशन के रूप में भी उनकी कमाई कम ही रहती है.
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अच्छी आय के फायदे
बतौर गृहिणी महिलाओं का योगदान अदृश्य है जबकि नकद आय दिखती है. पारिवारिक आय में ठोस नकद का योगदान करने वाली महिलाओं का एक विशेष दर्जा होता है, वो आत्मनिर्भर होती हैं और परिवार के अंदर वो अपनी बात कह सकती हैं. आय बढ़ने से उनकी क्षमता बढ़ती है और वो एक शोषण भरी स्थिति से खुद को निकाल भी सकती हैं.
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आशा की एक किरण
हालांकि 43 सालों की इस अवधि में परिवारों के अंदर की असमानता में 20 प्रतिशत गिरावट देखी गई है. दुनिया के अधिकांश हिस्सों में श्रमिक वर्ग में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ी है, महिलाओं के अनुकूल कई नीतियां बनी हैं और लैंगिक फासला कम हुआ है.
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लंबा सफर बाकी है
इसके बावजूद यह फासला अभी भी बहुत बड़ा है और अभी भी इसे कम करने के लिए बहुत काम करने की जरूरत है. शोधकर्ताओं का कहना है कि सरकारों को और बेहतर नीतियां लाने की जरूरत है, कंपनियों को और महिलाओं को नौकरी देने की जरूरत है और जो कामकाजी महिलाओं को घर का अवैतनिक काम करने और परिवार का ख्याल रखने के लिए दंड देना बंद करने की जरूरत है.